शब्दों का सफ़र

शब्दों का सफ़र 😊🙏🙏😊
#बंदना मिश्रा
#देवरिया
#उत्तर प्रदेश
(1)

शुभ शुक्रवार जय माता दी 🙏🙏
19/09/2025

शुभ शुक्रवार जय माता दी 🙏🙏

 #17/9/2025 #विश्वकर्मा #सृजन करते है।देवों ने बनाया सृष्टि को।ये सृष्टि को सजाते है।है अनोखे सृजन करता।सृजन के देवता कह...
17/09/2025

#17/9/2025
#विश्वकर्मा
#सृजन करते है।

देवों ने बनाया सृष्टि को।
ये सृष्टि को सजाते है।
है अनोखे सृजन करता।
सृजन के देवता कहलाते है।

लकड़ी हो या हो पत्थर।
उस पर हाथों से देते धार।
आ जाती है उसमें जान।
हाथ में इनके है वो हुनर।

इंद्र लोक को यही सजाए।
सिंहासन राज महल चमकाए।
अद्भुत शोभा लगे हैं न्यारी।
देख के आंखें चौंधिया जाए।

बजा इनके हुनर का डंका।
पकड़ के लाया रावण लंका।
स्वर्ग से सुंदर महल बनाओ
नहीं रखना मन में कोई शंका।

लकड़ी,पत्थर का कोई औजार।
सोना चांदी लोहे में भी निखार।
इनके देख रेख में फूले फले,
उद्योग जगत का हर व्यापार।
©️✍️®️
बंदना मिश्रा मिसरी
देवरिया उत्तर प्रदेश

पापा की पुण्यतिथि पर नमन🙏🙏अब नहीं सुनाई पड़ती है वो आवाज़।कानों में गूंजा करती थी जो आवाज़।बोलते बोलते ही वह खामोश हो गए...
16/09/2025

पापा की पुण्यतिथि पर नमन🙏🙏

अब नहीं सुनाई पड़ती है वो आवाज़।
कानों में गूंजा करती थी जो आवाज़।
बोलते बोलते ही वह खामोश हो गए।
सुनने को तरस गए अब उनकी आवाज़।
#बंदना मिश्रा
#देवरिया उत्तर प्रदेश

मै हिंदी हूंवर्णों से अक्षर, अक्षर से, शब्द नित बन जाती हूं।अ से अज्ञानी से शुरू कराकरज्ञ से ज्ञान का दीप जलाती हूं।मुझस...
15/09/2025

मै हिंदी हूं

वर्णों से अक्षर, अक्षर से,
शब्द नित बन जाती हूं।
अ से अज्ञानी से शुरू कराकर
ज्ञ से ज्ञान का दीप जलाती हूं।

मुझसे ही स्वर झंकृत होते,
मै ही वीणा की तान हूं।
धरम करम सबमें मै ही हूं,
मै ही गीता मैं ही कुरान हूं।

मै ध्वनियों का समन्वय,
मै ही संधि और समास हूं।
रस, छंद और अलंकार से,
मै ही करती अपना श्रृंगार हूं।

गीत,गजल,कविता,लेख में,
सदियों से मै ही समाई हूं।
सुर,तुलसी,मीरा,रसखान,
की दोहा और चौपाई हूं।

मै जन जन की चहेती,
सबके दिल में समाई हूं।
संस्कृत से मेरा जन्म हुआ,
हिंदी मै कहलाई हूं।
©️✍️®️
बंदना मिश्रा मिसरी
देवरिया उत्तर प्रदेश

पूरब से पश्चिम जो गया,हो गया उसका बंटाधार।पैसे की केवल बोली बोले,पैसा हो गया उनका संसार।आधुनिकता का चढ़ा बुखार,कपड़े हो ...
04/09/2025

पूरब से पश्चिम जो गया,
हो गया उसका बंटाधार।
पैसे की केवल बोली बोले,
पैसा हो गया उनका संसार।

आधुनिकता का चढ़ा बुखार,
कपड़े हो गए सब तार तार।
टूटी शर्मों हया की दीवार,
रोए सभ्यता चीखे संस्कार।

कहा थे हम कहां आ गए,
छोड़ गए जो घर परिवार।
लौट कभी फिर ना आए,
भूल गए घर,आंगन,दुआर।

मां,बाप को भेजा वृद्धाश्रम,
बच्चे को सौंपा नौकर हाथ।
धन्य धन्य प्रभु तेरी माया,
रहे मानव केवल माया के साथ।
©️✍️®️
बंदना मिश्रा मिसरी
देवरिया उत्तर प्रदेश

04/09/2025

क्या धरती क्या अम्बर।
गूंजे जय जय कार।
गणपति बप्पा मोरया।
कर दो बेड़ा पार।

03/09/2025

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जय गणेश हरो कलेश🙏🙏
03/09/2025

जय गणेश हरो कलेश🙏🙏

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