14/01/2025
अलविदा साथियो 😊😘🙏 मैं बिन बताएँ भी आप सबको अलविदा कह सकता था लेकिन इस बार मैं इसलिए बता कर जा रहा हूँ क्योंकि यह वो सोशल मीडिया जहाँ आपकी अनुपस्थिति से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है... आपकी रोज़ आती पोस्ट्स ही लोगों को सूचित करती है कि आप ज़िंदा हो..! यह मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जब पिछली बार पांच साल पहले 2 साल के लिए फ़ेसबुक छोड़ा था (2-3 महीने में एक पोस्ट करता था) तो 7-8 साल पुराने सोशल मीडिया के मित्र अनफ़्रेड करके जा चुके थे...! फिर से अब मैं 2-3 महीने में एक-दो पोस्ट ही करूंगा..!
सोशल मीडिया से कम से कम 2-3 साल के लिए दूर जा रहा हूँ...! अब कभी कभी मुलाकात होगी
सोशल मीडिया के अब तक के सफर में मैने दुनिया की हर चीज को करीब से जानने की कोशिश की है..! मैने यहाँ लोगों के हर अच्छे और बुरे विचारों को पढ़ा, साथ में अच्छे विचारों को ख़ुद में समाहित भी किया....(यह अलग बात है कि हम सब लोगों के लिए अच्छाई-बुराई के पैमाने अलग-अलग हो सकते है).....! मुझे उम्मीद है कि आप सब शायद मेरे विचारों से अच्छी तरह परिचित होंगे, जिनसे मेरे विचार नहीं मिलते वो लोग मुझे कुछ भी कहते है..!” मुझे ख़ुद पता नहीं चला कि मैं कब एक बागी में परिवर्तित हो गया..! लेकिन मैं सच कहूँ तो मुझे यह बग़ावत पसंद आयी..! मैं गर्व से कह सकता हूँ मुझे इस बात की जिंदगी भर तसल्ली रहेगी कि कम से कम मैं इस दौर-ए-सियासत में कुचल दी जा रहीं जुबानों और शोषित लोगों के पक्ष में खड़ा था..! मैंने हमेशा शोषित और लाचार लोगों की आवाज़ मजबूत करने का कार्य किया है..! मैंने मेरे जीवन में कभी ऐसा काम नहीं किया कि जिससे मेरे माँ-बाप,परिवार,रिश्तेदारों या दोस्तों की इज़्ज़त को कोई चोट पहुँची हो..!
मैंने लोकतंत्र के मूल्यों को स्थापित करने, शोषित लोगों की आवाज़ उठाने और अपने ख़ुद के हक़ों की लड़ाई लड़ने के लिए कई सामाजिक रैलियों और प्रदर्शनों में बख़ूबी हिस्सा लिया..! मैं नहीं जानता कि मैंने अब तक के इस फ़ेसबुक के सफर में क्या खोया (कुछ बचपन के दोस्त सोच रहे होंगे कि कैरियर बर्बाद कर लिया और क्या खोएगा..? लेकिन यह घोषणा करना जल्दबाज़ी होगी क्योंकि हो सकता है कि इस बर्बादी के भविष्य में कुछ अच्छे नतीजे मिले..) लेकिन मैं यह जानता हूँ कि मैंने यहाँ कुछ ऐसे लोग पा लिए है, जो अब मेरे परिवार के हिस्से की तरह है..!
मेरा परिवार,मेरे रिश्तेदार और मेरे दोस्त मुझसे हमेशा कुछ अच्छा करने की उम्मीद रखते है,लेकिन इस बार मैं ख़ुद अपने से एक उम्मीद रख रहा हूँ..! ये सोशल मीडिया जैसी बीमारियों को छोड़ना मेरे लिये बड़ी बात नहीं थी (क्योंकि मैं पहले भी लम्बे समय के लिए कई बार छोड़ चुका हूँ) और ना ही ये फैसला मैंने किसी के दबाव में या किसी के कहने पर लिया है... ये फ़ैसला मैंने ख़ुद लिया है और ख़ुद के लिए लिया है..! क्योंकि मैंने महसूस किया है कि मैं यहाँ अपने विचारों को कुछ पलों में कई लोगों के बीच पहुँचाता हूँ और लोग उन्हें पसंद भी करते है... लेकिन ज़मीनी स्तर पर वो विचार पहुँच नहीं पा रहे है और उन विचारों को ग्राउंड लेवल पर स्थापित करना ज़रूरी है मेरा मानना है कि ज़मीनी लड़ाई लड़ने में वक़्त ज़रूर लगेगा लेकिन नतीजे सोशल मीडिया की मेहनत की तुलना में बेहतर प्राप्त होंगे..!
मैं आने वाले कुछ दिनों में जिस रास्ते पर जाऊँगा...मुझे नहीं पता कि उस रास्ते पर मुझे वास्तविक मंज़िल मिलेगी या नहीं ...!मैं जहां भी रहूँगा, वहाँ आप सबकी यादों को मेरे दिल की गहराइयों में छुपाकर रखूंगा, इनकी हिफाजत करूँगा और कोशिश करूँगा कि “सफ़र-ए-फ़ेसबुक” नाम की उस साहित्यिक कृति को पूरा कर सकूँ, जिसको मैंने कभी अधूरा छोड़ दिया था..!
आप सभी साथियों ने मुझे जो प्यार और सम्मान दिया, वो हमेशा मेरे दिल में रहेगा..! इस दौरान मैं सोशल मीडिया के कई प्रगतिशील क्रांतिकारी साथियों के लेखों को मिस करूँगा..! मैं अंत में आपको इतना विश्वास ज़रूर दिलाना चाहता हूँ कि जहाँ भी रहूँगा इंसानियत की रक्षा और लोगों के हक़ों के लिए लड़ता रहूँगा..!
अंत में सभी साथियों को क्रांतिकारी जोहार ,जय भीम..!