Navodit Bhartiya Sabha

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Navodit  Bhartiya Sabha At Navodit Bhartiya Shabha, we believe that every individual in the universe possesses a purpose for their existence.

Our mission is to help each person align their efforts in the right direction, ultimately enabling them to achieve their true potential Vision
Navodit Bhartiya Shabha envision a world where every individual is aware of their unique gifts and contributions, confidently pursuing their potential. Through nurturing minds and hearts, we aspire to create a harmonious community that supports personal gr

owth and collective well-being, fostering a brighter future for all. Mission
At Navodit Bhartiya Shabha, we are dedicated to empowering individuals of all ages and genders to recognize their unique value and purpose. By serving as a practical guide, we help people explore and nurture their inherent capabilities, aligning their efforts to achieve their true potential and fulfil their unique purpose in life. Objective:
To provide individuals with the knowledge, tools, and guidance needed to discover and nurture their unique strengths, empowering them to realize their full potential. We aim to inspire self-awareness, personal growth, and purposeful living across all ages and genders, fostering an inclusive environment where each person can align their actions with their true purpose in life. Through our efforts, we strive to create a supportive community that enables individuals to contribute positively to society and achieve holistic well-being. This objective directly supports the mission by emphasizing empowerment, personal growth, and alignment with purpose, while also acknowledging the inclusivity of the approach across different demographics.

23/09/2025

⚖️ क्या न्यायाधीशों को जवाबदेही से ऊपर माना जाना चाहिए?

देरी से मिला न्याय, अन्याय के बराबर है

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका को आम जनता की आखिरी उम्मीद माना जाता है। लेकिन जब वही उम्मीद सालों की प्रतीक्षा में बदल जाए, और पीड़ित की मौत के बाद फैसला आए — तो इसे हम न्याय कैसे कह सकते हैं?

एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मैंने अनगिनत परिवारों को दशकों तक न्याय के इंतज़ार में देखा है। पीड़ित मर जाते हैं, गवाह गायब हो जाते हैं, सबूत मिट जाते हैं — लेकिन केस चलता ही रहता है। और दूसरी तरफ, न्यायपालिका अपनी पुरानी लय में चलती रहती है — बिना किसी जवाबदेही के।



न्यायपालिका की सबसे बड़ी समस्या: जवाबदेही का अभाव

देश में हर संस्था — सरकार, पुलिस, अफसरशाही — किसी न किसी रूप में जवाबदेह है। नेता हटाए जा सकते हैं, पुलिस सस्पेंड हो सकती है, अफसर का ट्रांसफर हो सकता है। लेकिन जजों के लिए कोई कार्यवाही नहीं होती, चाहे भ्रष्टाचार हो या जानबूझकर देरी।

क्या न्याय देने वाले खुद कभी कटघरे में खड़े नहीं हो सकते?



लंबित मामलों का पहाड़
• देशभर में 5 करोड़ से ज़्यादा केस लंबित हैं
• सुप्रीम कोर्ट में ही 70,000 से अधिक मामले पेंडिंग हैं
• हजारों लोग सालों से जेल में सड़ रहे हैं, बिना किसी सज़ा के
• कई मामलों में निर्णय पीड़ित की मौत के बाद आता है, जो न्याय का मखौल है

और इन सबके बीच, अदालतें हर साल 2 महीने की गर्मी की छुट्टियों पर जाती हैं। क्या कोई और संस्थान ऐसा कर सकता है जब पूरे सिस्टम में आग लगी हो?



क्या न्यायाधीशों को सज़ा मिलनी चाहिए?

हां — लेकिन प्रक्रिया के साथ

यह कोई व्यक्तिगत हमला नहीं है। यह मांग है पारदर्शिता, सुधार और ईमानदारी की।
1. एक स्वतंत्र न्यायिक शिकायत प्राधिकरण की स्थापना हो
2. जजों की संपत्ति और वित्तीय जानकारी सार्वजनिक हो
3. जिन न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के प्रमाण हों, उनके खिलाफ त्वरित अनुशासनात्मक कार्रवाई हो
4. न्यायाधीशों का प्रदर्शन मूल्यांकन (केवल केस की संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समयबद्धता पर भी)



स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि जवाबदेही न हो

कुछ लोग कहते हैं कि जजों की स्वतंत्रता जरूरी है। बिल्कुल सही है। लेकिन स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि उन्हें कोई छू न सके।

डॉक्टर से गलती हो तो उस पर कार्रवाई होती है। शिक्षक, अफसर, यहां तक कि सैनिक भी जवाबदेह होते हैं। तो जज क्यों नहीं?

न्यायपालिका की गरिमा जवाबदेही से बढ़ेगी — कम नहीं होगी।



निष्कर्ष

हमें अब और न्याय के खोखले वादों की जरूरत नहीं है, हमें एक ऐसा सिस्टम चाहिए जो समय पर, निष्पक्ष और पारदर्शी हो।

न्याय अगर वास्तव में सभी के लिए है, तो इसकी शुरुआत सबसे ऊपर से होनी चाहिए।

काले कोट को छूने से डरने का समय अब चला गया है।

अब वक्त है कि न्यायपालिका भी जनता को जवाब दे

14/09/2025

सामने आने वाली चुनौतियाँ
1. गहरी सामाजिक संरचनाएँ: जाति अभी भी परंपराओं और परिवारों में गहराई से जुड़ी हुई है। मानसिकता बदलने में समय लगेगा।
2. राजनीतिक विरोध: कई राजनीतिक ताकतें जाति की राजनीति से लाभ कमाती हैं—परिवर्तन आसान नहीं होगा।
3. आर्थिक विषमताएँ: वंचित समुदायों को बराबरी तक पहुँचने के लिए सहायता की ज़रूरत बनी रहेगी, भले ही सिस्टम जाति-तटस्थ हो।

24/08/2025

इस दृष्टि की ओर कदम

1. शिक्षा और जागरूकता: समानता और गरिमा जैसे मूल्यों की शिक्षा देना। जातिवाद के प्रभावों का सही इतिहास साझा करना।
2. आर्थिक सशक्तिकरण: सभी के लिए, विशेषकर वंचित वर्गों के लिए, अवसर और कौशल का निर्माण करना।
3. नीति सुधार: जाति-तटस्थ लेकिन न्यायसंगत नीतियों की ओर बढ़ना।
4. सामाजिक आंदोलन: जमीनी स्तर की सक्रियता को बढ़ावा देना जिससे जाति-मुक्त सोच को बढ़ावा मिले।
5. मीडिया और कला की भूमिका: ऐसी कहानियाँ प्रचारित करना जो साझा मानवता पर ज़ोर दें, न कि विभाजन पर।

17/08/2025

जातिवाद-मुक्त भारत कैसा दिखेगा – भाग 2
4. मीडिया और संस्कृति: समाचार और मनोरंजन मानव कहानियों को उजागर करेंगे, न कि जाति पहचान को। फ़िल्में, कला और साहित्य एकता और साझा मानवता पर केंद्रित होंगे।
5. सामाजिक सौहार्द: अंतर-जातीय विवाहों को सामान्य और उत्सव की तरह देखा जाएगा। अछूत प्रथा अतीत की बात बन जाएगी।
6. नेतृत्व में प्रतिनिधित्व: नेता योग्यता और दृष्टिकोण के आधार पर उभरेंगे, न कि जातीय वफादारी पर।

15/08/2025

प्रिय भारतजन 🇮🇳

आज हम सब मिलकर स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं — बिना किसी जाति, धर्म या क्षेत्र के भेदभाव के।
ऐसी एकता देखना वाकई बहुत सुंदर और प्रेरणादायक है ❤🙏

आइए हम एक ऐसे विकसित भारत की कामना करें, जो जातिवाद से पूरी तरह मुक्त हो 🇮🇳✨

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ! 🎉🇮🇳
जय हिन्द! जय भारत! 🙏🇮🇳

27/07/2025

जातिवाद-मुक्त भारत कैसा दिखेगा – भाग 1
1. जाति से परे पहचान: लोग अपनी पहचान भारतीय के रूप में करेंगे, न कि जाति के आधार पर। जन्म अब सामाजिक स्थिति या अवसर तय नहीं करेगा।
2. शिक्षा और रोजगार: स्कूल और नौकरियाँ प्रतिभा और योग्यता के आधार पर मिलेंगी। सहायता प्रणाली आर्थिक जरूरतों पर केंद्रित होगी, न कि जाति पर।
3. सरकारी नीतियाँ: सरकारी सेवाओं में जाति से संबंधित कॉलम हटा दिए जाएंगे। नीतियाँ आवश्यकता आधारित होंगी, असली उत्थान पर फोकस करेंगी।

एक ऐसे भारत की कल्पना करना जहाँ जातिवाद शून्य हो, प्रेरणादायक भी है और जटिल भी। एक ऐसा समाज जहाँ जाति-आधारित भेदभाव और प...
20/07/2025

एक ऐसे भारत की कल्पना करना जहाँ जातिवाद शून्य हो, प्रेरणादायक भी है और जटिल भी। एक ऐसा समाज जहाँ जाति-आधारित भेदभाव और पदानुक्रम न हो, वह एक गहरी सामाजिक क्रांति को दर्शाता है—जो समानता, एकता और गरिमा को बढ़ावा देगा।
इस सीरीज़ में हम जानेंगे कि ऐसा भारत कैसा दिखेगा, वहाँ तक पहुँचने के लिए क्या कदम जरूरी हैं और हमें किन चुनौतियों का सामना करना होगा।

15/12/2024

Be Cool as well as night is

Good Night Dears

15/12/2024
15/12/2024

Good Morning NBS
Can we imagine A caste-free India which would symbolize the realization of the ideals of the Constitution—justice, equality, and fraternity. It would unlock the potential of millions, enabling individuals to rise based on their talents and aspirations rather than being constrained by social labels.
While the path is challenging, the vision of such an India is worth striving for—a nation where the only identity that matters is humanity and the only label is Indian.

19/11/2024

Good evening bravo!
How India Should be you think

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