10/10/2025
समाजवाद के बुलंद परचम, रफ़ीक-उल-मुल्क, किसान नौजवान की बुलंद आवाज़, लोहिया-आंबेडकर के वैचारिक रहगुज़र श्रद्धेय नेताजी को उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर नमन
आज नेताजी की तीसरी पुण्यतिथि है। तीन साल हो गए उस आवाज़ को खामोश हुए, जो इस देश की सबसे गरीब झोपड़ी से लेकर सड़क से सदन तक समानता और न्याय की गूंज थी। मुलायम सिंह यादव सिर्फ़ एक नेता नहीं थे, वे उस विचार परंपरा के वाहक थे, जो डॉ. बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर और डॉ. राममनोहर लोहिया की सोच से निकलकर, भारतीय लोकतंत्र के जनपथ तक पहुँची।
श्रद्धेय नेताजी को नमन
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