11/10/2022
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कल्प हिन्दू समय चक्र की बहुत लम्बी मापन इकाई है। मानव वर्ष गणित के अनुसार 360 दिन का एक दिव्य अहोरात्र होता है। इसी हिसाब से दिव्य 12000 वर्ष का एक चतुर्युगी होता है। 71 चतुर्युगी का एक मन्वन्तर होता है और 14 मन्वन्तर/ 1000 चतुरयुगी का एक कल्प होता है। यह शब्द का अति प्राचीन वैदिक हिन्दू ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है। यह बौद्ध ग्रन्थों में भी मिलता है, हालाँकि बहुत बाद के काल में, वह भी हिन्दू वैदिक धर्म ग्रन्थ से लिया हुआ ही है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि बुद्ध एक हिन्दू परिवार में जन्में हिन्दू ही थे जिनके लगभग 500 वर्ष पश्चात् उनके अनुयायी राजकुमार सिद्धार्थ जो बोध ग्यान के बाद गौतम बुद्ध नाम से प्रसिद्ध हुए।
हिन्दू समय इकाइयां
सृष्टिक्रम और विकास की गणना के लिए कल्प हिन्दुओं का एक परम प्रसिद्ध मापदंड है। जैसे मानव की साधारण आयु सौ वर्ष है, वैसे ही सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की भी आयु सौ वर्ष मानी गई है, परंतु दोनों गणनाओं में बड़ा अन्तर है। ब्रह्मा का एक दिन 'कल्प' कहलाता है, उसके बाद प्रलय होता है। प्रलय ब्रह्मा की एक रात है जिसके पश्चात् फिर नई सृष्टि होती है।
चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं। 1000 चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है। ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि। प्रत्येक कल्प के 14 भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं। प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष् आदि 14 मनु हैं। प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं। इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक 50 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, 51 वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात् श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है। वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके 27 कल्प बीत चुके हैं, 28 वें कल्प के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात् कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है।
युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग 17,28,000 वर्ष; त्रेता 12,96,000 वर्ष; द्वापर 8,64,000 वर्ष और कलियुग 4,32,000 वर्ष। अतएव एक कल्प 1000 चतुर्युगों के बराबर यानी चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,00,000) मानव वर्ष का हुआ।
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