24/12/2021
बॉस के जोक पर न हंसने पर गई
कर्मचारी की नौकरी
दिल्ली. सत्ताईस साल के सुमित वर्मा ने
कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़रा-
सी चूक की वजह से उसे अपनी नौकरी से
हाथ धोना पड़ेगा।
बात शुक्रवार देर शाम की है। सब कुछ ठीक-
ठाक चल रहा था। क्रिसमस से पहले का ये
आख़िरी वर्किंग डे था। ऑफिस के
कैफेटेरिया में एक ऐसे कर्मचारी का ब्रथडे
सेलिब्रेट हो रहा था जिसे सुबह ही बॉस ने
गुस्से में कहा था कि आख़िर तुम
पैदा ही क्यों हुए थे।
गौरतलब है कि महीने में एक-आध बार इस
तरह की सस्ती पार्टियां दे और गेम-वेम
खिलवा कम्पनियां अपने
कर्मचारियों को इस वहम में रखने
की कोशिश करती हैं कि हमारे यहां तुम
कितने खुश हो!
उस दिन भी लोगों को खुश करने की एक
ऐसी ही कवायद चल रही थी। केक काटने
और केक लगी उंगलियां चाटने के बाद
लो आईक्यू लोगों के तम्बोला टाइप कुछ गेम
खेले जा रहे थे।
तम्बोला के ऐसे ही एक राउंड में ऑफिस
की सबसे खूबसूरत लड़की जीत गई। उसके
जीतते ही सब लड़के बीस से पच्चीस सेकंड तक
उससे हाथ मिला उसे बधाई देने लगे। वो सब
उसके जीतने पर इतने खुश थे जैसे सबका बचपन
से यही सपना रहा हो कि बड़ी होकर एक
दिन वो लड़की ऑफिस में तम्बोला जीते।
खैर, तम्बोला की रस्म पूरी हुई
तो बारी आई पास द पार्सल की। इस पल
तक सुमित को ज़रा भी भनक नहीं थी कि ये
खेल ऑफिस से उसका पार्सल बांधने वाला है।
इस खेल में परफॉर्म करने के लिए जब उसने
पर्ची उठाई तो उस पर
लिखा था किसी की मिमिक्री करके
दिखाएं।
जैसे ही उसने अपना टास्क पढ़ा, महफिल में
ठहाका गूंज उठा। सब जानते थे कि सुमित
बॉस की नकल बड़ी अच्छी करता है। दो-
चार लड़कियों ने कह भी दिया कि अरे!
बॉस की नकल करके दिखाओ न…मासूम
सुमित ने भी बिना सोचे-समझे लड़कियों के
आगे नम्बर बनाने के लिए ऐसा कर दिया।
उसका ये एक्ट सबको खूब पसंद आया। ख़ासकर
तम्बोला जीतने वाली उस खूबसूरत
लड़की को। अपनी बेइज्ज़ती से ज़्यादा बॉस
को ये बात बुरी लग
रही थी कि लड़कियां सुमित से इम्प्रेस
हो रही थीं।
खैर, कुछ देर में म्यूज़िक रुकने पर पार्सल
बॉस के पास आया। पर्ची उठाई तो उसमें
लिखा था, कोई जोक सुनाएं। ये पढ़ते
ही बॉस की बांछे खिल गईं। वो खुद को बहुत
बड़ा हंसोड़ मानता था। उसे
लगता था कि उस जैसा सेंस ऑफ ह्यूमर
आसपास के एक हज़ार गांवों में किसी के पास
नहीं है।
बॉस जोक सुनाने वाला है, इसका मतलब
था कि वहां मौजूद हर एम्पलॉई को ज़ोर-
ज़ोर से हंसना है। पेट में हवा भर, होंठों पे
जीभ फेर, मसूड़ों को आगे-पीछे कर सब हंसने
की पोज़ीशन लेने लगे। शेर सुनने से पहले
ही वाह-वाह की तर्ज पर कुछ पहले ही हंस
भी दिए थे।
इस बीच आया वो पल…बॉस ने
प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरह
बिना पंच और पॉज के
ऐसा चुटकुला सुनाया जिस पर पांच साल
पहले ही फफूंद लग चुकी थी, मतलब
उसकी एक्सपायरी डेट आ चुकी थी।
मगर बॉस के चमचों को इससे कोई सरोकार
नहीं था। वो पेट पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से हंसने
लगे। जिन्हें
अच्छा नहीं लगा वो भी प्रोटोकॉल के
तहत खिलखिलाने लगे। बिना चुटकुला समझे
ही लड़कियां भी चहकने लगीं।
सब खुश थे। ठहाकों के डेसीबल से बॉस के
ईगो को बल मिल रहा था। मगर तभी बॉस
की नज़र सुमित पर पड़ी। उसके चेहरे पर
कहीं कोई हंसी नहीं थी। सुमित
को लगा कि अभी पंच आएगा…बॉस से नज़र
मिलते ही उसने मासूमियत में कहा…आगे!
ये सुनते ही बॉस भड़क उठा…आगे मतलब
क्या…चुटकुला ख़त्म हो गया।
ऑफिस के एक कर्मचारी ने फ़ेकिंग न्यूज़
को बताया कि पहले बॉस
की मिमिक्री करना और फिर सुमित का ये
पूछना… ‘आगे’…उसे उसके करियर में बहुत
पीछे ले गया और अगले ही दिन उसे
नौकरी से निकाल दिया गया।
हालांकि वजह ये बताई गई कि वो ऑफिस में
काम कम और हंसी-मज़ाक ज़्यादा करता था!