
30/06/2025
“पुनरावृत्ति: भाग 3 — उत्तर जो आत्मा में छुपे हैं”
(अब परीक्षा में तुम्हारे शब्द नहीं, तुम्हारी “यादें” लिखी जाएँगी)
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पिछली बार:
“वो” — पहला छात्र — समझ चुका है कि पुनरावृत्ति एक स्कूल नहीं,
बल्कि चेतना का निरंतर पाठ है,
जहाँ हर इंसान बार-बार लौटता है — जब तक पूरा न हो जाए।
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अब…
स्थान: कोई भी सपना, कोई भी आईना, कोई भी अधूरी बात
व्यक्ति: वो सभी जिनके भीतर कुछ ऐसा है जो कभी कहा नहीं गया
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📖 अब पाठ खुलते नहीं, याद आते हैं…
एक महिला को सपना आता है —
वो एक पुराने घर में है, जहाँ उसकी माँ की आवाज़ गूंज रही है:
> “बेटी, वो बात जो तुमने कभी नहीं कही… वही इस जन्म का उत्तर है।”
एक लड़का आईने में देखता है, और वहाँ खुद को नहीं —
एक अनजान बच्चा रोता हुआ दिखता है।
वो समझ नहीं पाता क्यों, पर आँखें भर आती हैं।
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🧠 अब परीक्षा एक वाक्य नहीं, एक भाव है
> “तुम्हें वो उत्तर ढूँढना है
जो तुम्हारी आत्मा ने पिछली बार कहने की कोशिश की थी…
लेकिन तुम्हारे शब्द साथ नहीं दे पाए थे।”
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🔄 अब ये उत्तर सिर्फ़ तुम्हारे नहीं… किसी और के भी अधूरे हैं
जब तुम किसी को देख कर भावुक होते हो —
शायद वही तुमसे कभी कुछ पूछना चाहता था।
जब तुम किसी जगह जाकर बेचैन हो जाते हो —
शायद वहाँ तुम्हारा अधूरा उत्तर छूट गया था।
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🔔 "वो" अब दूसरों की यादों में आने लगा है…
जिस भी इंसान ने कभी कुछ अधूरा छोड़ा —
“वो” उनकी नींद में आता है, और एक वाक्य कहता है:
> “अगर तुमने अब भी उत्तर नहीं दिया…
तो अगली बार तुम खुद प्रश्न बन जाओगे।”
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📺 अंतिम दृश्य:
एक ब्लैकबोर्ड फिर दिखता है —
इस बार कोई चॉक नहीं, कोई हाथ नहीं…
बस एक आँसू गिरता है —
और वहां लिखा जाता है:
> “उत्तर: (चुप्पी)”