Raj chauhan Bjp

Raj chauhan Bjp एक चाहत होती हैं दोस्तों के साथ जीने की जनाब,
वरना पता तो हमें भी है कि मरना अकेले ही है ....!!

बोधकथा एक व्यापारी ने दक्षिण अफ्रीका में एक बड़ा  हीरा खरीदा—लगभग गोरैया के अंडे के आकार का। लेकिन जब उसने देखा कि उस पत्...
01/11/2025

बोधकथा

एक व्यापारी ने दक्षिण अफ्रीका में एक बड़ा हीरा खरीदा—लगभग गोरैया के अंडे के आकार का। लेकिन जब उसने देखा कि उस पत्थर में एक दरार है, तो उसकी खुशी जल्द ही निराशा में बदल गयी । फिर भी, समाधान की आशा में, वह उसे एक जौहरी के पास ले सलाह के लिए गया।

जौहरी ने रत्न को बड़े ध्यान से जांचा और कहा, "इसे दो उत्तम हीरों में तोड़ा जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक की कीमत मूल बड़े पत्थर से ज़्यादा होगी। लेकिन एक गलत प्रहार इसे सस्ते टुकड़ों के ढेर में बदल सकता है। मैं यह जोखिम नहीं उठाऊँगा।"

व्यापारी, देश विदेश के कई जौहरियोंसे मिला, लेकिन हर किसी ने उसे यही उत्तर दिया।

तभी किसी ने उसे एम्स्टर्डम के एक बुज़ुर्ग जौहरी के बारे में बताया। व्यापारी तुरंत वहाँ पहुँच गया।

बुज़ुर्ग उस्ताद ने अपने विशेष lens से पत्थर की जाँच की और व्यापारी को जोखिम समझाने लगा, लेकिन व्यापारी ने बीच में ही टोक दिया: यह बात कई बार सुन चुका हूँ, आप काम कर सकते हैं तो बताइये । जौहरी काम करने के लिए राज़ी हो गया और अपनी क़ीमत बता दी। जब व्यापारी ने हामी भर दी, तो जौहरी ने पास बैठे एक युवा trainee को बुलाया, जो उनकी तरफ़ पीठ करके चुपचाप किसी और काम में लगा था।

उस ट्रेनी ने हीरा लिया, उसे अपनी हथेली में रखा, हथौड़ा उठाया और एक ही बार मारा—बिलकुल सटीक। पत्थर दो चमकदार टुकड़ों में पूरी तरह से विभाजित हो गया। बिना मुड़े, उस ट्रेनी ने उन्हें जौहरी को थमा दिये।

चकित व्यापारी ने पूछा, "ये आपके पास कितने समय से काम कर रहा है?"
"तीन दिन," बूढ़े ने मुस्कुराकर जवाब दिया। "उसे नहीं पता कि इस पत्थर की क़ीमत कितनी है। इसलिए उसका हाथ नहीं काँपा।"

सीख: जब आप अपने डर को बढ़ाना और हर जोखिम के बारे में ज़्यादा सोचना बंद कर देते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। कभी-कभी, सबसे बड़ी बाधाएँ सिर्फ़ आपके मन में ही होती हैं।

*सुविचार - "खुशियां हर किसी के जीवन में बहार लाती है, इसलिए सभी अपने जीवन में खुशियां चाहते हैं और खुशी पाने के लिए कोई ...
01/11/2025

*सुविचार - "खुशियां हर किसी के जीवन में बहार लाती है, इसलिए सभी अपने जीवन में खुशियां चाहते हैं और खुशी पाने के लिए कोई भी काम करना पसंद करते हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो खुशियां आंतरिक होती हैं। बाहरी वस्तुएं एवं परिस्थितियां हमें जो खुशी देती हैं, वह अस्थायी होती हैं। यदि स्थायी खुशी की तलाश करनी है तो उसे अपने भीतर ही खोजना होगा; क्योंकि खुशियों का खजाना कहीं बाहर नहीं, बल्कि मनुष्य के अंदर ही छिपा होता है- उसके दृष्टिकोण में, उसके नजरिए में, उसकी समझ में और उसके संतोष में।"*💐💐💐🌹🌹*

*🚩आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो..* जीवन भर पूजा-पाठ और कर्मकांड करने के बाद भी अगर हमारे स्वभाव में कोई सुधार नहीं आता, तो ...
01/11/2025

*🚩आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो..* जीवन भर पूजा-पाठ और कर्मकांड करने के बाद भी अगर हमारे स्वभाव में कोई सुधार नहीं आता, तो समझो हमारी सारी पूजा-पाठ और धार्मिक गतिविधियाँ व्यर्थ हैं! क्योंकि पूजा-पाठ और कर्मकांड का प्रभाव हमारे स्वभाव में परिवर्तन लाता है!
*✍️🙏🌹🪔🙏*

Copy..जेठालाल को 20 हजार रुपये सेलरी मिली थी। उसने 2 हजार खुद के पास रखे  और 4 हजार पत्नी को दे दिये। बाकी के 14 हजार रु...
31/10/2025

Copy..जेठालाल को 20 हजार रुपये सेलरी मिली थी। उसने 2 हजार खुद के पास रखे और 4 हजार पत्नी को दे दिये। बाकी के 14 हजार रुपये माँ के हाथ मे रख दिये। पत्नी बोली " माँ को 14 हजार रुपये और मुझे सिर्फ 4 हजार दिये हैं। घर का सारा काम मै करती हूँ। फिर मेरे साथ ये भेदभाव क्यों कर रहे हो? जेठालाल ने माँ से 14 हजार वापस लिए और पत्नी को दे दिये। और माँ को पत्नी वाले 4 हजार दे दिये। फिर पत्नी से बोला " अब इन पैसों मे से 5 हजार रुपये मकान किराये के दे। पत्नी ने दे दिये। जेठालाल बोला " चार हजार राशन के भी दे।" पत्नी ने दे दिये। फिर एक हजार रुपये बिजली के बिल के। दो हजार रुपये बच्चों की फीस। अब पत्नी के पास सिर्फ दो हजार रुपये बचे थे। जेठालाल बोला " माँ के पास ये दो हजार रुपये ही बचते है। इनको भी वह हम लोगों पर खर्च कर देती। माँ को पैसे चाहिए ही नही। बस थोड़ा सा सम्मान चाहिए। वो सिर्फ इस बात से खुश है कि वो घर की मालकिन है।" पत्नी ने झट से मां को 14 हजार वापस करके अपने 4 हजार ले लिए। *मोरल:-*
अपने माता पिता को घर का मालिक बनाये रखिये। इतनी सी इज्जत के सहारे उनकी उम्र बढ़ जायेगी। माँ बाप अपनी अंतिम सांस तक अपने बच्चों के लिए जीते है। खुद के लिए जीना उन्हे आता ही नही।

*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳**💐💐मिट्टी की खुशबू💐💐*एक गरीब लड़की की संघर्ष भरी कहानीगाँव के किनारे मिट्टी की झोपड़ी में रहने वाली *गौ...
31/10/2025

*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*

*💐💐मिट्टी की खुशबू💐💐*

एक गरीब लड़की की संघर्ष भरी कहानी

गाँव के किनारे मिट्टी की झोपड़ी में रहने वाली *गौरी* अपने छोटे से परिवार के साथ रहती थी — माँ, जो बीमार रहती थी, और छोटा भाई, जो अभी स्कूल जाता था। पिता का साया बचपन में ही उठ गया था, और घर की जिम्मेदारी गौरी के नन्हे कंधों पर आ गई थी।

हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ गौरी खेतों में काम करने निकल जाती। खेत मालिक की आवाज़ें, पसीने की महक, और धूप की तपिश — यही उसका जीवन था। लेकिन उसकी आँखों में अब भी एक *सपना* पलता था — “पढ़कर कुछ बनना, ताकि माँ को दवा और भाई को किताब मिल सके।”

गाँव के लोग अक्सर कहते,
“अरे, गौरी पढ़ाई करके क्या करेगी? लड़कियाँ तो रसोई के लिए बनी हैं।”
पर गौरी बस मुस्कुरा देती — क्योंकि उसे पता था कि *सपनों की उड़ान को पंख समाज नहीं, हिम्मत देती है।*

एक दिन खेत से लौटते वक्त गौरी ने स्कूल के बाहर बच्चों को हँसते-खेलते देखा। एक बच्ची ने उसे देखकर कहा,
“दीदी, तुम स्कूल क्यों नहीं आती?”
गौरी बस मुस्कुरा दी और बोली,
“मेरे पास फीस देने के पैसे नहीं हैं।”

यह बात स्कूल की अध्यापिका *सीमा मैडम* ने सुन ली। अगले दिन उन्होंने गौरी को बुलाया और कहा,
“अगर तुम सच में पढ़ना चाहती हो, तो मैं तुम्हारी मदद करूँगी।”

वो दिन गौरी की जिंदगी का मोड़ था। अब दिन में खेत और शाम में स्कूल — यही उसका रूटीन बन गया। नींद और थकान उसकी साथी बन गईं, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

रात में वह दीये की लौ के पास बैठकर किताबें पढ़ती। कभी-कभी दीया बुझ जाता, तो चाँदनी ही उसकी रौशनी बन जाती।
माँ खाँसते हुए कहती,
“बिटिया, इतना मत पढ़, आँखें खराब हो जाएँगी।”
गौरी मुस्कुरा देती —
“अम्मा, अगर आँखें खराब भी हो गईं, तो भी मैं तुम्हारे लिए उजाला बन जाऊँगी।”

धीरे-धीरे परीक्षा का वक्त आया। गौरी ने स्कूल में सबसे अच्छे अंक लाकर सबको चौंका दिया।
पूरा गाँव हैरान था —
“अरे, मजदूर की बेटी ने टॉप किया है!”

अब गौरी का सपना था शहर जाकर कॉलेज में पढ़ना। लेकिन पैसों की समस्या फिर दीवार बनकर खड़ी हो गई।
वो हार नहीं मानी। दिन में घर-घर जाकर कपड़े सिलने लगी, रात में कोचिंग की किताबें पढ़ती रही।

कई बार भूखी रह जाती, पर भाई के लिए दूध जरूर रखती।
कभी-कभी मन टूटता, आँखें नम होतीं, पर माँ की बात याद आ जाती —
“बिटिया, दुख के बाद ही सवेरा होता है।”

एक दिन कॉलेज से पत्र आया —
“गौरी को छात्रवृत्ति मिली है।”

वो दिन उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा त्योहार था। उसने माँ के पैरों में सिर रखकर कहा,
“अम्मा, अब तुम्हारी बेटी कुछ बनकर दिखाएगी।”

शहर की गलियाँ नई थीं, लोग अनजाने, लेकिन हिम्मत वही पुरानी थी। कॉलेज में पहले दिन ही कुछ अमीर लड़कियों ने उसका मज़ाक उड़ाया —
“देखो, ये गाँव की लड़की… इसके कपड़े देखो!”
गौरी बस मुस्कुरा दी और मन ही मन बोली —
“कपड़े फटे हो सकते हैं, सपने नहीं।”

धीरे-धीरे उसने अपनी मेहनत और सादगी से सबका दिल जीत लिया।
वो ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च चलाती रही, और हर महीने माँ को पैसे भेजती।

चार साल बाद जब कॉलेज का आख़िरी दिन आया, गौरी मंच पर खड़ी थी —
उसे “बेस्ट स्टूडेंट” का अवॉर्ड मिला था।
पूरा हाल तालियों से गूंज उठा।

उसने भाषण में कहा — “मैं गरीब थी, पर मेरी सोच कभी गरीब नहीं थी। अगर हालात ने रोका, तो मैंने उन्हें सीढ़ी बना लिया।आज मैं साबित करना चाहती हू,किसी की बेटी गरीब हो सकती है, लेकिन कमजोर नहीं।

कुछ साल बाद वही गौरी एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका बन गई।
वो अब उन बच्चों को पढ़ाती थी जो गरीबी में संघर्ष कर रहे थे।
कभी जब कोई बच्ची कहती —
“मैडम, मेरे पास फीस नहीं है…”
तो गौरी मुस्कुरा कर कहती —
“फीस नहीं, बस हिम्मत लेकर आना।”

उस दिन गाँव में जब पहली बार बिजली आई, तो माँ ने आसमान की ओर देखा और कहा,
“अब हमारी झोपड़ी में भी उजाला है, गौरी…”

गौरी की आँखें भर आईं —
क्योंकि उसने जाना कि गरीबी मिट्टी में हो सकती है, पर रोशनी हमेशा दिल में रहती है।

💫 *संदेश:*

> जब हालात साथ न दें, तो हौसले को आगे करना चाहिए।
> किस्मत उन लोगों की झोली में नहीं गिरती जो इंतज़ार करते हैं,
> बल्कि उन हाथों में चमकती है जो मिट्टी में भी हीरे ढूँढ लेते हैं।

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*दिनांक-३१-१०-२५ दिन शुक्रवार**कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दशमी २०८२*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷         *सुविचार - "...
31/10/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
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*दिनांक-३१-१०-२५ दिन शुक्रवार*
*कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दशमी २०८२*
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*सुविचार - "परिवार में खुशियां, हारी-बीमारी लगे रहते हैं। यदि एक दूसरे के रिश्तों के सुख-दुख में बराबर के भागीदार बन जाएं, एक-दूसरे की बुराइयों को एक तरफ हटा दें और सिर्फ अच्छाइयों को देखें तो असीम सुख की प्राप्ति होती रहेगी। व्यक्ति में कमियां होती हैं, तो अच्छाइयां भी होती हैं। हमें दुख तब प्राप्त होता है; जब हम दस अच्छाइयों में से एक बुराई को ढूंढ लेते हैं और उसी को लेकर बैठ जाते हैं। यदि हम दस बुराइयों में से एक अच्छाई को ही देख लें और उसे ही महत्व दें तथा बाकी सबको नजरअंदाज कर दें तो जीवन में सुख-ही-सुख है।"*🌹🌹*

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*दिनांक-३०-१०-२५ दिन बृहस्पतिवार**कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी २०८२*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷         *सुविचार ...
30/10/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*दिनांक-३०-१०-२५ दिन बृहस्पतिवार*
*कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी २०८२*
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*सुविचार - "जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए, मनुष्य को अपनी पूरी शक्ति, पूरे प्रयत्न तथा पूरी आयु लगा देनी चाहिए। सफलता बहुत बड़े मूल्य पर ही मिलती है, जो व्यक्ति थोड़े से प्रयत्न के साथ ही मनोवांछित सफलता पाना चाहते हैं, वे उन लोगों जैसे ही संकीर्ण विचार वाले होते हैं, जो किसी चीज को पूरा मूल्य दिए बिना ही हस्तगत करने को लालायित रहते हैं।"*💐💐💐💐💐💐💐🌹*

*अनुमान गलत हो सकता है,* *पर अनुभव कभी गलत नही होता..* *क्योंकि अनुमान हमारे मन की कल्पना है,* *और अनुभव हमारे जीवन की स...
29/10/2025

*अनुमान गलत हो सकता है,*
*पर अनुभव कभी गलत नही होता..*
*क्योंकि अनुमान हमारे मन की कल्पना है,*
*और अनुभव हमारे जीवन की सीख है..!*

🙏*शुभ प्रभात*🙏🏻

*सुविचार - "कामना के साथ प्रयत्न का किया जाना बहुत आवश्यक है। केवल कामना करने से न तो कोई विशेषता पा सकता है और न ही धन-...
28/10/2025

*सुविचार - "कामना के साथ प्रयत्न का किया जाना बहुत आवश्यक है। केवल कामना करने से न तो कोई विशेषता पा सकता है और न ही धन-दौलत। बिना प्रयत्न के साधारण भोजन की इच्छा तक पूरी नहीं हो सकती, तब अन्य उपलब्धियों की पूर्ति की बात ही क्या हो सकती है ?"*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐🌹*

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*दिनांक-२८-१०-२५ दिन मंगलवार**कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी २०८२*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷    *छठ महापर्व के च...
28/10/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*दिनांक-२८-१०-२५ दिन मंगलवार*
*कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी २०८२*
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*छठ महापर्व के चौथे दिन उगते हुए सूर्य के अर्ध्य तथा पारण दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।*
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*सुविचार - "ईश्वर को न किसी से प्रेम है, न ईर्ष्या। न वह किसी को वरदान बिखेरता है, न किसी को शाप देता है। उसकी विधि-व्यवस्था का जो अनुशासन पालते हैं वे सुखी रहते हैं। उन पर ईश्वर का प्रेम समझा जा सकता है। किन्तु जो मर्यादाएं तोडते हैं, कुमार्ग पर चलते हैं, वे अपने कृत्यों का दुष्परिणाम भुगतते हैं। इसे ईश्वर की अप्रसन्नता कह सकते हैं। ईश्वर एक नियम अनुशासन है। वह स्वयं अपने नियमों से बँधा है और अन्य सभी प्राणी तथा पदार्थ उसी अनुबंध का पालन करने के लिए बाधित हैं।"*💐💐🌹*

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*दिनांक-२७-१०-२५ दिन सोमवार**कार्तिक मास शुक्ल पक्ष षष्ठी २०८२*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷   *महापर्व छठ के तीसर...
27/10/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
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*दिनांक-२७-१०-२५ दिन सोमवार*
*कार्तिक मास शुक्ल पक्ष षष्ठी २०८२*
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*महापर्व छठ के तीसरे दिन 'संध्या अर्घ्य' की सभी परिजनों को हार्दिक शुभकामनाएं।*
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*सुविचार - "अनाड़ी को समझाना आसान है। ज्ञानवान को समझाना और भी आसान है, पर अहंकारी को कुछ भी समझाना कठिन है।"*🌹🌹*

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷         *सुविचार - "हमारा व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए, जो दूसरों की अपेक्षा अधिक विशेषता लिए ह...
27/10/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*सुविचार - "हमारा व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए, जो दूसरों की अपेक्षा अधिक विशेषता लिए हो। आवश्यक नहीं धन, विद्या या पद में ही हम दूसरों से बड़े हों। यदि चरित्र, नम्रता, प्रमाणिकता, सज्जनता की दृष्टि से भी हम अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सकें तो निस्संदेह लोकप्रियता बढ़ती जाएगी। मित्रों तथा प्रशंसकों की संख्या बढ़ेगी। जो व्यक्ति जितना लोकोपयोगी बनता जाता है, उतना ही लोकप्रिय बनता जाता है।"*💐💐🌹🌹*

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