31/10/2025
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*
*💐💐मिट्टी की खुशबू💐💐*
एक गरीब लड़की की संघर्ष भरी कहानी
गाँव के किनारे मिट्टी की झोपड़ी में रहने वाली *गौरी* अपने छोटे से परिवार के साथ रहती थी — माँ, जो बीमार रहती थी, और छोटा भाई, जो अभी स्कूल जाता था। पिता का साया बचपन में ही उठ गया था, और घर की जिम्मेदारी गौरी के नन्हे कंधों पर आ गई थी।
हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ गौरी खेतों में काम करने निकल जाती। खेत मालिक की आवाज़ें, पसीने की महक, और धूप की तपिश — यही उसका जीवन था। लेकिन उसकी आँखों में अब भी एक *सपना* पलता था — “पढ़कर कुछ बनना, ताकि माँ को दवा और भाई को किताब मिल सके।”
गाँव के लोग अक्सर कहते,
“अरे, गौरी पढ़ाई करके क्या करेगी? लड़कियाँ तो रसोई के लिए बनी हैं।”
पर गौरी बस मुस्कुरा देती — क्योंकि उसे पता था कि *सपनों की उड़ान को पंख समाज नहीं, हिम्मत देती है।*
एक दिन खेत से लौटते वक्त गौरी ने स्कूल के बाहर बच्चों को हँसते-खेलते देखा। एक बच्ची ने उसे देखकर कहा,
“दीदी, तुम स्कूल क्यों नहीं आती?”
गौरी बस मुस्कुरा दी और बोली,
“मेरे पास फीस देने के पैसे नहीं हैं।”
यह बात स्कूल की अध्यापिका *सीमा मैडम* ने सुन ली। अगले दिन उन्होंने गौरी को बुलाया और कहा,
“अगर तुम सच में पढ़ना चाहती हो, तो मैं तुम्हारी मदद करूँगी।”
वो दिन गौरी की जिंदगी का मोड़ था। अब दिन में खेत और शाम में स्कूल — यही उसका रूटीन बन गया। नींद और थकान उसकी साथी बन गईं, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
रात में वह दीये की लौ के पास बैठकर किताबें पढ़ती। कभी-कभी दीया बुझ जाता, तो चाँदनी ही उसकी रौशनी बन जाती।
माँ खाँसते हुए कहती,
“बिटिया, इतना मत पढ़, आँखें खराब हो जाएँगी।”
गौरी मुस्कुरा देती —
“अम्मा, अगर आँखें खराब भी हो गईं, तो भी मैं तुम्हारे लिए उजाला बन जाऊँगी।”
धीरे-धीरे परीक्षा का वक्त आया। गौरी ने स्कूल में सबसे अच्छे अंक लाकर सबको चौंका दिया।
पूरा गाँव हैरान था —
“अरे, मजदूर की बेटी ने टॉप किया है!”
अब गौरी का सपना था शहर जाकर कॉलेज में पढ़ना। लेकिन पैसों की समस्या फिर दीवार बनकर खड़ी हो गई।
वो हार नहीं मानी। दिन में घर-घर जाकर कपड़े सिलने लगी, रात में कोचिंग की किताबें पढ़ती रही।
कई बार भूखी रह जाती, पर भाई के लिए दूध जरूर रखती।
कभी-कभी मन टूटता, आँखें नम होतीं, पर माँ की बात याद आ जाती —
“बिटिया, दुख के बाद ही सवेरा होता है।”
एक दिन कॉलेज से पत्र आया —
“गौरी को छात्रवृत्ति मिली है।”
वो दिन उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा त्योहार था। उसने माँ के पैरों में सिर रखकर कहा,
“अम्मा, अब तुम्हारी बेटी कुछ बनकर दिखाएगी।”
शहर की गलियाँ नई थीं, लोग अनजाने, लेकिन हिम्मत वही पुरानी थी। कॉलेज में पहले दिन ही कुछ अमीर लड़कियों ने उसका मज़ाक उड़ाया —
“देखो, ये गाँव की लड़की… इसके कपड़े देखो!”
गौरी बस मुस्कुरा दी और मन ही मन बोली —
“कपड़े फटे हो सकते हैं, सपने नहीं।”
धीरे-धीरे उसने अपनी मेहनत और सादगी से सबका दिल जीत लिया।
वो ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च चलाती रही, और हर महीने माँ को पैसे भेजती।
चार साल बाद जब कॉलेज का आख़िरी दिन आया, गौरी मंच पर खड़ी थी —
उसे “बेस्ट स्टूडेंट” का अवॉर्ड मिला था।
पूरा हाल तालियों से गूंज उठा।
उसने भाषण में कहा — “मैं गरीब थी, पर मेरी सोच कभी गरीब नहीं थी। अगर हालात ने रोका, तो मैंने उन्हें सीढ़ी बना लिया।आज मैं साबित करना चाहती हू,किसी की बेटी गरीब हो सकती है, लेकिन कमजोर नहीं।
कुछ साल बाद वही गौरी एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका बन गई।
वो अब उन बच्चों को पढ़ाती थी जो गरीबी में संघर्ष कर रहे थे।
कभी जब कोई बच्ची कहती —
“मैडम, मेरे पास फीस नहीं है…”
तो गौरी मुस्कुरा कर कहती —
“फीस नहीं, बस हिम्मत लेकर आना।”
उस दिन गाँव में जब पहली बार बिजली आई, तो माँ ने आसमान की ओर देखा और कहा,
“अब हमारी झोपड़ी में भी उजाला है, गौरी…”
गौरी की आँखें भर आईं —
क्योंकि उसने जाना कि गरीबी मिट्टी में हो सकती है, पर रोशनी हमेशा दिल में रहती है।
💫 *संदेश:*
> जब हालात साथ न दें, तो हौसले को आगे करना चाहिए।
> किस्मत उन लोगों की झोली में नहीं गिरती जो इंतज़ार करते हैं,
> बल्कि उन हाथों में चमकती है जो मिट्टी में भी हीरे ढूँढ लेते हैं।