Raj chauhan Bjp

Raj chauhan Bjp एक चाहत होती हैं दोस्तों के साथ जीने की जनाब,
वरना पता तो हमें भी है कि मरना अकेले ही है ....!!

*सुविचार - "दुःख बड़ा भाई है और सुख छोटा। दुःख पहले पैदा हुआ, सुख बाद में। दोनों चिरन्तन सहचर है, उनकी एकता को कोई तोड़ ...
12/08/2025

*सुविचार - "दुःख बड़ा भाई है और सुख छोटा। दुःख पहले पैदा हुआ, सुख बाद में। दोनों चिरन्तन सहचर है, उनकी एकता को कोई तोड़ नहीं सकता। दुःख के स्वेच्छापूर्वक वरण किये बिना कोई सुख का सौभाग्य पा नहीं सकता।"*💐💐

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷            *सुविचार - "हमारा मन एवं हमारा चिंतन हमारे जीवन में खुशियों के लिए, पीड़ा के लिए,...
11/08/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
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*सुविचार - "हमारा मन एवं हमारा चिंतन हमारे जीवन में खुशियों के लिए, पीड़ा के लिए, दु:ख के लिए जिम्मेदार है। मन से ही हमें सुख-दुःख की अनुभूति होती है। मन की दिशा क्या है और इसकी दशा क्या है - इन पर निर्भर करता है कि हम सुखी होंगे या दुःखी होंगे। अगर परिस्थितियाँ मन के अनुकूल हैं, अगर वातावरण मन के अनुकूल है तो हम सुखी हैं। मन के प्रतिकूल वातावरण है, मन के प्रतिकूल यदि परिस्थितियाँ हैं तो हम दु:खी हैं। कई बार ऐसा होता है कि जो परिस्थितियाँ हैं जो वातावरण है, मन स्वयं को उनके अनुकूल बना लेता है। जिसे यह कला आती है, मन के अनुकूलन की, एडेप्टेशन की तो वह हर परिस्थिति में सुखी रहता है।"*💐🌹🌹*

*सुविचार - "समझदारी और विचारशीलता का तकाजा है कि संसार चक्र के बदलते क्रम के अनुरूप अपनी मन: स्थिति को तैयार रखा जाए। ला...
10/08/2025

*सुविचार - "समझदारी और विचारशीलता का तकाजा है कि संसार चक्र के बदलते क्रम के अनुरूप अपनी मन: स्थिति को तैयार रखा जाए। लाभ, सुख, सफलता, प्रगति, वैभव आदि मिलने पर अहंकार से ऐंठने की जरूरत नहीं है। कहा नहीं जा सकता कि वह स्थिति कब तक रहेगी ? ऐसी दशा में रोने-झींकने, खीजने, निराश होने में शक्ति नष्ट करना व्यर्थ है।"*💐💐💐💐🌹🌹*

*सुविचार -"अनेकानेक दोष-दुर्गुणों, कषाय-कल्मषों का वर्गीकरण विभाजन करने पर उनकी संख्या हजारों में हो सकती है, पर उनके मू...
09/08/2025

*सुविचार -"अनेकानेक दोष-दुर्गुणों, कषाय-कल्मषों का वर्गीकरण विभाजन करने पर उनकी संख्या हजारों में हो सकती है, पर उनके मूल उद्गम यही तीन- लोभ,मोह,अहंकार हैं। इन्हीं भवबंधनों से मनुष्य के स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर जकड़े पड़े हैं। इनका उन्मूलन किए बिना आत्मा को उस स्वतंत्रता का लाभ नहीं मिल सकता, जिसे मोक्ष कहते हैं।"*💐💐💐💐🌹🌹*

शुभ रक्षाबंधन आओ मिलकर हम सब इस रक्षाबंधन पर एक शपथ लेते हैं जहाँ कोई लड़की बहिन बेटी मुसीबत में दिखे उसकी सुरक्षा की गा...
09/08/2025

शुभ रक्षाबंधन
आओ मिलकर हम सब इस रक्षाबंधन पर एक शपथ लेते हैं जहाँ कोई लड़की बहिन बेटी मुसीबत में दिखे उसकी सुरक्षा की गारंटी हम लेते हैं
एक बार दूसरे की बेटी सुरक्षा करके देखो आपकी बेटी खुद सुरक्षित हो जाऐगी 🚩🚩🚩

*🕉️शुभ शनिवार, श्रावण पूर्णिमा🕉️**आपके आपके परिवार को श्रावण पुर्णिमा और रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं❣️*चंदन का टीका ...
09/08/2025

*🕉️शुभ शनिवार, श्रावण पूर्णिमा🕉️*
*आपके आपके परिवार को श्रावण पुर्णिमा और रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं❣️*
चंदन का टीका रेशम का 📿धागा,सावन की सुगंध,बारिश की फुहार;भाई की उम्मीद,बहना का प्यार...मुबारक हो आपको रक्षा-बंधन का त्योहर!यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, और हमें अपने परिवार और समाज में प्रेम और सौहार्द बनाए रखने की प्रेरणा देता है!
*Once again, heartiest wishes of Rakshabandhan, a symbol of love between brother and sister💕🙏*

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷  *सुविचार - "निस्संदेह कामनाएं मनुष्य का स्वभाव ही नहीं, आवश्यकता भी है। किन्तु इनका औचित्य,...
08/08/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
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*सुविचार - "निस्संदेह कामनाएं मनुष्य का स्वभाव ही नहीं, आवश्यकता भी है। किन्तु इनका औचित्य, नियन्त्रण, दृढ़ और प्रयत्नपूर्ण होना भी वांछनीय है, तभी यह जीवन में अपनी पूर्ति के साथ सुख-शांति का अनुभव दे सकती हैं अन्यथा अनियंत्रित एवं अनुपयुक्त कामनाओं से बडा़ शत्रु मानवजीवन की सुख-शांति के लिए दूसरा कोई नहीं है।"*💐💐🌹🌹*

*सुविचार -* *अधर्मेणैधते तावत्ततो भद्राणि पश्यति।**तत: सपत्नान् जयति समूलस्तु विनश्यति।।*     *"अर्थात अधर्म के द्वारा क...
08/08/2025

*सुविचार -*
*अधर्मेणैधते तावत्ततो भद्राणि पश्यति।*
*तत: सपत्नान् जयति समूलस्तु विनश्यति।।*
*"अर्थात अधर्म के द्वारा कुछ समय तक चतुरता, सफलता तथा लाभ का अनुभव हो सकता है, पर अंततः उससे समूल नाश ही होता है।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

एक जंगल में मंदविष नामक सांप  रहता था और बहुत बूढ़ा हो चुका था  | बूढ़ा और कमजोर होने के कारण  अपना शिकार करने में असमर्थ ...
07/08/2025

एक जंगल में मंदविष नामक सांप रहता था और बहुत बूढ़ा हो चुका था | बूढ़ा और कमजोर होने के कारण अपना शिकार करने में असमर्थ था | एक दिन रेंगता हुआ वह तालाब के किनारे पहुँच गया और वहीं लेट गया और कुछ दिनों तक वह इसी तरह लेटा रहा |

उसी तालाब में बहुत सारे मेंढक भी रहते थे उन्होंने तालाब किनारे लेटे हुए सांप की हालत के बारे में मेंढकों के राजा जालपाद को बतलाया | मेंढकों का राजा जालपाद उस सर्प के बारे में जानने के लीये सर्प के पास पहुंचा और जालपाद बोला – “ हे सर्पराज ! मैं मेंढकों के राजा जालपाद हूँ और इसी तालाब में रहता हूँ | आपकी हालत के बारे में कुछ मेंढकों ने मुझे बतलाया था | आप इतने सुस्त क्यूँ पड़े हुए हो, आपकी यह हालत किसने की है, क्या आप हमें कुछ बतलाओगे |”

मेंढकों के राजा से इस प्रकार के प्रश्न सुनकर सर्प ने बनावटी कहानी बनाई और बोला- “ हे मेंढकों के राजा ! मैं एक गाँव के पास रहता था | एक दिन एक ब्राम्हण के पुत्र का पैर मेरे ऊपर रखा गया था और मैंने उसे काट दिया जिससे उस ब्राम्हण पुत्र की मृत्यु हो गई थी | उस ब्राम्हण ने मुझे श्राप दिया कि मुझे किसी तालाब के किनारे जाकर मेंढकों की सेवा करनी होगी और उन्हें अपनी पीठ पर बैठकर घुमाना होगा | “

सर्प के मुंह से इस प्रकार के बातें सुनकर मेंढकों का राजा जालपाद बहुत खुश हुआ उसने सोचा कि अगर इस सर्प से मेरी दोस्ती हो जाती है और मैं इस सर्प की पीठ पर बैठकर सबारी करूँगा तो दल का कोई भी दूसरा शक्तिशाली मेंढक मेरे खिलाफ विद्रोह भी नहीं कर सकेगा |

जालपाद को कुछ सोचता हुआ देख सर्प बोला – “ भद्र ! मैं सोच रहा था कि मुझे उस ब्राम्हण का श्राप भोगना पड़ेगा किसी और मेंढक को अपनी पीठ पर बैठाकर घुमाने से अच्छा है मैं मेंढकों के राजा को अपनी पीठ पर बिठ्लाऊ | अगर आप चाहें तो मेरी पीठ पर बैठ कर देख सकते हैं |”

मेंढकों के राजा जालपाद ने सांप की बात पर विश्वास कर लिया और झिझकते हुए सांप की पीठ पर बैठ गया | सांप ने उसे पूरा तालाब घुमाया और लाकर पुनः उसी स्थान पर छोड़ दिया | मेंढक ( जालपाद ) को सांप की गुदगुदी पीठ पर बैठने में बहुत आनंद आया और वह रोज सांप की पीठ पर बैठकर तालाब में घूमने का आनंद लेता और अपने सजातियों को सांप का भय दिखलाता |

एक दिन जब वह सांप की पीठ पर सवारी कर रहा था तब सर्प बहुत धीरे-धीरे चल रहा था | मेंढक (जालपाद ) ने पूछा – “ आज आप इतने धीरे-धीरे क्यूँ चल रहे हो ? आज सवारी में मजा नहीं आ रहा है |”

सर्प बोला – “ मित्र ! मुझे कई दिनों से भोजन नहीं मिला है इसीलिए कमजोरी आ गई है और मुझसे चला नहीं जा रहा है |”

सर्प की बात सुनकर मेंढकों का राजा जालपाद बोला – “ अरे मित्र ! इतनी छोटी सी बात है , इस तालाब में हजारो मेंढक है जो तुम्हार प्रिय आहार हैं तुम चाहो इनको अपना आहार बना लिया करो |”

मंदविष सांप के मानो मन की हो गई वह तो यही चाहता था अब वह प्रतिदिन कुछ बिना मेहनत किये कुछ मेंढकों को खा लेटा था | इधर मूर्ख जालपाद यह भी नहीं समझ सका कि अपने क्षणिक आनंद के लिए अपने वंश का नाश करवा रहा है |

अब मेंढकों का राजा जालपाद प्रतिदिन सांप के पीठ पर बैठकर तालाब की सबारी करता और सांप तालाब में रहने वाले मेंढकों को खाकर अपना पेट भरता था |

एक दिन एक दूसरे सांप ने मेंढक को सांप की सवारी करते देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा और कुछ देर बाद मंदविष के पास आकर बोला – “ मित्र तुम यह प्रकृति विरुद्ध कार्य क्यूँ कर रहे हो ? ये मेंढक तो हमारे भोजन हैं और तुम इन्हें अपनी पीठ बार बैठा कर सवारी करवा रहे हो ?”

मंदविष बोला- “ ये सारी बातें तो मैं भी जानता हूँ और अपने लिए उपयुक्त समय का इन्जार कर रहा हूँ जब इस तालाब में कोई भी मेंढक नहीं बचेगा |”

बहुत दिनों तक इसी प्रकार चलता रहा एक दिन ऐसा आया कि तालाब में जालपाद के परिवार को छोड़ कर कोई दूसरा मेंढक नहीं बचा | मंदविष सांप को भूख लगी और वो जालपाद से बोला – “ अब इस तालाब में कोई मेंढक नहीं बचा है और मुझे बहुत भूख लग रही है |”

जालपाद बोला- “ इसमें मैं क्या कर सकता हूँ इस तालाब में मेरे सगे-संबंधियों को छोड़ का तुम सारे मेंढकों को खा चुके हो | अब तुम अपने भोजन की व्यवस्था खुद करो |”

जालपाद की बात सुनकर मंदविष सांप बोला – “ ठीक है मुझे तो बहुत भूख लग रही है मैं तुम्हारे परिवार को छोड़ देता हूँ पर मुझे अपनी भूख मिटाने के लिए तुम्हे खाना पड़ेगा |”

मंदविष सांप की बात सुनकर जालपाद के पैरो तले जमीन खिसक गई और उसने अपनी जान वचाने के लिए अपने सगे संबंधियों तक को खाने की अनुमति दे दी | देखते ही देखते सांप ने जालपाद के सभी रिश्तेदारों और परिवारों वालों को खा लिया | अब तालाब में मेंढकों सिर्फ जलपाद बचा था |

मंदविष सांप जलपाद से बोला – “ अब इस तालाब में तुम्हें छोड़कर कोई भी मेंढक नहीं बचा है और मुझे बहुत भूख लगी है अब तुम ही बतलाओ मैं क्या करूँ ?”

मंदविष सांप की बात सुनकर जालपाद मेंढक डर गया और बोला – “ मित्र ! तुम्हारी मित्रता में मुझे अपने वंश और परिवार के लोगों को खो दिया है अब तुम कहीं और जाकर अपना भोजन देख लो |”

जालपाद की बात सुनकर मंदविष सांप बोला -“ मित्र ! तुम्हारा कहना मैं मान लूँगा | तुमने अपने स्वार्थ के कारण अपने जन्मजात दुश्मन को अपना मित्र बनाया और अपने सगे संबंधियों को मेरा भोजन बनवाया अब तुम अकेले इस दुनियां में रहकर क्या करोगे ?”

इतना बोलकर सांप ने जालपाद मेंढ़क को भी मारकर अपना आहार बना लिया ।

शिक्षा –
इस कथा को आज के राजनीतिक परिदृश्य में देखे तो मंदविष नमक सर्प देश रोहिंग्या, बांग्लादेशी हैं और मेंढकों के राजा जालपाद तथाकथित सेकुलर नेता जो सत्ता के लालच में अपने ही उन्हें बस कर हिंदुओं की कुर्बानी दे रहे हैं।

*सुविचार - "चिंतन, चरित्र और व्यवहार के स्तर पर श्रेष्ठता-उच्चता को धारण करना एक सच्चे लोकसेवी का नैष्ठिक दायित्व है। हम...
07/08/2025

*सुविचार - "चिंतन, चरित्र और व्यवहार के स्तर पर श्रेष्ठता-उच्चता को धारण करना एक सच्चे लोकसेवी का नैष्ठिक दायित्व है। हमारे आदर्श व्यक्तित्व की संरचना के ये तीनों मूल स्तंभ हैं। तीनों में से किसी एक के भी कमजोर रहने से लोकसेवा का प्रयोजन सिद्ध नहीं होता है।"💐💐💐💐🌹🌹*

*🚩शुभ बुधवार,06 अगस्त 2025🐁❣️**बुध प्रदोष व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!* वक्रतुंड, महागणपति, गणेश!दर्शन से विघ्न मिटे, संक...
06/08/2025

*🚩शुभ बुधवार,06 अगस्त 2025🐁❣️*
*बुध प्रदोष व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!*
वक्रतुंड, महागणपति, गणेश!दर्शन से विघ्न मिटे, संकट कटे, मिट जाए सभी क्लेश !!
*🙏!!जीवन का सत्य!!🙏*चाहे कितने भी आलीशान घर में रहें,चाहे कितनी भी मंहगी गाड़ी में घूम लें,अंतिम संस्कार बांस से बनी अर्थी पर जाकर मिट्टी में ही मिल जाना है !!*🚩🐁🌺🙏*

एक भाई को ट्रेन में बिना टिकट चढ़ने की आदत थी। कभी पकड़े नही गये इसलिये हौंसला भी बढ़ता गया। अब वो किसी की भी सीट पर जाकर ज...
05/08/2025

एक भाई को ट्रेन में बिना टिकट चढ़ने की आदत थी।

कभी पकड़े नही गये इसलिये हौंसला भी बढ़ता गया।

अब वो किसी की भी सीट पर जाकर जबरदर्स्ती बैठ भी जाता था।

टोकने पर हाथापाई पर उतर जाता था।

ऐसे ही दिन दिन भाई का हौंसला बुलंद होता गया।

एक दिन एयर कंडीशन बोगी में चढ़ गया बिना टिकट।

और जाकर एक सज्जन की सीट पर बैठ गया।

सज्जन ने मना किया तो आदतन शुरु हो गया, पहले भला बुरा कहा, फिर धमकी देने लगा, उससे भी काम नही चला तो हाथापाई पर उतारु हो गया।

उस सज्जन ने फोन कर पुलिस को बुला दिया।
पुलिस के सामने भी हेकड़ी बघार रहा था।

तब तक टीटी भी आ गया।
उन्होने आते के साथ सबसे पहले उनसे टिकट मांगा। अब टिकट तो उनके पास था नही तो आँय बांय बकने लगा।

अब यहा से ध्यान से पढ़े..

टीटी ने फ़ाइन की बात की, पुलिस ने अरेस्ट करने की बात की तो कहने लगा, "जब मै स्टेशन में घुसा तब आप लोग कहाँ थे।

जब मै ट्रेन में चढ़ा तब क्यों नही रोका?
जब यहाँ आकर बैठा तब तो आप लोगों ने मना नही किया।

अब ये आदमी हमसे झगड़ा करने लगा तो आप लोग टिकट के बहाने इसकी तरफदारी में लग गये?
अब मेरे पास पैसा नही है और जाना इसी ट्रेन में है तो क्या आप हमको ट्रेन में से फेंक दिजियेगा?
कहाँ का न्याय है ये।
हमें पहले नोटिस दीजिए।

हम वर्षों से बिना टिकट चल रहे थे तब आपको क्यों नही दिखा? अब आप खाली इस आदमी का पक्ष लेने के लिये फ़ाइन लगाने लगे?

अब उसकी हिम्मत देख, दो चार बिना टिकट यात्री और आ गये और उसके पक्ष में पूरा हंगामा शुरु कर दिया।

ये क्या तरीका है?

यह ट्रेन हमारी है, हम वर्षो से इसमे़ बिना टिकट सफर कर रहे हैं, इसमें सफर करने में हमने पसीना बहाया है। हमारे पुरखों ने इसे खून से सींचा है‌।

आप लोग बेटिकट यात्रियों से भेदभाव करते हो।
अगर सीट देनी तो सबको देनी होगी, पर तुम भेदभाव करके केवल टिकट वालों को सीट देते हो।
आप लोग तानाशाही कर रहे हैं।

ये आदमी झगड़ा नही करता तो आप आते क्या?
आप खाली इस आदमी के सपोर्ट में ये सब कर रहे हैं। घोर अन्याय है ये। गरीबों को तो कोई देखने वाला नही है। यह गरीबों के साथ अंन्याय है।

तभी कुछ छुटभैये राजनीति बाज भी वहां आ गये।
वे कहने लगे रेल की सीटों पर पहला हक बिना टिकट यात्रियों का है।

रेलवे जानबूझ कर टिकट वाले और बिना टिकट यात्रियों के बीच नफरत फैलाने के लिए यह सब कर रहा है। हम यह नफरत का खेल नहीं होने देंगे।

हम रेलवे से ऐसा नियम बनवाऐंगे कि पहले बिना टिकट यात्रियों को सब सीटे दी जाऐंगी, अगर कोई सीट खाली रही तो वही सीट टिकट लिये यात्री को मिलेगी‌‌।

टीटी और पुलिस की समझ में नही आ रहा था कि बिना टिकट यात्री को फ़ाइन और अरेस्ट करने की बात करके उन्होने गलत किया या सही?

आज देश में यही नैरेटिव सैट करने की कोशिश की जा रही है।
साभार...

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