31/08/2023
एक बार जरूर पढ़ें👇
बिहार के कॉलेज व स्कूलों में 75% उपस्थिति की बात हो रही है। अच्छी बात है.. लेकिन बहुत ऐसे बच्चे हैं जो अपना एडमिशन अपने नजदीक के शहर में करा कर पटना या दिल्ली में पढ़ रहे हैं। शायद उनके लिए यह संभव हो पाए कि वह 75% उपस्थिति के कारण अपने कॉलेज व स्कूल में पटना, दिल्ली को छोड़ कर यहीं पढ़ाई करने लगे। पर एक बात बताइए के.के पाठक जी हर गांव में तो कॉलेज नहीं है और लगभग गांव से कॉलेज की दूरी 20 से 30 किलोमीटर की है। और बहुत बच्चे अपने पारिवारिक स्थिति के कारण गांव में ही रहकर निजी कोचिंग संस्थान से क्लास करके इंटर और ग्रेजुएशन पास करते हैं। आप ही बताइए क्या प्रतिदिन कॉलेज आना उनके लिए संभव हो पाएगा?
खासकर गांव की लड़कियों की बात करें तो एक डाटा आप जरूर सार्वजनिक कीजिएगा और पता कीजिएगा कि निम्न व मध्यम परिवार की लड़कियों का क्या होगा? क्या उनके लिए 20 से 30 किलोमीटर रेगुलर कॉलेज जाना संभव हो पाएगा? बड़ी मुश्किल से निम्न व मध्यम परिवार की लड़कियां मैट्रिक कर पाती है।
संसाधन की इतनी कमी होती है कि बहुत संघर्ष करके आगे की पढ़ाई के लिए वो अपना नामांकन नजदीक के किसी शहर के कॉलेज में करा पाती है.. तो आप समझ सकते हैं कई कारणों से वह 75% उपस्थित नहीं हो पाएगी..। तो उच्च शिक्षा से वंचित कर रहे हैं आप इन्हे.. और सरकार ने गांव को इतना हाईटेक नहीं कर दिया है कि गांव के पेरेंट्स (निम्न व मध्यम परिवार) अपने बच्चे को शहर में रोज कॉलेज करा पाए.. क्योंकि उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी दिल्ली या पंजाब पर निर्भर रहना पड़ता है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि स्कूल व कॉलेज में क्लास करना गलत है। स्कूल व कॉलेजों में पढ़ाई जरूर होनी चाहिए। लेकिन काम ऐसा होना चाहिए जो सभी के लिए सुलभ हो.. बिहार के लोग यह भी देखेंगे कि ऐसा कब तक स्कूल व कॉलेज मेंटेन रख पाते हैं। बाकी आप से उम्मीद है कि ऐसे बच्चों के लिए जरूर सोचेंगे साथ ही कुछ जरूर हल निकालेंगे.....
धन्यवाद