23/07/2025
रसूलुल्लाह ﷺ और उनके साथियों को जब शैबे अबी तालिब में एक तरह से क़ैद कर दिया गया और उनका भूख से मरना यक़ीनी हो चुका,,, जब बच्चे, मर्द और औरतें जान बचाने के लिए पेड़ों के पत्ते और चमड़े खाने पर मजबूर हो गये तो उन दिनों एक मुशरिक ज़ुहैर बिन अबी उमय्या से रहा न गया, वो काबा में आया और सबके सामने गैरत भरा तारीख़ी जुमला कहा,
क्या हम खाते पीते रहें और बनी हाशिम भूखे मरें? मैं हरगिज़ नहीं बैठूंगा जब तक कि ये ज़ालिमाना सहीफ़ा फ़ाड़ न दिया जाए...
अबु जहल ने मुखालिफत की कोशिश की लेकिन दूसरे कुरैश के सरदार जैसे मुतअम बिन अदी, हिशाम बिन उमरू, इब्ने अस्वद वगैरह इस ज़ुल्म के खिलाफ़ खड़े हो गये और कहा कि हम इससे बरी हैं और मुतअम बिन अदि काबे के अंदर गये ताकि उस ज़ालिमाना सहीफ़े को फाड़ सके मगर उस सहीफे को देखकर हैरत में पड़ गया क्योंकि दीमक उसको चाट चुकी थी सिवाय एक जुमले के कहते हैं कि इस मौके पर अबु जहल का दिल भी पसीज गया था...
आज जब गज़्ज़ा के बीमार बच्चों की भूख से बिलबिलाती फोटोज़ और वीडियोज़ आती हैं जिनमें उनकी हड्डी और पसलियों तक को गिना जा सकता है, एक एक लुक़मे को तरसती माएं और हर गुज़रते दिन के साथ मासूम और बेबस ज़िन्दगियां भूख की वज़ह से अपनी ज़िंदगी हारती जा रही हैं , तो ये मंज़र देखकर दिल कह उठता है,,,
काश अरबों में कोई ज़ुहैर होता, कोई मुतअम होता, काश कोई अबु जहल ही होता कि शायद उसका दिल भी भूख से तड़पते बच्चे, बूढ़े, मर्द ओ औरत को देखकर पसीज जाता और अहले गज़्ज़ा भूख से मरने से बच जाते...
आज ज़ुहैर की जगह गज़्ज़ा के बच्चे और औरतें पुकारते हैं,
क्या तुम खाते पीते रहो और अहले गज़्ज़ा भूख से मर जाएं!!! 💔