12/08/2025
खबर: राहुल गांधी के 'वोट चोरी' आरोपों का नेतृत्व—चुनाव–विधानसभा से संसद तक उठे सवाल
प्रमुख रिपोर्टें
कर्नाटक — महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र
राहुल गांधी ने दावा किया कि वहां लगभग 11,965 डुप्लीकेट वोटर, 40,009 फर्जी पते, कई मतदाताओं के एक ही कमरे पर दर्ज होने जैसी गड़बड़ियां मिली हैं। एक ही व्यक्ति के चार अलग-अलग स्थानों पर वोटर कार्ड बने हैं—उदाहरणस्वरूप गुरकीरत सिंह डैंग और आदित्य श्रीवास्तव जैसे नाम शामिल हैं। इस डेटा के आधार पर उन्होंने चुनाव आयोग पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में छेड़‑छाड़ का आरोप लगाया।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
आयोग ने इन आरोपों को "आधारहीन" और "गैरजिम्मेदाराना धमकी" करार देते हुए ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में मतदाता सूची पर कोई वैध आपत्ति या याचिका तक नहीं दायर की। आयोग ने पारदर्शिता और अनुमोदित दलों को डेटा साझा करने का अपना पक्ष रखा।
राजनीतिक प्रतिउत्तर और इस्तीफा
कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने राहुल गांधी की आलोचना की कि कांग्रेस सरकार के समय यह गड़बड़ियां नजरअंदाज की गईं—जिस पर उन्हें पद से हटा दिया गया। राय में यह संघर्ष सिद्धारमैया गुट और डी. के. शिवाकुमार गुट के बीच राजनीतिक टकराव को उजागर करता है।
दिल्ली प्रदर्शन—गिरफ्तारी
11 अगस्त 2025 को दिल्ली में राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं को चुनाव आयोग के पास मार्च करने के दौरान धर पकड़ किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मतदान सूची में छेड़खानी का आरोप लगाया। चुनाव आयोग और भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया।
राजस्थान (सीकर) में स्थानीय समर्थन
कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुनीता गठाला ने सड़क पर सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी का क्लिप दिखाते हुए आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और भाजपा में सांठ‑गांठ है, और यह लोकतंत्र पर हमला है।
कांग्रेस के भीतर मतभेद और आगे की रणनीति
कांग्रेस नेता डी.के. शिवाकुमार ने कहा कि राहुल गांधी को शपथ पत्र देने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से मुद्दा उठाया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से गड़बड़ियों पर अधिक जानकारी मांगी है। वहीं, JD(S) ने चुनाव आयोग से राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
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राजनीतिक प्रभाव
1. भाजपा और चुनाव आयोग पर भरोसे को झटका
राहुल गांधी के आरोपों से चुनाव आयोग की निष्पक्षता और भाजपा के साथ संभावित गठजोड़ पर संदेह गहरा हुआ है।
2. संयुक्त विपक्षी फ्रंट में तनाव की लकीर
के.एन. राजन्ना का इस्तीफा कांग्रेस के भीतर गुटबंदी और रणनीतिक असहमति को दर्शाता है।
3. जनभागीदारी और लोकतंत्र पर असर
सड़क पर प्रदर्शन, गिरफ्तारी और स्थानीय नेताओं द्वारा समर्थन से यह मुद्दा व्यापक जन जागरूकता और विरोध-प्रदर्शन का केंद्र बन गया है।
4. भविष्य की रणनीतियों की तैयारी
कांग्रेस अब मतदाता सूची से जुड़ी चर्चाओं को संसद और चुनाव आयोग में आगे बढ़ाने की तैयारी में है—वहीं चुनाव आयोग पर आरोपों का सम्मानजनक जवाब देते हुए प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर दे रहा है।
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यह मुद्दा केवल एक चुनावी विवाद नहीं—बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गंभीर समीक्षा और राजनीतिक शक्ति संतुलन की कशमकश बनता जा रहा है।