09/08/2024
घोषणा
वरिष्ठ रचनाकार गंगेश गुंजन आ सुभाष चंद्र यादव कें भेटतनि 2024क “लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान”
आइ 09 अगस्त, 2024 कें ई जनतब दैत प्रसन्नता भ’ रहल अछि जे लक्ष्मी-हरि स्मृति उपन्यास सम्मान समिति वर्ष 2024 मे ‘लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान’ वरिष्ठ उपन्यासकार गंगेश गुंजन आ सुभाष चंद्र यादव कें देबाक निर्णय तीन-सदस्ययीय चयन मंडलक सर्वसम्मति सँ लेल गेल निर्णय के आधार पर कयलक अछि। सम्मान-अर्पण सह उपन्यास केंद्रित महत्त्वपूर्ण चर्चा आ कवि सम्मेलनक आयोजन चनौरा-गंज, जिला मधुबनी मे 28 सितंबर, 2024 कें अपराह्न 1:30 बजे सँ संध्या 7:30 बजे धरि हैत। एहि आयोजन मे दू दर्जन सँ बेसी मैथिली भाषी विद्वान लेखक आ कवि देशक अलग-अलग भू-भाग सँ जुटताह।
जनतब हो जे मैथिली मे उपन्यास लेखन कें बढ़ावा देबाक उद्येश्य सं साहित्यकार श्रीधरम एवं हुनक पत्नी प्रोमिला अपन माता-पिता महालक्ष्मी एवं हरिदास जीक स्मृति मे वर्ष 2021 मे एहि सम्मानक आरंभ अंतिका संग केने रहथि। बहुत कम समय मे एहि सम्मान कें व्यापक प्रतिष्ठा और स्वीकार्यता भेटल अछि। वर्ष 2021 मे ई सम्मान सच्चिदानंद सच्चू कें हुनक उपन्यास ‘लालटेनगंज’ आ 2022 मे विभा रानी कें ‘कनियाँ एक घुंघरुआवाली’क लेल देल गेल छल। एहि सम्मानक लेल चयनित दुनू उपन्यासक प्रकाशन अंतिका प्रकाशन सँ भेल अछि।
वर्ष 2023 मे कोनो पाण्डुलिपि कें योग्य नहि पाओल गेल तें उपन्यास केन्द्रित संगोष्ठीक आयोजन कयल गेल छल। एहू वर्ष सम्मान-योग्य पांडुलिपि नहि भेटलाक स्थिति मे आयोजन समिति अपन भाषाक वरिष्ठतम उपन्यासकार केर सम्मान करबाक उद्देश्य सँ ‘लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान देबाक निर्णय करैत एक निर्णायक मण्डल गठित कयलक। प्रसन्नता जे ई निर्णय सर्वसम्मति सँ भेल। एहि सम्मान संग सम्मानित उपन्यासकारक उपन्यास पर गंभीर चर्चा सेहो हैत।
एहि सम्मान लेल गठित चयन समिति मे शामिल भेलाह— वरिष्ठ कवि-कथाकार-आलोचक तारानंद वियोगी, आलोचक आ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मे प्रोफेसर कमलानंद झा आ कथाकार-उपन्यासकार शुभेन्दु शेखर।
निर्णयक क्रम मे अपन मन्तव्य दैत वरिष्ठ रचनाकार तारानंद वियोगी लिखैत छथि : “मैथिली उपन्यास अपन एक शताब्दीक यात्रा-क्रम मे अनेक कथ्य, प्रयोग, भाषा आ संवेदनाक प्रति-संसार रचलक अछि। वर्तमान मे जे वरिष्ठ उपन्यासकार लोकनि साहित्य-जगत मे सजग रचनाशील छथि ताहि मे गंगेश गुंजन आ सुभाष चन्द्र यादव अन्यतम छथि।
गंगेश गुंजनक प्रसिद्ध उपन्यास 'पहिल लोक' एक निम्न मध्यवर्गीय ब्राह्मण युवकक प्रेम, मोहभंग, संघर्ष आ अन्तत: क्रान्तिकारी वैचारिकताक माध्यमें पुरातनपंथी जड़ता सँ मुक्ति प्राप्त करबाक कथा थिक। 1973 मे धारावाही आ 1981 मे पुस्तकाकार प्रकाशित ई उपन्यास आइयो मैथिली उपन्यासक इतिहास मे ने केवल अपन नब तेवरक लेल अपितु औपन्यासिक सृजन-चेतनाक लेल सेहो प्रासंगिक अछि।
सुभाष चन्द्र यादवक 'गुलो' (2015) एहि खूंखार पूंजीवादी विकासक अंधकार-काल मे निपट निरीह भूमिहीन, गरीब, वंचित लोकक जीवन-संघर्ष कें अद्भुत मार्मिकताक संग अभिव्यक्त करबाक लेल प्रशंसित भेल अछि। एहि उपन्यासक एक खास विशेषता एकर भाषा सेहो थिक जे कि यथार्थक यथातथ्य प्रस्तुति लेल अनिवार्य राखल गेल अछि। आगां डॉ सुभाषक दू आर उपन्यासिका 'भोट' आ 'मडर' प्रकाशित भेल जे अपन विलक्षण रचना-वैशिष्ट्यक कारण प्रशंसित भेल अछि।
वर्तमान समय मे रचना-रत मैथिलीक दू वरिष्ठ आ महत्वपूर्ण उपन्यासकारक रूप मे हम ‘लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान’ लेल डॉ गंगेश गुंजन आ डॉ सुभाष चन्द्र यादवक चयन करबाक अनुशंसा करै छी।”
आलोचक कमलानंद झा गुंजन जीक चयन करैत लिखै छथि, “कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, अनुवादक गंगेश गुंजन मैथिली आ हिंदीक लब्धप्रतिष्ठित रचनाकार छथि। 'हम एकटा मिथ्या परिचय’ हिनक सुदीर्घ कविता अछि। 'लोक सुनू' आ 'अन्हार मे डमरू' हिनक प्रसिद्ध काव्य-संग्रह। मैथिली कथा-संग्रह 'उचितवक्ता'क लेल हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ सम्मानित कयल गेल अछि। गुंजनक रचना मे मिथिलाक सामाजिक यथार्थ अत्यंत सघन रूप सँ रेखांकित भेल अछि। आम जनक पीड़ा, दुख आ दमने टा नहि अपितु ओकर आकांक्षा आओर अभिलाषाक सजग अभिव्यक्ति हिनक रचनाक वैशिष्ट्य अछि। गंगेश गुंजनक मैथिली उपन्यास 'पहिल लोक' रूढ़िभंजक उपन्यासक रूप मे समादृत अछि। एहि उपन्यास मे एक टा शिक्षित नवयुवक राजूक माध्यम सँ समाज मे विन्यस्त विसंगतिक बहुत रोचक प्रस्तुति भेल अछि। हिनक सुखद भविष्यक कामना करैत लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान सँ सम्मानित क’ संस्था अपना केँ गौरवान्वित अनुभव करैत अछि।”
प्रोफेसर कमलानंद सुभाष जीक चयन पर अपन टिप्पणी मे लिखैत छथि, “मैथिलीक वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकार, आलोचक, अनुवादक सुभाष चंद्र यादव मैथिलीक सुपरिचित आ प्रतिष्ठित रचनाकार छथि। हिनक रचना-संसार विविधतापूर्ण अछि। घरदेखिया, बनैत-बिगड़ैत हिनक चर्चित कथा-संग्रह अछि। हिनक कथा-संसार मे मिथिलाक सामाजिक-आर्थिक रूप सँ उपेक्षित वर्ण-वर्ग अपन संपूर्ण संभावना आ कमीक संग सदेह-सक्रिय उपस्थित अछि। 'घरदेखिया' जेहन दुर्लभ आ ऐतिहासिक महत्त्वक कथा-लेखक सुभाष चंद्र यादव मिथिलाक समानांतर दुनियाक यथार्थ केँ प्रकाश मे लाबयबला लेखक छथि।
'गुलो', 'मडर' आ ‘भोट’ सुभाषजीक महत्त्वपूर्ण उपन्यास अछि। सुभाष चन्द्र यादवक उपन्यास 'गुलो' मैथिली उपन्यास परंपरा मे एक टा नब कीर्तिमान स्थापित कयलक। 'आखिरी विपन्न मनुष्य'क विरल कथा अछि 'गुलो'। निम्न जातिक लोकक सब सँ पहिल आ पैघ लड़ाई अछि - अपन अस्तित्वक रक्षा। सुभाष चंद्र यादव एहि लड़ाई कें 'गुलो' मे निपट-नांगट रूप मे रखलनि-ए। 'गुलो'क भाषा कें मैथिली उपन्यासक उपलब्धिक रूप मे देखबाक बेगरता अछि। जाहि भाषा मे निम्न जातिक लोक अपन अस्तित्व के बचेबाक लड़ाई लड़ैत अछि, जे भाषा ओकर जीबाक-मरबाक भाषा अछि, उपन्यासकार 'गुलो'क रचना ओही 'पचपनिया' भाषा मे कयलनि-ए। निम्नवर्गीय समुदायक भाषाक सर्जनात्मक उपयोग सँ मैथिली भाषाक एकरसता कें तोड़बा मे सुभाष चन्द्र यादव सफल रहलाह। मैथिलीक वरिष्ठ लेखक सुभाष चन्द्र यादवक एहि साहित्यिक उपलब्धि के देखैत हिनका लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मान सँ विभूषित कए संस्था अपना कें गौरवान्वित महसूस करैत अछि।”
अपन सम्मति मे महत्त्वपूर्ण कथाकार-उपन्यासकार शुभेन्दु शेखर कहैत छथि, “डॉ. गंगेश गुंजन जी सत्तर के दशक सँ लेखन मे सक्रिय छथि आ से लगभग सब विधा मे। ओना उपन्यास हिनकर एक्के टा प्रकाशित छनि, मुदा ई उपन्यास वैचारिक रूप सँ दृष्टि संपन्न करयवला उपन्यास छै जे समाजिक वर्जना आ जड़ता कें तोड़बाक बात रखैत छै।
डॉ. सुभाष चंद्र यादव मैथिली मे ललित के परम्परा कें आगू बढ़ाब’बला उपन्यासकार-कथाकार छथि। ई मैथिलीक एहेन उपन्यासकार छथि जे हाशिया पर धकिया देल लोकक भाषा आ ओकर आवाज कें अपन साहित्य मे स्थान देलनि। ई मैथिली भाषा-साहित्य मे अभिजात्यता के अनिवार्यता पर प्रश्नचिन्ह लगोलनि। हिनकर पात्र-चरित्र सब ओ सामान्य लोक छै जे सहजताक संग, कोनो तरहक अभिजात्यता के परिधि सँ बाहर भ' अपन रोजाना के गाम-घरक भाषा बजैत छै। हिनकर उपन्यास सब मैथिली कें समावेशी बनेबाक ओकालत करैत छै।
लक्ष्मी-हरि स्मृति विशिष्ट उपन्यासकार सम्मानक लेल हम हिनका दुनू गोटेक नामक अनुशंसा करैत प्रसन्नताक अनुभव करैत छी।”
एहि सम्मानक संयोजक गौरीनाथ एकर घोषणा करैत कहैत अछि, “वरिष्ठतम रचनाकार गुंजन जी आ सुभाष जीक सम्मानक ई अवसर हमरा सभक लेल विशेष आह्लादक क्षण थिक। ई दुनू मैथिलीक ओ रचनाकार छथि जे बहुत रास वर्जना कें तोड़ि एक टा नव रस्ता चुनलनि। हमरा सभक लेल आरो आह्लादक क्षण आओत जखन हमरा भाषाक सक्रिय लेखक नव-नव उपन्यास लिखि जड़ता कें कम करताह। चयन-समितिक सदस्य लोकनिक संगहि पांडुलिपि पठबैवला लेखक सभक प्रति सेहो अंतिका परिवार दिस सँ हम आभार व्यक्त करैत छी।”
लक्ष्मी-हरिदास जीक पुत्र आ एहि आयोजनक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ श्रीधरम दुनू उपन्यासकारक प्रति शुभकामनाक संग कहैत छथि, “ई हमरा सभक अग्रज रचनाकार छथि जिनक लेखन अगिला पीढ़ी लेल प्रेरक हैत। उमेद करैत छी हिनका लोकनि सँ प्रेरित भ’ सक्रिय उपन्यास लेखक अगिला बेर बेसी नीक उपन्यासक पांडुलिपि पठौताह आ मैथिली उपन्यासक जड़ता सेहो टूटत।”
डॉ. गंगेश गुंजनक परिचय
जन्म : 15 जुलाइ, 1942 कें बरारी, भागलपुर मे।
पैतृक गाम : पिलखवाड़ (मधुबनी)
शिक्षा : हिंदी आ मैथिली मे एम.ए., पटना विश्वविद्यालय सँ पी-एच. डी.।
कृति : मैथिली मे 'अन्हार इजोत', 'उचितवक्ता', 'सिन्दूरक दाम' (कथा-संग्रह), 'पहिल लोक' (उपन्यास), 'लोक सुनू' (कविता-संग्रह), 'आइ भोर', 'नवका सिलेबस' (नाटक) सहित कतेको पुस्तक प्रकाशित। मैथिली मे 41 वर्ष बाद हिनक दोसर कविता-संग्रह ‘अन्हार मे डमरू’ 2021 मे प्रकाशित भेल।
हिंदी मे सेहो एक दर्जन सँ बेसी मूल, अनूदित आ संपादित पुस्तक प्रकाशित छनि। आकाशवाणी, प्रसार भारती सँ जुलाइ, 2002 मे सेवा निवृत्तिक बाद संप्रति स्वतंत्र लेखन मे सक्रिय छथि।
साहित्य अकादमी पुरस्कार, चेतना ताम्रपत्र सम्मान, प्रबोध साहित्य सम्मान, विद्यापति सम्मान, बिहार सम्मान (दिल्ली सरकार) सहित अनेक सम्मान सँ सम्मानित छथि।
संपर्क : पारस टियरा, टॉवर-8, फ्लैट नं. 102, सेक्टर-137, नोएडा-201305 (उ.प्र.)
स्थायी पता : ग्राम पोस्ट-पिलखवाड़, मधुबनी (बिहार)
ई मेल : [email protected]
डॉ. सुभाष चंद्र यादवक परिचय
सुभाष चंद्र यादव मैथिलीक विख्यात कथाकार छथि। ओ हिंदी के प्रोफेसर छलाह। ओ अनेक भाषाक जानकार छथि। मैथिली, हिंदी, बांग्ला तथा अंगरेजी मे हुनका द्वारा कयल गेल अनेक अनुवाद प्रकाशित अछि। मैथिली आ हिंदी मे हुनक अनेक पुस्तक प्रकाशित छनि। हुनका कतेको प्रतिष्ठित सम्मान भेटल छनि।
संपर्क : वार्ड नं. 16, सुपौल 852131 (बिहार)