Pawel kumar

Pawel kumar अपनी बारी

04/04/2021

सिस्टम!

लोग अक्सर सिस्टम को गाली देते मिल जाएंगे, पर सिस्टम को समझने की कोशिश कुछ ही लोग करते हैं, जो इसे समझ जाते हैं वो गाली देना छोड़ देते हैं, और आम लोगों से एक कदम आगे निकल जाते हैं।
अब बात करते हैं गाली देने वालो की , ये वो लोग हैं जो दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं (इनमें कुछ लोग मोटी सेलरी पाने वाले भी हो सकते हैं) इन्हें सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है, इन्हें दिहाड़ी करके पेसे कमाने हैं अपने बच्चों को पालना है उनकी जरूरतें पूरी करनी है, आराम की जिंदगी जीना इनका सपना है, पर जब भी इनके साथ कोई घटना घटती है ये रोने लग जाते हैं और कहते हैं मेरे साथ ही एसा क्यों हुआ, मानो जेसे ये घटना इस सृष्टि में पहली बार इन्हीं के साथ घटी हो, अब मान लो घटना पुलिस से संबंधित है, तो कहेंगे पुलिस पेसे खाई बेठि है हमारी सुन नहीं रही और पुलिस को गालियाँ देना शुरू कर देते हैं, मान लो उनकी सिफारिश निकल आई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं, वो उसकी जय जय कार करते नहीं थकेंगे, अगर नहीं निकलती तो उनके पास एक ही रास्ता बचा है, गाली देना।
एसे लोगों की राजनीतिक समझ 0 होती है, उन्हें समाज में घटित किसी घटना से कोई लेना-देना नहीं होता, हाँ सामाजिक दिखावा वो बढ़ चढ़ कर करते हैं।

एक घटनाक्रम!

कितने लोग हैं जो ट्रैफ़िक पुलिस को देखते ही इधर-उधर से निकल जाते हैं अगर वो नहीं दिखी और पकड़े गए, तो कितने लोग हैं सीधा चालान कटवा लेते हैं, मेरे ख्याल से नाममात्र ही होंगे, आप अपना अनुभव भी याद कर सकते हैं, शायद ही आपके मित्र ने आपसे आकर कहा हो की पुलिस वाले खड़े थे मेरी एक ग़लती के कारण मेरा चालान कट गया, बल्कि वो ये बात उत्साह के साथ जरूर कहते मिल जाएंगे कि उनके एक फोन के कारण उनका चालान होने से बचा गया, कितने लोग कानूनो का पालन करते मिलेंगे, नाम भर।
और फ़िर सिस्टम से सिस्टम के ठीक होने की उम्मीद लगाते हो, जब तुम ही नियमो का पालन नहीं करोगे तो सिस्टम क्या ख़ाक पालन करेगा

सिस्टम को गाली देना खुद को गाली देने के बराबर है,पहले अपने अंदर के सिस्टम को ठीक करो, सिस्टम ख़ुद ब ख़ुद ठीक हो जाएगा।

पावेल कुमार!!

17/12/2020

आम नागरिक!

सही पूछिये तो लोकतंत्र में आम नागरिक की आवाज सबसे पहले सुनी जाती हैं, पर जब आप अपने चारो तरफ देखेंगे तो आपको आम नागरिक नजर ही नहीं आएगा, आम नागरिक कभी भी किसी राजनीतिक पार्टी, किसी जाति, किसी धर्म, किसी समुदाय का हितैषी नहीं होता, वो सिर्फ नागरिक का हितैषी होता है, आज हम देख रहे हैं देश में आंदोलन चल रहे हैं, पर कोई भी आंदोलन कामयाब नहीं हो रहा, और वो आंदोलनकारी इसका ठीकरा मिडिया पर फोड़ रहे हैं इन आंदोलनकारियों पर मुझे तरश आता है इनकी मूर्खता पर कोई क्यों ना हँसे, ये भी तो पहले खास थे, खास हैं और आगे भी तो खास ही रहना चाहते हैं, तो ये रोना क्यों, जब भुगतने की बारी आई तो रो दिये, तुम्हारा ग़ज़ब हाल है, बराबरी को तुम मानते नहीं और ना ही तुम उसे लाना चाहते हो, तो तुम्हारी सुनेगा कोन, और तुम उम्मीद करते हो की आम नागरिक तुम्हारा साथ दे, तुम चाहते हो कि सरकार को उसकी ओकात दिखा दे, अरे मेरे प्यारे आंदोलनकारियों अगर आप सच में आंदोलन को कामयाब करना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद में बदलाव करिये, सरकारें तो आती जाती रहती है, निष्पक्ष बनना सीखिये, सबसे ज़रूरी पहले आप आम नागरिक बनिये, उसके बाद आप देखेंगे हर आंदोलन सफ़ल होता चला जाएगा।

पावेल कुमार

01/10/2020

अपनी बारी

ये बात 2014 की है जब देश में लोकसभा के चुनाव थे, लोग देश में बदलाव चाहते थे, लोग बलात्कार की घटनाओ से, आरक्षण से, कॉग्रेस से, महंगाई से,बेरोजगारी से, सबसे आजादी चाहते थे।
चुनाव हुए, सरकार बदल गई, पर सरकार बदलने से क्या बदलाव आया ये आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।
बलात्कार :बलात्कार से घ्रणा करने वाले लोगों ने बढ़ चढ़ कर BJP को वोट किया, सही भी था पर किसी ने ये नहीं देखा की BJP ने जिन नेताओ को टिकट दिया है उनपर बलात्कार व आपराधिक मामले कितने चल रहे हैं किसी में ये जानने की जिज्ञासा या रूचि ही नहीं थी, सबको एक चहरा(मोदी) दिखा दिया कि इसके पास आपकी समस्या का समाधान है, आपकी कौनसी समस्या का समाधान कितना हुआ या नहीं ये आप अपना देख लीजिये।

मैं तो कहता हूं कि किसी भी इंसान के पास बलात्कार जेसी समस्या का समाधान नहीं है, इस समस्या का समाधान सिर्फ़ और सिर्फ़ समाज के पास है, समाज से मेरा मतलब उन नकली ठेकेदारों से नहीं जो धर्म जाति, देखकर ही आंदोलन करते हैं और अपनी राजनीति चमका लेते हैं, समाज से मेरा मानना उस सामाजिक सोच से है जो सोच हम अपने परिवार के प्रति रखते हैं क्या वो सोच हम अपने समाज के प्रति रखते हैं? मेरे ख्याल से नहीं!
हमारा समाज महिलाओं को कितनी आज़ादी देता है ये बात आप अच्छी तरह से जानते हैं, जो समाज महिलाओं के पहनावे, धर्म, जाति पर नजर रखने लगे वो समाज, समाज होने का ढोंग कर रहा है ये बात हमे समझ लेनी चाहिए, हमे एसे रूढ़िवादी, जातिवाद समाज व सोच का खुलकर विरोध करना चाहिए।
विषय बहुत बड़ा है आज के लिये इतना ही बाकी के विषयों पर फ़िर कभी लिखूँगा।
अंत में इतना ही कहूँगा बलात्कार को ना तो BJP रोक सकती है ना ही कॉंग्रेस, और ना ही अन्य राजनीतिक पार्टि।
आपकी सोच इस मामले में अहम भूमिका अदा कर सकती है।।
पावेल

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