18/08/2025
शिक्षा के नाम पर नमस्ते”।
शिक्षा के नाम पर कॉर्पोरेट ठगी: माता-पिता कब जागेंगे?
“विद्या का मंदिर” अब “धंधे का अड्डा” बन चुका है
कभी स्कूल और शिक्षा संस्थान बच्चों को संस्कार और ज्ञान देने का साधन थे। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। बड़े-बड़े ब्रांडेड स्कूल और कोचिंग संस्थान शिक्षा को सेवा नहीं, बल्कि कमाई का ज़रिया बना चुके हैं।
---झूठे सपनों का बाजार
“आपका बच्चा IIT/NEET टॉपर बनेगा।”
“विदेश की यूनिवर्सिटी में एडमिशन पक्का।”
“हमारे स्कूल से ही सफलता मिलेगी।”
ऐसे वादों के जाल में फंसकर माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित समझते हैं, जबकि असल में यह सब मार्केटिंग का खेल होता है।
--- शिक्षा से बड़ा धंधा कोई नहीं!
1. एडमिशन फीस और डोनेशन – खुलेआम लूट।
2. किताबें और यूनिफॉर्म – केवल उसी दुकान से खरीदने का दबाव।
3. ट्रांसपोर्ट और एक्स्ट्रा एक्टिविटी फीस – असली पढ़ाई से ज़्यादा बोझ।
4. कोचिंग संस्थानों का झूठा प्रचार – “100% रिज़ल्ट की गारंटी” के नाम पर छलावा।
-- सबसे बड़ा छल – “एक ही टॉपर, कई मालिक”
हर साल बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं के रिज़ल्ट के बाद अख़बारों और होर्डिंग्स में एक ही टॉपर कई कोचिंग संस्थानों का “स्टूडेंट” बन जाता है।
माता-पिता सोचते हैं कि “इतने सारे टॉपर इसी कोचिंग से निकले हैं”, जबकि सच्चाई यह है कि मेहनत बच्चे की थी, प्रचार संस्थान का है।
यह पब्लिसिटी स्टंट केवल नए छात्रों को फँसाने का तरीका है।
---माता-पिता के लिए चेतावनी
चमकदार बिल्डिंग और भारी-भरकम फीस को “गुणवत्ता” न समझें।
हर बच्चा अलग है, उसकी रुचि और क्षमता का सम्मान करें।
असली शिक्षा वही है जो बच्चे को इंसान बनाए, न कि सिर्फ़ नंबरों की मशीन।
शिक्षा का असली मकसद
शिक्षा बच्चों को संवेदनशील, आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाती है।
लेकिन आज कॉर्पोरेट शिक्षा का असली लक्ष्य है – ब्रांड वैल्यू और मोटा मुनाफ़ा।
आज सबसे बड़ा धोखा है – “शिक्षा के नाम पर नमस्ते”।
माता-पिता को चाहिए कि वे झूठे वादों और चमक-दमक से आँख न मूँदें।
क्योंकि अंत में सफलता का असली आधार बच्चे का आत्मविश्वास, मेहनत और चरित्र ही होता है, न कि किसी संस्थान का विज्ञापन