09/10/2025
**"वो बोलते हैं — ‘घर में ही तो रहती हो, करती क्या हो?’ 😔 पर उन्हें क्या पता, उसी घर को घर बनाना ही उसका सबसे बड़ा काम है! ये पुतला सिर्फ पत्थर का नहीं है… ये हर उस औरत की कहानी है, जिसकी मेहनत को कभी काम नहीं माना गया। जो सुबह सबसे पहले उठती है और रात सबसे आख़िर में सोती है — फिर भी कोई नहीं पूछता, “थक गई क्या?”ये मूर्ति दर्शाती है कि एक गृहिणी के कंधों पर सिर्फ बर्तन या कपड़े नहीं,
बल्कि पूरा घर, परिवार, बच्चों की उम्मीदें और सबकी ज़रूरतें टिकी होती हैं।
वो अपने दर्द को मुस्कान के पीछे छुपा लेती है,
और दुनिया के लिए हर दिन नया सवेरा बना देती है।
समाज अक्सर भूल जाता है कि “घर में रहना”
आराम नहीं, जिम्मेदारी का सबसे बड़ा रूप है।
क्योंकि जो औरत घर संभालती है, वही असल में
हर रिश्ते को जोड़कर रखने वाली डोर होती है। ❤️