24/07/2025
क्यों इस्तीफा देने को मजबूर हुए जगदीप धनखड़*
अनेक लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र देने की बात तो एक बहाना था, असली कारण कुछ और है। सुदामा पाठक के नाम से फेसबुक पर बने एक एकाउंट पर इस्तीफे के कारणों पर विस्तृत विवेचना की गई है। इसमें साफ कहा गया है कि हाईकमान की तरफ से उनसे तत्काल त्यागपत्र देने को कहा गया था।
सुदामा पाठक अपनी समीक्षा में लिखते हैं कि जगदीप धनखड़ ने राजनीतिक दुश्मनों के साथ मिलकर साजिश रची। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया।
राज्यसभा का सभापति अगर सरकार को समर्थन कर सकता है तो सरकार को दुविधा में भी डाल सकता है। जगदीप धनखड़ ऐसा ही करने जा रहे थे। 2024 के लोकसभा चुनावों में जगदीप धनखड़ का सियासी कद सामने आ चुका था। वह बौने साबित हुए थे। जगदीप धनखड़ जाटों के नेता बनने और दिखाने की कोशिश भले ही करते रहें हों, लेकिन न तो वे राजस्थान में भाजपा की मदद कर सके और न ही हरियाणा में। और न ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में। वे एक तरह से भाजपा के लिए भार ही बन चुके थे। फिर सत्ताधारी दल उन्हें ढो रहे थे।
जगदीप धनखड संवैधानिक पद पर रहते हुए जिस तरह से न्यायपालिका के खिलाफ बोल रहे थे, वह भाजपा की लाइन नहीं थी। भाजपा/सरकार उनके बयानों से अक्सर अपमानित और शर्मसार हुई। उप राष्ट्रपति बनने के साथ ही जगदीप धनखड़, जाटों के सबसे बड़े नेता की तरह व्यवहार करने लगे थे। एक बार शिवराज सिंह को भरे मंच पर उन्होंने अपमानित कर दिया था।
जगदीप धनखड़ ने पिछले दिनों अपना जनसंपर्क काफी बढ़ा दिया था। वे संभवतः यह मानने लगे थे कि संविधान के दूसरे सबसे बड़े पद पर पहुंच कर वे सत्ता से भी बड़े हो गए हैं। वे बीजेपी ही नहीं, किसी भी पार्टी से बड़े हो चुके हैं। इसलिए अपने घर आने वाले मेहमानों से और जहां वे जाते थे, वहां के मेजबानों से सरकार के विरुद्ध बातें करते थे। विशेष तौर पर किसानों को लेकर।
Source: Hindustan daily news