
09/05/2025
रवि रात को 9:00 बजे थके-मांदे ऑफिस से घर लौटा। जैसे ही दरवाज़ा पार किया, उसकी पत्नी श्रुति ने बिना किसी कारण उस पर चिल्लाना शुरू कर दिया। यह रोज़ की बात हो गई थी। श्रुति, रवि से खुश नहीं थी। उसे रवि का शांत स्वभाव और साधारण जीवनशैली अब अखरने लगी थी।
रवि ने कोई जवाब नहीं दिया, बस एक गहरी सांस ली और निवेदन किया,“श्रुति, मुझे कुछ खाने को दे दो। मैं बहुत थका हुआ हूँ और भूख भी लगी है।”
श्रुति ने आँखें तरेरते हुए जवाब दिया,
“खाना खुद ही बना लो, मुझे सोना है। तुम्हारे लिए मेरे पास वक्त नहीं है।”
रवि ने फिर भी शांति बनाए रखी। उसने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप एक कोने में बैठ गया। श्रुति ने रातभर रवि पर चिल्लाना और ताने देना जारी रखा। रवि ने सारा बर्दाश्त कर लिया, लेकिन कोई शिकायत नहीं की।
सुबह हुई। रवि ने फिर से विनम्रता से कहा,
"श्रुति, नाश्ता तो दे दो। आज दिनभर ऑफिस में काम का दबाव रहेगा।"
श्रुति गुस्से में आगबबूला हो गई,
“तुमसे तो मैं तंग आ चुकी हूँ। मर जाओ तुम! मेरा जीवन तुमने नरक बना रखा है। तुमसे बेहतर तो अकेली ही रह लूंगी।”
रवि ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आँखों में दुख साफ झलक रहा था, लेकिन उसने अपनी तकलीफ़ छुपाई और तैयार होकर ऑफिस चला गया। जब रवि दरवाज़े से बाहर निकला, तो श्रुति अपने गुस्से में इतनी डूबी थी कि उसे रवि के चेहरे पर छाए दर्द का एहसास भी नहीं हुआ।
कुछ ही घंटों बाद, जब श्रुति अपने बच्चों को स्कूल से लेकर घर लौटी, तो उसने देखा कि घर के बाहर भीड़ जमा है। घबराते हुए वह जल्दी से भीड़ को चीरकर अंदर गई। जैसे ही उसकी नज़र पड़ी, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई — सामने रवि का शव पड़ा था। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया।
लोगों के बीच से किसी ने कहा,
"कार एक्सीडेंट में रवि की मौत हो गई।"
श्रुति के कानों में यह सुनते ही चीख निकल पड़ी। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी,
"रवि, उठ जाओ! मैंने तुम्हारे लिए खाना बनाया है। मैं तुमसे फिर कभी नहीं लड़ूंगी। बस, तुम एक बार उठ जाओ।"
लेकिन रवि अब उसे सुनने के लिए ज़िंदा नहीं था।
उस दिन श्रुति ने जो कहा था,
"मर जाओ," वो शब्द अब एक अभिशाप बनकर उसके दिल में गूंजने लगे। उसकी खुद की बद्दुआ ने रवि की जान ले ली थी।
रवि के जाने के बाद, श्रुति की दुनिया उजड़ गई। रिश्ते, जो पहले उसे साधारण लगते थे, अब सब बदलने लगे। जो अपने कहलाते थे, वे अब उससे दूरी बनाने लगे।
ससुराल वालों ने थोड़े दिनों में उसे उसकी संपत्ति देकर घर से बाहर कर दिया।
अब श्रुति के लिए जीवन एक सूनापन बन गया था। उसे अब समझ आया कि पति चाहे जैसा भी हो, वो औरत के जीवन का सबसे बड़ा सहारा होता है। रवि के चले जाने के बाद, उसे अहसास हुआ कि उसका पति उसकी दुनिया की नींव था।
अब वह हर दिन पछतावे में बिताती, सोचती कि काश, उसने रवि के साथ थोड़ी इज्जत और प्यार से बर्ताव किया होता। शायद तब उसकी जिंदगी इतनी खाली और दुखभरी नहीं होती।
सीख :-
रिश्तों में बोले गए शब्द कभी-कभी समय से पहले किसी की चुप्पी की वजह बन जाते हैं।
प्यार, सम्मान और धैर्य ही रिश्तों की असली नींव होते हैं।
जब तक हमारे अपने हमारे साथ हैं, हमें उनका आदर करना चाहिए — क्योंकि एक बार जब वे चले जाते हैं, तो केवल पछतावा ही रह जाता है।
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