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Soche apki , आप सब का दूलारा

27/07/2025

पर फ़िल्म बनाने का साहस किया हिंदू हो तो इस फ़िल्म का समर्थन ज़रूर करना 🙏
16/07/2025

पर फ़िल्म बनाने का साहस किया हिंदू हो तो इस फ़िल्म का समर्थन ज़रूर करना 🙏

Satish Kaushik was a beloved Indian actor, director, producer, and screenwriter 🎭🎬. Born on April 13, 1956, in Mahendrag...
16/07/2025

Satish Kaushik was a beloved Indian actor, director, producer, and screenwriter 🎭🎬. Born on April 13, 1956, in Mahendragarh, Haryana, he was known for his comic timing and heartfelt performances in films like Mr. India (as Calendar), Saajan Chale Sasural, and Deewana Mastana 😂🌟.

He also directed popular movies like Tere Naam and Mujhe Kucch Kehna Hai 🎥. Satish was a graduate of the National School of Drama and Film and Television Institute of India 🎓.
He was married and had a daughter. Sadly, he passed away on March 9, 2023, due to a heart attack 💔. His warm personality, humor, and talent made him a favorite in the Indian film industry forever 🙏❤️

रामानंद सागर: भारतीय टेलीविजन के युग-निर्मातारामानंद सागर, भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के एक महान हस्ती, का जन्म 29 दिसंबर...
16/07/2025

रामानंद सागर: भारतीय टेलीविजन के युग-निर्माता

रामानंद सागर, भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के एक महान हस्ती, का जन्म 29 दिसंबर 1917 को लाहौर के निकट असल गुरु में एक धनाढ्य अग्रवाल परिवार में हुआ। उनका मूल नाम चंद्रमौली चोपड़ा था, लेकिन उनकी नानी ने उन्हें गोद लेकर नाम रामानंद रखा। माता-पिता का प्यार न मिलने के कारण उनका बचपन नानी की छत्रछाया में बीता, जिसने उनकी रचनात्मकता को गहरे प्रभावित किया।

रामानंद सागर ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता और लेखन से की। उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ और समाचार पत्रों के लिए लेख लिखे। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने क्लर्क और ट्रक क्लीनर जैसे छोटे-मोटे काम किए। लेकिन उनकी लेखन प्रतिभा ने उन्हें सिनेमा जगत में प्रवेश दिलाया। राज कपूर की आरके फिल्म्स के साथ जुड़कर उन्होंने **बरसात** (1949) जैसी फिल्मों के लिए लेखन किया। बाद में उन्होंने **आंखें** (1968), **लालकिला** (1960) और **चरस** (1976) जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।

रामानंद सागर को असली पहचान 1987-88 में दूरदर्शन पर प्रसारित **रामायण** धारावाहिक से मिली। यह धारावाहिक भारतीय टेलीविजन का मील का पत्थर बना, जिसने घर-घर में रामचरितमानस के मूल्यों को पहुँचाया। इसके बाद **श्री कृष्णा** और **अलिफ़ लैला** जैसे धारावाहिकों ने उनकी कहानी कहने की सादगीपूर्ण शैली को और लोकप्रिय बनाया।

उनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति, नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों को दर्शाती थीं। उनके बेटों, प्रेम और मोती सागर, ने सागर आर्ट्स को आगे बढ़ाया। 12 दिसंबर 2005 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। रामानंद सागर ने भारतीय मनोरंजन जगत को नई दिशा दी, जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से ज़िंदगी और मौत की जंग जीतकर लौटे हैं। इतिहास रच दिया है, लेकिन अफ़सोस... वो कोई क्रिकेटर नहीं...
16/07/2025

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से ज़िंदगी और मौत की जंग जीतकर लौटे हैं। इतिहास रच दिया है, लेकिन अफ़सोस... वो कोई क्रिकेटर नहीं हैं। न मीडिया में सुर्खियाँ, न सोशल मीडिया पर बधाई की बाढ़। देश के असली नायक अक्सर गुमनाम रह जाते हैं, क्योंकि हमने "हीरो" को सिर्फ़ ग्लैमर और शोहरत से जोड़कर देखना सीख लिया है।

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