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🔥 800 साल मुगलों ने राज किया, 200 साल अंग्रेजों ने, और 70 साल हम बाबासाहेब के संविधान के तहत जी रहे हैं… यानी कुल 1070 स...
01/11/2025

🔥 800 साल मुगलों ने राज किया, 200 साल अंग्रेजों ने, और 70 साल हम बाबासाहेब के संविधान के तहत जी रहे हैं… यानी कुल 1070 साल की लंबी कहानी! 🤯

लेकिन आज ऐसा “नया इतिहास” पढ़ाया जा रहा है मानो SC/ST वर्ग का शोषण सिर्फ और सिर्फ ‘सवर्णों’ (Upper Castes) ने किया हो! वाह… क्या गज़ब की ऐतिहासिक कहानी गढ़ी जा रही है! 🤦‍♂️

सोचिए ज़रा — क्या मुगल और ब्रिटिश शासन के दौर में दलितों और पिछड़ों के लिए सब कुछ रामराज्य जैसा था? क्या उन विदेशी शासकों ने कभी किसी वर्ग या समुदाय का शोषण नहीं किया? या यह वह असुविधाजनक सच है जिसे आज जानबूझकर छिपाया जा रहा है ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके? 🧐

इतिहास को इतने चयनात्मक (selective) तरीके से पेश करना, और हज़ार साल के विदेशी शासन को नज़रअंदाज़ करके सारी ज़िम्मेदारी एक ही वर्ग पर डाल देना — यह न केवल इतिहास के साथ अन्याय है, बल्कि समाज को बाँटने की एक खतरनाक चाल भी लगती है। 🚫

हमें चाहिए सत्य पर आधारित न्याय, न कि कल्पित कथाओं पर टिका हुआ भ्रम। यह विभाजनकारी सोच तुरंत खत्म होनी चाहिए, क्योंकि सच कभी झूठ से नहीं डरता! ✊

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तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध फिल्म स्टार जयललिता ने जीवित रहते हुए कभी दिवाली नहीं मनाई। क्या आप जानते हैं ...
01/11/2025

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध फिल्म स्टार जयललिता ने जीवित रहते हुए कभी दिवाली नहीं मनाई। क्या आप जानते हैं क्यों?

1790 की नरक चतुर्दशी की मध्यरात्रि थी। टीपू सुल्तान अपने सबसे वफादार और क्रूर सैनिकों के साथ मेलुकोट के श्री चेलुवराय स्वामी मंदिर में प्रवेश करता है।

उस समय नरक चतुर्दशी के अवसर पर भगवान की शोभायात्रा में लगभग 1000 श्रद्धालु शामिल थे। रात की पूजा के बाद वे विश्राम की तैयारी कर रहे थे।

टीपू ने मंदिर के सभी द्वार बंद करा दिए और लगभग 800 श्रद्धालुओं का अपनी सेना के बल पर नरसंहार किया। उसने किसी को नहीं बख्शा — बच्चों तक को नहीं। शेष 200 सुंदर महिलाओं को उसने अपने हरम के लिए बंदी बना लिया।

अगली सुबह दीपावली का दिन था। टीपू ने मेलुकोट मंदिर को ध्वस्त कर उसकी विशाल संपत्ति लूट ली।
लूट का माल ले जाने के लिए 26 हाथी और 180 घोड़े लगाए गए, और इसे पूरी तरह ले जाने में तीन दिन लग गए।

इसी कारण आज भी मेलुकोट के कई परिवार (जिन्हें मांड्यम अयंगर कहा जाता है) उस “अंधेरी दिवाली” की भयावह घटना की स्मृति में दीपावली नहीं मनाते।
जयललिता भी इसी समुदाय से थीं, इसलिए उन्होंने भी कभी दिवाली नहीं मनाई। उनके पूर्वज (मेलुकोट अयंगर) उन्हीं 800 मारे गए लोगों में से थे — वे इस त्रासदी को कैसे भूल सकती थीं?

इतिहास की पुस्तकों में टीपू सुल्तान को एक सुंदर, गंभीर, शांत और बहादुर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन लंदन के ग्रंथालयों में उपलब्ध कुछ विवरणों में उनकी छवि बिल्कुल भिन्न दिखाई देती है।

टीपू सुल्तान का इतिहास इस बात का उदाहरण है कि कैसे कुछ समूहों ने भारत के इतिहास को विकृत किया।
यह सुल्तान, जिसे कई लोग “दानव” कहते हैं, न केवल मेलुकोट बल्कि दक्षिण भारत के लगभग 25 मंदिरों की संपत्ति भी लूट चुका था।

टीपू प्रायः बड़े त्योहारों पर नरसंहार और लूटपाट में संलिप्त रहता था, क्योंकि वह जानता था कि इन अवसरों पर भक्त बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं और उनके पास सोना, चांदी तथा अनाज जैसी वस्तुएँ होती हैं।

हिंदुओं के विरुद्ध उसकी अन्य हत्याएँ और अत्याचार (कुछ विवरणों के अनुसार):

1. कित्तूर चेन्नम्मा के राज्य में 1,40,000 हिंदू, जिन्होंने धर्म परिवर्तन से इनकार किया, मारे गए।

2. केरल में 10,000 ब्राह्मणों का जबरन ‘खतना’ किया गया।

3. हिंदू महिलाओं का अपनी इच्छा से उपयोग करना और फिर उन्हें सैनिकों को “पुरस्कार” के रूप में देना।

4. 20 वर्षीय युवकों को हिजड़ा बना देना।

5. कोडागु में हिंदुओं का सामूहिक वध।

6. कोडागु में हिंदू महिलाओं के स्तनों को काटकर विकृत कर देना।

ऐसे अत्याचारों का विवरण लिखना भी कठिन है।

यदि यह सब टीपू का गर्व था, तो उसके पिता हैदर अली को तिरुपति के कल्याण वेंकटेश्वर मंदिर की संपत्ति लूटने का दोषी माना जाता है।
इस मामले में दोनों ही किसी से कम नहीं थे।

टीपू का इतिहास इस बात का उदाहरण है कि कैसे कुछ संगठन और विचारधाराएँ हमारे इतिहास को विकृत रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं।
टीवी धारावाहिकों में टीपू को एक “महान देशभक्त” और “कुशल प्रशासक” के रूप में दिखाने वाले धर्मनिरपेक्षतावादियों ने वास्तविकता से मुँह मोड़ लिया है।

कहा जाता है कि टीपू की मशहूर तलवार पर उर्दू में यह लिखा था:
“वह मुस्लिम नायक जिसने काफिरों का कत्लेआम किया।”

जाकी न फ़टे विमाई, वो क्या जाने पीर पराईकुछ लोगो की आँखे गड्ढे में गिरने के बाद ही खुलती है।   #हिंदुओं
01/11/2025

जाकी न फ़टे विमाई, वो क्या जाने पीर पराई

कुछ लोगो की आँखे गड्ढे में गिरने के बाद ही खुलती है।

#हिंदुओं

01/11/2025

कुछ लोग मनुस्मृति और भारतीय संविधान की आपस में तुलना करते हैं, जबकि सत्य यह है कि दोनों में कोई बराबरी ही नहीं। जिस बात के लिए वे मनुस्मृति का विरोध करते हैं, वो कमियां मनुस्मृति में नहीं बल्कि संविधान में निहित हैं। समझने के लिए देखें।

#मनुस्मृति Part 17

01/11/2025

कुछ लोग मनुस्मृति और भारतीय संविधान की आपस में तुलना करते हैं, जबकि सत्य यह है कि दोनों में कोई बराबरी ही नहीं। जिस बात के लिए वे मनुस्मृति का विरोध करते हैं, वो कमियां मनुस्मृति में नहीं बल्कि संविधान में निहित हैं। समझने के लिए देखें।

#मनुस्मृति Part 16

01/11/2025

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#मनुस्मृति Part 15

01/11/2025

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#मनुस्मृति Part 14

01/11/2025

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#मनुस्मृति Part 13

01/11/2025

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#मनुस्मृति Part 12

01/11/2025

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#मनुस्मृति Part 11

01/11/2025

कुछ लोग मनुस्मृति और भारतीय संविधान की आपस में तुलना करते हैं, जबकि सत्य यह है कि दोनों में कोई बराबरी ही नहीं। जिस बात के लिए वे मनुस्मृति का विरोध करते हैं, वो कमियां मनुस्मृति में नहीं बल्कि संविधान में निहित हैं। समझने के लिए देखें।

#मनुस्मृति Part 10

01/11/2025

कुछ लोग मनुस्मृति और भारतीय संविधान की आपस में तुलना करते हैं, जबकि सत्य यह है कि दोनों में कोई बराबरी ही नहीं। जिस बात के लिए वे मनुस्मृति का विरोध करते हैं, वो कमियां मनुस्मृति में नहीं बल्कि संविधान में निहित हैं। समझने के लिए देखें।

#मनुस्मृति Part 9

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