28/08/2025
लम्पी स्किन डिजीज एक विषाणुजनित रोग है : मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
गोरखपुर। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने पशु पालकों को बताया है कि लम्पी स्किन डिजीज एक विषाणुजनित रोग है। इस रोग में पशु को तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरो में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गांठ आदि प्रकार के लक्षण पाये जाते हैं। कभी-कभी सम्पूर्ण शरीर की चमड़ी विशेष रूप से सिर, गर्दन, थूथन, थनों, गुदा एवं अंडकोष या योनिमुख के बीच के भाग पर गांठों के उभार बन जाते है, तथा पूरा शरीर गाठों से ढक जाता है। गांठे (नोडयूल) नकोटिक और अल्सरेटिव भी हो सकते है, जिससे मक्खियों द्वारा अन्य स्वस्थ पशुओं में संक्रमण का खतरा बढ जाता है। गम्भीर रूप से प्रभावित जानवरों में नैकोटिव घाव, श्वसन और जठरांत्र में भी विकसित हो जाते है। श्वासन पथ में घाव होने से सांस लेने में कठिनाई होती है, पशुओं का वजन घट जाता हे, शरीर कमजोर हो जाता है एवं अत्याधिक कमजोरी से पशु की मृत्यु भी हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया है कि इस रोग प्रकोप के समय सर्वप्रथम निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें, प्रभावित पशु को स्वस्थ पशु से अलग करें, प्रभावित पशुओं का आवागमन प्रतिबन्धित करें, प्रभावित पशुओं को सदैव साफ पानी पिलाये, पशु के दूध को उबाल कर पियें, पशुओं को मच्छरों,मक्खियों, किलनी आदि से बचाने हेतु पशुओं के शरीर पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें, पशु बाड़े और पशु खलिहान की फिनायल/सोडियम हाइपोक्लोराइट इत्यादि का छिड़काव कर उचित कीटाणुशोधन करें। बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्ति को भी स्वस्थ पशुओं के बाड़ से दूर रहना चाहिए। पहले स्वस्थ पशुओं को हरा चारा व पानी दे फिर बीमार पशुओं को दे। बीमार पशुओं को प्रबन्धन करने के पश्चात् हाथ साबुन से धोयें, बीमार पशुओं के पास नीम की पत्ती से धुआँ करे तथा नीम की पत्ती को उबाल कर उसके पानी से पशु के घाव को साफ करें। उन्होंने बताया है कि रोग प्रकोप के समय प्रभावित पशु को सामूहिक चराई के लिये स्वस्थ पशुओं के साथ न भेजें। पशु मेला एवं प्रदर्शनी में अपने पशुओं को न भेजे, बीमार एवं स्वस्थ पशुओं को एक साथ चारा पानी न कराये, प्रभावित क्षेत्रों से पशु खरीद कर न लाये। यदि किसी पशु की मृत्यु होती है तो शव को खुले में न फेकें उसे वैज्ञानिक विधि से दफनायें तथा रोगी पशु के दुध को बछड़े को न पिलायें।