14/08/2025
#माफीवीर_नेहरू
स्थान - गोरखपुर केंद्रीय जेल (अति सुरक्षित सर्किल)
भवन - नेहरू स्मृति भवन
उद्देश्य - नेहरू के जेल में बिताए गए 17 दिनों को संजोकर रखना।
जवाहरलाल नेहरू 1940 के दौर में गोरखपुर किसी केस में सजा काटने आए थे। वो गोरखपुर के जेल में 17 दिन रहे और उसके बाद उन्हें देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया ये कहकर कि उनको यहां का मौसम सूट नहीं कर रहा।
आपको जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि उस दौर में जब नेहरू यहां रखे गए थे तो उनके लिए अलग से दो मंजिला VIP बैरक बनाया गया, उनके कमरे में वो सभी आवश्यक सामान रखे गए जैसे कि बिस्तर,टेबल कुर्सी, लालटेन, पेन, पेपर जिससे कि उन्हें कोई असुविधा न हो। बाद में नेहरू एक माफीनामे का बॉन्ड भरकर देहरादून जेल से रिहा हो गए।
1990 के दशक में मेनका गांधी द्वारा यहां एक पार्क बना इसका सौंदर्यीकरण कराया गया।
ये दो मंजिला बैरक उस समय बनाया गया जब देश में लाखों क्रांतिकारियों को काल कोठरी में बंद रखा जाता था और पानी तक के लिए तड़पाया जाता था।
उसी गोरखपुर जेल में महान क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जी रखे गए थे, आपने कभी न कभी उनके बैरक की हालत देखी ही होगी।
वीर सावरकर जैसे अदम्य पराक्रमी क्रांतिकारी को अपने विचार सेल्यूलर जेल की दीवारों पर लिखने पड़े।
सोचिए, ये लोग अंग्रेजों के कितने बड़े चाटुकार थे कि इन माफीवीरों के लिए अंग्रेज बैरक बनाते थे, माफीनामा लिखवाकर सजा माफ कर देते थे।
आज अखंड भारत के विभाजन का दिन है जब नेहरू ने अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए देश को तोड़ दिया और खुद को प्रधानमंत्री घोषित करवाया।
पूरा इतिहास तोड़ मरोड़कर लिखने वाले स्वघोषित भारत रत्न को विभाजन विभीषिका के दिन याद करना आवश्यक है।
(नेहरू स्मृति भवन का स्वयं अवलोकन का अनुभव)