Dhirendra

Dhirendra शब्द किसी के भी जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और सकारात्मक शब्द हमेशा मार्गदर्शन करते हैं। https://www.instagram.com/dhirvision/

25/08/2025

हम सब ने कभी न कभी कई कहानी किस्से सुने होंगे, जिसमें जादू, चमत्कार हम सबको आकर्षित भी करते हैं और बस उसका आनंद लेकर हम उसे भूल जाते हैं । आपने कभी विचार किया है यह चमत्कार हमारी जिंदगी का ही हिस्सा हैं, अब आप सोचेंगे कैसे, पहले तो इस जीवन का होना ही अपने आप में जादू ही है, दूसरा अपने द्वारा किया गया कोई भी कार्य जिसमें आपकी पूरी निष्ठा है, जब वह पूरा होता है तो अपने आप में जादू ही होता है ।

अब सोचेंगे - अरे कहना क्या चाहते हो?

बस इतना "अपने जीवन के हम ही जादूगर हैं, चाहिए बस विचारों की दृढ़ता और उन पर निरंतर काम करने की"

हर सपना हकीकत न भी बन पाए पर उसके प्रयास में जीना भी उस सपने को जीना ही है ।

विचार कीजिएगा -

(धीरेन्द्र सिंह)


राह पर चलने के लिए बहुत सी राहें मिलीं पर हर राह मंजिल तक ले जाएं जरूरी तो नहीं ।कौन परवा करे रास्तों कीजब कोई साथी संग ...
04/08/2025

राह पर चलने के लिए बहुत सी राहें मिलीं
पर हर राह मंजिल तक ले जाएं जरूरी तो नहीं ।

कौन परवा करे रास्तों की
जब कोई साथी संग हो जाए ।

जिंदगी कब किसके हिसाब से चली है
जो मिले जिंदगी में वही सहयात्री हो जाए।

हम चलते रहे कारवां जुड़ता रहा
जिंदगी का अनुभव हमें आगे बढ़ाता रहा ।

- धीरेन्द्र सिंह

03/08/2025

अपने द्वारा लिए हुए हर फैसलों का समान करो,
न की उन पर पछतावा करो।
पछतावा उन फैसलों पर करो जिसे आप इस जीवन में ले नहीं पाए या आप खुल के जी नहीं पाए।




02/08/2025

आज मैंने एक बहुत सुंदर विचार पढ़ा, मुझे नहीं पता किसने लिखा है, लेकिन एक एक शब्द सत्य है -

" Return ticket confirm है हम सबका
Cancel कोई करवा नहीं सकता
इसलिए इस जिंदगी के हर पल आनंद लें |"





02/08/2025

ना जाने तुम किस जमाने में जीते हो, बेकूफ हो क्या, पागल हो गए हो, तुम्हे कुछ नहीं समझमें आता हैं, तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता... अक्सर ऐसे वाक्य हमने सुने होंगे अपनों से, परायों से..वो क्यों ऐसा बोलते हैं अगर आप इसके मूल में जाएं तो आप पाएंगे कुछ डरे हुए लोग जो चाहते हैं कि आप अपनी जिन्दगी में बहुत अच्छा करें और खुशहाल जिंदगी जीएं.....

(धीरेन्द्र सिंह)

विचार कीजियेगा......


02/08/2025

हां और न में ही जिंदगी बीत रही है, सपनों से पल हो गए हैं, रिश्तों में शम्बाद भी अब कुछ शब्दों में सिमट कर रहे गए हैं। उलझनों से जूझती जिंदगी, दम तोड़ती आशाएं, नीरसता भरी उम्मीदें और हर वाक्य को हां और न में पूर्ण करना, बस यह ही रहे गई है जिंदगी.....

विचार करिएगा......

(धीरेन्द्र सिंह)

01/08/2025

कभी खुद की, कभी अपनों की चिंताओं से भरा हुआ है मन, अशांत, अस्थिर है यह चित, फिर भी लग रहा है जिंदगी जी रहे हैं हम । हर इच्छा का दमन करते जा रहें हैं और उसको ही जिंदगी कहते हैं हम - नहीं जिंदगी यह नहीं, जिंदगी उलझने का नाम नहीं, हर सवाल के सुलझाने का नाम है।

हम उलझे इसलिए हैं क्यों कि हमने जीना सीखा ही नहीं - अब आप कहेंगे जीना भी सीखा जाता हैं - तो उत्तर है हां ।

हमारा वर्तमान परिणाम है हमारे भूत का और भविष्य परिणाम होगा हमारे वर्तमान का, इसके बीच ही सब गड़बड़ है ।
हम हैं तो वर्तमान में पर भूत काल में ही जीते हैं - मैने यह किया था, वो किया था, उसने मुझे दुख दिया, अपमान किया, मेरी यह परंपरा, वो परंपरा आदि ....आदि और इससे ग्रसित होकर अपने वर्तमान को एकदम से दरकिनार कर देते हैं और अपसादों में फस जाते हैं ।

जीवन बड़ा ही सृजनात्मक है, उसके लिए हर दिन नया है हर बात नई है, आप जब बच्चे होते हैं तो ऐसे ही जीते हैं इसलिए बच्चे लड़ते भी हैं, गिरते भी हैं तो उसका शोक नहीं करते रहते, आगे बढ़ जाते हैं, जैसे जैसे बड़े होते हैं गलत मान्यताओं में फसते जाते हैं - जीवन सुंदर है, ईश्वर ने यह जीवन स्वयं की खोज के लिए दिया है, हर दिन खुद को बेहतर और बेहतर बनने का मौका है उसको मत गंवाओ ।

अगर जिंदगी को सुंदर बनाना है तो अपने इतिहास की हर कड़वी याद या बात को भूलकर, अपने वर्तमान पर काम करें ।

विचार करके देखो -

(धीरेन्द्र सिंह)

वाह वाह...सरल शब्दों में जिंदगी का फ़लसफ़ा.....
19/07/2025

वाह वाह...
सरल शब्दों में जिंदगी का फ़लसफ़ा.....

18/07/2025

"बड़ी विचित्र बात है मैं कब से उस से मिलना चाहता/चाहती हूं लेकिन वो मुझसे मिलना ही नहीं चाहता/चाहती"

रिश्तों में अक्सर हम ऐसे ही अनगिनत सवालों में उलझ जाते हैं जिससे लोग अपने से ही दूर हो जाते हैं।

जबकि सबसे जरूरी/महत्वपूर्ण क्या है? हम खुद.....

जो भी आज किसी भी रिश्ते में या खुद से परेशान है उसका कारण एक ही स्वयं को ignore करना, मानता हूं जब आप किसी की परवाह करते हैं तो उसके सुख के लिए सब कुछ करते हैं और यह बहुत अच्छी बात है लेकिन उससे भी जरूरी है स्वयं की परवाह, और स्वयं के लिए भी समर्पण का होना।

मैंने कहीं किसी फिल्म में यह डायलॉग सुना था -
" अपना ध्यान इसलिए रखो कि जिंदगी का हर पल स्वयं के साथ और अपनों के साथ enjoy कर सको" ।

आज ऐसा परिवार मिलना मुश्किल है जहां लोग बीमार नहीं हैं, यह स्थिति बड़ी भयावह है और उसका कारण एक ही स्वयं के विचारों की, स्वास्थ की पूरी तरीके से अनदेखी करना............इसके बारे में विचार कीजियेगा ।

Be happy and be healthy 🙏

- धीरेन्द्र सिंह

Address

Greater Noida
201009

Website

https://sites.google.com/view/dhirthoughts

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Dhirendra posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Dhirendra:

Share