गुर्जर क्षत्रिय

गुर्जर क्षत्रिय गुर्जर एकतगुर्जर का दिल नरम
अर दिमाग गर्म होया करअ।
खेती बरगा धन्धा कोनी
ओर गुर्जर बरगा बन्दा कोनी

माला पहने हुए धाऊ छतर भान सिंह जी ये भरतपुर m.s.j कौलेज से सन् 1954 पहला छात्रसंघ चुनाव जीत कर। छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे।...
06/06/2025

माला पहने हुए धाऊ छतर भान सिंह जी ये भरतपुर m.s.j कौलेज से सन् 1954 पहला छात्रसंघ चुनाव जीत कर। छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे। भरतपुर महाराज विश्वेंद्र सिंह जी से धाऊ परिवार के इतिहास की पुस्तक का विमोचन करते हुए। 👸 ❤️ 👑 👑





धाऊ बस्सी श्री गंगा राम सिंह जी गुर्जर सेनापति भरतपुर ए.डी.सी इनके द्वारा आगरा स्थित हरी पर्वत स्थान पर से मराठा फौज को ...
04/06/2025

धाऊ बस्सी श्री गंगा राम सिंह जी गुर्जर सेनापति भरतपुर ए.डी.सी इनके द्वारा आगरा स्थित हरी पर्वत स्थान पर से मराठा फौज को हराकर भगाया।

धाऊ गुलाब सिंह जी के पिता जी श्री देवी सिंह दीवान गुर्जर। महाराज सूरजमल जी के साथ दिल्ली अभियानों में मुख्य भूमिका निभाई...
04/06/2025

धाऊ गुलाब सिंह जी के पिता जी श्री देवी सिंह दीवान गुर्जर। महाराज सूरजमल जी के साथ दिल्ली अभियानों में मुख्य भूमिका निभाई थी।

धाऊ बस्सी कर्नल गिरधर सिंह गुर्जर के साथ भरतपुर महाराज किशन सिंह जी जाट। कर्नल गिरधर सिंह जी ने शेर का शिकार करते शेर मह...
04/06/2025

धाऊ बस्सी कर्नल गिरधर सिंह गुर्जर के साथ भरतपुर महाराज किशन सिंह जी जाट। कर्नल गिरधर सिंह जी ने शेर का शिकार करते शेर महाराज को उपहार में दिया और भरतपुर महाराज किशन सिंह जी ने शेर के साथ फोटो करते फोटो कर्नल गिरधर सिंह जी को दिया। ये फोटो गुर्जर सरदारी व भरतपुर रियासत के सम्बन्ध को दर्शाता है। 👸 ❤️ 👑 👑





: राजा किशन सिंह जी की चिठ्ठी सन्  2/5/1923 ई, की समीक्षा यह चिठ्ठी श्री  #कर्नल  #धाऊ   #गिरधरसिंह जी को लिखी हुई है ऐस...
04/06/2025

: राजा किशन सिंह जी की चिठ्ठी सन् 2/5/1923 ई, की समीक्षा

यह चिठ्ठी श्री #कर्नल #धाऊ #गिरधरसिंह जी को लिखी हुई है ऐसा पता चलता है कि कोई शिकायत राजा भरतपुर के खिलाफ किसी बड़े अंग्रेज अफसर के यहाँ हुई है और उसमें जाँच निरन्तर हो रही है राजा भरतपुर को भय है कि यदि नौकर ने और पी,डब्ल्यू, डी, विभाग के अहाते में रहने वाले सिपाहीयो ने राजा किशन सिंह जी भरतपुर के खिलाफ गवाही दे दी तो उनके लिए अहितकर बात हो जायेगी
-(अतः वे अपने कान्फिडेन्शियल पत्र में अपने खास सरदार'' धाऊ "श्री गिरधर सिंह को यह हिदायत(दायित्व ) दे रहे हैं कि किसी प्रकार से डी, एस, पी व अंग्रेज अफसर को धमकाये तथा उस लड़के के बयान राजा के "फेवर "में करवाए

पत्र- में राजा किशन सिंह जी अपने बिशिष्ट हमराही "धाऊ गिरधर सिंह जी " से आशंका प्रकाट करते हैं कि- सितारे गर्दिश में हैं- ,अतः किसी पक्षपात का भरोसा न करके स्वयं लेख की पूरी तदवीरो को चेष्टाशील रहकर करते रहो ।
निष्कर्ष यह है कि वातावरण ऐसा बन चुका है कि राजाओ को भी पुलिस अफसरों व अंग्रेज अफसरों से भय लगता है और- कानून- की सत्ता का अस्तित्व उनके बीच जन्म ले रहा है ।
उस समय #जाट एवं #गुर्जरो में ऐसा पुश्तैनी विश्वास पनपा और अन्त तक रहा कि #जाटराजा और उनके आलिया #गुर्जर सरदार अत तक एक दूसरे के हितैषी रहे उनमें धनिष्ट पारिवारिक सम्वन्ध वने रहे हैं ।

धाऊ गुलाब सिंह जी गुर्जर ये भरतपुर रियासत के सबसे योग्य व्यक्ति थे। इनके द्वारा लिखित पुस्तकें फारसी उर्दू में हस्तलिखित...
04/06/2025

धाऊ गुलाब सिंह जी गुर्जर ये भरतपुर रियासत के सबसे योग्य व्यक्ति थे। इनके द्वारा लिखित पुस्तकें फारसी उर्दू में हस्तलिखित प्रेम सतसई भारत का सबसे बड़ा साहित्य व अनवर सुहेली फारसी में लिखी हुई है जिसमें धाऊ जी का वंश विवरण और भरतपुर महाराज जसवंत सिंह जी से सम्बंधित है।

ब्रिटिश म्यूजियम में हितकल्पदुर्म नाम से इनकी पुस्तकें मिलती है।

इस तरह भारत ही नहीं अपितु ब्रिटिश म्यूजियम में भी गुर्जर समाज का इतिहास देख सकते हैं।

विष्णु शर्मा ने लगभग 300 ई.पू. में इसका उल्लेख किया था। 'योग वशिष्ठ' में भी गुर्जरों का एक और प्राचीन उल्लेख मिलता है, ज...
04/06/2025

विष्णु शर्मा ने लगभग 300 ई.पू. में इसका उल्लेख किया था। 'योग वशिष्ठ' में भी गुर्जरों का एक और प्राचीन उल्लेख मिलता है, जहाँ क्षत्रिय गुर्जर शहीदों की विधवाएँ गंजा हो जाती थीं। एक और महत्वपूर्ण संदर्भ महाभारत युद्ध से मिलता है गुर्जर योद्धाओं (भगवान कृष्ण की निजी सेना)का वर्णन है।

1धाऊ कर्नल गिरधर सिंह गुर्जर,धाऊ रधुवीर सिंह जी गुर्जर, महाराज किशन सिंह जी जाट ,दीवान हेगकांक अंग्रेज ,और परसादी लाल जी...
03/06/2025

1धाऊ कर्नल गिरधर सिंह गुर्जर,धाऊ रधुवीर सिंह जी गुर्जर, महाराज किशन सिंह जी जाट ,दीवान हेगकांक अंग्रेज ,और परसादी लाल जी गुर्जर। इस प्रकार इस फोटो के माध्यम से जाटों और गुर्जर सम्बन्ध को देख सकते हैं। 👸 ❤️ 👑 👑





गुर्जर क्षत्रिय महासभा के जन्मदाता धाऊ बक्शी रधुवीर सिंह जी भरतपुर राजस्थान   �      �  �    �                          ...
03/06/2025

गुर्जर क्षत्रिय महासभा के जन्मदाता धाऊ बक्शी रधुवीर सिंह जी भरतपुर राजस्थान � � � �





गुर्जर क्षत्रिय महासभा के जन्मदाता धाऊ बक्शी रधुवीर सिंह जी भरतपुर राजस्थान   �      �  �    �                          ...
03/06/2025

गुर्जर क्षत्रिय महासभा के जन्मदाता धाऊ बक्शी रधुवीर सिंह जी भरतपुर राजस्थान � � � �





उठ गुर्जर उठ ! तेरी एक अंगडाई से फ़िरंगी भारत छोड़ भागे।उठ! अगर इंसान है तो उठ उठ अगर स्वाभिमान है तो उठतू अभी तक नींद में...
02/06/2025

उठ गुर्जर उठ ! तेरी एक अंगडाई से फ़िरंगी भारत छोड़ भागे।
उठ! अगर इंसान है तो उठ
उठ अगर स्वाभिमान है तो उठ
तू अभी तक नींद में है
जागने के वहम में
ज़िंदगी हलकान है तो उठ।

उठ अगर सम्मान है तो उठ
उठ जो स्व-संज्ञान है तो उठ
तू कोई यूँ ही नहीं है
तू भी तो इंसान है इक
चुभ रहा अपमान है तो उठ।

उठ अगर ईमान है तो उठ
उठ लोग बेईमान हैं तो उठ
ये भी कैसी नींद जिसमें
होश न खुद का रहे
गर तेरा प्रमाण है तो उठ।

उठ अगर अरमान है तो उठ
उठ जो तेरी शान है तो उठ
ख्वाब खाते जा रहे
तेरी ज़िंदगी को रात -दिन
ख्वाब से हैरान है तो उठ।

उठ अगर अंजान है तो उठ
उठ तुझे़ पहचान है तो उठ
ये कहाँ वाज़िब कि तू
सब ज़िंदगी नादाँ रहे
खुद का तुमको ज्ञान है तो उठ।।

अकबर और घास की रोटी..यह बात साल 1576 के ठीक बाद की है। जब मुगल सम्राट अकबर, मेवाड़ के महाराणा प्रताप से हल्दीघाटी का युद्...
02/06/2025

अकबर और घास की रोटी..

यह बात साल 1576 के ठीक बाद की है। जब मुगल सम्राट अकबर, मेवाड़ के महाराणा प्रताप से हल्दीघाटी का युद्ध हार गया था।
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महाराणा प्रताप का पूरे भारत पर कब्जा हो गया औऱ मेवाड़ विश्व की राजधानी बन गया था।

अकबर ने विश्वस्त सिपहसालारों और परिवार के साथ अरावली के जंगलो में शरण ली। बेहद दीन हीन दशा में उनका वक्त गुजर रहा था।

जंगल में उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। राशन खत्म हो गया, भूखो मरने की हालत हो गई। मजबूरन शहंशाह अकबर घास के बीजों से रोटियां बनाने और खाने लगे।
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एक सुबह, अकबर ने देखा कि एक जंगली बिल्ला युवराज सलीम के हाथ से घास की रोटी छीन कर भाग गया।

भूखे सलीम जोर जोर से रोने लगे। जिस बाबर पुत्र चगताई मुगल अकबर को महाराणा से हल्दीघाटी की हार भी न तोड़ पाई, वह अपने बच्चे के हाथ से घास की रोटी छिनने से विकल हो गया।
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इस असहाय हालत में उन्होंने इस घटना का वर्णन करते हुए, महाराणा प्रताप को पत्र लिखा कि वह आत्मसमर्पण करने को तैयार है।

मेवाड़ से पूरे भारत पर शासन कर रहे महाराणा प्रताप ने उसका खत पढा तो उनकी आंखों से झरझर आंसू बहने लगे। यह ठीक है कि अकबर उनका शत्रु था। मगर सलीम तो मासूम था।

भला एक बच्चे का इसमे क्या दोष है।

घास की रोटी खाकर यदि प्रोटीन, विटामिन, औऱ कार्बोहाइड्रेट की कमी से सलीम को कुपोषण से बेरी बेरी, स्कर्वी, क्वाशीओरकर, ओस्टियोपोरोसिस हो गया तो वे अपने आपको कैसे माफ कर पाएंगे।
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लेकिन राणा के दरबार मे राजा मानसिंह, जो अकबर के बहनोई थे, जब उन्हें यह खबर मिली तो वे बड़े विचलित हुए।

उन्होंने पत्र लिखा और और अकबर को याद दिलाया बताया कि वह तो महान बाबर, हिम्मती हुमायूं की संतान है। ही शूड नाट डिफर फ्रॉम हिज पाथ ऑफ स्ट्रगल..
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मानसिंह के शक्तिशाली शब्दों ने अकबर की मनःस्थिति बदल दी और उनका मुगलिया खून फिर से सल्तनत की रक्षा के लिए उबल पड़ा।

उसने अपनी ताकत जमा करके वापस महाराणा प्रताप पर हमला किया। युद्ध का स्थान वर्ष अभी अज्ञात है, परंतु इस बार सलीम के कष्ट से द्रवित हो चुके महाराणा ने अपना 80 किलो का भाला यूज नही किया।

अकबर को वाकओवर मिल गया। इस तरह भारत मे मुगल साम्राज्य की पुनर्स्थापना हुई।
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प्रसिद्ध कवि कन्नहैयालाल सेठिया लिखित ये कविता 'हरे घास री रोटी' , मुगल सम्राट अकबर के जीवन के इसी अध्याय का वर्णन करती है।

अरे घास री रोटी ही,
जद बन बिलावडो ले भाग्यो।
नान्हों सो सलीमियो चीख पड्यो,
अकबर रो सोयो दुःख जाग्यो। ।

हूँ लड्यो घणो, हूँ सह्यो घणो,
मुगलिया मान बचावण नै।
में पाछ नहीं राखी रण में,
बैरया रो खून बहावण नै। ।

जब याद करूं हल्दीघाटी,
नैणा में रगत उतर आवै।
सुख दुख रो साथी चेतकडो,
सूती सी हूक जगा जावै। ।

पण आज बिलखतो देखूं हूँ,
जद शहजादे नै रोटी नै।
तो मुल्ला धर्म नें भूलूं हूँ,
भूलूं हिन्वाणी चोटौ नै। ।

आ सोच हुई दो टूक तडक,
अकबर री भीम बजर छाती।
आंख्यां में आंसू भर बोल्यो,
हूँ लिख्स्यूं राणा नै पाती। ।

अकबर रो कागद बांच हुयो,
राणा रो सपणो सो सांचो।
पण नैण करया बिसवास नहीं,
जद बांच बांच नै फिर बांच्यो। ।

बस दूत इसारो पा भाज्यो,
मानसिंह ने तुरत बुलावण नै।
किरणा रो माना आ पूग्यो,
राणा रो भरम मिटावण नै।

म्हे बांध लिये है अकबर !
सुण पिजंरा में जंगली सेर पकड।
यो देख हाथ रो कागद है,
तू देका फिरसी कियां अकड। ।

हूँ आज पातस्या धरती रो,
मुगलिया ताज पाग पगां में है।
अब बता मनै किण रजवट नै,
रजुॡती खूण रगां में है। ।

जद मानसिंह कागद ले देखी,
अकबर री सागी सैनांणी।
नीचै सूं धरती खिसक गयी,
आंख्यों में भर आयो पाणी। ।

पण फेर कही तत्काल संभल,
आ बात सफा ही झूठी हैं।
अकबर री पाग सदा उंची,
मुगलिया आन अटूटी है। ।

ज्यो हुकुम होय तो लिख पूछूं,
अकबर नै कागद रै खातर।
लै पूछ भला ही माना तू !
आ बात सही बोल्यो राणा। ।

म्हें आज सूणी है नाहरियो,
स्याला रै सागै सोवैलो।
म्हें आज सूणी है सूरजडो,
बादल री आंटा खोवैलो। ।

माना रा आखर पढ़ता ही,
अकबर री आंख्या लाल हुई।
धिक्कार मनैं में कायर हूँ,
नाहर री एक दकाल हुई। ।

हूँ भूखं मरुं हूँ प्यास मरूं,
मुगलई धरा आबाद रहैं।
हूँ घोर उजाडा में भटकूं,
पण मन में दिल्ली याद रह्वै। ।

अकबर के खिमता री,
जो रोकै सूर उगाली नै।
सिहां री हाथल सह लैवे,
वा कूंख मिली कद स्याली नै। ।

जद अकबर रो संदेस गयो,
माना री छाती दूणी ही।
हिंदवाणो सूरज चमके हो,
राणा री दुनिया सूनी ही।
●●
इतिहास बदलने की कोशिश में आपको आख्यानक बदलने पड़ेंगे। झूठी रचनाये लिखकर सामूहिक चेतना को दबाना होगा। भारी काम है, बहुत लोग लगेंगे। इतिहास सुधार विभाग बनाना होगा।

एक आख्यानक मैनें बदलकर इस विभाग के अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोक दी है।

🙏 साभार पोस्ट :-Manish reborn

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