23/04/2024
#कुछ_बातें #कुछ_यादें
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आज भी याद हैं तुमसे वो पहली मुलाक़ात…
मेरे ही सहेली से ऑफिस कैफ़ेटेरिया का
रास्ता पूछते तुम मुझसे टकराए थे,
सम्भल गई थी मैं गिरने से, तुम कुछ ना बोले
बस मुसकाए थे।
इस अजीब बर्ताव पर ही सोच लिया था,
तुमसे तो थोड़े दूर ही रहेंगे
अब बात भी करोगे तो भी हम कुछ ना कहेंगे।
अगले ही दिन फिर तुम सामने आए
मेरी ही कुर्सी के बग़ल मे बैठ मुसकाए,
तुम बातों का सिलसिला बढ़ाने की कोशिश मे थे
हम भी पक्के ज़िद्दी तुमसे नज़रे चुराने मे लगे थे।
दिन बीत रहे थे, हम अपनी ही धुन मे रहते थे
तुम भी हमारी सहेली संग हमेशा बतियाते रहते थे,
हँसी ठिठोली, मस्ती मज़ाक़ में सब शामिल होते थे
हम तो तुमसे दूरी बनकर रखने मे ही खुश रहते थे।
एक दिन शाम को चाय पीते वक़्त देखा,
महफ़िल सी जमा थी
याद आया की अगले काम को ख़त्म करने को
हमें काफ़ी मोहलत मिली थी।
सभी की हथेलियों की लकीरें तुम पढ़ रहें थे,
हर किसी के बारे में कुछ भी ऊल जुलूल बता रहे थे
मैं भी वही क़रीब ही आ बैठी,
इतने मे मेरी सहेली तुमसे पूछ बैठी,
इसका भी हाथ देख दोगे क्या?
हम भी तो जाने इसके नसीब मे हैं क्या?
तुम्हारा इशारा पाते ही उसने
तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ थमा दिया।
तुमने भी झट से दूसरा हाथ लगा
लकीरें पढ़ना शुरू किया।
अरे इनका भाग्य तो बड़ा ही बलवान हैं
लक्ष्मी सदैव इनपर मेहरबान हैं
वो होगा बड़ा ही क़िस्मत का धनी,
जिनकी बनेगी ये जीवन संगिनी।
इतने मे ही धीरे से तुमने
कुर्सी मेरे क़रीब की,
सबकी नज़र बचा के पूछा
मुझसे शादी करेगी?
इस अचानक हुए सवाल से मैं हड़बड़ाई,
मैंने चारों तरफ़ नज़र घुमाई।
सब थे अपने मे ही मस्त ,
शुक्र हैं ये बात किसी को नहीं दी सुनाई।
वो सवाल याद कर आज भी
होठों पर मुस्कान आ जाती है
उफ़्फ़ ये मोहब्बत भी ऐसी चीज़ है ना
ना चाहते हुए भी बस हो ही जाती है।
✍️आरती ‘आरज़ू’
#मोहब्बत #मुस्कान #नज़रें