अनकही आरज़ू

अनकही आरज़ू writer, Poetry, stories

23/04/2025

भयावह और बेहद दुःखद 🥲

in Kashmir today is utterly devastating


कलम आज उठती नहीं, थके हुए है भाव।
मन भी बोझिल सा हुआ, बचा न कोई चाव।।
आँसू भी थमते नहीं, पीड़ा का है भार-
कौन छेड़ फिर से गया, फिर से दिल के घाव।।

मन में कुछ सपने लिए, चला देश का वीर।
अपना सब कुछ वार के, बदली थी तस्वीर।।
आज छला फिर से गया, नफरत के वो हाथ-
भारत माँ बेहाल हो, खूब बहाए नीर।।

आरती ‘आरजू’

#कश्मीरतेररत्तक

Congratulations Team India 🥳🎉जब मैंने यह आर्टिकल लिखा था उस वक्त दिल से यहीं दुआ निकली थी कि 2 World Cup से क्या होगा। T...
09/03/2025

Congratulations Team India 🥳🎉

जब मैंने यह आर्टिकल लिखा था उस वक्त दिल से यहीं दुआ निकली थी कि 2 World Cup से क्या होगा। T-20 World Cup के साथ अब और भी वर्ल्ड कप डालने है इंडिया की झोली में। आज चैंपियंस ट्रॉफी जीत कर Team India ने साबित कर दिया है की वो तैयार है 2027 के World Cup के लिए।

Well Done Team India 🇮🇳
जय भारत












08/02/2025


 #गुड़िया  #कविता  #हिंदीकविता        ❤️
04/05/2024

#गुड़िया #कविता #हिंदीकविता ❤️

 #कुछ_बातें  #कुछ_यादें 🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁आज भी याद हैं तुमसे वो पहली मुलाक़ात…मेरे ही सहेली से ऑफिस कैफ़ेटेरिया का रास्ता ...
23/04/2024

#कुछ_बातें #कुछ_यादें
🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁

आज भी याद हैं तुमसे वो पहली मुलाक़ात…
मेरे ही सहेली से ऑफिस कैफ़ेटेरिया का
रास्ता पूछते तुम मुझसे टकराए थे,
सम्भल गई थी मैं गिरने से, तुम कुछ ना बोले
बस मुसकाए थे।

इस अजीब बर्ताव पर ही सोच लिया था,
तुमसे तो थोड़े दूर ही रहेंगे
अब बात भी करोगे तो भी हम कुछ ना कहेंगे।

अगले ही दिन फिर तुम सामने आए
मेरी ही कुर्सी के बग़ल मे बैठ मुसकाए,
तुम बातों का सिलसिला बढ़ाने की कोशिश मे थे
हम भी पक्के ज़िद्दी तुमसे नज़रे चुराने मे लगे थे।

दिन बीत रहे थे, हम अपनी ही धुन मे रहते थे
तुम भी हमारी सहेली संग हमेशा बतियाते रहते थे,
हँसी ठिठोली, मस्ती मज़ाक़ में सब शामिल होते थे
हम तो तुमसे दूरी बनकर रखने मे ही खुश रहते थे।

एक दिन शाम को चाय पीते वक़्त देखा,
महफ़िल सी जमा थी
याद आया की अगले काम को ख़त्म करने को
हमें काफ़ी मोहलत मिली थी।

सभी की हथेलियों की लकीरें तुम पढ़ रहें थे,
हर किसी के बारे में कुछ भी ऊल जुलूल बता रहे थे
मैं भी वही क़रीब ही आ बैठी,
इतने मे मेरी सहेली तुमसे पूछ बैठी,
इसका भी हाथ देख दोगे क्या?
हम भी तो जाने इसके नसीब मे हैं क्या?

तुम्हारा इशारा पाते ही उसने
तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ थमा दिया।
तुमने भी झट से दूसरा हाथ लगा
लकीरें पढ़ना शुरू किया।

अरे इनका भाग्य तो बड़ा ही बलवान हैं
लक्ष्मी सदैव इनपर मेहरबान हैं
वो होगा बड़ा ही क़िस्मत का धनी,
जिनकी बनेगी ये जीवन संगिनी।

इतने मे ही धीरे से तुमने
कुर्सी मेरे क़रीब की,
सबकी नज़र बचा के पूछा
मुझसे शादी करेगी?

इस अचानक हुए सवाल से मैं हड़बड़ाई,
मैंने चारों तरफ़ नज़र घुमाई।
सब थे अपने मे ही मस्त ,
शुक्र हैं ये बात किसी को नहीं दी सुनाई।

वो सवाल याद कर आज भी
होठों पर मुस्कान आ जाती है
उफ़्फ़ ये मोहब्बत भी ऐसी चीज़ है ना
ना चाहते हुए भी बस हो ही जाती है।

✍️आरती ‘आरज़ू’

#मोहब्बत #मुस्कान #नज़रें

10/04/2024

पूरा पढ़ कर टिप्पणी बेशक ना करे किंतु इस लेख पर विचार ज़रूर कीजिएगा🙏

मुझे आज भी याद है जब हम होलिका दहन करते हुए उसमे गेंहू और जौ की बालियाँ भूनते थे। उसके बाद नानी वहीं प्रसाद रूप में हमे देते हुए गुलाल लगाती थी और कहती थी कि नववर्ष शुभमय हो!

आज सभी लोग हिंदू नववर्ष की बधाई नवरात्रि के प्रथम दिवस पर दे रहे है। उत्तर भारत में एक माह पूर्णमासी की अगली तिथि यानि कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अगली पूर्णमासी तक का होता है। जैसे कि नाम से भी विदित है पूर्ण +मास+ी अर्थात् एक मास पूर्ण होने की तिथि। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होती है, इस अनुसार होली के अगले दिन से ही चैत्र माह प्रारंभ हो जाता है। और हम नववर्ष की बधाई कब दे रहे है जबकि चैत्र माह के 15 दिन पहले ही बीत चुके है। यह कैसा नव-वर्ष है जिसमें आधा माह पुराने वर्ष में और आधा माह नव-वर्ष में चला जाता है।

सत्य तो यह है कि विक्रम संवत् से भी पुराना एक संवत् है शक् संवत् जिसमें नववर्ष होली के अगले दिन से शुरू होता था। शक् संवत् पांडवों के समय से प्रचलन में था। महाराज विक्रमादित्य का शासन काल 57 ई० पूर्व प्रारंभ हुआ जबकि पांडव द्वापर युग में हुए। सभी नए आने वाले शासनकर्ताओं ने अपने हिसाब से सभी नियम क़ानून बदले भी और बनाये भी। उस समय सभी लोगों ने विक्रम संवत् को इसलिए सहज अपना लिया था क्योंकि इसमें त्रुटि नाम मात्र भी नहीं थी। लेकिन इसे दक्षिण भारत की मान्यता अनुसार ही बनाया गया अर्थात् इसमें एक माह अमावस्या के बाद शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर अगली अमावस्या तक का होता है।

विदेशी अक्रांताओं ने सिर्फ़ हमारी धन- संपत्ति ही नहीं लूटी बल्कि हमारी संस्कृति को भी मिटाने का भरसक प्रयास किया है। मैं स्वयं भी उत्तर भारत से हूँ और मुझे यह कहते हुए अत्यंत दुख होता है कि विदेशी आक्रमणकारियों से अधिक हमने स्वयं अपनी संस्कृति नष्ट की है। जबकि उसी जगह दक्षिण भारत अपनी जड़ो को अभी तक समेट कर रखे हुए है। वैसे जानकारी के लिए बता दूँ कि वैसाखी (सीखों का नववर्ष), बंगाली नववर्ष और तमिल नववर्ष 14 अप्रैल से शुरू हो रहा है और बंगाल और तमिलनाडू में हिंदू धर्म को मानने वालों की बहुतायत है फिर भी वे अपने क्षेत्र की मान्यता के अनुसार नववर्ष मनाते है।

अंततः मुद्दे से ना भटकते हुए उत्तर भारत के लोगों से बस इतना ही कहना चाहूँगी कि मैं अकिंचन अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए अभी कोई प्रमाण नहीं दे पाऊँगी। लेकिन अगर आप नवरात्रि के प्रथम दिवस से अपना नववर्ष मानते है तो अपना माह भी अमावस्या से बदलिए। क्योंकि एक माह का आधा हिस्सा पुराने वर्ष में रह जाये यह तर्क संगत नहीं लगता अथवा होली के अगले दिन से नववर्ष मनाइए।
इच्छा आपकी नववर्ष भी आपका 🙏

✍️आरती ‘आरज़ू’

#हिंदू #हिन्दू_नववर्ष #चैत्र #नवरात्रि

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07/04/2024

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