Shiv Ki Dasi

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शिव की दासी में आपका स्वागत है, यह एक पवित्र स्थान है जो मंत्रमुग्ध कर देने वाले भजनों, मंत्रों और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के माध्यम से भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। शिव भक्ति का आनंद अनुभव करने के लिए हमें फॉलो करें!

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12/10/2025

🚩🙏 Om Namah Shivay 🙏🚩
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ग्लोबल वॉर्मिंग और हीट स्ट्रेस: तबीयत पर बढ़ता दबाव”

प्रस्तावना

2025 में भारत और उसके आसपास का क्षेत्रषण भयंकर हीट वेव का सामना कर रहा है — जहां तापमान इतिहास रेखा को तोड़ रहा है।
इस चरम गर्मी का सीधा असर इंसानी ताप-तनाव (heat stress) और सेहत पर पड़ रहा है।
यह सिर्फ मौसम की समस्या नहीं — यह स्वास्थ्य का नया मोर्चा बनता जा रहा है।

हीट स्ट्रेस यानी क्या?

जब पर्यावरण तापमान और नमी इतनी अधिक हो जाए कि शरीर अपनी व्यवस्था (thermoregulation) से उसे नियंत्रित न कर पाए — तब हीट स्ट्रेस उत्पन्न होता है।
परिणामस्वरूप:

हीट एक्सहॉस्टन (Heat Exhaustion)

हीट स्ट्रोक (Heat Stroke)

गले, सिरदर्द, चक्कर आना

डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण)

दिल और किडनी पर बढ़ता बोझ

भारत में स्थिति कैसी है?

अप्रैल 2025 से ही कई हिस्सों में अतिव्यापक गर्मी का असर देखा गया।

वैज्ञानिक अध्ययन कह रहे हैं कि भारत में भविष्य में “oppressive heatwaves” यानी अत्याधिक ताप + ऊँची नमी वाली लहरें और ज़्यादा होंगी।

ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब इलाकों में लोग शेड, ठंडा पानी और स्वास्थ्य संसाधनों की कमी के कारण अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

स्वास्थ्य पर असर

कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर दबाव
दिल की धड़कन तेज़ होना, रक्तचाप का अस्थिर होना।

गुर्दे और मूत्र संबंधी रोग
लंबे समय तक निर्जलीकरण और गुर्दे पर दबाव।

मानसिक स्वास्थ्य
थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित न कर पाना।

बच्चे, वृद्ध और कमजोर विशेष समूह सबसे ज़्यादा प्रभावित
इनकी थर्मोरेगुलेशन कम होती है।

कैसे सुरक्षित रहें — उपाय

पर्याप्त जलपान — नियमित अंतराल पर पानी पीएँ, इलेक्ट्रोलाइट शामिल करें।

ठंडी जगह ढूँढें — घर में शेडेड कमरा, पंखा, कूलर/एसी।

उच्च ताप में बाहर न जाएँ — सुबह की ठंडी या शाम का समय चुनें।

हल्का, आरामदायक कपड़ा — सूती, हल्के रंग के।

छाया व एयरफ्लो बनायें — खिड़कियाँ खोलें, पर्दे लगाएँ।

पोषक आहार — ताजे फल, सब्जियाँ, विटामिन व खनिजों से भरपूर भोजन।

अगर लक्षण दिखें (चक्कर, उल्टी, भ्रम), तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

गर्मी के बढ़ते संकट ने हीट स्ट्रेस को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बना दिया है।
अब ज़रूरी है कि हम न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा अपनाएँ, बल्कि समुदाय और शासन स्तर पर ठोस कदम उठाएँ —
जैसे सार्वजनिक शेड्स, ताप चेतावनी प्रणाली, पानी की आसान पहुँच।

स्वास्थ्य अब सिर्फ “बीमार न होना” नहीं — मौसम की चुनौतियों से लड़ने की काबिलियत भी है।

#जलवायु_स्वास्थ्य #गर्मी_से_सावधानी #सुरक्षित_गर्मी
Shiv Ki Dasi

🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩आर्टिकल: “डिजिटल नशा: स्क्रीन समय जो बिगाड़ रही है सेहत”प्रस्तावनाआज के युग में मोबाइल फोन, सोशल मीड...
11/10/2025

🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩
आर्टिकल: “डिजिटल नशा: स्क्रीन समय जो बिगाड़ रही है सेहत”

प्रस्तावना

आज के युग में मोबाइल फोन, सोशल मीडिया, गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग ने हमारी ज़िंदगी को बदल दिया है। ये सुविधाएँ हमारे लिए ज्ञान और मनोरंजन लेकर आई हैं, लेकिन इसका एक अँधा पहलू भी है — डिजिटल नशा (Digital Addiction)। यह सिर्फ एक फैशन नहीं, बल्कि अब एक स्वास्थ्य जोखिम बनता जा रहा है।

डिजिटल नशा क्या है?

डिजिटल नशा मतलब — आवश्यक समय से ज़्यादा स्क्रीन पर बैठे रहना, कंट्रोल न कर पाना, बिना डिवाइस के बेचैनी महसूस करना। इसमें शामिल हो सकते हैं:

सोशल मीडिया की लत

गेमिंग एडिक्शन

यूट्यूब / वीडियो स्ट्रीमिंग की लगातार भूख

ऑनलाइन शॉपिंग / ब्राउज़िंग की आदत

ये व्यवहार धीरे-धीरे मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रभाव और खतरे

नींद में कमी
देर रात तक स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) बाधित होता है, जिससे नींद टूटती है।

मानसिक तनाव, अवसाद और एंग्ज़ायटी
निरंतर “नया कंटेंट” देखना, तुलना करना, लाइक्स की चाहत — ये सब मानसिक दबाव बढ़ाते हैं।

दृष्टि और सिरदर्द
आँखों पर जोर, ब्लर विज़न, सिरदर्द, आंखों में जलन सामान्य शिकायतें हैं।

शारीरिक निष्क्रियता
लंबे समय तक बैठे रहना मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग आदि जोखिम बढ़ा सकता है।

संबंधों में दूरी
परिवार और मित्रों से समय कम देना, वास्तविक बातचीत घटना — सामाजिक अलगाव का खतरा बढ़ना।

क्यों यह “हॉट टॉपिक” है

आजकल हर उम्र के लोग स्मार्ट फोन और इंटरनेट से जुड़े हैं।

विशेषज्ञ कह रहे हैं कि डिजिटल एडिक्शन अब न्यूरोलॉजिकल समस्या की श्रेणी में आ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठनों और मनोचिकित्सकों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है कि यह “स्वास्थ्य समस्या” के रूप में गंभीरता से लिया जाए।

भारत में खासकर बच्चों, किशोरों और युवाओं में इसकी दर तेजी से बढ़ रही है।

अधिकांश लोग इसे गंभीर समस्या नहीं मानते — इसलिए जागरूकता कम है।

कैसे बचें डिजिटल लत से?

समय सीमा तय करें — हर रोज़ स्क्रीन समय को सीमित करें।

डिजिटल डिटॉक्स — सप्ताह में एक दिन फोन या इंटरनेट से दूरी रखें।

नियमित ब्रेक लें — हर 45–60 मिनट बाद आंखें बंद कर, विज़न एक्सरसाइज करें।

रियेल वर्ल्ड कनेक्शन बढ़ाएँ — बाहर जाएँ, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएँ।

हॉबी अपनाएँ — किताब पढ़ना, पेंटिंग, संगीत इत्यादि गतिविधियाँ करें।

माइक्रो-डेट ऑफ स्क्रिन — ऐप्स में “screen time limits” व “focus mode” जैसे फीचर्स का उपयोग करें।

यदि ज़रूरत हो, तो प्रोफेशनल मदद लें — मनोचिकित्सक, काउंसेलर से परामर्श करें।

निष्कर्ष

डिजिटल टेक्नोलॉजी ने हमारी ज़िंदगी को आसान और रोचक बनाया है, लेकिन सावधानी न बरती जाए तो यही टेक्नोलॉजी हमारी seहत को कमज़ोर कर सकती है।
स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियाँ अब सिर्फ बाहरी नहीं — एक अंदरूनी लड़ाई भी है, और “डिजिटल नशा” उसी नए मोर्चे में से एक है।
जब हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करें, तो संयम और समझ के साथ करें — क्योंकि असली स्वास्थ्य वो है जिसमें होना चाहिए — शरीर, मन और सामाजिक संबंधों में संतुलन।


Shiv Ki Dasi

10/10/2025

Bhole Tere Maya || Shiv Bhakti Song Jai Jai Shambhu Jai Shiv Mahakal || Om Namah Shivay Har Har Mahadev

🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩 🌿🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🌿 मानसिक स्वास्थ्य: आज की सबसे बड़ी ज़रूरतआज के समय में जब हम फिटनेस और ...
10/10/2025

🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩
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मानसिक स्वास्थ्य: आज की सबसे बड़ी ज़रूरत

आज के समय में जब हम फिटनेस और बॉडी शेप पर ध्यान दे रहे हैं, तब मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को नज़रअंदाज़ करना एक बड़ी भूल साबित हो रही है। तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, सोशल मीडिया का दबाव, और लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने हमारे मन को पहले से ज़्यादा थका दिया है।

लोग अक्सर सोचते हैं कि “डिप्रेशन” या “एंग्ज़ायटी” जैसी बातें सिर्फ कमजोर लोगों के लिए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह किसी को भी हो सकती हैं — स्टूडेंट, प्रोफेशनल, गृहिणी या बुज़ुर्ग।
मानसिक स्वास्थ्य उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।

मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें

खुद से समय बिताएँ – रोज़ कुछ मिनट अपने मन की सुनें।

डिजिटल डिटॉक्स करें – सोशल मीडिया से थोड़ा ब्रेक लें।

नियमित व्यायाम – व्यायाम न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग को भी ताज़ा रखता है।

किसी से बात करें – अगर मन भारी लगे, तो किसी भरोसेमंद इंसान से खुलकर बात करें।

नींद पूरी लें – नींद की कमी मानसिक तनाव को बढ़ा सकती है।

निष्कर्ष

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। जैसे हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन और व्यायाम करते हैं, वैसे ही अपने मन को भी “आराम” और “संतुलन” देना उतना ही ज़रूरी है।
क्योंकि “सच्चा हेल्थ वही है जिसमें मन और तन दोनों स्वस्थ हों।”

09/10/2025

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Tik Tok                   🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩 TikTok की वापसी? भारत में बहस फिर शुरूप्रस्तावनापिछले कुछ हफ़्तों में भार...
09/10/2025

Tik Tok
🚩🙏Om Namah Shivay 🙏🚩
TikTok की वापसी? भारत में बहस फिर शुरू

प्रस्तावना

पिछले कुछ हफ़्तों में भारत में अचानक यह खबर उड़ी कि TikTok वेबसाइट कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए खुल गई है, जिससे यह धारणा बनी कि ऐप की वापसी की तैयारी हो रही है। हालांकि सरकार और अधिकारियों ने तुरंत स्पष्ट किया कि TikTok अभी भी प्रतिबंधित है।
यह मुद्दा न केवल सोशल मीडिया निगरानी और डिजिटल अधिकारों की बहस को जन्म दे रहा है, बल्कि यह दिखाता है कि टेक नीति और सरकार की भूमिका कितनी संवेदनशील होती जा रही है।

पीछे की कहानी — क्यों हुआ था TikTok प्रतिबंधित?

जून 2020 में भारत सरकार ने TikTok सहित 59 अन्य चीनी ऐप्स पर डेटा प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा को कारण बताते हुए प्रतिबंध लगाया।

सरकार का तर्क था कि ये ऐप्स उपयोगकर्ता डेटा को अवांछित रूप से एक्सपोर्ट कर सकती हैं या निगरानी की संभावनाएँ बढ़ा सकती हैं।

उस समय TikTok भारत की बड़ी संख्या में कंटेंट क्रिएटरों की पहली पसंद था। इसके प्रतिबंध के बाद लोगों ने स्थानीय और ग्लोबल विकल्पों — जैसे Moj, Josh, Instagram Reels, YouTube Shorts — की ओर रुख किया।

किस प्रकार लगी वापसी की अटकलें

वेबसाइट एक्सेस खुल जाना
कुछ उपयोगकर्ताओं ने देखा कि TikTok की वेबसाइट खुल रही है, लेकिन लॉगिन, वीडियो देखना या पोस्ट करना संभव नहीं था।

सरकारी स्पष्टता
सरकार ने तुरंत बयान जारी किया कि कोई “अनपास” आदेश नहीं दिया गया है और किसी भी तरह की वापसी की पुष्टि नहीं हुई है।

मीडिया और उपयोगकर्ता चर्चा
सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में यह बहस उठी कि क्या TikTok वापसी करेगा, या क्या यह सिर्फ तकनीकी बदलाव या ग्लिच था कि वेबसाइट तक पहुँच संभव हुई।

इस विवाद के मायने

डिजिटल सॉवरेनटी और नियंत्रण
यह मामला यह सवाल खड़ा करता है कि भारत जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार कितनी हद तक नियंत्रण रख सकती है—जहाँ डिजिटल प्लेटफॉर्मों की भूमिका बहुत बड़ी हो गई है।

डेटा सुरक्षा और निजता
TikTok वापसी की चर्चा में सबसे केंद्रीय मुद्दा है डेटा – किस तरह का डेटा संग्रहीत होगा, कहां रहेगा, और मनमानी या दुरुपयोग से कैसे रोका जाएगा।

रचनाकारों की सोच
उन लाखों क्रिएटरों के लिए जो TikTok पर सक्रिय थे, वापसी की संभावना एक नई उम्मीद है। लेकिन वे सावधान हैं — अगर वापसी होगी, तो पुराने नियम होंगे या नए?

स्थानीय विकल्पों का भविष्य
यदि TikTok वापसी होती है, तो भारतीय शॉर्ट वीडियो ऐप्स जैसे Moj, Josh आदि पर दबाव बढ़ेगा। उन्हें बेहतर प्लेटफॉर्म, कंटेंट नीति और सुविधाएँ देना होंगी।

संभावित स्थिति और आगे क्या हो सकता है?

सरकार यदि वापसी की अनुमति दे, तो सुरक्षा और डेटा नीति में सख्ती ज़रूरी होगी।

TikTok को भारत के नियम और अनुपालन मानकों का पालन करना होगा — डेटा लोकलाइजेशन, पारदर्शी एल्गोरिदम, निगरानी तंत्र आदि।

वापसी की स्थिति में क्रिएटर और प्लेटफॉर्म दोनों को नए संतुलन और समायोजन करनी होगी।

यदि वापसी नहीं हुई, यह चर्चा डिजिटल संवाद, ऑनलाइन अधिकारों और टेकनोलॉजी नियंत्रण की बड़ी बहस को और तीव्र करेगी।

निष्कर्ष

TikTok की संभावित वापसी भारत में एक तकनीकी, राजनीतिक और वैचारिक विवाद को जिंदा कर रही है। यदि वह वापिस आता है, तो यह केवल एक ऐप का पुनरागमन नहीं, बल्कि डिजिटल भारत के अधिकार, नीति और स्वतंत्रता का बड़ा मापदंड होगा। इस विवाद की निगरानी करना जरूरी है, क्योंकि यह बतायेगा कि हमारी सरकार और टेक इंडस्ट्री भविष्य में किन सीमाओं और अवसरों में चलेगी।

Om Namah Shivay 🙏🚩   हॉलीवुड–बॉलीवुड कंटेंट और एआई: जब कला और तकनीक टकराएँप्रस्तावनाआजकल जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI...
08/10/2025

Om Namah Shivay 🙏🚩
हॉलीवुड–बॉलीवुड कंटेंट और एआई: जब कला और तकनीक टकराएँ

प्रस्तावना

आजकल जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से विकसित हो रहा है, वहीं कंटेंट क्रिएटर्स—चाहे वो फिल्म, संगीत, वेब सीरीज़ या अन्य मीडिया के निर्माता हों—उनकी रचनात्मक संपत्तियाँ AI मॉडल्स द्वारा उपयोग किए जाने के विवाद में आ रही हैं। हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों ही उद्योग अब भारत में एक पैनल के सामने यह मांग कर रहे हैं कि AI कंपनियाँ उनके कंटेंट को बिना लाइसेंस उपयोग न करें।

समस्या की जड़

एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए बड़े डाटा सेट्स की ज़रूरत होती है। ये डेटा अक्सर वेब पर उपलब्ध कंटेंट से ली जाती है — जिसमें फिल्मों, गानों, स्क्रिप्ट्स आदि का उपयोग भी हो सकता है।

वर्तमान भारतीय कॉपीराइट कानून में AI के इस “उपयोग” को पूरी तरह से नियंत्रित करने वाले प्रावधान नहीं हैं।

कंटेंट निर्माता का कहना है कि बिना उनके अनुमति के उनकी रचनाएँ AI द्वारा “स्क्रैप” या “सिंथेसाइज” की जा सकती हैं, जिससे उनकी आर्थिक और रचनात्मक हानि हो सकती है।

दूसरी ओर, टेक्नोलॉजी कंपनियों का दावा है कि यदि बहुत कड़े नियम हों, तो नवाचार (innovation) बाधित हो सकता है और AI अनुसंधान को नुकसान पहुंच सकता है।

हाल की घटनाएँ और मांगें

हॉलीवुड और बॉलीवुड एक्टर्स, निर्देशकों और स्टूडियोज ने एक पैनल को पत्र लिखकर यह कहा है कि AI मॉडल्स को उनके कंटेंट को ट्रेनिंग डेटा के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाए जाएँ।

वे यह चाहते हैं कि AI कंपनियाँ सार्वजनिक रूप से लाइसेंस लेकर या सहमति लेकर ही कंटेंट उपयोग करें। ऐसा न होने पर उन्हें नुकसान की भरपाई करना पड़े।

इस विवाद से भारतीय पैनल को यह विचार करना है कि वर्तमान कॉपीराइट कानून को संशोधित किया जाए ताकि AI-दौर में कंटेंट के रचनाकारों का अधिकार सुरक्षित हो सके।

क्या हो सकते हैं संभावित सुधार या समाधान?

AI-उपयोग हेतु लाइसेंस व्यवस्था
जितनी सामग्री AI को दी जाए, उसका लाइसेंस देना अनिवार्य हो — जैसे संगीत, वीडियो क्लिप्स, स्क्रिप्ट्स आदि।

मॉडल प्रशिक्षण शुल्क व रॉयल्टी
यदि AI मॉडल किसी कंटेंट का उपयोग करता है, तो उसके निर्माता को रॉयल्टी देना आवश्यक हो।

“ऑप्ट-आउट” विकल्प
कंटेंट मालिकों के लिए यह सुविधा हो कि वे यह चुन सकें कि उनकी रचनाएँ AI ट्रेनिंग डेटा में शामिल हों या न हों।

पैनल नियम और पारदर्शिता
AI कंपनियों को यह बताना होगा कि किन स्रोतों से डेटा लिया गया, किस सीमा तक उपयोग हुआ।

संशोधित कॉपीराइट कानून
वर्तमान भारतीय कॉपीराइट अधिनियम को AI-समय की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए संशोधित करना।

न्यायालय और विवाद‐निपटान तंत्र
यदि कोई विवाद हो जाए, तो इसे तेजी से सुलझाने के लिए विशेष न्यायालय या पैनल हो।

संभावित असर

कंटेंट क्रिएटरों को रचनात्मक सुरक्षा मिलेगी और वे निश्चित रूप से अपनी सामग्री साझा करने में अधिक सहज होंगे।

AI और टेक्नोलॉजी कंपनियों को स्पष्ट दिशा मिलेगी कि कैसे वे कानूनी रूप से सुरक्षित तरीके से डेटा का उपयोग करें।

नवाचार और रचनात्मकता के बीच संतुलन बनाना होगा — बहुत ज़्यादा दमनात्मक रूल्स नवाचार को रोक सकते हैं।

यह भारत को एक उदाहरण दे सकता है कि कैसे एक लोकतांत्रिक देश AI और कंटेंट अधिकारों को साथ ले कर नीति बना सकता है।

निष्कर्ष

हॉलीवुड–बॉलीवुड कंटेंट और AI के बीच यह टकराव, सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं है — यह रचनात्मकता, न्याय और तकनीकी विकास का सवाल है। यदि भारत समय रहते एक संतुलित मार्ग अपनाए — जहां कंटेंट क्रिएटरों के अधिकार सुरक्षित हों और AI को विकास की आज़ादी हो — तो यह दुनिया भर के लिए एक मॉडल बन सकता है।


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