My Life My Rule

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 #इंसानियत  # #एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला~ ‘‘सा...
19/07/2023

#इंसानियत # #
एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला~ ‘‘साहब! बूट पॉलिश कर दूँ ?’’

उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले- ‘‘लो, पर ठीक से चमकाना।’’

लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी।

वे बोले~ ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो? जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’

वह लड़का मौन रहा।

इतने में दूसरा लड़का आया। उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा। दूसरे ने जूते चमका दिये।

‘पैसे किसे देने हैं?’ इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला। उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी।’ फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए।’ इसलिए उन्होंने बाद में आनेवाले लड़के को पैसे दे दिये।

उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये। प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया।

वह आदमी विस्मित नेत्रों से देखता रहा। उसने लड़के को तुरंत वापस बुलाया और पूछा~ ‘‘यह क्या चक्कर है?’’

लड़का बोला~ ‘‘साहब! यह तीन महीने पहले चलती ट्रेन से गिर गया था। हाथ-पैर में बहुत चोटें आयी थीं। ईश्वर की कृपा से बेचारा बच गया नहीं तो इसकी वृद्धा माँ और बहनों का क्या होता,बहुत स्वाभिमानी है... भीख नहीं मांग सकता....!’’

फिर थोड़ा रुककर वह बोला ~ ‘‘साहब! यहाँ जूते पॉलिश करनेवालों का हमारा समूह है और उसमें एक देवता जैसे हम सबके प्यारे चाचाजी हैं जिन्हें सब ‘सत्संगी चाचाजी’ कहकर पुकारते हैं। वे सत्संग में जाते हैं और हमें भी सत्संग की बातें बताते रहते हैं। उन्होंने ही ये सुझाव रखा कि ‘साथियो! अब यह पहले की तरह स्फूर्ति से काम नहीं कर सकता तो क्या हुआ???
ईश्वर ने हम सबको अपने साथी के प्रति सक्रिय हित, त्याग-भावना, स्नेह, सहानुभूति और एकत्व का भाव प्रकट करने का एक अवसर दिया है।जैसे पीठ, पेट, चेहरा, हाथ, पैर भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही शरीर के अंग, ऐसे ही हम सभी शरीर से भिन्न-भिन्न दिखाई देते हुए भी हैं एक ही आत्मा! हम सब एक हैं।

स्टेशन पर रहने वाले हम सब साथियों ने मिलकर तय किया कि हम अपनी एक जोड़ी जूते पॉलिश करने की आय प्रतिदिन इसे दिया करेंगे और जरूरत पड़ने पर इसके काम में सहायता भी करेंगे।’’

जूते पॉलिश करनेवालों के दल में आपसी प्रेम, सहयोग, एकता तथा मानवता की ऐसी ऊँचाई देखकर वे सज्जन चकित रह गये औऱ खुशी से उसकी पीठ थपथपाई...औऱ सोंचने लगे शायद इंसानियत अभी तक जिंदा है.....!! foll

08/06/2023

Sacrifice... 😞😞

 #कटु_सत्य.              कुछ पढ़ी लिखी लडकियां ही ज्यादातर कोर्ट का चक्कर इसलिए लगा रहीं हैं...क्योंकि, उनसे घर का काम न...
18/05/2023

#कटु_सत्य.
कुछ पढ़ी लिखी लडकियां ही ज्यादातर कोर्ट का चक्कर इसलिए लगा रहीं हैं...क्योंकि, उनसे घर का काम नहीं होता है ? पढ़ी लिखी लडकियां इसलिए भी एकाकी जीवन में रह रहीं हैं, क्योंकि, उनकी उसी व्यक्ति से पटरी नहीं खा रही है जिनके साथ अग्नि के सात फेरे लिए हुए हैं ?
क्योंकि उनकी शिक्षा उनको सामंजस्य बैठाना नहीं सिखाती, सास ससुर की सेवा का भाव नहीं सिखाती ?

ससुराल में एक मर्यादित जीवन में रहना नहीं सिखाती,
और सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात... अधिकतर पढ़ी लिखी लड़कियां... शायद अब लडकियां रही ही नहीं ? वे हर मामले में सबको सबक सिखाने की होड़ में लगी हुई हैं...शायद उनके अंदर की लड़की समाप्त हो चुकी है ?

पत्नी अब पति के लिए पत्नी नहीं अपितु एक जेलर, उसका मालिक बनने की होड़ में रहती है ? वह स्वयं के दोषों को अपनी ही गलतियों के कारण बढ़ा रही है ? ईर्ष्या, द्वेष, शक, कर्कश बोलना, चिंतन न करना, सामाजिकता से न रहना आदि बहुत से दोषों के कारण वह अपने ही परिवार को नष्ट कर रही हैं, जाने अनजाने अपने ही पति, बच्चों, परिवार, संबंधियों के हृदय में अपने लिए नफरत बो रही हैं ?

कानून के ढुलमुल रवैये , नए नए असामजिक नियमों के कारण, लिव इन में रहना, अवैध संबंध, समलैंगिता आदि ने और भी ज्यादा बेड़ा गर्क किया हुआ है....✍️ page follow करें🙏🙏

#आधुनिकता #फैशन #जीवन

देवरिया के बरियार पुर थाना के एस एच ओ आशुतोष लाउडस्पीकर चेकिंग अभियान में निकले थे।चेकिंग के दौरान वो लहिलपार गांव के मं...
24/04/2023

देवरिया के बरियार पुर थाना के एस एच ओ आशुतोष लाउडस्पीकर चेकिंग अभियान में निकले थे।चेकिंग के दौरान वो लहिलपार गांव के मंदिर पर भी पहुंचे।वहां उन्होंने एक शादी कार्यक्रम देखा।फिर दूल्हा दुल्हन के बारे में पता किया।ज्ञात हुआ कि लड़की के मां और बाप बचपन में ही गुजर गए।

लड़की का पालन पोषण उसके मामा ने किया।लड़की के मामा भी निहायत गरीब है और किसी प्रकार शादी कर रहे है।बस फिर क्या था? एस एच ओ आशुतोष ने तुरंत बाजार से फ्रिज,पंखा,मिक्सर आदि मंगवाया और वर - वधू को सुखमय जीवन का आशीर्वाद दिया। साथ ही पुजारी जी से आग्रह किया कि मंदिर के सामान्य खर्च को माफ कर दे जिसे पुजारी ने खुशी - खुशी स्वीकार कर लिया।

ऐसे पुलिस अधिकारी को हाथ जोड़ कर नमन वर्दी में चमक ऐसे ही अधिकारियों कर्मचारियों से आती है।
जय हिन्द सर

09/04/2023

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