PathJeevani

PathJeevani Fostering community for spreading ideas & provide mentorship to engage youth in holistic development.

We are a social startup which unravels the unsung heroes of the society, Provide Mentorship, Organise Social Events, Conduct Seminars, Trainings & Workshop.

0ur programmes: Currently We are majorly working through our 3 different programmes for the holistic development of individuals. PathJeevani ▪️ PathJeevani highlights the "Journey of True Success" of unsung heroes from various domain and conn

ects them as mentor community for holistic development of individuals. Through the community, path mentors work to solve the problems related to the grassroots level of the youth, as well as provide guidance and motivate them to move forward. YouWAAH ▪️ YouWAAH is started in October 2022 and majorly working via social events, seminars, training & workshop to provide mental enrichment, moral education, connecting YOUth for Wellness, Awareness And HEALING. We ALSO provides platform to various talents, artist & speakers. PathShaala ▪️ Pathshaala was started in Jan 2023 with the aim of developing intellectual and physical qualities in the students. Along with this, the main objective of Pathshaala is to provide information about different dimensions of education and employment at various career fields through industry experts. PURPOSE 🔸 Connecting people's to make world more beautiful with each individual's overall growth. MISSION 🔸 To discover and spread the personalities and ideas that spark imagination, embrace possibility and catalyze impact. Our organization is dedicated to curiosity, reason, and imagination, and we seek knowledge and wonder without any agenda. We welcome people from every discipline and culture who seek a deeper understanding of the world and connections with others, and we invite everyone to engage with ideas and activate them in their community. VISION 🔸 We feel that if we all understand the morals and be mentally enriched then the coming generations will be able to face the beautiful world with a better life. GOAL 🔸 Inculcating ethical values and mental wellness, Presenting true inspiring and vibrant stories, Developing a community of mentors, Creating awareness towards society, Overall development of Youth, Releif Work.

"कुछ लोग मिट्टी से जन्म लेते हैं, और कुछ लोग मिट्टी को अमरता दे जाते हैं।जो पत्थर बेजान लगते हैं, वही किसी कलाकार के हाथ...
26/05/2025

"कुछ लोग मिट्टी से जन्म लेते हैं, और कुछ लोग मिट्टी को अमरता दे जाते हैं।
जो पत्थर बेजान लगते हैं, वही किसी कलाकार के हाथों भगवान बन जाते हैं।
और जब कोई इंसान अपने जीवन को ही संघर्ष की मूर्ति बना दे,
तो वो सिर्फ नाम नहीं... एक युग बन जाता है।"

#प्रभातराय — एक ऐसा नाम, जिसने कला को साधना और मूर्तियों को आत्मा दे दी।

ग्वालियर की एक तंग गली से निकला वो कलाकार, जिसने बीड़ी बेची, बर्तन धोए,
सड़क किनारे पेंटिंग्स बेचकर भी सपनों को ज़िंदा रखा।

पिता ने कला का बीज बोया, पत्नी सुनीता संग मिलकर तपस्या की।
20 रुपये की दिहाड़ी से शुरू हुआ सफर बना **15,000+ मूर्तियों** की गाथा।

उनकी बनाई मूर्तियां आज संसद भवन, इंदौर, फ्रांस, अयोध्या तक बोलती हैं —
72 फीट हनुमान, 11 मुख ज्योतिर्लिंग, संसद की सूक्ष्म मूर्तियां, महाराजा रणजीत सिंह, भगवान राम।

हर मूर्ति में भक्ति थी, हर रचना में आत्मा।

छोटा कमरा बना "प्रभात मूर्ति कला केंद्र",
जहां आज भी सुनीता जी और उनकी टीम उस कला को जीवित रखे हुए है।

अयोध्या में स्थापित 108 फीट की भगवान राम की मूर्ति — उनकी अंतिम भव्य रचना।

उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली, क्योंकि उनके लिए कला ही पूजा थी।

उनका जीवन कहता है —
"संघर्ष सबसे बड़ा शिक्षक होता है, और समर्पण सबसे सच्चा धर्म।"
वो कलाकार नहीं, कलियुग के ऋषि थे।

26/05/2025
जब लोग कहते थे — ये क्या नौटंकी है...उन्होंने उस मंच को आवाज़ बना दिया, जहां पूरा शहर तालियां बजाने लगा।”👨🏻 एक नौजवान था...
25/05/2025

जब लोग कहते थे — ये क्या नौटंकी है...
उन्होंने उस मंच को आवाज़ बना दिया, जहां पूरा शहर तालियां बजाने लगा।”

👨🏻 एक नौजवान था —
जो खुद को किसी कैमरे के सामने देखना चाहता था,
पर न कोई चैनल था, न टीम, न पैसा…
बस एक पुराना कैमरा, कुछ पोस्टकार्ड, और एक जुनून — मेला को ज़िंदा रखने का।

📍 नाम था Shrish Gupta —
पर पूरा शहर जानता था उन्हें एक ही नाम से:
गुड्डू भैया।

🎪 जब साल 2000 आया, तो उन्होंने कुछ ऐसा किया जो उस वक्त सिर्फ़ फिल्मों में होता था —
पोस्टकार्ड प्रतियोगिता।
बोले — "हमें भेजिए एक चिट्ठी… और जीतिए गिफ्ट।"

📬 लोग हंसे, बोले — “कौन भेजेगा अब पोस्ट?”
पर देखते ही देखते —
तीन लाख से ज़्यादा पोस्टकार्ड गुड्डू भैया के पते पर पहुंच गए।
हर कार्ड, एक कहानी।
हर विजेता, मंच पर एक मुस्कान।

🎁 गिफ्ट्स? दुकानदारों से मांगे गए छोटे-छोटे आइटम।
📦 कभी स्टील का गिलास, कभी खिलौना, कभी कुछ नहीं...
पर लोगों की आंखों में था — गौरव।

💔 जब पत्नी का नाम विनर लिस्ट में आया —
उन्होंने मंच से कहा: “इनाम नहीं दूंगा।”
जब रिश्तेदार निकले, बोले — “ये मंच मेरा नहीं, जनता का है।”

🎥 फिर आया डिजिटल युग।
YouTube, WhatsApp, Facebook —
गुड्डू भैया की आवाज़ अब वीडियो में गूंजने लगी।

👂🏼 लोग वीडियो नहीं, उनकी आवाज सुनने आते थे।
कभी बच्चे का इंटरव्यू, कभी बुजुर्ग की यादें,
कभी दुकान वाले का मज़ाक —
पर सबके बीच एक कॉमन बात थी:
प्योरिटी।

🧩 फिर मुश्किलें भी आईं —
टीम टूटी, वीडियो डिलीट हुए, लोग बोले “सब स्क्रिप्टेड है।”
पर गुड्डू भैया ने कहा:
“सच दिखाने के लिए कैमरा चाहिए, स्क्रिप्ट नहीं।”

💫 आज भी जब मेला सजता है —
तो हर झूले की चीख, हर लाइट की चमक,
और हर भीड़ में एक धड़कती हुई आवाज़ होती है—

“नमस्कार, मैं हूं गुड्डू भैया…”

📍 यह सिर्फ़ मेला की कहानी नहीं —
एक इंसान की आवाज़ है, जिसने शहर की आत्मा को रिकॉर्ड किया।

🎥 Shrish ‘गुड्डू भैया’ Gupta की पूरी कहानी देखें पर
✨ लिंक बायो में है | Highlight: Season 1 Stories
👇 कभी कभी असली स्टार कैमरे के पीछे होते हैं — और उनकी आवाज़ वक्त से आगे निकल जाती है।


सपनों को हकीकत में बदलने का सबसे बड़ा राज़ है — अपने काम को दिल से लगाना।जब हम किसी काम को सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि ...
25/05/2025

सपनों को हकीकत में बदलने का सबसे बड़ा राज़ है — अपने काम को दिल से लगाना।
जब हम किसी काम को सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूजा की तरह मानते हैं, तभी सफलता हमारे कदम चूमती है।
काम बड़ा या छोटा नहीं होता, असली ताकत समर्पण और श्रद्धा में छुपी होती है।

आज से हर पल को पूरी निष्ठा और जुनून से जियो, और देखो कैसे मेहनत आपकी कहानी बदल देती है।
यह सफर है आपके विश्वास और सोच का, जो आपको आपकी मंज़िल तक अवश्य पहुंचाएगा।

जिसे दुनिया ने ‘ना’ कहा, उसने खुद को ‘हाँ’ कहना सिखा दिया…"👧🏽 एक सांवली लड़की थी —जो हर दर्पण में कम नज़र आती थी,क्योंकि...
24/05/2025

जिसे दुनिया ने ‘ना’ कहा, उसने खुद को ‘हाँ’ कहना सिखा दिया…"
👧🏽 एक सांवली लड़की थी —
जो हर दर्पण में कम नज़र आती थी,
क्योंकि उसे बताया गया था कि उसकी त्वचा उसकी कमी है।

🎒 स्कूल में सुंदरता की परिभाषा से बाहर कर दी गई।
👀 रिश्तों में उसके आत्मसम्मान को बार-बार कुचला गया —
कभी रंग के लिए, कभी शरीर के आकार के लिए।

📉 कॉलेज में रिजेक्शन,
⚖️ समाज में जजमेंट,
और खुद के भीतर सिर्फ एक सवाल —
"क्या मैं वाकई कमतर हूं?"

लेकिन Kritika ने अपनी चुप्पी को चुनौती में बदल दिया।

🔥 उसने खुद से एक वादा किया —
अब validation बाहर से नहीं, खुद से मिलेगा।

🧘🏽‍♀️ फिटनेस उसकी therapy बनी,
पर ये सफर सिर्फ muscles बनाने का नहीं था —
ये एक आत्मा का healing process था।

💫 वो खुद से नफ़रत करते-करते,
धीरे-धीरे खुद से मोहब्बत करना सीख गई।

💪🏽 आज Kritika सिर्फ एक फिटनेस कोच नहीं हैं —
वो हर उस लड़की की आवाज़ हैं जिसे कभी कहा गया था —
“तू बहुत कम है।”

👑 अब वो कहती हैं —
"They saw darkness in my skin,
I discovered light in my soul."



📍 यह सिर्फ transformation नहीं — एक silent revolution है, जो लाखों को inspire कर सकता है।
🎥 Kritika की पूरी कहानी अब देखिए YouTube चैनल पर
✨ Link in Bio | Highlight: Season 1 Stories
👇 ये कहानी किसी की सोच बदल सकती है — शायद आपकी।




खुद से अपनी सच्ची पहचान का वादा करो..."कृतिका चावला की ये पंक्तियाँ याद दिलाती हैं कि सबसे बड़ा सफ़र हमारे भीतर होता है ...
24/05/2025

खुद से अपनी सच्ची पहचान का वादा करो..."
कृतिका चावला की ये पंक्तियाँ याद दिलाती हैं कि सबसे बड़ा सफ़र हमारे भीतर होता है —
जहाँ हम खुद को दूसरों से नहीं, खुद से पूरा करना सीखते हैं।

💫 यही आत्म-स्वीकार है, यही असली आत्मविश्वास।
✨ तुलना नहीं, स्वीकार करो। प्रतियोगिता नहीं, प्रगति करो।

यह सिर्फ एक quote नहीं, एक जीवन-दृष्टि है...
हर उस आत्मा के लिए जो खुद से जुड़ने का साहस रखती है।

🙏 आभार कृतिका चावला, इस गहराई और सच्चाई से भरे विचार को साझा करने के लिए।

23/05/2025

जो हर उस आवाज़ को पहचान देता है, जो भीतर से निकलती है।
कृतिका चावला ने पथ के मंच से न सिर्फ अपनी कहानी साझा की, बल्कि यह भी बताया कि जब महिलाएं बोलती हैं, तो समाज सोचता है — बदलता है।

उन्होंने निसंकोच कहा कि “अपनी यात्रा सुनाना सिर्फ दूसरों को प्रेरित करना नहीं, खुद को स्वीकार करना भी है।”
यह शब्द नहीं, आत्मा की आवाज़ है।

🌼 हम आभारी हैं कृतिका जी के प्रति, जिन्होंने पथ के जरिए अपनी सच्ची और साहसी यात्रा को साझा किया — और उन तमाम महिलाओं के लिए उम्मीद जगाई जो अपनी आवाज़ ढूंढ रही हैं।

🙏 पथ उसी आशा का नाम है — जहाँ सच्ची कहानियाँ, सच्चे बदलाव की शुरुआत बनती हैं।

सेवा की आग जो ज़िंदगी बदल गईजब ज़िंदगी ने दरवाज़े बंद कर दिए, तो विकास गोस्वामी ने खिड़कियाँ खोलीं।एक निम्न-मध्यमवर्गीय ...
23/05/2025

सेवा की आग जो ज़िंदगी बदल गई

जब ज़िंदगी ने दरवाज़े बंद कर दिए, तो विकास गोस्वामी ने खिड़कियाँ खोलीं।
एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार से निकल कर, इंजीनियरिंग बीच में छोड़ना पड़ा। लेकिन हार नहीं मानी। कॉमर्स की पढ़ाई के साथ, टैली पढ़ाना शुरू किया।

दिल्ली में अकाउंटेंट की नौकरी करते हुए भी, दिल सेवा की आवाज़ से थम नहीं पाया।
फिर ग्वालियर वापसी के बाद, मंदिर के बाहर मिली एक ऐसी तस्वीर — जहाँ इंसान की हिम्मत खुद उसके शरीर की हालत से हार रही थी।

यही तस्वीर थी जो उनकी जिंदगी की दिशा बदल गई।
विकास जी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बेसहारों की देखभाल करना शुरू किया।
और इस संघर्ष ने जन्म दिया स्वर्ग सदन, ग्वालियर को — जहां अब 100 से ज़्यादा लोग परिवार की तरह रहते हैं, जिनकी कोई उम्मीद बाकी नहीं बची थी।

यहाँ IIT इंजीनियर, पुलिस अफसर, मानसिक रूप से बीमार, और कई बेसहारों की जिंदगी ने नया सफर शुरू किया है।
एक ऐसी जगह जहाँ हिम्मत, सेवा और इंसानियत की जीत होती है।

क्या आप जानना चाहते हैं कि कैसे एक आम आदमी ने असंभव को संभव कर दिखाया?
विकास गोस्वामी की ये कहानी आपके दिल को छू जाएगी और आपको सोचने पर मजबूर कर देगी — असली सफलता क्या होती है।

🎥 पूरी कहानी के यूट्यूब चैनल पर देखें।
लिंक बायो में और Season 1 Highlights में उपलब्ध।

हर बड़ा बदलाव बाहर नहीं, भीतर से शुरू होता है।कुछ लोग हालात बदलने की सोचते हैं,कुछ अपने आप को — और वहीं से असली क्रांति ...
23/05/2025

हर बड़ा बदलाव बाहर नहीं, भीतर से शुरू होता है।
कुछ लोग हालात बदलने की सोचते हैं,
कुछ अपने आप को — और वहीं से असली क्रांति जन्म लेती है।

विकास गोस्वामी की ये सोच हमें याद दिलाती है कि
"जो हम सच में चाहते हैं, वही हमें करना चाहिए…"
जब इंसान अपने अंदर की आवाज़ सुनता है,
तो वह सिर्फ अपना नहीं, दुनिया का भी रास्ता बदल देता है।

सलाम करता है उस सोच को,
जो अंदर से उठती है और समाज में गूंज बन जाती है।
🔥 अपने भीतर झाँको — शायद वहीं से तुम भी चल पड़ो बदलाव की ओर।

दो पैरों की ताकत खो दी, लेकिन हौंसलों की उड़ान कभी नहीं टूटीसतेन्द्र सिंह लोहिया — पद्मश्री सम्मानित एशिया के पहले पैरा-...
18/05/2025

दो पैरों की ताकत खो दी, लेकिन हौंसलों की उड़ान कभी नहीं टूटी
सतेन्द्र सिंह लोहिया — पद्मश्री सम्मानित एशिया के पहले पैरा-स्वीमर और प्रेरणा का नाम।

12 साल की उम्र में बीमारी के कारण अपने दोनों पैरों की ताकत खो चुके सतेन्द्र ने दुनिया को दिखा दिया कि हिम्मत और जज़्बा ही असली जीत है। बचपन से ही उन्होंने खुद को सीमाओं में बंधने नहीं दिया।

🌊 उनकी कहानी है पानी की, समंदर की, और सबसे बड़ी चुनौती — नार्थ चैनल की।
12 डिग्री ठंडे पानी में 36 किलोमीटर लंबे नॉर्थ चैनल को पार कर सतेन्द्र सिंह लोहिया बने एशिया के पहले पैरा-स्वीमर, जिन्होंने ये रिकॉर्ड बनाया।

🏆 इससे पहले भी, सतेन्द्र ने कई अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत का नाम रोशन किया है।
उनकी मेहनत और हिम्मत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति, और कई राज्य प्रमुखों ने सराहा है।

🏅 पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सतेन्द्र न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि दिव्यांगता को अवसर में बदलने वाले एक मिसाल हैं।

🏡 परिवार का साथ कम ही मिलता था, लेकिन उनकी आत्मा ने कभी हार नहीं मानी।
के मंच पर एक भावुक पल तब आया, जब पहली बार उनके पिता और भाई उनके साथ मौजूद हुए — एक परिवार की मजबूती और प्रेरणा का प्रतीक।

सतेन्द्र कहते हैं:
"अगर हौंसला हो तो #दिव्यांगता भी वरदान बन जाती है।"

उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपनी कमजोरियों से लड़कर आगे बढ़ना चाहता है।

🎥 पूरी कहानी देखें पर
📍 लिंक बायो में और Season 1 Highlights में उपलब्ध है।

जिसे लोग 'असंभव' कहते रहे,सतेन्द्र सिंह लोहिया ने उसे बना लिया अपनी पहचान —हौसले, हिम्मत और हकीकत की मिसाल।  सलाम करता ह...
18/05/2025

जिसे लोग 'असंभव' कहते रहे,
सतेन्द्र सिंह लोहिया ने उसे बना लिया अपनी पहचान —
हौसले, हिम्मत और हकीकत की मिसाल।

सलाम करता है उस जज़्बे को,
जो हालात से नहीं हारता,
बल्कि उन्हें हराने की ठान लेता है।

✊🏼 जब मन में विश्वास और लक्ष्य स्पष्ट हो,
तो शरीर की सीमाएँ भी मार्ग बनने लगती हैं।

17/05/2025

यह समाज में छिपी प्रतिभाओं को मंच देने वाला एक जनआंदोलन बन चुका है।
कुछ समय पहले पद्मश्री सम्मानित पैरा-स्विमर श्री सतेन्द्र सिंह लोहिया जी ने पथ के मंच से अपनी जीवन यात्रा साझा की थी —
भिंड जैसे छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय करना, संघर्ष, साहस और संकल्प की जीवंत मिसाल है।

🙏 उनके शब्द आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
हम ऐसे विचारों और कहानियों को जन-जन तक पहुँचाने के अपने संकल्प में निरंतर सक्रिय हैं।

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