वंदे मातरम स्वतंत्र Awaaz

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हल्द्वानी उत्तराखंड:वन विभाग की लापरवाही से वन्यजीव सांभर की मौत,समय से नहीं कर पाया विभाग रेस्क्यू।नैनीताल जनपद के हल्द...
20/04/2025

हल्द्वानी उत्तराखंड:वन विभाग की लापरवाही से वन्यजीव सांभर की मौत,समय से नहीं कर पाया विभाग रेस्क्यू।

नैनीताल जनपद के हल्द्वानी जंगल किनारे एक वन्य जीव सांभर ने बीते दिन दम तोड़ दिया,इसी वन क्षेत्र में कुछ माह पूर्व आबादी के बीच दो गुलदार के शावकों ने दम तोड़ा था।

जानकारी के मुताबिक स्थानीय निवासियों ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा शुक्रवार लगभग साढ़े चार बजे यह सूचना दी थी कि एक सांभर जंगल किनारे एक गड्ढे में पानी के बीच फंसा नजर आ रहा हैं और देखने में उसकी तबियत खराब लग रही,लेकिन इसके बाद भी लगभग 16 घंटे से अधिक वन्य जीव उसी स्थान पर सारी रात पड़ा रहा,वन विभाग के कुछ कर्मचारी गार्ड आदि तो वहां शाम 6 बजे तक पहुंचे,लेकिन अपने प्राणी को देखने सांभर फंसने के स्थान से 15-20 किलोमीटर की दूरी से उच्च अधिकारी नहीं पहुंचे,यह उनकी बड़ी लापरवाही हैं।

यदि सांभर को वन विभाग द्वारा समय से उपचार दिया जाता तो हो सकता था कि वन्य जीव सुरक्षित बच पाता लेकिन विभागीय अधिकारियों ने लापरवाही बरती और अगले दिन डीएफओ एवं अन्य अधिकारी वहां पहुंचे लेकिन सांभर को बचा पाने में नाकाम रहें।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना हैं कि वन विभाग यदि सूचना देने के बाद त्वरित मेडिकल टीम भेजता और सांभर का रेस्क्यू कर उसे रेस्क्यू सेंटर पहुंचाकर उचित इलाज समय से देने का प्रयास करता तो वन्य जीव को सुरक्षित बचा पाता,अनेकों अधिनियम वन्य जीव को लेकर हैं लेकिन विभाग की लापरवाही से यदि इन जीवों की मृत्यु हो जाती हैं तो उसकी जिम्मेदारी लेने वाला शासन प्रशासन में कोई नहीं हैं।

डीएफओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग का कहना हैं कि ग्रामीणों कि सूचना पर स्वयं वह शनिवार को वहां पहुंचे लेकिन सांभर को प्रयास के बाद बचाया नहीं जा सका,वन्य जीव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कारणों का पता चल पाएगा प्रथमिक दृष्टया वन्य जीव अन्य जीवों के साथ संघर्ष में घायल था।

अब बड़ा सवाल हैं कि यदि इस तरह ही वन विभाग सूचना के घंटों बाद तक वन्य जीव को रेस्क्यू नहीं करेगा तो कैसे इन प्राणियों की सुरक्षा होगी, सवाल यह कि इस तरफ यदि विभाग की लापरवाही के कारण वन्य जीवों की मृत्यु होती हैं तो उन अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होगी और कौन करेगा?

दुर्भाग्य! नदियों वाले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पानी के लिए भूख हड़ताल✍️लेखक:-किसानपुत्र कार्तिक उपाध्यायउत्तराखंड, दे...
08/04/2025

दुर्भाग्य! नदियों वाले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पानी के लिए भूख हड़ताल

✍️लेखक:-किसानपुत्र कार्तिक उपाध्याय

उत्तराखंड, देवभूमि जहां से गंगा और यमुना जैसी महान नदियाँ निकलती हैं,जहां हर पहाड़, हर घाटी में जलस्रोत बहते हैं उसी राज्य में आज नरेंद्रनगर की जनता बूंद-बूंद पानी को तरस रही है,और यही नहीं, अब इस तरस को आवाज़ देने के लिए महिलाओं को भूख हड़ताल का सहारा लेना पड़ रहा है।
यह कोई राजनीतिक नौटंकी नहीं, यह एक पीड़ा है, एक संघर्ष है, और एक करारा तमाचा है उस व्यवस्था पर जो कागज़ों में सब ठीक बता रही है।

नरेंद्रनगर की भरपूर पट्टी के ज़ीरो बैंड क्षेत्र में ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है,ग्राम प्रधान संगठन की प्रवक्ता पुष्पा रावत और शिक्षक दिनेश चंद्र ‘मास्टर जी’ ने पानी की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इस हड़ताल में महिलाओं की बड़ी भागीदारी है, क्योंकि पहाड़ों में पानी लाना सबसे बड़ा बोझ इन्हीं के कंधों पर होता है। ये महिलाएं रोज़ पहाड़ियों पर चढ़कर, मीलों दूर जाकर पानी लाती हैं और अब जब योजनाओं का पैसा बह गया और नल सूखे पड़े हैं, तो उनका सब्र भी सूख गया है।

'हर घर जल' योजना के तहत सरकार ने इस क्षेत्र में ₹33 करोड़ खर्च करने का दावा किया है,लेकिन हकीकत में नल सिर्फ नाम के हैं पानी नहीं आता। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से केवल कागज़ी योजनाएं बनीं, और धरातल पर नतीजा शून्य रहा। यही कारण है कि जनता अब चुप बैठने को तैयार नहीं है।

पुष्पा रावत ने साफ शब्दों में कहा है "पानी लेना अब मेरी जिद है... अगर सरकार को लगता है कि वो मेरे हौसले को तोड़ देगी, तो ये उनका भ्रम है... मेरा हौसला मेरे नरेंद्रनगर की जनता है।"

यह केवल एक महिला की आवाज़ नहीं है, यह उस पूरे पहाड़ी समाज की पुकार है जिसे दशकों से अनदेखा किया गया है,पुष्पा की इस जिद के पीछे वो पीड़ा है, जो हर दिन सूखे नल को घूरते हुए महसूस होती है।

पुष्पा रावत अपने भाषणों और मीडिया बयानों के दौरान बताती हैं प्रशासन ने कई बार आश्वासन दिए, तारीखें दीं लेकिन पानी नहीं दिया,पहले कहा गया कि 12 मार्च तक पानी आ जाएगा, लेकिन अप्रैल भी आ गया और नल सूखे हैं।
क्या सरकार और प्रशासन का काम केवल तारीखें देना रह गया है?
क्या जनता की समस्याएं केवल चुनावी भाषणों में गूंजने के लिए होती हैं?

आज नरेंद्रनगर की सड़कों पर सिर्फ भूख हड़ताल नहीं हो रही यहां जनमानस जाग रहा है, संघर्ष खड़ा हो रहा है और सिस्टम से सवाल पूछे जा रहे हैं,उत्तराखंड की जनता अब समझ चुकी है कि सिर्फ इंतज़ार करने से कुछ नहीं होगा, अब आवाज़ उठानी होगी, अब लड़ना होगा।

कितनी शर्मनाक बात है कि जिस राज्य से नदियाँ निकलती हैं, उसी राज्य के गांव पानी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक योजना की विफलता है, बल्कि सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता का जीवंत प्रमाण है। नरेंद्रनगर की ये भूख हड़ताल सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है,यह पूरे पहाड़ की कहानी है, और जब तक ये पहाड़ बोलना नहीं सीखते, तब तक सत्ता बहरी बनी रहती है।

अब फैसला सरकार को करना है या तो वे इस आंदोलन को एक चेतावनी मानकर सुधार करें, या फिर एक जनांदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहें,क्योंकि लगता हैं पहाड़ की जनता अब जाग चुकी है, और इस बार उसकी मांग सिर्फ पानी नहीं सम्मान, जवाबदेही और न्याय है।

Pushpa Rawat

उत्तराखंड में पत्रकार का ऐलान भ्रष्ट अधिकारी पर नहीं हुई कार्यवाही तो छोड़ देंगे पत्रकारिता, करेंगे भूख हड़तालदेहरादून।उ...
07/04/2025

उत्तराखंड में पत्रकार का ऐलान भ्रष्ट अधिकारी पर नहीं हुई कार्यवाही तो छोड़ देंगे पत्रकारिता, करेंगे भूख हड़ताल

देहरादून।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक गंभीर और भावनात्मक खबर सामने आई है। विजय रावत, एक सक्रिय और जमीनी पत्रकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आर-पार की घोषणा कर दी है। पेयजल निर्माण निगम उत्तराखंड के एक अधिकारी सुजीत कुमार विकास पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले विजय रावत ने कहा है कि यदि 7 दिनों के भीतर शासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे पत्रकारिता छोड़कर भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

पत्रकार विजय रावत ने एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से पेयजल निगम के अधिकारी सुजीत कुमार विकास के खिलाफ विस्तृत भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने 14 मई 2024, 26 अप्रैल 2024 और 26 सितंबर 2024 को साक्ष्यों सहित शिकायतें दर्ज कराई थीं। आरोप है कि अधिकारी ने भ्रष्ट तरीकों से अकूत संपत्ति अर्जित की है और विभिन्न ठेकेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया गया। पत्रकार का यह भी कहना है कि पुलिस में शपथ पत्र देकर वे पहले ही इस मामले की पुष्टि कर चुके हैं, लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विजय रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट में भावुक अपील करते हुए कहा है,अगर 7 दिनों में शासन कार्रवाई नहीं करता है तो मैं पत्रकारिता छोड़ दूंगा। क्या फायदा ऐसी पत्रकारिता का जो भ्रष्टाचार के मामले खोलने पर अपने ऊपर ही FIR करवा बैठे।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी सुजीत कुमार विकास झारखंड से आकर उत्तराखंड में 100 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया, और उनके खिलाफ साक्ष्यों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। उल्टा, इस भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने पर उन्हीं पर एफआईआर दर्ज कर दी गई।

पत्र में साफ लिखा गया है कि यदि उनकी भूख हड़ताल के दौरान उन्हें कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन, विशेषकर सचिव शैलेश बगोली और संबंधित विभाग के मंत्री की होगी। उनका कहना है कि वे अपने हक के लिए लोकतांत्रिक मार्ग अपनाएंगे और सचिवालय के बाहर सारे सबूतों को जलाकर भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

विजय रावत का कहना है कि उन्होंने कभी पत्रकारिता को शोहरत के लिए नहीं चुना, बल्कि उन्होंने उत्तराखंड के जमीनी मुद्दों को उठाने के लिए यह पेशा अपनाया। उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड, UKSSSC भर्ती घोटाला, शिक्षा विभाग में हुए भ्रष्टाचार जैसे संवेदनशील मामलों को आवाज दी। पर अब जब उन्होंने एक भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें ही कानूनी शिकंजे में फंसाया जा रहा है।

पत्रकार विजय रावत ने शासन को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर 7 दिन के भीतर कार्यवाही नहीं होती है, तो वे पत्रकारिता को अलविदा कह देंगे और लोकतांत्रिक लड़ाई के लिए भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

अब सवाल हैं उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य में अगर एक पत्रकार भ्रष्टाचार उजागर करने पर खुद को असुरक्षित महसूस करता है और शासन मूकदर्शक बना रहता है, तो यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक बड़ा सवाल है, अब देखना यह होगा कि सचिवालय और शासन इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

VijayPath News

फिर एक बार सीएम धामी के जिलाधिकारियों को निर्देश, इस बार गड्ढा मुक्त सड़क बनाने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम !देहरादून,उत्...
07/04/2025

फिर एक बार सीएम धामी के जिलाधिकारियों को निर्देश, इस बार गड्ढा मुक्त सड़क बनाने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम !

देहरादून,उत्तराखंड वंदे मातरम स्वतंत्र Awaaz

पहले भी इस तरह की बैठकों में गड्ढा मुक्त सड़कों के आदेश होते रहे हैं, लेकिन विडंबना ये है कि सरकार की ही योजनाएं इन गड्ढों की सबसे बड़ी वजह बनती जा रही हैं। जल जीवन मिशन के तहत बेतरतीब और बिना योजना के की गई खुदाई से गाँव-गाँव की सड़कें खस्ताहाल हैं। इस बार भी उम्मीदों की लाठी गड्ढों में फँसी है। आगामी पंचायत चुनावों में ये टूटी-फूटी सड़कें सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।

*अब पढ़िए सीएम कार्यालय की ओर से जारी बैठक का सार:*

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास से वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश की सभी सड़कों को आगामी 15 दिनों के भीतर गड्ढा मुक्त किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को बेहतर सेवाएं देना प्रशासन की जिम्मेदारी है और इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल, विद्युत आपूर्ति और वनाग्नि की घटनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। जल जीवन मिशन से प्रभावित क्षेत्रों में टूटी सड़कों की मरम्मत जल्द से जल्द कराई जाए। साथ ही गर्मियों में जल संकट को देखते हुए आवश्यकतानुसार पेयजल टैंकरों की व्यवस्था रखी जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से आग्रह किया कि बरसात से पहले रिवर ड्रेजिंग और नालों की सफाई का कार्य पूरा कर लिया जाए। उन्होंने वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए रिस्पांस टाइम को कम करने, चारधाम यात्रा की तैयारी पूरी करने और ट्रैफिक प्लान को सुव्यवस्थित बनाए रखने पर भी ज़ोर दिया।

जन समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनता दरबार, तहसील दिवस और बहुउद्देशीय शिविरों के आयोजन की भी बात कही गई।

बैठक में अपर मुख्य सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक ए.पी. अंशुमान, एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी और कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत समेत सभी जिलाधिकारी वर्चुअल माध्यम से शामिल रहे।

वनाग्नि रोकने की दिशा में शीतलाखेत मॉडल बना पूरे प्रदेश के लिए उदाहरणवंदे मातरम स्वतंत्र Awaaz देहरादून,उत्तराखंडजलवायु ...
06/04/2025

वनाग्नि रोकने की दिशा में शीतलाखेत मॉडल बना पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण

वंदे मातरम स्वतंत्र Awaaz
देहरादून,उत्तराखंड

जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गर्मी और पिरुल की अधिकता के कारण उत्तराखंड के जंगल हर साल भयावह आग की चपेट में आते हैं। ऐसे में अब प्रदेश के समस्त वन प्रभागों में शीतलाखेत मॉडल को लागू किया गया है, जिसने वनाग्नि की रोकथाम की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है।

शीतलाखेत मॉडल से जुड़े पर्यावरण प्रेमी गिरीश चन्द्र शर्मा का कहना है कि "यदि हमें वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाना है तो जल स्त्रोतों, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए वनाग्नि को रोकना बेहद जरूरी है।"

इस मॉडल के प्रमुख स्तंभों में से एक आर.डी. जोशी बताते हैं कि वन विभाग की अधिकांश कार्यवाही आग लगने के बाद होती है, जबकि ज़रूरत है निरोधात्मक उपायों की। वह कहते हैं, "ओण जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित करना एक कारगर कदम है। ग्रामसभा मटीला सूरी में 3 वर्ष पहले 1 अप्रैल को पहला 'ओण दिवस' मनाया गया, जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए।"

ओण दिवस का विचार बेहद व्यावहारिक है—ग्रामवासियों से अपील की जाती है कि वे 31 मार्च तक ओण जलाने की प्रक्रिया पूरी कर लें। इससे अप्रैल से जून के बीच जंगलों में लगने वाली भीषण आग की आशंका को काफी हद तक रोका जा सकता है।

बीते वर्षों के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि समय पर की गई सावधानियों से नुकसान में भारी कमी लाई जा सकती है। उदाहरण के तौर पर:

2023 में वनाग्नि की केवल 773 घटनाएं हुईं, जिससे 933.55 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ।

वहीं 2022 में 2,186 घटनाओं में 3,425 हेक्टेयर,

और 2021 में 2,823 घटनाओं में 3,944 हेक्टेयर जंगल जल गया था।

2019 में भी 2,158 घटनाओं ने 2,981 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नष्ट किया था।

शीतलाखेत मॉडल अब केवल एक प्रयोग नहीं रह गया, बल्कि यह समग्र वन प्रबंधन की एक नीति बनकर उभरा है। प्रदेश सरकार और वन विभाग की पहल से इसे अब सभी वन प्रभागों में लागू किया गया है।

यह न केवल जंगलों को बचाने का रास्ता है, बल्कि समुदायों की सक्रिय भागीदारी से प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम भी है।

03/04/2025

उत्तराखंड:-सोशल मीडिया में उत्तराखंड का एक नदियों में होता खनन का वीडियो जमकर वायरल हो रहा हैं,इस वीडियो को एक स्थानीय द्वारा सूट किया गया हैं,वीडियो के अनुसार श्रीनगर श्रीयंत्र टापू के आसपास का वीडियो बताया जा रहा हैं।

वीडियो में आसानी से देखा जा रहा हैं कि बड़ी बड़ी मशीनों के सहारे नदी के बीच तेज बहाव में बहते पानी में खनन किया जा रहा हैं,जिसके बाद से तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं इस खनन अनुमति को लेकर आ रही हैं,और अब बड़ा प्रश्न यह भी उठता हैं कि क्या उत्तराखंड की राज्य सरकार अब बहती नदियों के बीच भी खुले तौर पर बड़ी बड़ी मशीनों से खनन की अनुमति देने लगी,यदि हां तो किस आधार पर और यदि नहीं तो फिर ये ऐसे खनन करने वाले लोग कौन हैं?

उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों से खनन को लेकर धामी सरकार पर सवाल खड़े हो रहें हैं पूर्व मुख्यमंत्री हरिद्वार सांसद ने संसद में अवैध खनन में शासन प्रशासन की मिली भगत होने की जब से बात कही हैं तब से लगातार सोशल मीडिया में इसे लेकर पोस्ट देखने को मिल रही हैं,सरकार के खनन सचिव ने रिकॉर्ड खनन राजस्व की बात कही हैं।

लेकिन हिमालयी राज्यों से जब इस तरह बहते पानी साफ पानी के बीच जेसीबी से खनन की वीडियो अगर सामने आने लगे तो मुख्यमंत्री धामी ही क्या किसी भी सरकार की खनन नीति और कार्यशैली पर प्रश्न खड़े होना स्वाभाविक हैं,पर्यावरणीय दृष्टि से भी इस तरह से नदियों का चीरा जाना चिंताजनक हैं।

बिग ब्रेकिंग: जिला आबकारी अधिकारी चमोली रहस्यमय तरीके से लापता, प्रशासन में हड़कंपगोपेश्वर: चमोली जिले के जिला आबकारी अध...
03/04/2025

बिग ब्रेकिंग: जिला आबकारी अधिकारी चमोली रहस्यमय तरीके से लापता, प्रशासन में हड़कंप

गोपेश्वर: चमोली जिले के जिला आबकारी अधिकारी दुर्गेश्वर कुमार त्रिपाठी के रहस्यमय तरीके से लापता होने से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। उनके अचानक संपर्क से बाहर हो जाने की सूचना के बाद राजस्व उप निरीक्षक चन्द्र सिंह बुटोला ने थानाध्यक्ष गोपेश्वर को पत्र लिखकर उनकी गुमशुदगी दर्ज करने और तत्काल खोजबीन करने की अपील की है।

जानकारी के अनुसार, 31 मार्च 2025 की सुबह 10 बजे से दुर्गेश्वर त्रिपाठी का मोबाइल स्विच ऑफ है, और वे अपने कुंड कॉलोनी स्थित सरकारी आवास और कार्यालय में भी मौजूद नहीं हैं। खोजबीन के बावजूद अब तक उनके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।

सूत्रों के अनुसार, बीते दिनों जिलाधिकारी और जिला आबकारी अधिकारी के बीच किसी मुद्दे को लेकर मतभेद की खबरें सामने आई थीं। सोशल मीडिया पर भी इस संबंध में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि, प्रशासन ने इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

फिलहाल, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अधिकारी के संभावित ठिकानों की पड़ताल की जा रही है। उनकी गुमशुदगी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिससे पूरे जिले में सनसनी का माहौल है।

चौखुटिया अल्मोड़ा:-उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कल अल्मोड़ा के चौखुटिया में दौरा प्रस्तावित है,इस दौरान ...
03/04/2025

चौखुटिया अल्मोड़ा:-उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कल अल्मोड़ा के चौखुटिया में दौरा प्रस्तावित है,इस दौरान मुख्यमंत्री चौखुटिया में होने वाले चैत्र अष्टमी मेले में प्रतिभाग़ करेंगे वही मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत पिछले 4 दिनों से भूख हड़ताल पर है उनकी मांग हैं कि यूकेडी के नेताओं को रिहा किया जाएं।

हालांकि यूकेडी नेताओं को देहरादून पुलिस द्वारा न्यायालय में पेश कर प्राथमिकी विवेचना के आधार पर 14 दिनों की न्यायायिक हिरासत में लिया हैं,वही यूकेडी नेताओं का आरोप हैं कि क्षेत्रीय दलों के नेताओं को सरकार के आदेश पर दबाव में जबरन गिरफ्तार किया गया हैं।

अब देखना होगा कल चौखुटिया कार्यक्रम में प्रतिभाग करने जा रहें सूबे के मुखिया क्या एक पूर्व सैनिक की भूख हड़ताल की तरफ भी नज़र डालेंगे या अनदेखा करेंगे,क्योंकि स्वयं मुख्यमंत्री भी पूर्व सैनिक के पुत्र हैं ऐसे में स्थानीय निवासियों को मानना हैं सैनिक परिवार से होने के कारण मुख्यमंत्री धामी जरूर भूख हड़ताल पर बैठे भुवन सिंह कठायत की सुध लेने गोदी अवश्य आयेंगे।

31/03/2025

लालकुआं नैनीताल:-उत्तराखंड में इन दिनों खनन की चर्चा अब पूर्व से लेकर वर्तमान सभी नेताओं के बीच होने लगी हैं और यह होना स्वाभाविक भी हैं,क्योंकि यूं तो राज्य में हमेशा से ही अवैध खनन चर्चाओं में बना रहा हैं लेकिन इस बार यह चर्चा इसलिए भी ज्यादा हैं क्योंकि इस बार किसी पत्रकार आम नागरिक किसी विपक्षी नेता ने नहीं बल्कि स्वयं भाजपा के निर्वाचित हरिद्वार सांसद पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा कही गई हैं,चर्चा इसलिए भी हैं क्योंकि उनके द्वारा यह किसी सोशल/मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि देश की संसद में कही गई हैं,उनके द्वारा उत्तराखंड के अलग अलग जनपदों में रातभर अवैध खनन की बात कही गई और इसमें प्रशासन की भी मिलीभगत होने के आरोप लगाए हैं,हालांकि उसके बाद तुरंत ही खनन सचिव द्वारा इसे नकार दिया गया।

लेकिन अब खनन प्रकरण पर भाजपा के ही नेता दो धड़ों में बटते नजर आ रहें हैं जहां एक तरफ हल्द्वानी मंडी परिषद अध्यक्ष ने सीएम धामी का बचाव इस प्रकरण में करने का किया तो फिर उसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी रिकॉर्ड राजस्व की बात करी है,लेकिन अब लालकुआं से भाजपा के पूर्व विधायक नवीन दुमका का बयान भी अब सामने आया हैं।

उन्होंने मीडिया को दिए बयान में गौला नंधौर नदी में अवैध खनन की बात कही हैं,इतना ही नहीं पूर्व विधायक दुमका ने खनन सचिव को भी धरातल पर उतरकर कार्य देखने की नसीहत भी दी हैं,नीचे बयान आप सुन सकते हैं।

अब देखना होगा आखिर किस तरह अब धामी सरकार इस अवैध खनन के आरोपों और उठती राजनीतिक आग को शांत करती हैं,या फिर भाजपा खनन प्रकरण पर दो गुटों में बटेगी।

उत्तराखंड चौखुटिया:- फिर एक बार पूर्व फौजी भुवन सिंह कठायत ने गोदी में भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं,इससे कुछ समय पूर्व ही उ...
31/03/2025

उत्तराखंड चौखुटिया:- फिर एक बार पूर्व फौजी भुवन सिंह कठायत ने गोदी में भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं,इससे कुछ समय पूर्व ही उन्होंने मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल की बर्खास्त करने की मांग को लेकर 7 दिनों की भूख हड़ताल गैरसैंण के रामलीला मैदान में की थी।

पूर्व फौजी द्वारा इस बार चौखुटिया के गोदी में भूख हड़ताल यूकेडी के नेता आशुतोष नेगी और आशीष नेगी को रिहाई की मांग को लेकर की हैं,भुवन सिंह ने मुख्यमंत्री धामी के लिए भूख हड़ताल शुरू करने से पूर्व लिखा कि बीते दिनों देहरादून पुलिस द्वारा अनैतिक तरीके से यूकेडी नेताओं की गंभीर धाराओं में गिरफ्तार करके जेल डाल दिया,क्योंकि वह लगातार पर्वतीय समाज को न्याय दिला रहें थे।

आपको बताते चलें कि बीते दिनों देहरादून पुलिस द्वारा यूकेडी नेताओं को रंगदारी एवं अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर न्यायायिक हिरासत में जेल भेज दिया,जिसके बाद से ही उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता लगातार इस गिरफ्तारी का विरोध कर रहें हैं और इस गिरफ्तारी को षडयंत्र बता रहें हैं,और यूकेडी द्वारा आगामी 8 अप्रैल को न्याय रैली का आव्हान भी देहरादून में किया हैं।

देहरादून:-उत्तराखंड में फिर एक बार पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत राजनीतिक चर्चाओं में बन...
30/03/2025

देहरादून:-उत्तराखंड में फिर एक बार पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत राजनीतिक चर्चाओं में बने हुए हैं और उसका कारण है बीते दिनों देश की संसद में उनके द्वारा उत्तराखंड खनन मामले से जुड़ा वक्तव्य है,क्योंकि उनके द्वारा देश की संसद में बताया गया कि उत्तराखंड में शासन प्रशासन की मिली भगत से रात भर अवैध खनन हो रहा है।
इसके तुरंत बाद ही उत्तराखंड खनन सचिव का बयान सामने आया और उन्होंने उत्तराखंड में खनन से रिकॉर्ड राजस्व होने की बात सामने रखी और पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा देश की संसद में कहे वक्तव्य को अप्रत्यक्ष रूप से गलत करार दे दिया।

इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान सांसद द्वारा अधिकारी को जवाब देते हुए यह कह दिया कि शेर कुत्तों के मुंह नहीं लगता,इसके बाद से ही अधिकारी वर्ग में त्रिवेंद्र सिंह रावत की आलोचना होनी शुरू हो गई है,वहीं दूसरी तरफ खनन को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बचाते नजर आ रहे हैं,फिलहाल उत्तराखंड में हर जगह खनन और खनन सचिव एवं वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री की चर्चा है।

इसी बीच आज IAS एसोसिएशन द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिए बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए प्रस्ताव पारित करें,जिसमें उनका कहना है कि संगठन से जुड़े हुए प्रत्येक सदस्य का आत्मसम्मान की सुरक्षा करना एसोसिएशन की जिम्मेदारी है और इस प्रस्ताव को जल्द ही मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के पास भी भेज रहे हैं।

अब देखना होगा कि उत्तराखंड की राजनीति आने वाले दिनों में किस तरफ करवट लेती है,क्योंकि अवैध खनन की बात इस बार राज्य के भीतर नहीं बल्कि देश की संसद में उठी है और किसी विपक्षी नेताओं द्वारा नहीं बल्कि स्वयं भाजपा द्वारा हरिद्वार से निर्वाचित सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा उठाई गई है।

29/03/2025

हल्द्वानी:-यूकेडी नेताओं की गिरफ्तारी पर बोले सुशील उनियाल,ये उत्तराखंड की लड़ाई हैं,भाजपा युवा मोर्चा को भी देना चाहिए साथ।

उत्तराखंड में बीते दिनों पुलिस द्वारा यूकेडी युवा मोर्चा के नेता आशीष नेगी एवं आशुतोष नेगी को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में डाला हैं उनपर रंगदारी सहित अलग अलग धाराएं लगाईं गई हैं,जिसके बाद से यूकेडी सहित उत्तराखंड के अलग अलग लोग गिरफ्तारी को साजिश बता रहें हैं,और सरकार एवं पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहें हैं।

यूकेडी के इन नेताओं के लिए बागेश्वर में बीते दिनों कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने भी एक ज्ञापन सौंपकर पुलिस कार्यवाही को गलत बताया था और यूकेडी नेताओं की रिहाई की मांग की थी,इस बीच अब यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल ने एक वीडियो सोशल मीडिया में जारी कर भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष से निवेदन किया हैं कि ये उत्तराखंड की लड़ाई हैं उत्तराखंड की आवाज उठाने वाले जेल में हैं,इसलिए भाजपा के युवा मोर्चा को भी साथ देना चाहिए।

वहीं यूकेडी के युवा प्रकोष्ठ ने इस संदर्भ में कल अल्मोड़ा में एक बैठक बुलाई हैं तो वही 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास घेराव का कार्यक्रम भी रखा हैं।

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