01/09/2025
समाज और खुद के लिए घातक होते हैं नार्सीस्सिस्टि
________________________________________
ज़िन्दगी की उपापोह में जहाँ स्वस्थ इंसान भी आज खुद को कई उलझनों फंसा पाता है और मानसिक रूप से थक जाता है, वहीं कई बार मनुष्य कई मानसिक विकार जन्म से लेकर आता हैं और कई बार तो परिस्थितियां भी कई विकारों को जन्म ही नहीं देती वरन पूरे व्यक्तित्व को ही असामान्य बना देती हैं। ऐसे व्यक्तित्व समाज और खुद के लिए भी घातक हो जाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्तित्व विकार NARCISSISTIC यानी आत्ममुग्धता पर आज कुमाऊ के जाने माने मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत से संजय रावत की बातचीत के महत्वपूर्ण अंश...
Q - बदलते जमाने के साथ कई तरह के मनोरोगी देखने को मिलते हैं, जिनमें से एक हैं नार्सीस्सिस्टिक। क्या है ये पर कुछ रौशनी डालिए।
A - आम बोलचाल की भाषा में इसे आत्ममुग्धता कहते हैं। हर व्यक्ति में कुछ विशिष्ट गुण प्रवर्ती होती हैं जो सबको एक दूसरे से अलग बनाती हैं, जिसे हम व्यक्तित्व कहते हैं। कई बार व्यक्तित्व के भीतर कई तरह के विकार उत्पन्न हो सकते हैं व्यक्तित्व विकार या पर्सनालिटी डिसऑर्डर कहते हैं, इन्हीं में से एक है नार्सीस्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर। शॉर्ट फॉर्म में इसे एन बी डी बोलते हैं।
Q - एन पी डी पीड़ित व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान किस तरह होगी।
A - इन व्यक्तियों में अत्यधिक वैभवता, भव्यता, आत्म महत्त्व, दूसरों के प्रति सहानुभूति की कमी, लगातार प्रशंसा पाने की भूख देखने को मिलती है, जब इन्हीं प्रवर्तियों के कारण इनका पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन बुरी तरह प्रभावित होने लगता है तो इसे एन पी डी के रूप में देखा जाता है।
Q - इनके लक्षणों पर थोड़ा विस्तार से बताइए।
A - कई लक्षणों के मालिक होते हैं ये व्यक्तित्व। जैसे स्वयं को श्रेष्ठ, विशेष और अद्वितीय समझना। हर समय असीम सफलता, शक्ति, बुद्धिमान और खूबसूरती की कल्पनाओं में डूबे रहना। उन्हें ऐसा विश्वास रहता है कि वह केवल उच्च स्तरीय या विशेष लोगों के साथ ही जुड़ सकते हैं। हर वख्त लोग उनकी प्रशंसा और गुणगान करें ऐसी लालसा रखते हैं। विशेषाधिकार या बड़े उपाधि धारक कहलाने की भावना रहती और लोग उनके साथ विशेष व्यवहार करें ऐसी अपेक्षा रखते हैं। शोषणकारी प्रवर्ती के होते हैं और सहानुभूति की कमी होती है यानी दूसरों की भावनाओं और जरूरतों की अनदेखी करते हैं। दूसरों से ईर्ष्या करते हैं और यह मानते हैं कि लोग उनसे द्वेष रखते हैं।
Q - यह सारे लक्षण जीवन में कैसे और किस रूप में प्रकट होते होंगे।
A - इनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो इनके गुसैल व्यवहार, सामने वाले से अधिक अपेक्षा करना और सामने वाले पर नियंत्रण की प्रवर्ती इनके पारिवारिक रिश्ते खराब कर देती है। सामाजिक जीवन की बात करें तो, दूसरों को नीचा दिखाना, प्रशंसा की तलब और आलोचना सहन न कर पाना इनके सामाजिक जीवन का हिस्सा रहता हैं। भावनात्मक जीवन में अपने डर और असुरक्षा को छुपाने के लिए यह झूठी श्रेष्ठता का का प्रदर्शन करते हैं और अवसाद तथा चिंता से मुक्त नहीं रहते। व्यावसायिक जीवन में सफलता पाने के लिए दूसरों का उपयोग करते हैं और उनको महत्व भी नहीं देते, सहयोग की भावना या टीम वर्क की तरह काम करना पसंद नहीं होता, मैं और सिर्फ मैं का प्रदर्शन रहता है।
Q - ऐसा व्यक्तित्व होने होने के पीछे कुछ कारण तो होते ही होंगे।
A - हाँ क्यों नहीं होते। तीन तरह के कारण हैं। पहला बायोलॉजिकल कारण में है मस्तिष्क के किसी हिस्से में असमानता हो सकती है, अनुवंशिकता हो सकती है और मस्तिष्क में रासायनिक सन्देश वाहक डोपामाईन और सेरोटोनिन के बीच असंतुलन होना हो सकता है। दूसरे कारण साइकोलॉजिकल में है कि बचपन में ज्यादा लाड़ प्यार या प्रशंसा, बचपन में उपेक्षा, अपमान, तिरस्कार, आत्मसम्मान को ठेस पहुंचना, और अनुशासन की कमी हो सकता है। तीसरा कारण है सामाजिक, जहाँ प्रतिस्पर्धा, अपने समाज और संस्कृति को सर्वोच्च मानना और सोशियल मिडिया का प्रभाव भी हो सकता है।
Q - इसके तो दुष्प्रभाव भी भयानकन होते होंगे।
A - जरूर, होते ही हैं। रिश्ते टूटते हैं, परिवार से दूरी और कलह। सहकर्मियों के साथ टकराव, कैरियर प्रभावित होता है। सबसे बड़ी बात यह कि ये खुद को कभी बीमार नहीं मानते हैं।
Q - इनका कोई उपचार नहीं हो सकता है क्या।
A - फिजिओथेरेपी में CBT और फैमिली थेरेपी होती है। एन पी डी में कोई निश्चित दवा नहीं है फिर भी दी जा सकती है, बांकी सामाजिक पारिवारिक सहयोग के यह होना जरुरी है कि जहाँ यह व्यक्ति रहता है उसके नजदीकियों को एन पी डी की जागरूकता जरुरी है।
Q - इसकी रोकथाम / प्रबंधन के लिए क्या किया जा सकता है।
A- बच्चों को संतुलित अनुशासन / प्रेम दें। अत्यधिक प्रशांसा / आलोचना से बचाव। सहयोग, सहानुभूति जैसे सामाजिक मूल्यों को प्रोत्साहित करें और जरुरत पड़ने पर मानसिक स्वस्थ्य सलाहाकार के मदद लें ।