Divine Love of Neem Karoli Baba

Divine Love of Neem Karoli Baba His wisdom fills a positive attitude.
(2)

नीम करोली महाराज के अद्भुत चमत्कारों, शिक्षाओं एवं शक्तियों के विषय में रुचि रखने मात्र से होता है जीवन परिवर्तित। here I aim to share the Teachings, Stories of Miracles & Divine Love of Baba Ji towards his devotees.

*तुलसीदासजी को वृन्दावन में राम दर्शन*तुलसीदास जी जब वृन्दावन आये। तुलसीदास जी जानते थे राम ही कृष्ण हैऔर कृष्ण ही राम ह...
30/10/2025

*तुलसीदासजी को वृन्दावन में राम दर्शन*
तुलसीदास जी जब वृन्दावन आये। तुलसीदास जी जानते थे राम ही कृष्ण हैऔर कृष्ण ही राम है। वृन्दावन में सभी भक्त जन राधे-राधे बोलते है। तुलसीदास जी सोच रहे है कोई तो राम राम कहेगा। लेकिन कोई नही बोलता। जहाँ से देखो सिर्फ एक आवाज राधे राधे। श्री राधे-श्री राधे।

क्या यहाँ राम जी से बैर है लोगो का। देखिये तब कितना सुन्दर उनके मुख से निकला-

*वृन्दावन ब्रजभूमि में कहाँ राम सो बेर*
*राधा राधा रटत हैं आक ढ़ाक अरू खैर।*

जब तुलसीदास ज्ञानगुदड़ी में विराजमान श्रीमदनमोहन जी का दर्शन कर रहे थे। श्रीनाभाजी एवं अनेक वैष्णव इनके साथ में थे।
इन्होंने जब श्रीमदनमोहन जी को दण्डवत प्रणाम किया तो परशुरामदास नाम के पुजारी ने व्यंग किया-

*अपने अपने इष्टको, नमन करे सब कोय।*
*बिना इष्ट के परशुराम नवै सो मूरख होय।।*

श्रीगोस्वामीजी के मन में श्रीराम—कृष्ण में कोई भेदभाव नहीं था, परन्तु पुजारी के कटाक्ष के कारण आपने हाथ जोड़कर श्रीठाकुरजी से कहा। हे ठाकुर जी! हे राम जी! मैं जनता हूँ की आप ही राम हो आप ही कृष्ण हो लेकिन आज आपके भक्त में मन में भेद आ गया है।

*आपको राम बनने में कितनी देर लगेगी आप राम बन जाइये ना!*

*कहा कहों छवि आज की, भले बने हो नाथ।*
*तुलसी मस्तक नवत है, धनुष बाण लो हाथ।।*

*ये मन की बात बिहारी जी जान गए और फिर देखिये क्या हुआ-*

*कित मुरली कित चन्द्रिका, कित गोपिन के साथ।*
*अपने जन के कारणे, कृष्ण भये रघुनाथ।।*

देखिये कहाँ तो कृष्ण जी बांसुरी लेके खड़े होते है गोपियों और श्री राधा रानी के साथ लेकिन आज भक्त की पुकार पर कृष्ण जी साक्षात् रघुनाथ बन गए है। और हाथ में धनुष बाण ले लिए है।

*श्री राम चन्द्र महाराज की जय।*
*श्री कृष्ण जी महाराज की जय।*

कभी-कभी संतों की लीला इतनी रहस्यमयी होती है कि उसे समझना मानव बुद्धि के परे है। ऐसी ही एक अलौकिक घटना जुड़ी है बाबा नीम ...
29/10/2025

कभी-कभी संतों की लीला इतनी रहस्यमयी होती है कि उसे समझना मानव बुद्धि के परे है। ऐसी ही एक अलौकिक घटना जुड़ी है बाबा नीम करोली महाराज और पुलिस दारोगा नासिर अली से।

एक दिन बाबा जी लावारिस-से घूमते हुए मिले, तो सिपाहियों ने उन्हें दफा 106 के तहत थाने में बंद कर दिया। रात में हवालात में तैनात सिपाही भयभीत हो उठे—क्योंकि बाबा जी ताले से बाहर आते-जाते रहे, कभी पेशाब करने, कभी छत पर टहलने! दरवाजे बंद, ताले लगे, फिर भी बाबा जी स्वतंत्र थे। सिपाही काँपते रहे, खैर मनाते रहे।

सुबह दारोगा नासिर अली को जब यह बताया गया, तो वे समझ गए कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं, कोई पहुँचे हुए फकीर हैं। उन्होंने क्षमा माँगी, बाबा जी को घर ले आए, स्नान करवा कर प्रसाद खिलाया। लेकिन बाबा जी तो लीला पुरुष थे—शाम को दिशा मैदान का बहाना कर अदृश्य हो गए। नासिर अली ने अपने दो बेटे पीछे लगा दिए, पर बाबा जी कहाँ पकड़ में आते!

कुछ समय बाद बाबा जी डीआईजी ओंकार सिंह की गाड़ी में लखनऊ के हजरतगंज से गुजर रहे थे। अचानक बोले—"तूने अभी तक नासिर अली को बहाल नहीं किया?" ओंकार सिंह चौंके, बोले—"हो गया हुजूर!" बाबा जी मुस्कराए, बोले—"कैसे हो गया? तू तो अभी यहीं है!" ओंकार सिंह ने सिर झुका लिया—"आपने हुक्म कर दिया, सो हो गया।"

बाबा जी फिर बोले—"हमें नासिर अली की याद कैसे आ गई?" शायद इसलिए कि नासिर अली उनके पूर्व जन्म के परिकर रहे हों, और उस समय अपने अल्लाह से दुआ माँग रहे हों!

बाबा जी ने स्वयं को दफा 106 में बंद करवा कर अपने भक्त को पुनः दर्शन दिए। नासिर अली ने यह कथा स्वयं लखनऊ में सुनाई, बाबा जी के मना करने पर भी।

और तब से, जब भी नासिर अली पर कोई मुसीबत आती, वे दिन भर फाका करते, शाम को वजू कर इबादत वाले कमरे में ध्यान करते। और बाबा जी बिना दरवाजा-खिड़की खोले प्रकट हो जाते, उनकी परेशानी दूर करते और फिर चले जाते।

बाबा जी इस दया की गाथा को सिर झुकाकर सुनते रहे, बिना किसी प्रतिवाद के।

एक अमेरिकी महिला पहली बार अपने देशवासियों के साथ जब बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन के लिए कैंची आश्रम पहुँची, तो वह इतनी...
28/10/2025

एक अमेरिकी महिला पहली बार अपने देशवासियों के साथ जब बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन के लिए कैंची आश्रम पहुँची, तो वह इतनी प्रभावित हुई कि अफसोस करने लगी – “काश! मैं अपने पति को भी साथ लाई होती।”

वह विशेष रूप से अमेरिका वापस गई और अपने पति को लेकर पुनः बाबा के चरणों में आई।
परंतु… उसका पति यह देखकर असहज हो गया कि विदेशी भक्त इतने समर्पण से बाबा के चरणों में सिर झुका रहे हैं। अपनी पत्नी को ऐसा करते देख उसका हृदय और भी क्षुब्ध हो उठा।

सात दिनों तक वह पत्नी के साथ कैंची आश्रम आता-जाता रहा, परंतु भीतर ही भीतर विरोध और खिन्नता बढ़ती रही। बाबा ने भी मानो उसे जान-बूझकर अनदेखा किया।
आख़िरकार उसने सोच लिया – “मैं पत्नी को यहीं छोड़कर अमेरिका लौट जाऊँगा।”

अगले दिन उसने कैंची न जाकर नैनीताल की झील के किनारे अकेले बैठकर चिंतन करना शुरू किया।

भले ही वह आस्तिक नहीं था, लेकिन उस क्षण वह ईश्वर से संवाद करने लगा –
“हे प्रभु! मैं यहाँ क्यों आया हूँ? यह व्यक्ति कौन है जिसे लोग इतना पूजते हैं? यदि आप हैं, तो मुझे कोई चमत्कार दिखाइए।”

अगले दिन पत्नी के आग्रह पर विदाई लेने वह कैंची आश्रम पहुँचा। जैसे ही वह बाबा के तख्त के सामने बैठा, वहाँ रखे सेबों में से एक लुढ़ककर नीचे चला गया। वह सेब उठाने को झुका ही था कि अचानक बाबा राधाकृष्ण मंदिर से बाहर आकर तख्त पर ऐसे बैठे कि उसके हाथ और सिर दोनों बाबा के चरणों तले दब गए।
वह स्थिति अपने आप दंडवत प्रणाम जैसी बन गई — ठीक वही, जिससे वह अब तक घृणा करता था!

बाबा ने मुस्कुराते हुए उससे प्रश्न किए —
“झील पर क्या कर रहा था? घुड़सवारी? नाव? तैराकी?... या ईश्वर को याद कर रहा था?”
वह स्तब्ध हो गया! ये वही बातें थीं जो उसने कल झील किनारे मन ही मन ईश्वर से कही थीं।

उसका हृदय टूटकर पिघल गया। वह बच्चे की तरह फूट-फूटकर रोने लगा।
बाबा ने स्नेह से उसकी दाढ़ी में हाथ फेरते हुए कहा –
“बता, तूने ईश्वर से क्या माँगा था?”

उसी क्षण उसका हृदय बदल गया। उसे अनुभव हुआ कि बाबा सर्वद्रष्टा हैं, सर्वज्ञ हैं, और उनकी करुणा असीम है।
वह समझ गया कि यही कारण है कि एक बार जिसने बाबा को पहचान लिया, वह कभी उन्हें छोड़ नहीं सकता।

रहस्यदर्शी बाबा नीम करोली महाराज
सीताराम 🙏🏻🙏🏻

श्री ओंकार सिंह जी एस. एस.पी , और श्री किशनचन्द्र कानपुर के कलेक्टर थे। एक बार जब कानपुर में गंगा जी में भीषण बाढ़ आयी थ...
27/10/2025

श्री ओंकार सिंह जी एस. एस.पी , और श्री किशनचन्द्र कानपुर के कलेक्टर थे। एक बार जब कानपुर में गंगा जी में भीषण बाढ़ आयी थी। दोनों अफ़सर अपने लोगों के साथ नाव में बैठकर मुआयना करने निकल पड़े। तभी बीच धार में जा कर पता चला कि नाव में छेद हो गया और पानी भरना शुरू हो गया। सब घबरा गये। अब तो मृत्यु निश्चित रूप से सामने आ गयी थी। तभी ओंकार सिंह जी पागलो की तरह चिल्ला उठे ," अरे गये हम। बचाओ महाराजजी।"
तभी एक बहुत बड़ा तने वाला पेड़ जड सहित उनके निकट आ गया। आनन फानन दोनों अफ़सर और बाक़ी कर्मचारी कूदकर पेड़ की शाखाओं को पकड़ते पेड़ पर चढ़ गये। देखते देखते नाव पानी में डप डूब गयी।
ऊँची लहरों से और तेज़ हवा से अब पेड़ कभी उन्नाव की तरफ़ जाये तो कभी कानपूर की तरफ। लेकिन बाबा की कृपा से तेज़ हवा और ऊँची लहरों से भी पेड़ न डगमगाया, न करवट ली और न ही उलटा। ओंकार सिंह जी बराबर बाबा को याद करते रहे। बाबा की कृपा से कुछ ही देर में पेड़ कानपुर के किनारे में बालू पर आकर अटक सा गया। सब के सब किनारे पर कूद गये।
बाबा जी ने आयी मृत्यु को टाल दिया, एक भक्त की पुकार ने सबको बचा लिया ।

जय बाबा नीम करोली महाराज
अन्नंत कथामृत

भगवान दास ने अपनी किताबों में एक प्रसंग का उल्लेख किया है जब वे बाबा नीम करोली बाबा जी के पास किसी निजी संकट या चिंता को...
26/10/2025

भगवान दास ने अपनी किताबों में एक प्रसंग का उल्लेख किया है जब वे बाबा नीम करोली बाबा जी के पास किसी निजी संकट या चिंता को लेकर पहुँचे थे।

उस समय उनका मन बहुत व्यथित था, और वे समाधान की आशा में बाबा जी के चरणों में पहुँचे। जब वे बाबा जी से मिलने पहुँचे, तो बाबा जी पहले से ही उनकी मनःस्थिति जान गए थे।

उन्होंने बिना कुछ पूछे ही कहा, सब भगवान की इच्छा है। चिंता मत करो, जो हो रहा है वो तुम्हारे भले के लिए है। भगवान दास चकित रह गए क्योंकि उन्होंने अपनी समस्या के बारे में बाबा जी को कुछ बताया ही नहीं था।

इसके बाद बाबा जी ने उन्हें कुछ फल और प्रसाद दिया और मुस्कराते हुए बोले, तुम्हें लगता है तुम सब कर रहे हो, लेकिन करने वाला कोई और है।

जब यह समझ आ जाएगी, तब तुम्हारा बोझ हल्का हो जाएगा।भगवान दास लिखते हैं कि इस एक मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

उन्होंने आत्मसमर्पण और श्रद्धा की भावना को गहराई से समझा और अनुभव किया कि बाबा जी केवल एक साधु नहीं, बल्कि परब्रह्म के प्रतीक हैं, जो हर भक्त के मन की बात बिना कहे जान लेते हैं।

रहस्यदर्शी बाबा नीम करोली महाराज
अलौकिक यथार्थ

रहस्यदर्शी बाबा नीम करोली महाराज का हाथ सिर पर बना रहे।ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्र...
25/10/2025

रहस्यदर्शी बाबा नीम करोली महाराज का हाथ सिर पर बना रहे।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

*ऊँ शनिदेवाय नम:*

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