Kalpesh Patel office

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गामा ओरिज़नोल के अनेकों फायदों पर लोगों द्वारा भेजे जा रहे टेस्टीमोनिअल्स को देखें, इस पीडीऍफ़ के प्रत्येक फोटो पर क्लिक करके आप विडिओ को देख सकते https://drive.google.com/file/d/1CSP3NdgwiF65-SfSm9JXSQA5r1gKqohy/view?usp=drivesdk👌👆🙏 Nutricharge Slim & Fit - Herbal Formulation to Reduce Weight
न्यूट्रीचार्ज एस और एफ से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न १. न्यूट्रीचार्ज एस और एफ क्या है?

्यूट्रीचार्ज एस और एफ एक प्रकार का कासपलाईमेंट है जो आपके शरीर में कम है। विज़र्ड विज़र्ड्स का एक साइंटिफिक तरीका है। इस प्रकार के वैक्युअल्स ऐसे हैं जो आपके विजेट्स के साथ हैं।

प्रश्न २. न्यूट्रीचार्ज एस और एफ के क्या फायदे हैं?

न्यूट्रीचार्ज एस और एफ.

वसीयतनामा।
यह सुरक्षा में मदद करता है।
यह सही है।
यह ऊर्जा क्षमता है।
यह मीडिया की गतिविधियों को भी कम करता है।
यह अधिक प्रभावी है।
इसके
प्रश्न ३. हमें न्यूट्रीचार्ज एस और एफ कहां मिलता है?

यह आरसीएम पिक उपसंपसं पर सक्षम हो सकता है।

प्रश्न ४. क्या Nutricharge S और F को लेने से कोई दुष्प्रभाव होता है?

जी , न्यूट्रीचार्ज एस और एफ को कोई भी दोष नहीं है। इस को विज़र्ड्स कम का एक सा इंटरनेट तरीका है। कुछ समय के लिए यह अच्छा है।

प्रश्न ५. हम न्यूट्रीचार्ज एस और एफ का सेवन कैसे करते हैं?

पानी के साथ अच्छी तरह से लैट कर सकते हैं। I

10/01/2025
कैविगो दंत मंजनउत्पाद विवरणदांतों का स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। आम तौर पर, अपने मुंह ...
27/10/2024

कैविगो दंत मंजन

उत्पाद विवरण

दांतों का स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। आम तौर पर, अपने मुंह को साफ रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार दांतों को ब्रश करने की सलाह दी जाती है। दांतों को कई बीमारियों से बचाने के लिए एक बेहतरीन ओरल केयर उत्पाद चुनना ज़रूरी हो जाता है। कैविगो दंत मंजन एक आयुर्वेदिक टूथ पाउडर है, जो दांतों के स्वास्थ्य के लिए अपनी अलग पहचान रखता है।

कैविगो दंत मंजन दांतों और मसूड़ों की देखभाल के लिए आयुर्वेद द्वारा सुझाई गई विभिन्न जड़ी-बूटियों का एक शक्तिशाली, असाधारण मिश्रण है। इसे मौलश्री छाल (मिमुसोप्स एलेंगी लिन), बबूल छाल (अकेशिया अरेबिका विल्ड), नीम पत्र (अज़ादिराच्टा इंडिका), माजुफल (क्वेरकस इंफेक्टोरिया), अकरकरा (एनासाइक्लस पाइरेथ्रम), सौंठ (ज़िंगिबर ऑफ़िसिनेल), काली मिर्च (पाइपर निग्रम लिन) को मिलाकर तैयार किया जाता है। पीपल (पाइपर लोंगम लिन), डाल्चिनी (सिनामोमम ज़ेलेनिकम ब्लूम), लौंग (कैरियोफिलस एरोमैटिकस लिन), बड़ी इलाइची (अमोमम सुब्लैटम रॉक्सब), बायबिडांग (एम्बेलिया रिब्स)। हरद चिल्का (टर्मिनलिया चेबुला), बहेड़ा (टर्मिनलिया बेलिरिका रॉक्सब)। आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनालिस), फिटकारी (एल्युमिनियम सल्फेट), चमेली के पत्ते (जैस्मीनम ग्रैंडिफ्लोरम लिन), काला नमक (उनाक्वा सोडी क्लोराइड), सेंधा नमक (सोडी क्लोरिडम), पुदीना सत्व (मेंथा पिपेरिटा) अजोवन सत्व (फाइकोटिस अजोवन), और कपूर (कैम्फोरा ऑफिसिनारम)। ये सभी प्राकृतिक सामग्रियां अपने प्राकृतिक उपचार और बेजोड़ गुणों के लिए जानी जाती हैं, जो कैविगो दंत मंजन को आपको दांतों की किसी भी चिंता से मुक्त रखने के लिए एक आदर्श टूथ पाउडर बनाती है।

कैविगो दंत मंजन का उपयोग करने से आपके दांत किसी भी अन्य विकल्प की तुलना में बेहतर तरीके से मजबूत और चमकदार रहते हैं। यह कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता है और दांतों को कैविटी से बचाता है, और सांसों को तरोताजा करता है। मजबूत दांतों के लिए यह पहले से ही ज्ञात है कि दांतों को अंदर से बरकरार रखने के लिए मसूड़ों का स्वस्थ होना जरूरी है, कैविगो दंत मंजन से नियमित मालिश करने से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं और आपको मसूड़ों से खून बहने जैसे लक्षणों से बचाता है। दांत दर्द के मामले में, यह तुरंत दांत दर्द से राहत देने वाला काम करता है।

अपने परिवार के लिए कैविगो दंत मंजन चुनें ताकि लंबे समय तक मजबूत और चमकदार दांत बने रहें। भोजन के सेवन के बाद या कम से कम दिन में दो बार उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

मुख्य विशेषताएं:

22 प्राकृतिक अवयवों से भरपूर दंत चिकित्सा देखभाल के लिए एक आयुर्वेदिक दंत मंजन।

दांतों को कैविटी, प्लेग, टार्टर आदि से बचाता है।

खाद्य मलबे को हटाने में सहायक।

मसूड़ों को स्वस्थ बनाए रखता है।

एंटीबैक्टीरियल और एनाल्जेसिक गुणों के लिए जाना जाता है,

दांतों के दर्द को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मसूड़ों से खून बहने को नियंत्रित करता है, संवेदनशीलता को सामान्य करता है।

मजबूत और चमकदार दांत बनाए रखने में मदद करता है।

यह दुर्गंधयुक्त सांसों को नियंत्रित करता है और लम्बे समय तक ताजगी प्रदान करता है।
#आयुर्वेदिक #दांतोंकीदेखभाल #स्वस्थमुंह #दांतोंकाइलाज #आयुर्वेदिकउत्पाद #प्राकृतिकउत्पाद #स्वस्थमुंह
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22/10/2024

Capsule no.2
क्या आप जानना चाहेंगे कि आरसीएम नए भारत के निर्माण में किस प्रकार योगदान दे रहा है? आरसीएम के तीन मुख्य उद्देश्य किसी भी व्यक्ति के जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करने का रहस्य छुपाते हैं। एक ऐसे भारत की कल्पना करें जहां करोड़ों लोग स्वस्थ, हर दृष्टि से समृद्ध और मूल्यों के साथ अपना जीवन जी रहे हों। वे इस समाज में अलग दिखेंगे और हर कोई उनके जैसा बनना चाहेगा।
आरसीएम में स्वास्थ्य देखभाल पर हर दृष्टिकोण से काम किया जाता है। आइये इसे एक वीडियो के माध्यम से देखते हैं। कैप्सूल 2 आरसीएम ने हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले लगभग सभी उत्पादों का निर्माण इस प्रकार किया है कि वे हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रोडक्ट्स के बारे में.

स्वास्थ्य रक्षा।
नए भारत के निर्माण में आरसीएम का योगदान कैसे दिया जाता है, यह जानने के लिए आरसीएम के तीन मुख्य उद्यमों में से किसी भी व्यक्ति के जीवन में संपूर्ण सफलता प्राप्त करने का राज छिपा है। कल्पना कीजिए कि भारत की जहां असंख्य लोग अपने जीवन को स्वस्थ, दृष्टि से समृद्ध और मूल्य के साथ अपना जीवन जी रहे हैं वो इस समाज में अलग ही नजर आएंगे और हर कोई उनके जैसा ही रूखा-सूखा होगा।
आरसीएम में स्वास्थ्य सेवा पर हर अधिकारी से काम लिया जाता है। आइए इसे वीडियो के माध्यम से देखें।
आरसीएम ने हमारे जीवन में प्रतिदिन काम करने वाले लगभग सभी उत्पादों का निर्माण इस तरह से किया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हो। आइए जानते हैं अगले कैप्सूल के बारे में कुछ प्रोडक्ट्स के बारे में....

गुडडॉट अनमटन कीमा पारंपरिक कीमा का एक पौधा-आधारित संस्करण है। यह आज तक का सबसे अच्छा कीमा है और इसकी बनावट असली कीमा जैस...
16/10/2024

गुडडॉट अनमटन कीमा पारंपरिक कीमा का एक पौधा-आधारित संस्करण है। यह आज तक का सबसे अच्छा कीमा है और इसकी बनावट असली कीमा जैसी है। इस अद्भुत किट में सभी आवश्यक सामग्री शामिल हैं।
इससे ज्यादा और क्या?
इस उत्पाद को रेफ्रिजरेशन की आवश्यकता नहीं है और इसमें कोई संरक्षक नहीं है और इसकी शेल्फ लाइफ 12 महीने है! अगर आप देखना चाहते हैं कि पौधे आधारित मांस उत्पादों में कितना विकास हुआ है, तो कृपया GoodDot वेबसाइट से तुरंत ऑर्डर करें!
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Divyaroma Ananda Premium Dhoop Sticks
13/10/2024

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Divyaroma Chandan Agarbatti
13/10/2024

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Divyaroma Desi Gulab Agarbatti
13/10/2024

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Divyaroma mogra Agarbatti,
13/10/2024

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10/10/2024
09/10/2024

👧👩‍🦰हमारी बेटियों और महिलाओं के लिए 50 पोषक तत्वों वाला एक उत्तम डेली मल्टी-विटामिन मिनरल सप्लीमेंट - न्यूट्रीचार्ज वुमन. आज ही से लेना शुरू करें!!🗓️🩸

हल्दी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाजहल्दी दाल व सब्जी का रंग पीला करता है और भोजन को स्वादिष्ट भी बनाता है। हल...
26/09/2024

हल्दी के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज

हल्दी दाल व सब्जी का रंग पीला करता है और भोजन को स्वादिष्ट भी बनाता है। हल्दी 2 प्रकार की होती है। एक लौहे जैसी सख्त दूसरी नर्म व सुगन्धित जोकि मसाले में काम आती है। एक ऐसी भी हल्दी होती है जोकि सिर्फ जंगलों में पाई जाती है जिसे हम आंबा हल्दी भी कहते हैं इसका उपयोग हम मसालों में नहीं करते लेकिन यह खून की खराबी और खुजली को मिटाता है।

हल्दी के पौधे जमीन के ऊपर हरे-हरे दिखाई देते हैं। इसके पौधे 2 या 3 फुट ऊंचे होते हैं और पत्ते केले के पत्ते के समान होते हैं। हल्दी की गांठों को जमीन से खोदकर निकाला जाता है और फिर हल्दी को साफ करके मटके में रखकर ऊपर से उसका मुंह बंद करके और आग की धीमी आंच पर पकाया जाता है जिससे इसकी कच्ची गन्ध दूर की जाती है और फिर इसे सुखाकर बेचा जाता है।

हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो चाहे वह गर्भवती महिला ही क्यों न हो। यह शरीर से खून की गंदगी को दूर करती है और रंग को साफ करती है। हल्दी वात, पित्त और कफ व अन्य रोगों को खत्म करती है। अगर खांसी हो तो हल्दी को गर्म दूध में डालकर पीते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाती है। हल्दी से कपड़ों को रंगा भी जाता है। हल्दी और चूने को आपस में मिलाकर कुंकुम बनाया जाता है। इससे मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। यहां तक कि पुराने जमाने के गुरू, आचार्य और वैद्य तो इसे `मेहहनी´ के नाम से विभूषित करते थे।

हल्दी कडुवी, तीखी, सूखी, गर्म, रूखी और शरीर के रंग को साफ बनाने वाली होती है। यह पित्त, त्वचा के रोग, मधुमेह, खून के रोग, सूजन, पीलिया, कुष्ठ, विष और पेट के कीड़े आदि रोगों को खत्म करती है।

हल्दी में वातनाशक गुण होता है इसलिए ठंड से होने वाली वात नाड़ी के जलन पर हल्दी खाने के लिए दी जाती है।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

हल्दी का अधिक मात्रा में उपयोग हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है।

विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

हड्डी के टूटने पर:

हड्डी के टूटने पर रोज हल्दी का सेवन करने से लाभ मिलता है। एक प्याज को पीसकर एक चम्मच हल्दी मिलाकर कपड़े में बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और इससे फिर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांध दें।
हड्डी टूटने पर हल्दी का रोज सेवन करने से लाभ होता है।
हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर लगाकर एक बार की टूटी हड्डी तो जल्द ही ठीक हो जाती है मगर जो हड्डी बार-बार टूटी हो उसमें जगह बनने से पानी जमने, सड़ने की संभावना हो सकती है। पिसी हुई हल्दी 1 छोटी चम्मच, एक चम्मच-भर पुराना गुड़ जोकि 1 साल पुराना हो और देशी घी 2 चम्मच-भर लेकर तीनों को 1 कप पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते पानी आधा ही रह जाये, तब इसे थोड़ा ठण्डाकर पी जायें। इस प्रयोग को केवल 15 दिन से 6 महीने तक करने से लाभ नज़र आ जायेगा।
दांत दर्द:

हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाकर रोज मंजन करें। इससे दांत मजबूत बनेंगे।
हल्दी को आग पर भूनकर बारीक पीस लें। इससे उस दांत को मले जिसमें दर्द हो, इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं। केवल हल्दी का टुकड़ा दांतों के बीच दबाने से भी लाभ पहुंचता है।
हल्दी और हींग दोनों को पीसकर जरा-सा पानी डालकर गोली बना लें और जिस दांत में दर्द हो उसके नीचे इसे दबा लें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है।
नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों व मसूढ़ों पर दिन में 2 से 3 बार मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं एवं दर्द दूर होता है।
गर्भ निरोध:

हल्दी की गांठे पीसकर कपड़े में छान लें। फिर इसे 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें। गर्भ निरोध का यह सबसे सस्ता उपाय है।

गैस:

पेट में जब गैस भर जाती है तो बहुत दर्द होता है। ऐसी स्थित में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी से लें।
हल्दी और सेंधानमक को पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
घाव में कीड़े:

घाव पर पिसी हुई हल्दी लगाने से ही घाव के कीड़े मर जाते हैं और घाव भी जल्द भर जाता है।

घबराहट:

घबराहट हो तो हल्दी और नमक को गर्म पानी में घोलकर पियें और खांसी अगर पुरानी हो तो हल्दी के 4-चम्मच हल्दी में आधा चम्मच शहद मिलाकर खाएं।

कफ:

आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध के संग लेने से कफ निकल जाता है।
कफ (बलगम) जम जाने के कारण सांस लेने मे छाती कांपती हो तो गाय के मूत्र में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।
श्लेश्मा, रेशा गिरता हो तो आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध से लेना चाहिए।
जुकाम, दमा में कफ (बलगम) गिरता हो तो रोज तीन बार 2 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लेना चाहिए।
जलन:

हल्दी को पानी में घोलकर जले हुए स्थान पर लेप लगायें सूखने पर बार-बार लेप करें इस प्रयोग से जले हुए में लाभ होता है।

स्तनों में सूजन या गांठ:

हल्दी पाउडर को ग्वारपाठे के रस में मिलाकर व उसे गर्म करके स्तनों पर लेप करें इससे स्तनों की सूजन व गांठों में लाभ पहुंचेगा।

स्तनों में दर्द:

हल्दी की गांठ को पानी में घिसे और स्तनों में लेप करें। इससे स्तनों का दर्द दूर हो जाता है।

कण्ठमाला (गले की गांठे):

8 ग्राम हल्दी की फंकी सुबह-शाम दो बार कम से कम जरूर लें।
हल्दी की गांठ को पत्थर पर घिसकर लगाएं। इसे कुछ दिनों लगातार प्रयोग करें। इसे गले की गांठे ठीक हो जाती हैं।
8 ग्राम हल्दी की फंकी रोजाना सुबह और शाम दो बार लेने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाता है।
दाद:

दाद पर दिन में 3-बार और रात को सोते समय हल्दी का लेप करने से दाद ठीक हो जाता है।

खुजली:

शरीर के पीले रंग के दाने जिसमें मवाद भरी हो और उनमें खुजली हो तो, एक चम्मच हल्दी, एक कप गर्म दूध, चौथाई चम्मच देशी घी, स्वाद के लिए शक्कर डालकर सुबह शाम पियें।
250 मिलीलीटर सरसों के तेल में दूब का रस 500 मिलीलीटर, 250 ग्राम हल्दी को पीसकर सबको लोहे की कड़ाही में डालकर मिला लें तथा गर्म करें। जब उबलने लगे तो उसे छानकर बोतल में भर लें और खुजली होने पर इसे लगाकर मलें। इससे खुजली कुछ दिनों में ठीक हो जायेगी।
शरीर पर काले दाग धब्बे:

हल्दी की गांठों को पानी में घिसकर लेप करना चाहिए।

जुकाम या दमा:

कफ गिरता हो तो रोज तीन बार 3 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लें। जुकाम होने पर हल्दी को आग पर डालकर उसका धुंआ सूंघने से ठीक हो जाता है। हल्दी को बालू में सेंककर पीसकर एक चम्मच की मात्रा में दो बार पानी से लें। हल्दी हर प्रकार के सांस रोग में फायदेमंद है।
ठंड लगने से अगर जुकाम हुआ है तो एक चम्मच हल्दी को एक कप गर्म दूध के साथ सेवन करने से जुकाम नष्ट हो जाता है।
हल्दी की गांठ को हल्का पानी डालकर पीसे उसे गर्म करके माथे पर लगायें यह जुकाम में फायदा करेगा।
गर्म दूध में हल्दी, नमक और गुड़ डालकर बच्चों को पिलायें। इससे कफ व जुकाम में फायदा होगा।
जोंक के काटने पर खून बहना:

जोंक के काटे स्थान से अगर खून बहे तो सूखी पिसी हल्दी भर दें। इससे खून बहना जल्द ही बंद जाता है और कुछ ही दिनों में काटा हुआ स्थान भर जाता है।

सूजाक:

8-8 ग्राम पिसी हुई हल्दी की फंकी पानी से दिन में 3-बार लेना चाहिए।

मुंह के छाले:

15 ग्राम पिसी हुई हल्दी, 1 किलो पानी में उबालें। उस पानी से रोजाना सुबह-शाम गरारे करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।

बच्चे के जन्म के समय मां की तकलीफ में:

6-ग्राम पिसी हुई हल्दी गर्म दूध में मिलाकर सुबह-शाम गर्भ के 9वें माह में कुछ दिन पिलाएं।

अनचाहे बालों का उगना:

अगर शरीर में कही भी अनचाहे बाल उगे हो तो हल्दी का लेप लगायें।

चेचक:

हल्दी और इमली के बीज समान मात्रा में पीसकर चुटकी भर प्रतिदिन 7 दिनों तक लेने से माता (चेचक) नहीं निकलती है। चेचक के निकलने पर इमली के बीज का चूर्ण हल्दी में मिलाकर लेने से चेचक जल्द ही ठीक हो जाता है। चेचक के दानों में अगर घाव हो जाये तो पान के कत्थे को हल्दी के संग सूखा ही छिड़के तो वह ठीक हो जायेगा।
10 ग्राम हल्दी, 5 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम मिश्री का बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। फिर तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर उसके साथ इस चूर्ण को रोजाना सुबह-सुबह खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
हल्दी को पानी में मिलाकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है।
सौन्दर्यवर्धक:

पिसी हुई हल्दी, चंदन का बुरादा, पिसे हुए हरे नीम के पत्ते प्रत्येक 2-2 चम्मच में लेकर मिला लें और चेहरे पर मलें। इससे चेहरा चमक उठेगा और इस प्रयोग से चेहरे के कील मुंहासें, दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे। कुछ हफ्ते लगातार इसे मलने से चेहरे का रंग भी साफ हो जाता है।
रात के समय 5 बादाम भिगो लें, फिर इसे सुबह के समय छीलकर पीस लें और इसमें 1 चम्मच हल्दी और 4 चम्मच दही मिलाकर अच्छी तरह मिला लें और चेहरे पर लगायें इससे चेहरा साफ हो जायेगा।
चुटकी भर हल्दी, बेसन तथा सरसों का तेल मिलाकर लेप बनायें उसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर चेहरे पर मलें। इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है।
पित्ती:

1 चम्मच हल्दी, घी 1 चम्मच, चीनी 2 चम्मच, गेहूं का आटा 2 चम्मच, आधा कप पानी डालकर हलुवा बना लें और इसे रोज सुबह खाकर 1 गिलास दूध पीएं। इससे पित्ती मिट जाती है। इसके आधा चम्मच प्रयोग से भी पित्ती में लाभ होता है।

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