07/06/2025
*शहर के स्विमिंग पूल और वाटर पार्क के पानी का नही होता क्वालिटी टेस्ट*
*वाटर पार्क प्रतिदिन पूरा पानी भरने के लिए स्थानीय जल आपूर्ति का उपयोग नहीं करते , तो वे अपना पानी कहां से प्राप्त करते हैं?*
*जनपद में वाटर पार्क की हो रही वृद्धि*
अंबेडकरनगर
भीषण गर्मी के दिनों में स्विमिंग पूल और वाटर पार्क राहत तो दिलाते हैं, लेकिन संचालकों की लापरवाही के कारण स्विमिंग पूल और वाटर पार्क का पानी ही एक तरह से जहरीला हो गया है। उनका पीएच लेवल यानि पोटेशियम ऑफ हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा होती है। आमतौर पर मनोरंजन और गर्मी से राहत के लिए लोग स्विमिंग पूल में घंटों समय बिताते हैं। ऐसे में गंदे पानी को साफ करने के लिए भरपूर मात्रा में क्लोरिन मिलाकर पानी का पीएच लेवल बिगाड़ दिया जाता है। नियमानुसार इन वाटर पार्क के पास भूगर्भ जल दोहन की एनओसी से लेकर, पानी के पीएच स्तर और क्लोरीन की मात्रा को नापने के लिए किट होना जरुरी है। जितनी बार भी पानी में क्लोरिन डाला जाए उसका पीएच स्तर जांचा जाए। लेकिन ऐसा नही हो रहा है। स्थिति यह है कि अधिकतर पूल्स और पार्क में पानी का पीएच स्तर मापने तक के लिए में किट ही नहीं है। यहां पानी का रंग देखकर ही पीएच का आंकलन कर लिया जा है। पानी का रंग पीला होने के बाद अंदाज से क्लोरीन और कई बार फिटकरी मिलाकर पानी की सफाई कर दी जाती है। पानी की पीएच स्तर मापे बिना ही मनोरंजन और स्पोटर्स एक्टिविटी के लिए पूल्स और पार्क खोल दिए जाते हैं।वहीं, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही के चलते पानी के खेल की यह मस्ती शहर के लोगों खासतौर पर बच्चों के लिए भारी पड़ सकती है। क्योंकि गर्मियों की शुरुआत होते ही शहर के गली मोहल्लों, होटल रेस्टोरेंट में स्विमिंग पूल्स और वाटर पार्क खुलने शुरू हो जाते हैं। इनमें मानकों की जमकर अनदेखी होती है जिसके चलते इन पूल्स और पार्क का पानी सेहत को खराब कर सकता।जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद से बिना एनओसी लिए कारोबारियों को भू-जल दोहन करना महंगा पड़ेगा। मिली जानकारी के अनुसार वाणिज्यिक, औद्योगिक इकाइयों तथा सामूहिक भूगर्भ जल उपभोक्ताओं जैसे डेयरी, होटल, लाॅज, काॅलोनियों, रिजाॅर्ट, निजी चिकित्सालयों, कारोबार प्रक्षेत्रों, माॅल्स तथा वाटर पार्कों आदि को भूगर्भ जल दोहन के संबंध में मानकों की पूर्ति कर एनओसी लेना जरूरी है।दो से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना व छह माह से एक साल के कारावास का प्रावधान है।गर्मियों में भूजल स्तर इतना गहरे चला जाता है कि गांवों में हैंडपंपों से पानी निकलना बंद हो जाता है। इसके बावजूद भूजल का अतिदोहन थमने का नाम नहीं ले रहा है। ज़्यादातर वाटर पार्क पानी की बर्बादी करने वालों के रूप में अपनी प्रतिष्ठा से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं, और जल संरक्षण में अपनी किसी भी प्रगति का विज्ञापन करने की ज़रूरत है। ज़्यादातर पार्कों के लिए, इसका मतलब है जितना संभव हो उतना पानी वापस पाना, फ़िल्टर करना और उसका दोबारा इस्तेमाल करना।वाटर पार्कों का भविष्य पानी को संरक्षित करने और लोगों को यह विश्वास दिलाने की उनकी क्षमता पर निर्भर करता है कि वे वास्तव में पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय हो सकते हैं।स्विमिंग पूल या वाटर पार्क का गंदा पानी कई रोगों का कारण होता है। गंदे पानी के कारण हेपेटाइटिस ए, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। वहीं पूल का पानी बदले बिना ही साफ करने के लिए पानी में क्लोरिन की मात्रा ज्यादा डाल दी जाती है। यह क्लोरीन हाइड्रोजन आयन के साथ मिलकर माइल्ड एसिड बनता है। इससे स्विमिंग पूल का पानी एसिडिक पीएच का होता है। पानी का पीएच वैल्यू 8 से अधिक नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक इसलिए जब भी स्विमिंग पूल में नहाने जाए तो पता करना चाहिए कि पानी में क्लोरीन की कितनी मात्रा है। अगर पानी में ज्यादा मात्रा में क्लोरीन है तो नहाने से बचना चाहिए।यहां जमकर पानी की चोरी भी की जा रही है और लोगों की सेहत से खेला जा रहा है।✒️✒️✒️