Sachin Singh

Sachin Singh जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रस धार नहीं, हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं एक कदम सपनो की ओर... अब

फ़िलहाल इस दुनिया में एक ही मर्द कौम है यहूदी और उसका मर्द नेता है नेतन्याहू। जो माँ की आँख डेमोक्रेटस का बोलके जंग में ...
23/04/2025

फ़िलहाल इस दुनिया में एक ही मर्द कौम है यहूदी और उसका मर्द नेता है नेतन्याहू। जो माँ की आँख डेमोक्रेटस का बोलके जंग में कूद गया। और सॉरी उम्मा पों पों करके रह गई।

यहाँ नामर्दों की सरकार है। निंदा करेगी। जाँच करेगी। और बिजनेस इंपैक्ट का हवाला देकर लेट जाएगी अगली बार मरवाने के लिए। क्योंकि यह क़ौम भी मौगो की है जो आपस में लड़ती है , क्योंकि इनकी बाहरियों से फटती है

सोच....🖊️
26/09/2024

सोच....🖊️

19/09/2024

दिल चाहता है एक किताब लिखूं
जिसका शीर्षक
"मर्द" हो ...!!

मैं उसका "सब्र "भी लिखूं और "दर्द" भी लिखूं ...!!

मै उसकी "आह " भी लिखूं और उसके व्यक्तित्व पर उठते हुए वो सभी "अल्फाज" भी लिखूं ,

जिन्हे सुनकर वो किसी के सामने रो भी नहीं सकता ..!!
जिम्मेदारियों के आगे अपनी पसन्द अपनी खुशियों का त्याग लिखूं...

सोच रहा हूं एक किताब लिखूं...
जो उठाते है मर्द पर। उंगलियां उन का जवाब लिखूं....

🖤🖤

27/08/2024
10/05/2024

चुनाव चाहें जितने चरणों में हो
मतदान तो केवल "श्रीराम जी "के चरणों में 🚩🚩

29/04/2024

...
आजकल के लड़के
नौकरी लगने के तुरंत बाद
शादी करके पत्नी को
नौकरी वाले शहर में ले जाते हैं , तथा
सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम
घर की जिम्मेदारियाँ , सब झंझट
माता-पिता के पास छोड़ जाते हैं.

वो सबसे पहले शहर में
प्लाट या फ्लैट लेने की सोचते हैं, तथा
माता-पिता की ओर कम ध्यान देते हैं
जो बहुत दुखदाई है.

फेसबुक पर माता-पिता को
भगवान से ज्यादा
वो ही लोग लिखते हैं
जिनके माता-पिता
दयनीय स्थिति में होने के बाद भी
उनसे आशा नहीं करते.

कभी वो लोग गाँव आते हैं तो
अपनी जेब से पैसा न देकर
माता-पिता से खेती , गाय, भैंस
घर का किराया, पिता की पेंशन
आदि की कमाई का हिसाब
अपनी पत्नी के सामने लेते हैं , तथा
उन्हें बहुत सुनाते हैं.

पत्नी भी उनमें कमी निकालकर
अपना धर्म पूरा करती है.
यह माजरा करीब 90% लोगों का है ,
जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की
पार्टी देकर अपनी झूठी शान का
बखान करते हैं.
वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा
किसी पर एक पैसा खर्च नहीं करते.

क्या इस हालत को
समाज सुधार की ओर
अग्रसर माना जा सकता है ?
गाँव के अधिकांश लोग
इसी तरह दुःखी हैं , क्योंकि
उनको बच्चे की नौकरी के कारण
वृद्ध पैंशन भी नहीं मिलती.

माँ-बाप कितने सपने संजोकर उन्हें
अपना पेट काटकर पढाते हैं.
फिर नौकरी या तो लगती नहीं या
लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है.

आजकल लड़को की नौकरी लगे
या ना लगे , घर का काम तो
मरते दम तक
बूढों को ही करना पड़ता है.

बच्चों को पढ़ाने का माँ-बाप को
यही पुरस्कार है जी.
जो लोग सोशल मीडिया पर
बड़ी बड़ी बातें करते हैं तथा
लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा
बड़े पदों पर आसीन हैं ,
उनमें से अनेक अपने रिश्तेदारों ,
माता-पिता के प्रति
निष्ठुर भाव रखते हैं.

 #राम को पाने का सुख  #शबरी जाने  #राम को खोने का दुख माँ  #कौशल्या जाने  #सृष्टि के कण-कण में  #बसा है जो उस  #राम को स...
12/03/2024

#राम को पाने का सुख #शबरी जाने
#राम को खोने का दुख माँ #कौशल्या जाने

#सृष्टि के कण-कण में #बसा है जो
उस #राम को सारा #संसार है माने ।

🚩🚩 ्री_राम🚩🚩
🙏🚩 #सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है🚩🙏

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23/02/2024

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22/02/2024

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22/02/2024



















































03/02/2024


























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