17/06/2025
लिवर कैंसर, जिसे हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) भी कहा जाता है, यकृत (लीवर) की कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाला एक घातक (मैलिग्नेंट) ट्यूमर है। यह कैंसर दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में भी इसके मामलों में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
लिवर कैंसर के प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस बी और सी वायरस का पुराना संक्रमण, अत्यधिक शराब सेवन, फैटी लिवर डिज़ीज़, मोटापा, मधुमेह और अफ्लाटॉक्सिन युक्त भोजन का सेवन शामिल हैं। जिन व्यक्तियों को सिरोसिस (लीवर की कठोरता) होता है, उनमें लिवर कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है।
लिवर कैंसर के लक्षण प्रारंभिक अवस्था में बहुत सामान्य होते हैं जैसे थकान, भूख न लगना, वजन कम होना, पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में दर्द या सूजन, पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना) और मतली। यही कारण है कि यह कैंसर अक्सर देर से पकड़ा जाता है।
इसका निदान अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन, MRI और रक्त परीक्षण (विशेषकर AFP नामक मार्कर) द्वारा किया जाता है। उपचार की विधि ट्यूमर के आकार, स्थान और मरीज की संपूर्ण स्थिति पर निर्भर करती है। इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, टार्गेटेड थैरेपी और लीवर ट्रांसप्लांट जैसे विकल्प होते हैं।
लिवर कैंसर से बचाव के लिए हेपेटाइटिस B का टीकाकरण, शराब और तंबाकू से दूरी, स्वस्थ वजन बनाए रखना, संतुलित आहार लेना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है। समय रहते पहचान और इलाज से इस घातक रोग से बचाव संभव है।