06/08/2025
बहन का प्यार बिकाऊ नहीं होता 💯
वो आई है...
हथेली में हल्दी, आँखों में सपना लिए,
कुछ कहे बिना भी... सब कुछ कह देने की ताक़त लिए।
ना सोने की ज़रूरत, ना चाँदी के हार की,
बस एक मुस्कुराहट चाहिए थी... उस भाई के प्यार की।
राखी बांधते वक़्त उसने माँ की तरह दुआ दी,
"तू हर मुसीबत से बचा रहे, बस ये रहमत खुदा दी।"
ना कुछ माँगा, ना कुछ चाहा —
सिर्फ तेरे माथे का पसीना देखा, और तुझमें खुदा देखा।
फिर तूने मुँह बना लिया,
कहा – "हर बार पैसों की उम्मीद है तुझे!"
अरे भाई...
जो हर त्यौहार पर भी मांगती है कम और देती है ज़्यादा,
उस बहन की मासूम सी मुस्कान पे शक करना कितना अजीब है।
वो तो बस राखी के धागे में
तेरा बचपन, तेरा बचाव, और तेरे सपनों की सलामती बाँधती है,
हर बार जब वो आती है,
तो तेरे दरवाज़े पर "भाई" की सबसे खूबसूरत परिभाषा छोड़ जाती है।
उसके लिए तू सिर्फ एक इंसान नहीं,
उसका संसार है, उसका अभिमान है,
और तू अगर उसे समझे तो जान ले —
उसे तेरा पैसा नहीं, तेरा एक "कैसा है तू?" सुनना ही इनाम है।
इसलिए...
जब बहन रक्षाबंधन पर घर आए,
तो सवालों की तलवारें ना चलाना,
बस अपने प्यार की चाय बना लेना,
क्योंकि उस दिन वो मेहमान नहीं,
तुम्हारे दिल की सबसे सच्ची
दुआ बनकर आई होती है।