Dr Monu Boudh 89

Dr Monu Boudh 89 डॉक्टर... लेखक.....
जिस दिन मिलना होगा तुम से,
सारे रास्तों पर नजर,
सिर्फ मेरी होगीं...!

वो बेवफा है वो हमे कहां समझती हैकितना दर्द है सीने में वो कहां समझती हैंसाथ तो वो चल पड़ी है मेरे साथरुकना कहां पर है कह...
28/09/2025

वो बेवफा है वो हमे कहां समझती है
कितना दर्द है सीने में वो कहां समझती हैं
साथ तो वो चल पड़ी है मेरे साथ
रुकना कहां पर है कहां समझती है वो
कदम कदम पर रोकता है दिल
की ये क्या साथ निभायेगी पर
जिसको पता भी नहीं है
क्या मांगता है दिल
सुनाना चाहते थे कुछ उसको
दिल के जख्म ,
पर अल्फाजों कहां कुछ समझती है वो
एक अच्छा जीवन साथी सभी
जख्मों को भर देता है ये हम समझते थे
पर अब तो हमने अंधेरों को ही अपना घर बना लिया हमने
पर इतना कुछ वो कहां समझती हैं
चांद, तारे सब उसके है
अंधे को उजाले नहीं सहारे की जरूरत होती है
पर इतना कुछ वो कहां समझती है
वो सिर्फ़ उसका है इतना वो कहां समझती हैं
सब कुछ पाने को चाह में
एक दिन वो सब खो बैठेगी
तारे तो उसके रहेंगे पर वो
चांद को तो खो बैठेगी
हम उसके बाद, उसके ही तो है
अगर समझे तो पर
पर इतना कहां समझती हैं वो

डॉ०मोनू बौद्ध

बहुत दिनों से मिरे बाम-ओ-दर का हिस्सा है मिरी तरह ये उदासी भी घर का हिस्सा है फिर इस के बाद हवा और उस का रहम ओ करम अभी त...
28/09/2025

बहुत दिनों से मिरे बाम-ओ-दर का हिस्सा है
मिरी तरह ये उदासी भी घर का हिस्सा है

फिर इस के बाद हवा और उस का रहम ओ करम
अभी तलक तो ये पत्ता शजर का हिस्सा है

ज़रूर दिल से कोई राब्ता है आँखों का
इसी लिए तो लहू चश्म-ए-तर का हिस्सा है

ये तेरा ताज नहीं है हमारी पगड़ी है
ये सर के साथ ही उतरेगी सर का हिस्सा है

न जाने 'शाद' तिरी कब समझ में आएगा
कि अब ज़मीर-फ़रोशी हुनर का हिस्सा है

ख़ुशबीर सिंह शाद

*”तसल्ली के भी**नख़रे बहुत हैं,**लाख कोशिशें कर लो**मिलती ही नही है!”*
26/09/2025

*”तसल्ली के भी*
*नख़रे बहुत हैं,*
*लाख कोशिशें कर लो*
*मिलती ही नही है!”*

*मुझे घमंड नहीं है किसी भी बात का ,**क्यों की मैं जानता हूं ,**एक रात जिंदगी में ऐसी भी होगी ,**जिसके बाद कोई सवेरा नहीं...
25/09/2025

*मुझे घमंड नहीं है किसी भी बात का ,*
*क्यों की मैं जानता हूं ,*
*एक रात जिंदगी में ऐसी भी होगी ,*
*जिसके बाद कोई सवेरा नहीं होगा .....*

आलस भरी चायएक आलस भरी चाय, एक देखी हुई फ़िल्म, एक सुस्त झपकी, एक अधपढ़ी किताब मेंगुज़र गया.....एक हफ़्ते किश्त भर कर ख़रीदा थ...
23/09/2025

आलस भरी चाय

एक आलस भरी चाय, एक देखी हुई फ़िल्म, एक सुस्त झपकी, एक अधपढ़ी किताब में
गुज़र गया.....
एक हफ़्ते किश्त भर कर ख़रीदा था रविवार, अभी तो आया था न जाने किधर गया.....

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में l 🩶
22/09/2025

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में l 🩶

20/09/2025
कुछ बातें किसी को नहीं बतायी गयी है कुछ कहानियाँ अब भी अधूरी है जो कभी पूरी नहीं होगी कुछ बाते स्कूल में कभी नहीं पढ़ाई ...
19/09/2025

कुछ बातें किसी को नहीं बतायी गयी है
कुछ कहानियाँ अब भी अधूरी है
जो कभी पूरी नहीं होगी
कुछ बाते स्कूल में कभी नहीं पढ़ाई गई

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