Shafique Mallick

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*क्या खुदा मौजूद है?* (Intelligent design)कल्पना कीजिए की आप कही जा रहे हैं और रास्ते मे आपको जगह जगह सिक्के बिखरे हुए म...
24/07/2025

*क्या खुदा मौजूद है?* (Intelligent design)

कल्पना कीजिए की आप कही जा रहे हैं और रास्ते मे आपको जगह जगह सिक्के बिखरे हुए मिले तो आप यही सोचेंगे कि जरूर किसी की जेब से या किसी थैले के फटे होने के कारण से, ये सिक्के जगह जगह गिर गए होंगे। लेकिन अगर आपको सिक्के जगह जगह बिखरे होने के बजाए इस तरह मिले कि सिक्के एक के ऊपर एक अच्छी तरह से रखे हुए है और आगे चलकर आप देखे कि ये हर एक मीटर की दूरी पर इसी प्रकार रखे हुए है तो क्या आप अब भी यही सोचेंगे कि किसी का थैला फट गया होगा और ये सिक्के इसी तरतीब के साथ गिर गए होंगे ? जाहिर सी बात है आप इन सिक्कों की व्यवस्था और मैनजमेंट को देखकर यही कहेंगे की जरूर कोई है जो इन्हें यहाँ इस तरतीब से रखकर गया है। इस उदाहरण के जरिय हमने जाना कि किसी चीज़ में भी व्यवस्था और मैनजमेंट हो तो जरूर उस व्यवस्था और मैनजमेंट को भी करने वाला भी होना चाहिए।

ऐसे ही जब हम दुनिया को देखते है तो दुनिया मे हमें एक व्यवस्था और मैनजमेंट नज़र आता है। हम देखते है कि दुनिया की हर चीज़ किसी न किसी काम मे लगी हुई है और वह अपने काम को अच्छी तरह अंजाम भी दे रही है। और दुनिया की सारी चीजें मिलकर एक व्यवस्था बना रही है जिस व्यवस्था की वजह से ही दुनिया मे हमारा रह पाना मुमकिन हो रहा है। जैसे सूरज को ही ले लीजिए जिसकी वजह से ही समुन्द्रों का पानी भाप में बदलकर आसमान में जाता है और फिर बादल बनकर बारिश की सूरत में हम तक वापस आता है, जिसकी वजह से जमीन से तरह तरह के पेड़ पौधे निकलते है और समुद्र का खारा पानी हमारे पीने योग्य मीठा बनता है। सूरज की वजह से ही सब जीवों की ज़िंदगी मुमकिन हो रही है। अगर हमारी दुनिया की व्यवस्था मे से सिर्फ सूरज ही अपना काम करना बंद करदे तो यहाँ ज़िंदगी ही मुमकिन नही है। ऐसे ही हमारी दुनिया मे मौसम की व्यवस्था, दुनिया मे वातावरण का होना, और दुनिया मे रात दिन का लगातार एक दूसरे के बाद आना। और भी बहुत सारी व्यवस्था हमारी दुनिया मे मौजूद है जिसका यहाँ ज़िक्र कर पाना नामुमकिन है और इन व्यवस्थाओ की वजह से ही हमारा दुनिया मे रह पाना मुमकिन हो रहा है।

जब हम अपने आस पास के जीवों को देखते है तो हम उनके अंदर भी एक व्यवस्था और मैनजमेंट पाते है और हर जीव के अंग का चुनाव उसकी परिस्थिति को देखकर किया गया है। जैसे आप ऊंट को हो देख लीजिए ऊंट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है क्योंकि ये रेगिस्तान की गर्म रेत में आसानी से दौड़ लेता है और अपनी कूबड़ के अंदर कई दिनों का खाना और पानी जमा कर लेता है जिसकी वजह से बिना खाने और पानी के कई दिनों तक आसानी से सफर कर लेता है। ऊंट का मुंह और पेट कटीले भोजन को आसानी से खा लेता है। रेत आँधी के समय ऊंट आसानी से अपने नथुने बंद कर लेता है और ऊंट की लम्बी दोहरी पलकें आंखों में रेत नही जाने देती और ऊंट का घट्टा जो बैठने के दौरान उसे गर्मी से बचता है। ऊंट के पास वो सब अंग मौजूद है जो उसे रेगिस्तान में रहने के लिए जरूरी है।

*तो क्या ये ऊंटो को नही देखते की कैसे बनाये गए है?*
📓(क़ुरआन 88:17)

अगर ये सब काम हमारी प्रकृति ने खुद वा खुद कर लिया तो हमारी प्राकृती ने सांप को ऊंट की टाँगे क्यों नही दे दी? ऊंट को हाथी की सुंडस क्यों नही दे दी?

हर जानवर के पास इतने यूनिक अंग है जिसके कारण वो अपना जीवन आसानी से गुज़ार लेते है आखिर इन जानवरों को इसकी परिस्थिति के हिसाब से अंग किसने दिए है? कौन है? जो शिकारी जानवर के दांतों को तेज़ रखता है। और उसके तेज़ पंजे का निर्माण करता है। कौन है? जो जेवरा के ऊपर काली सफेद धारियां बनाता है। क्योंकि ज़ेबरा ज्यादा तेज़ दौड़ नही पाता है इसलिए वो अपनी काली और सफेद धारियों के जरिये दूसरे जानवरों को धोखा देकर अपनी जान बचाता है। आखिर वो कौन है? जिसने जेवरा को ये तरीका बताया।

अब आप अपने ऊपर ही गौर कर लीजिये कि कैसे हमारे शरीर का एक एक अंग बना है और काम कर रहा है। हमारे शरीर के सारे अंग मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाते है जिससे हम अपने सब काम आसानी से कर पाये हम अपने पाचन तंत्र पर गौर करे कि कैसे ये खाने को हज़म करता है? आप अपने रेस्पिरेटरी सिस्टम पर गौर करे कि कैसे इससे हमारे शरीर में हर अंग तक ऑक्सीजन पहुँच रही है? और आप गौर करे कि कैसे खून हमारे शरीर मे चीज़ों को एक जगह से दूसरे जगह तक लेकर जाता है। और हम इस पर गौर भी करे कि हमारी एक कोशिक ( cell ) के अंदर पूरी एक फैक्टरी मौजूद है जहाँ से ही हमारे शरीर में ताक़त पहुचती है और हमारे शरीर का हर अंग न्यूरोन के जरिए हमारे दिमाग से जुड़ा हुआ है इस दिमाग से ही हम हाथ पैर से जैसा चाहे वैसा काम लेते हैं आप ये गौर करे कि जिस अंग की जहाँ जरूरत थी वो वहीँ लगा हुआ है और इस सब मे से एक अंग भी खराब हो जाये तो हमारा पूरा शरीर ही खराब हो जाता है।

हमारी दुनिया में ये व्यवस्था और मैनेजमेंट आखिर किसने किया? कि हर चीज एक दूसरे का सहयोग कर रही है। और दुनिया हर चीज दूसरी चीज पर निर्भर करती है। जैसे आप इस दुनिया में मौजूद इको सिस्टम को ही देख सकते है, पेड़ पौधे अपना भोजन सूरज के जरिया खुद बना लेते है, और शाकाहारी जीव इन पेड़ पौधों को खाकर अपना जीवन जीते है फिर इन शाकाहारी जीवों को मांसाहारी जीव खाते है। अगर इस इको सिस्टम में से किसी एक को भी निकाल दिया जाए तो इसका प्रभाव हमारी दुनिया पर बहुत पड़ेगा। आखिर वो कौन है? जिसने इस दुनिया में इतना शानदार मैनेजमेंट किया है। क्या आपको इस दुनिया का मैनेजमेंट देखकर नही लगता की किसी ने इसे ऐसा डिजाइन किया है?

आईए अब जानते है कि दुनिया को इतना शानदार मैनेजमेंट कौन दे सकता है।
दुनिया की सब चीज़ें और सारे जीव मैटर से बने है और मैटर के अंदर सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है यानि उन्हें ज्ञान नही है। इसलिए उन सब चीज़ों का अपना कोई मक़सद भी नही है तो ये सब चीजें एक मकसद के लिए काम क्यों कर रही है? जब दुनिया की सब चीज़ों का अपना कोई मक़सद नही है क्योंकि इनके पास ज्ञान नही है तो कहीं न कहीं इनके पीछे एक छुपा हुआ हाथ जरूर है जो इन सब चीज़ों से ये काम करवा रहा है और उसी को हम खुदा कहते है। जिसने इन सब चीजों को अपने अपने काम पर लगाया है। जैसे एक तीर चलाने वाला जहाँ चाहेगा तीर को वहाँ फेंकेगा, तीर को नही पता है कि मुझे जाना कहाँ है। बिल्कुल ऐसे ही जो तीर है ये हमारी प्राकृति है और इसको चलाने वाला खुदा है। खुदा जहाँ चाहता है प्राकृति वहीं जाती है।

इसको एक उदाहरण से और समझते है कि इंसान, जानवर और दुनिया की सब चीजें मैटर से बनी है। और मैटर के अंदर सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है यानि उन्हे ज्ञान नही है। अगर मैटर के अंदर खुद सोचने समझने की सलाहियत होती तो जैसे ही हम कोई रोबोट या छोटा बच्चा भी कोई पुतला बनाता तो वह फ़ौरन ज्ञान हासिल करने लग जाता, फिर हमें कृत्रिम होशियारी (Artificial intelligence) की कोई जरूरत नही थी लेकिन होता ये है कि पहले हम एक रोबोट बनाते है फिर उसमें कोडिंग (coding) करते है और वो मैटर बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे उसकी कोडिंग की गई है।

ऐसे ही दुनिया के अंदर जितनी भी चीज़ें है इंसान और जानवरों के अंग है। इन सब की कोडिंग की गई है। और मैटर में खुद सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है इसलिये मैटर कोडिंग नही कर सकता है। इससे ही ये बात साबित होती है कि कोडिंग करने वाली जात दूसरी है और वही डिज़ाइनर है। उसी को हम खुदा कहते है उसी खुदा ने ही दुनिया की सब चीज़ों को एक मकसद के लिए लगाया है।

*हमारा रब वो है जिसने हर चीज़ को उसकी सही शक्ल (आकार) दी , फिर उसको रास्ता बताया। (यानी उसकी कोडिंग की)*
📓(क़ुरआन 20:50)

यानि दुनिया की हर चीज़ जैसी कुछ भी बनी हुई है, ख़ुदा के बनाने से बनी है, हर चीज़ को जो बनावट, जो शक्ल सूरत जो ताक़त और सलाहियत और जो खूबी और खासियत मिली हुई है खुदा की दी हुई है। हाथ को दुनिया में अपना काम करने के लिए जिस बनावट की जरूरत थी, वो उसको दी और पांव को जो सबसे ज्यादा मुनासिब बनावट चाहिए थी, वो उसको दी इंसान, जानवर, पेड़, पौधे, पत्थर, पहाड़, धातु, हवा, पानी, रोशनी, हर एक चीज़ को उसने एक ख़ास सूरत दी है जो उसे क़ायनात में अपने हिस्से का काम ठीक ठीक अंजाम देने के लिए मतलूब (जरूरत) है। फिर खुदा ने ऐसा नही किया कि हर चीज़ को उसकी खास बनावट देकर यों ही छोड़ दिया हो बल्कि उसके बाद खुदा ही उन सब चीज़ों की रहनुमाई करता है।

दुनिया की कोई चीज़ ऐसी नही है जिसे अपनी बनावट से काम लेने और अपनी पैदाईश के मकसद को पूरा करने का तरीका खुदा ने न सिखाया हो। कान को सुनना और आंख को देखना खुदा ने सिखाया है। मछ्ली को तैरना और चिड़िया को उड़ना खुदा की तालीम से आया है। पेड़ को फल और फूल देने और जमीन को पेड़ पौधे उगाने की हिदायत खुदा ने ही दी है। कहने का मतलब यह है कि खुदा सारी क़ायनात और उसकी हर चीज़ का सिर्फ पैदा करने वाला ही नहीं, बल्कि हिदायत देनेवाला और सिखानेवाला भी है।

*इनसे पूछो, कौन तुमको आसमान और ज़मीन से रोज़ी देता है? ये सुनने और देखने की ताक़त किसके इख़्तियार में है? कौन बेजान में से जानदार को और जानदार में से बेजान को निकालता है? कौन इस दुनिया के निज़ाम की तदबीर कर रहा है? वो ज़रूर कहेंगे कि अल्लाह। कहो, फिर तुम (हक़ीक़त के ख़िलाफ़ चलने से) परहेज़ नहीं करते?*
📓(क़ुरआन 10:31)

19/07/2025

अल्लाह तआला फरमाता है-

हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है, और तुम सब को (तुम्हारे आमाल के) पूरे-पूरे बदले क़यामत ही के दिन मिलेंगे। फिर जिस किसी को दोज़ख़ से दूर हटा लिया गया और जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, वह सही मायने में कामयाब हो गया।

(सूरह आले इमरान आयत न . 185 )

*निकाह: मतलब, ज़रुरत और अहमियत*अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मर्द और औरत के अंदर एक दूसरे के ज़रिए सुकुन हासिल करने की ख़्वाइश ...
13/07/2025

*निकाह: मतलब, ज़रुरत और अहमियत*

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने मर्द और औरत के अंदर एक दूसरे के ज़रिए सुकुन हासिल करने की ख़्वाइश रखी है। इस्लाम ने इस ख़्वाइश का एहतराम करते हुए हमे निकाह करने का तरीक़ा बताया ताकि इंसान जाइज़ तरीक़ों से सुकून हासिल करें।

*निकाह का मतलब:*

निकाह अरबी ज़ुबान के माद्दे ن ک ح / न क ह से बना है जिसका मतलब है मिलना या जमा करना। इस तरह मिलना जिस तरह नींद आँखों में मिल जाती है या बारिश के कतरे जमीन में जज्ब हो जाते हैं।

इससे यह बात वाज़ेह हुई कि इस्लाम चाहता है कि निकाह के बाद शौहर और बीवी के दरमियान ऐसा ताल्लुक पैदा हो जाये जैसा ताल्लुक आँख और नींद के दरमियान होता है। इसी बात को कुरआन ने एक दूसरी मिसाल में बयान किया :

‎‫هُنَّ لِبَاسٌ لَكَمْ وَأَنْتُمْ لِبَاسٌ‬‎ ‎‫ لَهُنَّ

"वो तुम्हारे लिबास हैं और तुम उनके लिबास हो।" [कुरआन 2:187]

यानी जिस तरह लिबास और जिस्म के दरमियान कोई दूरी नहीं होती और वे एक दूसरे की हिफाज़त करते है उसी तरह का ताल्लुक शौहर और बीवी के बीच होना चाहिए।

"निकाह करने से आधा ईमान मुकम्मल होता है:*

हज़रत अनस बिन मालिक़ (रज़ि.) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया, "जब आदमी शादी करता है तो उसका निस्फ (आधा) ईमान मुक़म्मल हो जाता है, अब उसे चाहिये कि बाकी आधे ईमान के बारे में अल्लाह तआला से डरता रहे।" [अल सिलसिला साहिहा 1895]

*निकाह एक नेमत है:*

अल्लाह पाक की निशानियों में से एक ये भी है कि उसने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी ही जिन्स की बीवियाँ (जोड़े) पैदा की ताकि तुम उनके साथ रहकर सुकून हासिल करो और तुम लोगों के दरमियान प्यार और शफकत पैदा कर दी इसमें शक नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालों के लिये ख़ुदा की यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं,

وَ مِنْ ايْتِهِ أَنْ خَلَقَ لَكُمْ مِّنْ أَنْفُسِكُمْ أَزْوَاجًا لِتَسْكُنُوا إِلَيْهَا وَجَعَلَ بَيْنَكُمْ مَّوَدَّةً وَرَحْمَةً إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَتٍ لِقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ

"और उसकी निशानियों में से ये है कि उसने तुम्हारे लिये तुम्हारी ही जिंस से बीवियाँ बनाईं ताकि तुम उनके पास सुकून हासिल करो और तुम्हारे बीच मुहब्बत और रहमत पैदा कर दी। यक़ीनन इसमें बहुत सी निशानियाँ हैं उन लोगों के लिये जो ग़ौर और फ़िक्र करते हैं।" [कुरआन 30:21]

इस आयत में अल्लाह ने इन्सान की पैदाइश के बाद से आज तक जो मियाँ बीवी का रिश्ता चला आ रहा है, उसे अपनी एक बड़ी नेमत के तौर पर बयान किया है।

सबसे पहले आदम अलै. की पैदाइश हुई लेकिन उनके जोड़े को पूरा करने के लिए भी माँ हव्वा को पैदा किया गया, जिससे इस बात की अहमियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मियाँ बीवी के बीच इस पाक रिश्ते की शुरुआत अल्लाह ने जन्नत में की, जबकि कोई और रिश्ता उस वक़्त मौजूद न था।

*निकाह से नज़रों की हिफाज़त होती है:*

कुरआन में नजरों की हिफाजत का साफ साफ हुक्म इन अल्फाज में आया है,

قُلْ لِلْمُؤْمِنِينَ يَغُضُّوا مِنْ أَبْصَارِهِمْ وَيَحْفَظُوا فُرُوجَهُمْ ذلِكَ أَزْكَى لَهُمْ إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا يَصْنَعُوْنَ

"ऐ नबी, ईमानवाले मर्दों से कहो कि अपनी नज़रें बचाकर रखें और अपनी शर्मगाहों कि हिफ़ाज़त करें, ये उनके लिये ज़्यादा पाकीज़ा तरीक़ा है, जो कुछ वो करते हैं अल्लाह उससे बाख़बर रहता है" [कुरआन 24:30]

*निकाह में फिज़ूलखर्ची न करें:*

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, "बेहतरीन निकाह वो है जो ज़्यादा आसानी वाला हो" [सुन्न अबू दाऊद :2117]

फिजूलखर्ची एक ऐसा अमल है जिसे अल्लाह सख्त नापसन्द करता है, अल्लाह का इरशादे गिरामी है, "खाओ और पियो और फिजूल ख़र्ची मत करो क्योंकि ख़ुदा फिजूल खर्च करने वालों को पसन्द नहीं करता" और फिर निकाह में जब इतना खर्च किया जाये तो जाहिर है कि इसके दूरगामी नतीजे सामने निकल कर आते हैं।

जैसेः

• सबसे अहम बात ये की इस तरह की शादियों में से बरकत खत्म हो जाती है।

• शादियों के लिये पैसे जमा करने में कई साल लग जाते हैं और लड़के लड़कियों की उम्र इतनी हो जाती है कि उन्हें सही रिश्ता नहीं मिलता। अगर कहा जाये की शादियों में देरी होने की सबसे अहम वजह यही फिजूलखर्ची है तो ये कहना गलत नहीं होगा।

• शादी के लिये खासतौर पर लड़की के घर वाले सालों पहले से अपना पेट काटकर पैसे जमा करते है।

• शादी की महंगी तैयारियों में कई महीनों का कीमती वक्त खराब होता है।

• निकाह का मैयार पैसा और दिखावा बन जाता है, जिससे दीनदारी का अहमियत मद्दे नजर नहीं रहती।

• शादी में फिजूलखर्ची करने से शादीशुदा जोड़े के घर वालों की जमा बचत पूंजी खत्म हो जाती है, जिस पूंजी से वो कई काम कर सकते थे। मसलनः आने वाली नस्लों का भविष्य बेहतर बना सकते थे, कोई नया कारोबार शुरू कर सकते थे, घर में किसी के बीमार होने पर ये पूंजी काम आ सकती थी, इससे खानदान और समाज के दूसरे जरूरतमंद लड़के लड़कियों का निकाह किया जा सकता था, वगैरह।

• इस तरह फिजूलखर्ची करने से खानदान और समाज में मौजूद गरीब तबके के लिये निकाह करना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि समाजी दबाव की वजह से उन्हें भी अपने रिश्तेदारों से होड़ करनी होती है।

• कभी कभी तो ऐसा भी है लोग शादी में शान दिखाने के लिए घर तक बेच देते है बेघर हो जाते है सिर्फ अपनी बेटी को शादी करने के लिए।

*निकाह से पहले होने गैर ज़रूरी वाले रसुमात:*

*मांगनी:*

इस का नाम हमने कभी निकाह की ज़रूरी शर्त में नही सुना लेकिन लकड़ी और लड़के वाले बोहोत जोर शोर से इस रस्म को लेकर काफी जोर शोर से अंजाम देते हैं। लड़की वाले लड़के के लिए गोल्ड की रिंग या कोई तो डायमंड की रिंग लड़के की मां के ज्वैलरी फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स के थाल और भी बोहोत सारे फिज़ूल खर्चे करते है।

*हल्दी:*

ये भी एक ऐसी रस्म है जिसमें मेहरम गैर मेहरम रिश्ते दार लड़के लड़की को हल्दी लगाते हैं। बोहोत ज़ोर शोर से इस रस्म को अदा करते है देगे बनती है लड़के लड़की वाले इस रस्म को अदा करने एक दूसरे के घर जाते हैं।

*मेंहदी:*

कुछ वक्त से अब इस रस्म को भी बोहोत एहम माना जाने लगा है लड़की के मेंहदी लगती है बोहोत से मेहमान आते है खाने का एहतमाम किया जाता है फ़ोटो शूट करवाया जाता है।

*शादी हॉल:*

अपनी शान ओ शौकत दिखाने के लिए अच्छे से अच्छे हॉल बुक किया जाता है फिर चाहे उसकी कीमत ज़्यादा ही क्यों न हो तरह तरह के पकवान बनवाए जाते है

*जहैज़:*

आखिर अब वो दिन आ ही गया जिस दिन लड़की के मां बाप अपनी बेटी के लिए सारी जमा पूंजी उसको जहैज देकर खर्च तो करते ही और बल्कि कर्ज़ दार भी हो जाते है। ताकि हम एक मिसाली शादी कर सके कुछ लोग मजबूरी में कर रहे उनको अपनी बेटी को रुखसत जो लेना है और कुछ अपनी शान अपने नाम के लिए ।

*लड़की वालो ने भी शादी को बनाया मुश्किल:*

जी हां जिस तरह लड़के वाले चाहते हैं हमें ज़्यादा से ज़्यादा जहैज़ मिले हमारे बरातीओ की खूब खातिर होनी चाहिए हमें तो कुछ भी नहीं चाहिए जो कुछ आप देंगे आपकी बेटी ही इस्तेमाल करेंगी।

ठीक इसी लड़की वाले डिमांड करते है लड़के एकलौता हो तो ज़्यादा बेहतर है लड़के की मां ज़्यादा तेज़ तो नहीं है। लड़का कमाता कितना है घर अपना है न कितने ग़ज का घर होगा वैसे ज्वैलरी कितनी देंगे अपनी बहु को वगैरा वगैरा।

हमें इन सभी गैर इस्लामी रसूमात का बायकॉट करना है:

हमें हर मुम्किन कोशिश करनी है ऐसी महफिलों में जाने से परहेज़ करना है जहां इस तरह की रस्म की जा रही हैं। खुद भी इस पर अमल करना है और अपने दोस्त रिश्तेदार से भी गुज़ारिश करनी है कि ये गैर इस्लामी काम न किए जाए। निकाह को जिस तरह अल्लाह पाक ने आसान बनाया था उसी तरह निकाह किया जाए।

अल्लाह पाक हम सभी भाई बहनों को हिदायत दे कि हम अल्लाह को नाराज़ करके अपनी दुनिया न बनाए हम हर वक्त अल्लाह की रज़ा को याद रखे और अपने हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े मामलात में अल्लाह के एहकाम को याद रखें।।

सना यूसुफ की मौत से पहले उसके फॉलोवर्स 732K थे, मरने के बाद 934K हो गए।उसकी वीडियो जो उसने अपनी जोश मारती जवानी में अपलो...
07/06/2025

सना यूसुफ की मौत से पहले उसके फॉलोवर्स 732K थे, मरने के बाद 934K हो गए।

उसकी वीडियो जो उसने अपनी जोश मारती जवानी में अपलोड की थी, उसके मरने के बाद उनको 60 लाख लोगों ने देखा, यानी उसके जिस्म की नुमाइश की..... 😔

याद रखिए अगर आपकी पोस्ट अच्छी है तो वो आपके लिए सदका ए जारिया है, लेकिन अगर आपकी पोस्ट, आपकी वीडियो बेहयाई फैलाती है तो वो आपके लिए कब्र में अजाब की वजह बनेगी।

अभी भी वक्त है लौट आओ, बेहयाई फैलाने से बाज़ आ जाओ, उम्मत में फसाद न फैलाओ, वरना कुरान चीख चीख कर ऐलान कर रहा है कि वहां का अज़ाब बड़ा सख़्त है।
वहां गुनाह करने वाले, बेहयाई को आम करने वाले बड़ा पछताएंगे, कहेंगे कि काश! में मिट्टी होता.....
लेकिन उस वक्त कोई चीज़ काम न आएगी।

हर हादसा इबरत है, इबरत हासिल करनी चाहिए।




एक ही लिबास, अमीर गरीब का भेद खत्म और अल्लाह को राज़ी करने की तीव्र लालसा....यही तो इस्लाम की वो खूबसूरत कहानी जिसको हज ...
06/06/2025

एक ही लिबास, अमीर गरीब का भेद खत्म और अल्लाह को राज़ी करने की तीव्र लालसा....

यही तो इस्लाम की वो खूबसूरत कहानी जिसको हज कहा गया है 😇🤲🏻

لَبَّيْكَ اللَّهُمَّ لَبَّيْكَ لَبَّيْكَ لاَ شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ إِنَّ الْحَ مْدَ وَالنِّعْمَةَ لَكَ وَالْمُلْكَ لاَ شَرِيكَ لَكَ

04/06/2025

क्या यह अत्याचार को नहीं दिख रहा ?
इस जुल्म पर दुनिया खामोश है,

हुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया :-            “मैं अल्लाह से उम्मीद रखता हूँ के अरफ़ा के दिन का रोज़ा एक साल पहले और एक साल बाद के...
02/06/2025

हुज़ूर (ﷺ) ने फ़रमाया :-

“मैं अल्लाह से उम्मीद रखता हूँ के अरफ़ा के दिन का रोज़ा एक साल पहले और एक साल बाद के गुनाह मिटा देगा”

(तिर्मीज़ी 749)

Total science Nobel prize winner ( 1901 - 2024)Breakdown by abrahmic relegion(1) Jews (यहूदी)दुनिया की Total population ...
27/05/2025

Total science Nobel prize winner ( 1901 - 2024)

Breakdown by abrahmic relegion
(1) Jews (यहूदी)
दुनिया की Total population में सिर्फ 0.2% ( 15.8M)
(1) Physics में - 26%
(2) Chemistry में - 19%
(3) Physiology & medicine - 27%

Total Nobel prize winner लगभग 185 से 190 तक ।

( 2) Christian ( ईसाई )
दुनिया की Total population में 31% ( 2.4B)
(1) Physics मे - 64%
( 2) Chemistry में - 74%
( 3) Physiology & medicine में - 65%
Total Nobel prize winner लगभग 400 से 420 तक।

(3) Muslim ( मुस्लिम)
दुनिया की Total population में 25% ( 2B) जो कि बहुत अधिक संख्या है ।
(1) Physics मे - 1 लोग सिर्फ dr Abdus Salam
(2) Chemistry में - 3 लोग
(3) Physiology & medicine - 0 कोई नहीं

दुनियां की इतनी बड़ी मुस्लिम population होने के बावजूद सिर्फ़ 0.1% लोग Nobel prize winner है।
हमारी हालत – इक़रा (पढ़ो) से शुरू हुआ था, मगर आज...

हमारी मस्जिदों में, मंचों पर, माइक पर —
सबसे ज़्यादा बातें होती हैं जन्नत और जहन्नम पर।
"फलां काम करो तो जन्नत, फलां करो तो जहन्नम..."
मगर कोई ये नहीं बताता कि इल्म नहीं होगा तो ये उम्मत दुनिया में ही जहन्नम देखेगी।

Ilm से दूरी का खौफनाक नतीजा – Palestine का ताज़ा हाल

आज देखो — इज़राइल 15 मिलियन की आबादी से पूरी दुनिया को हिला रहा है।

AI, Missile Tech, Cyber Army, Drone, Research Lab — हर फील्ड में आगे।
और 2 अरब मुसलमान (57 देशों) के पास... सिर्फ़ बयान, जज़्बात और सोशल मीडिया के पोस्ट।

हमारी ताक़त कहाँ है?
हमारे Scientist कहाँ हैं?
हमारी Research कहाँ है?
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Ilm ka बँटवारा – सबसे बड़ा धोखा

कुछ लोग आज भी कहते हैं:

> “दुनियावी तालीम फालतू है, सिर्फ़ दीन काफ़ी है।”
नतीजा?

बच्चा हाफ़िज़ तो बनता है, मगर रोज़गार के लिए चाय-समोसे बेच रहा है। और कही कही तो वो दूसरा बच्च और पैरेंट्स ये समझता है कि ये सब science technology research में जायेंगे तो दीन से दूर हो जायेंगे इस वजह से न ही वो कुरआन सीखता है न ही साइंस बस कही पंचर की दुकान मीट काटने की दुकान धनिया मिर्ची की दुकान तक ही सीमित रह जाता है।
कहते है पहले दीन सीखो उसके बाद बच्चों को स्कूल भेजो या दुनजयियाबी एजुकेशन दो मै कहता हु कोई दुनियावी एजुकेशन नहीं दोनों को साथ साथ सीखो दोनों ही हमारे लिए जरुरी है ।

मस्जिदों में अल्फ़ाज़ हैं, मगर दुनिया में असर नहीं।

उम्मत के पास तफ़्सीर है, मगर टेक्नोलॉजी नहीं।
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अब क्या करना होगा? – नया रास्ता, नया फर्ज़

1. मदरसों में साइंस, मैथ्स, इंग्लिश और टेक्नोलॉजी पढ़ाई जाए।
2. मौलवी सिर्फ़ नमाज़ कुर्बानी 4 शादियां नहीं, इल्म की ताक़ीद करे
3. बच्चों को Hafiz और Doctor दोनों बनने की राह दी जाए।
4. Ilm को इबादत माना जाए — चाहे वो दीन का हो या दुनिया का
5. हमारी मस्जिद की ख़ुत्बे में science & technology कि इल्म की अहमियत बताई जाए ताकि लोग और ज्यादा साइंस और मॉडर्न सब्जेक्ट की ओर आए और पैरेंट्स और बच्चों को पता चले कि ये भी दीन का हिस्सा इसको भी हासिल करना फर्ज है हमपर
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याद रखो:

बिना तालीम के उम्मत सिर्फ़ भीड़ है — असर नहीं।
बिना साइंस के हमारे पास सिर्फ़ ग़म होंगे — हल नहीं।
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अगर उम्मत को फिर से उठाना है तो कलम उठाओ, किताबें खोलो, लैब में जाओ, रिसर्च करो — और दुनिया को फिर दिखाओ कि "Iqra" (पढ़ो) का पैग़ाम किसका था।

26/05/2025

ये है गाजा की अज़ान दर्द महसूस कीजिए फिलिस्तीनियों का 🥹
इतनी मुश्किलों में भी उन लोगों का ईमान देखिए वो अल्लाह को नहीं भूले!

अल्लाह ने कब्जाधारी मक्का के मुशरिक लोगों को बुरा माना और सूरह तौबा नाजिल फरमाई जिसकी आयत 19 कहती हैं कि 👇“क्या तुमने हा...
25/05/2025

अल्लाह ने कब्जाधारी मक्का के मुशरिक लोगों को बुरा माना और सूरह तौबा नाजिल फरमाई जिसकी आयत 19 कहती हैं कि 👇

“क्या तुमने हाजियों को पानी पिलाने वाले और मस्जिद अल हरम की देख रेख करने वालों को उस इंसान से बेहतर मान लिया है जो अल्लाह और रोज़ ए हस्र पर ईमान ले आया और हक की लड़ाई लड़ी? ये अल्लाह के नजदीक बराबर नही है। अल्लाह जालिम लोगों का साथ नही देता।”

अल्लाह उन मुशरिक लोगों के खिलाफ जंग करने को कह रहे हैं जो मक्का और मस्जिद अल हरम पर कब्जा करके बैठे थे। लेकिन हाजियों के लिए इंतजाम करते थे सवाब की नियत से नही बल्की धन के लिए।
हालांकि ये बात मक्का के मुश्रिकों के लिए थी लेकीन ऐसा लगता है जैसे आज वाले जो मुस्लिम तो है लेकिन सिर्फ हाजियों को पानी पिलाना और मस्जिद अल हरम की देख भाल करने को ही अपने जिम्मेदारी समझ रहे हैं जबकि हक की लड़ाई लड़ने में कतरा रहे हैं।

अल्लाह के नजदीक हक की लड़ाई लड़ने वाला बेहतर है।!

Zidd honi chahiye jisse pyaar kro usse Niqah krne ke liye........Wrna ghr wale to kisi ke nhi mante...!
13/05/2025

Zidd honi chahiye jisse pyaar kro usse Niqah krne ke liye........
Wrna ghr wale to kisi ke nhi mante...!

أنت الأجمل في عينيMeri Nazar Me Sabse Haseen Tum Ho.❤️‍🩹🥰
06/05/2025

أنت الأجمل في عيني
Meri Nazar Me Sabse Haseen Tum Ho.❤️‍🩹🥰

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