27/05/2025
Total science Nobel prize winner ( 1901 - 2024)
Breakdown by abrahmic relegion
(1) Jews (यहूदी)
दुनिया की Total population में सिर्फ 0.2% ( 15.8M)
(1) Physics में - 26%
(2) Chemistry में - 19%
(3) Physiology & medicine - 27%
Total Nobel prize winner लगभग 185 से 190 तक ।
( 2) Christian ( ईसाई )
दुनिया की Total population में 31% ( 2.4B)
(1) Physics मे - 64%
( 2) Chemistry में - 74%
( 3) Physiology & medicine में - 65%
Total Nobel prize winner लगभग 400 से 420 तक।
(3) Muslim ( मुस्लिम)
दुनिया की Total population में 25% ( 2B) जो कि बहुत अधिक संख्या है ।
(1) Physics मे - 1 लोग सिर्फ dr Abdus Salam
(2) Chemistry में - 3 लोग
(3) Physiology & medicine - 0 कोई नहीं
दुनियां की इतनी बड़ी मुस्लिम population होने के बावजूद सिर्फ़ 0.1% लोग Nobel prize winner है।
हमारी हालत – इक़रा (पढ़ो) से शुरू हुआ था, मगर आज...
हमारी मस्जिदों में, मंचों पर, माइक पर —
सबसे ज़्यादा बातें होती हैं जन्नत और जहन्नम पर।
"फलां काम करो तो जन्नत, फलां करो तो जहन्नम..."
मगर कोई ये नहीं बताता कि इल्म नहीं होगा तो ये उम्मत दुनिया में ही जहन्नम देखेगी।
Ilm से दूरी का खौफनाक नतीजा – Palestine का ताज़ा हाल
आज देखो — इज़राइल 15 मिलियन की आबादी से पूरी दुनिया को हिला रहा है।
AI, Missile Tech, Cyber Army, Drone, Research Lab — हर फील्ड में आगे।
और 2 अरब मुसलमान (57 देशों) के पास... सिर्फ़ बयान, जज़्बात और सोशल मीडिया के पोस्ट।
हमारी ताक़त कहाँ है?
हमारे Scientist कहाँ हैं?
हमारी Research कहाँ है?
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Ilm ka बँटवारा – सबसे बड़ा धोखा
कुछ लोग आज भी कहते हैं:
> “दुनियावी तालीम फालतू है, सिर्फ़ दीन काफ़ी है।”
नतीजा?
बच्चा हाफ़िज़ तो बनता है, मगर रोज़गार के लिए चाय-समोसे बेच रहा है। और कही कही तो वो दूसरा बच्च और पैरेंट्स ये समझता है कि ये सब science technology research में जायेंगे तो दीन से दूर हो जायेंगे इस वजह से न ही वो कुरआन सीखता है न ही साइंस बस कही पंचर की दुकान मीट काटने की दुकान धनिया मिर्ची की दुकान तक ही सीमित रह जाता है।
कहते है पहले दीन सीखो उसके बाद बच्चों को स्कूल भेजो या दुनजयियाबी एजुकेशन दो मै कहता हु कोई दुनियावी एजुकेशन नहीं दोनों को साथ साथ सीखो दोनों ही हमारे लिए जरुरी है ।
मस्जिदों में अल्फ़ाज़ हैं, मगर दुनिया में असर नहीं।
उम्मत के पास तफ़्सीर है, मगर टेक्नोलॉजी नहीं।
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अब क्या करना होगा? – नया रास्ता, नया फर्ज़
1. मदरसों में साइंस, मैथ्स, इंग्लिश और टेक्नोलॉजी पढ़ाई जाए।
2. मौलवी सिर्फ़ नमाज़ कुर्बानी 4 शादियां नहीं, इल्म की ताक़ीद करे
3. बच्चों को Hafiz और Doctor दोनों बनने की राह दी जाए।
4. Ilm को इबादत माना जाए — चाहे वो दीन का हो या दुनिया का
5. हमारी मस्जिद की ख़ुत्बे में science & technology कि इल्म की अहमियत बताई जाए ताकि लोग और ज्यादा साइंस और मॉडर्न सब्जेक्ट की ओर आए और पैरेंट्स और बच्चों को पता चले कि ये भी दीन का हिस्सा इसको भी हासिल करना फर्ज है हमपर
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याद रखो:
बिना तालीम के उम्मत सिर्फ़ भीड़ है — असर नहीं।
बिना साइंस के हमारे पास सिर्फ़ ग़म होंगे — हल नहीं।
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अगर उम्मत को फिर से उठाना है तो कलम उठाओ, किताबें खोलो, लैब में जाओ, रिसर्च करो — और दुनिया को फिर दिखाओ कि "Iqra" (पढ़ो) का पैग़ाम किसका था।