13/03/2025
जनसुराज और प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति में नई लहर
नई दिल्ली, 13 मार्च 2025 – बिहार की राजनीति में एक नया और महत्वपूर्ण मोड़ प्रशांत किशोर के नेतृत्व में उभर रहा है। चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर ने अब "जनसुराज" के बैनर तले बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी है। जनसुराज के माध्यम से प्रशांत किशोर ने एक नई राजनीतिक ताकत खड़ी करने का प्रयास किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य बिहार की जनता की मूलभूत समस्याओं को हल करना और पारंपरिक जाति और धर्म आधारित राजनीति से ऊपर उठकर विकास पर आधारित राजनीति को बढ़ावा देना है।
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प्रशांत किशोर का राजनीतिक सफर
प्रशांत किशोर (PK) का नाम भारतीय राजनीति में एक सफल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई बड़े राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और महत्वपूर्ण चुनावी जीत दिलाई। उनके राजनीतिक सफर की प्रमुख झलकियां इस प्रकार हैं:
- 2014 लोकसभा चुनाव:नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के अभियान के पीछे प्रशांत किशोर का मास्टर प्लान था। भाजपा ने इस चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
- 2015 बिहार विधानसभा चुनाव:प्रशांत किशोर ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के लिए रणनीति बनाई। इस चुनाव में महागठबंधन को भारी जीत मिली और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
- 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव: कांग्रेस के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनावी रणनीति बनाई, जिसमें कांग्रेस को बड़ी जीत मिली।
- 2019 आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव: वाईएसआर कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति तैयार की, जिससे जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने।
- 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव:तृणमूल कांग्रेस के लिए ममता बनर्जी की जीत सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
प्रशांत किशोर ने इन सफलताओं के बाद बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया और 2022 में "जनसुराज" अभियान की शुरुआत की।
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#जनसुराज: मिशन और दृष्टिकोण
प्रशांत किशोर ने जनसुराज को बिहार की पारंपरिक राजनीति से अलग रखते हुए इसे एक "जन आंदोलन" के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है। उनके अनुसार, जनसुराज का मुख्य उद्देश्य है:
✔️ जाति और धर्म आधारित राजनीति से ऊपर उठकर विकास आधारित राजनीति को बढ़ावा देना।
✔️ शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करना।
✔️ बिहार के गांव-गांव तक पहुंचकर जनता से सीधे संवाद करना।
✔️ भ्रष्टाचार, प्रशासनिक असफलता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना।
प्रशांत किशोर ने इस आंदोलन के तहत "पदयात्रा" की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने बिहार के सुदूर गांवों और कस्बों में जाकर जनता की समस्याओं को समझा और उनके समाधान का रोडमैप तैयार किया।
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जनसुराज पदयात्रा:
- प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 को पश्चिम चंपारण से जनसुराज की पदयात्रा शुरू की।
- इस पदयात्रा के तहत उन्होंने 12,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की।
- उन्होंने बिहार के 38 जिलों और 5000 से अधिक गांवों का दौरा किया।
- पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 1 करोड़ से अधिक लोगों से सीधा संवाद किया।
- इस अभियान का उद्देश्य था –
- बिहार के लोगों को जागरूक करना।
- जमीनी समस्याओं को समझकर उनका समाधान निकालना।
- भ्रष्टाचार, रोजगार की कमी और शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करना।
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जनसुराज का प्रभाव और राजनीतिक समीकरण:
प्रशांत किशोर के जनसुराज आंदोलन ने बिहार की पारंपरिक राजनीति को चुनौती दी है। इसका असर बिहार के प्रमुख दलों – जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी – पर पड़ रहा है।
1. जेडीयू और नीतीश कुमार पर असर:
- प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनकी नीतियों पर सवाल उठाए।
- उन्होंने जेडीयू की राजनीति को जाति आधारित बताया और विकास के मोर्चे पर असफल करार दिया।
2. बीजेपी के खिलाफ सीधा हमला:
- प्रशांत किशोर ने भाजपा की धार्मिक राजनीति और हिंदुत्व के एजेंडे को खुलकर निशाना बनाया।
- उन्होंने बिहार में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नीतियों पर सवाल उठाए।
3. आरजेडी की रणनीति पर प्रभाव:
- प्रशांत किशोर ने आरजेडी की यादव-मुस्लिम समीकरण वाली राजनीति को पुरानी राजनीति बताया।
- उन्होंने तेजस्वी यादव को विकास की जगह जातीय राजनीति पर ध्यान देने का आरोप लगाया।
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आलोचना और चुनौतियाँ:
हालांकि प्रशांत किशोर के जनसुराज को जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है:
❌ जनसुराज के पास अभी तक कोई संगठित पार्टी ढांचा नहीं है।
❌ बिहार के प्रमुख जातीय वोट बैंक (यादव, कुर्मी, दलित) पर पकड़ बनाना मुश्किल हो सकता है।
❌ पारंपरिक दलों – जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी – के मजबूत नेटवर्क के खिलाफ जनसुराज का उभरना आसान नहीं है।
❌ मुसलमानों और पिछड़े वर्गों में पहले से स्थापित दलों (आरजेडी और कांग्रेस) की पकड़ को चुनौती देना कठिन हो सकता है।
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भविष्य की रणनीति और चुनावी संभावनाएँ:
प्रशांत किशोर ने यह संकेत दिया है कि वह 2025 के विधानसभा चुनाव में जनसुराज को एक राजनीतिक दल के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
- जनसुराज को यदि यादव, मुस्लिम और दलित वोट बैंक का समर्थन मिलता है, तो यह जेडीयू और आरजेडी के समीकरण को बिगाड़ सकता है।
- यदि भाजपा और जेडीयू का गठबंधन कमजोर होता है, तो प्रशांत किशोर इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं।
- सीमांचल और पश्चिम बिहार के इलाकों में जनसुराज का प्रभाव बढ़ रहा है।
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विश्लेषण और निष्कर्ष:
प्रशांत किशोर का जनसुराज बिहार की पारंपरिक जातीय राजनीति को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए एक अलग रणनीति अपनाई है। हालांकि, पारंपरिक राजनीतिक दलों की मजबूत स्थिति को देखते हुए प्रशांत किशोर के लिए यह सफर आसान नहीं होगा। बिहार की राजनीति में जनसुराज एक नया मोर्चा खोल चुका है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
(Al Hind News के लिए विशेष रिपोर्ट)