24/08/2025
सराफा बाजार की तरह चाट - चौपाटी भी इंदौर की धरोहर है : ,महापौर
नहीं हटेगी सराफा चौपाटी, रात में 80 दुकानें तो लगेंगी ही।
व्यापारियों की चिंता आगजनी जैसी घटना हो जाए तो फायर ब्रिगेड तक नहीं जा सकता।
🔺कीर्ति राणा 🔺
इंदौर : महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्पष्ट कर दिया है कि सराफा चौपाटी वाली जो 80 दुकानें दशकों से लग रही हैं वही दुकानें एक सितंबर के बाद उसी स्थान पर लगेंगी। इनके अलावा शेष जितनी भी दुकानें अभी लग रही हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा। इन 80 दुकानों को लेकर यदि सराफा व्यापारियों की कोई आपत्ति है तो उसका हल भी निकालेंगे। यह बात सराफा एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में समझा दी है। सराफा की तरह चाट - चौपाटी भी धरोहर है। इंदौर का कोई नागरिक नहीं चाहेगा कि चौपाटी यहां से हटाई जाए। नगर निगम ने तो 80 दुकानों को अनुमति वाली रिपोर्ट महीनों पहले जारी कर दी थी, फिर ये विरोध की बातें अब अचानक क्यों शुरु कर दी।
महापौर ने चर्चा में कहा यदि गैस टंकी का उपयोग और आगजनी के खतरे जैसी कोई बात है तो यह मुद्दा इतना बड़ा भी नहीं है कि जिसे हल नहीं किया जा सके। शनिवार को हुई बैठक फायनल है, अब जिसे जो करना है करे। प्रशासन भी नहीं चाहेगा कि त्यौहारी सीजन में शहर की शांति भंग हो।ऐसा कोई मुद्दा नहीं जिसे आपसी चर्चा से हल ना
किया जा सके।
संकरी गली होने के खतरे।
जिस सराफा, बोहरा बाजार, मारोठिया जैसी तंग गलियों में दो पहिया वाहन भी फर्राटे से नहीं निकल सकते, यदि इन बाजारों में सरेशाम कोई धमाका हो जाए तो फायर ब्रिगेड वाहन कैसे पहुंच पाएगा ? जाहिर है बाजार वाली गली के मुहाने/ चौराहे पर ही वॉटर टैंक वाले वाहन से अंदर तक पाइप बिछा कर काबू पाने के प्रयास किए जाएंगे।
होल्कर रियासत के वक्त सराफा बाजार की स्थापना।
सोना-चांदी-हीरे आदि का कारोबार करने के लिए व्यापारियों को दुकानें दी गई थी। राजबाड़ा के समीप ही सराफा क्षेत्र विकसित करने का उद्देश्य यह भी था कि सुरक्षा को लेकर व्यापारी निश्चिंत रहें। चौपाटी की दुकानें तो बाद में अस्तित्व में आई, कपड़ा मार्केट में दुकानें मंगल करने के बाद व्यापारी रात में ठंडाई छानने के बाद इन दुकानों पर तर माल खाने और तांगों में तफरीह करने के लिए निकलते थे। जिस धान गली में भांग ठंडाई की दुकान पर शाम ढलते ही ग्राहकों की भीड़ इसलिए भी बढ़ जाती थी कि सराफा चौपाटी पर रबड़ी, गुलाब जामुन, घेवर, जलेबी, चटपटी चाट, कचोरी, भुट्टे का किस आदि उपलब्ध रहता था।सराफा से खजूरी बाजार को जोड़ने वाली उस पतली वाली धान गली में भी अब सोना-चांदी जेवर सुधारने वाले बंगाली कारीगर इन व्यापारियों के लिए काम करते हैं।
सराफा के सोना-चांदी व्यापारी पिछले कुछ वर्षों से चौपाटी को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग इसलिए भी कर रहे हैं कि स्वर्णाभूषण का कारोबार करने वालों ने सराफा से हटकर एमजी रोड पर अपने शो रूम खोल लिए हैं, जो रात दस बजे तक तो चालू रहते ही हैं। श्रमिक इलाकों में भी सोना-चांदी की दुकानें संचालित होने से सराफा के कारोबार पर भी असर पड़ा है।
इसके उलट सराफा में तो सूर्यास्त के बाद से ही चौपाटी वाले दुकानदार ठेलागाड़ी के साथ इन दुकानों के आगे अपना कारोबार जमाने की तैयारी करने लग जाते हैं तो कुछ यशोदा माता मंदिर, खजूरी बाजार, शक्कर बाजार में ठेले सहित पहुंच जाते हैं।
मल्हारगंज से खजूरी बाजार मार्ग चौड़ीकरण।
नृसिंह बाजार से खजूरी बाजार को जोड़ने वाले मार्ग का चौड़ीकरण जरूर हुआ है लेकिन दिन में ई रिक्शा चालकों के कब्जे से लेकर रॉंग साइड आने वाले वाहन चालकों पर सख्ती नहीं होने से दिन में यातायात प्रभावित रहता है और रात में सराफा चौपाटी तक पहुंचने वाले इन मार्गों पर चाहे जहां वाहन पार्क कर देते हैं।
गैस सिलेंडर बिना बंगाली कारीगरों की तरह चौपाटी वालों का काम नहीं चल सकता।
सराफा चौपाटी की दुकानों पर गैस भट्टी का इस्तेमाल, बंगाली कारीगरों द्वारा स्वर्णाभूषण सुधारने के लिए तेजाब और गैस सिलेंडर का इस्तेमाल वर्षों से हो रहा है, अब तक कोई आगजनी नहीं हुई यह अच्छा है लेकिन किसी दिन सराफा वाले रोड पर भगदड़ हो जाए, आपस में लोग झगड़ पड़े, ग्राहकों का टल्ला लगने से तेल का कड़ाव पलट जाए या अचानक गैस भभक जाने से आग लग जाए, अचानक सिलेंडर में ही ब्लास्ट हो जाए तो…? तब जो स्थिति बनेगी उसकी कल्पना ही चिंता बढ़ा देती है। किसी दुकान पर आगजनी, सिलेंडर में ब्लास्ट होने पर अन्य दुकानों के सिलेंडर में ब्लास्ट के साथ ही बंगाली कारीगरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिलेंडर भी ब्लास्ट होते वक्त नहीं लगेगा। ऐसे हालता जिस दिन भी बनेंगे वो वक्त सराफा, बोहरा बाजार, पीपली बाजार, धान गली, बर्तन बाजार, मारोठिया, शक्कर बाजार से लेकर कपड़ा मार्केट तक की दुकानों और इन बाजारों वाले मकानों में रहने वाले परिवारों के लिए बेहद घातक हो सकता है। ठीक है कि नगर निगम के पास ऐसे हालात से निपटने के पर्याप्त संसाधन है, जिला-पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद है लेकिन इसी शहर ने रंगपंचमी की गैर में महिलाओं के साथ अशोभनीय व्यवहार उसी राजवाड़ा क्षेत्र में देखा है जहां भारी भरकम पुलिस बल मौजूद रहता है। शहर के आमजन उस नेहरु प्रतिमा वाले चौराहे से गुजरते हुए आज भी सोचते हैं संसाधनों से लैस नगर निगम पता नहीं चौराहे का काम कब पूरा करेगा। सराफा में पिछले कुछ वर्षों में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स जिस तेजी से बने हैं उनमें से कितनों ने तलघर में दुकानों का नक्शा पास कराया है यह नगर निगम को भी पता नहीं होगा।
एक भी दुकान के पक्ष में नहीं : हुकम सोनी ।
सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकम सोनी के अनुसार हमने महापौर से साफ कह दिया है कि हम चाट - चौपाटी की एक भी दुकान लगाए जाने के पक्ष में नहीं हैं, एक सितंबर से व्यापारी एक जुट होकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेंगे। हमने महापौर से कहा है जिन 80 दुकानदारों को अनुमति दे रहे हैं वो सूची पहले हमें बताए। ऐसा तो नहीं कि पारंपरिक व्यंजन की आड़ में मोमोज, नूडल्स, पोटेटो ट्विस्टर, पान, गोली-चूर्ण जैसी दुकानों को तो अनुमति नहीं दे रहे हैं।
विरोध के खतरे भी पता हैं सराफा एसोसिएशन को ।
सराफा चौपाटी का विरोध करने वाले सराफा सोना-चांदी व्यापारी एसोसिएशन को नगर निगम द्वारा बदले में की जाने वाली कार्रवाई के खतरे भी पता हैं। नगर निगम अतिक्रमण विरोधी मुहिम चला कर आवाज दबा सकता है, इमारतों में नक्शे के विपरीत बने निर्माण तोड़ सकता है। व्यापारी ऐसे खतरों का सामना करने के लिए भी तैयार इसलिए हैं कि वोट तो हमने भी दिया है, नगर निगम और सरकार के अच्छे काम में सहयोग के आह्वान पर हम भी पीछे नहीं हटते। फिर हम चौपाटी हटाने की मांग व्यापक हित में कर रहे हैं। ठीक है कि अब तक कोई हादसा नहीं हुआ, हो गया तो सरकार मृतकों को दो लाख, घायलों को पचास हजार, टीआई, एसपी, कलेक्टर पर एक्शन से ज्यादा क्या करेगी। सराफा इस शहर की धरोहर है तो चौपाटी भी धरोहर है, प्रशासन का दायित्व है हमारी मांग की गंभीरता समझे और चौपाटी वालों को किसी अन्य खुली और पार्किंग सुविधा वाली जगह पर स्थानांतरित करे।
अवंतिका गैस वालों ने भी इंकार कर दिया।
बड़ा और छोटा सराफा में आगजनी जैसे हालात को टालने के लिए अवंतिका गैस की पाइप लाइन डालने के विकल्प पर भी चर्चा हुई थी। अवंतिका गैस वालों ने संकरी गलियों वाले इस क्षेत्र में पाइप लाइन डालने से इंकार कर दिया। गैस लाइन पीपली बाजार चौराहे तक ही है। सोचना जिला प्रशासन व नगर निगम को है कि सराफा बाजार में चौपाटी दुकानदारों के बीच ऐसा क्या समन्वय करें कि सर्वसम्मत हल निकलें। इतने छोटे मार्ग पर इतनी सारी गैस टंकियां और उनके बीच में से आपस में टकराते ग्राहक, फिर सड़क पर ही जगह रोक कर खाने को मजबूर ग्राहक, न कोई फायर सेफ्टी के इंतजाम, किसी भी दिन बड़ा हादसा होने की पूर्ण संभावना है।