02/07/2025
हिप्पोक्रिसी भी शरमा जाए, ऐसी बात की है अब इन मैडम खुशी मुखर्जी ने। पहले तो नंग-धड़ंग सड़कों पर निकलो। मीडिया वालों के लिए जमकर फोटो खिंचाओ। फिर जब जनता गाली सुनाए तो हनुमान चालीसा पढ़कर दिखाओ और कहो कि जी मैं तो ब्राह्मण परिवार की बेटी हूं। मैं अपनी संस्कृति की जड़ें जानती हूं।
वो वीडियो हमने भी देखा था जिसमें ये अपने घर का बचा हुआ कोई थोड़ा सा काला कपड़ा अपने जिस्म पर लपेट कर आ गई थी। गरीब बेचारी। और उसे फ़ैशन बता रही थी। इन मैडम की वो ड्रैस देखकर मुझे एक बार फिर से ज़ाहिद नाज़ान की कव्वाली याद आ गई जिसमें वो कहते हैं "छोड़ के दुनिया ढंग पुराना क्यों बेढंगी हो गई। कैसा निकला फ़ैशन देखो दुनिया नंगी हो गई।"
आधुनिकता विचारों की होनी चाहिए। आधुनिकता विज्ञान की होनी चाहिए। लेकिन आधुनिकता के नाम पर कपड़ों को छोटा करता जाना। अपने जिस्म की नुमाइश करना, ये बिल्कुल भी सही नहीं ठहराया जा सकता। इसकी आलोचना होनी ही चाहिए। और इसके खिलाफ़ कानून बनना चाहिए। लेकिन नहीं, आलतू-फ़ालतू कानून बनाने का समय है नेताओं के पास। नंगापन फ़ैलाने वालों के खिलाफ़ कानून नहीं बनाएंगे।
जब हनुमान चालीसा खत्म हो जाती है तो मैडम कहती हैं कि मैंने ये इसलिए किया है क्योंकि मैं सभी को बताना चाहती हूं कि अगर मैं ऐसे कपड़े पहनती हूं तो इसका मतलब ये नहीं कि मैं अपने कल्चर को भूल गई हूं। और लोग मेरे बारे में अब भी बुरा ही कहेंगे। ट्रोल करेंगे।
अरे मैडम जी, लोगों की इतनी परवाह आपको क्यों हो रही है? इतनी परवाह अगर लोगों की होती तो उस दिन वो चीथड़ा लपेटकर थोड़ी आप मीडिया के सामने आकर फोटो खिंचाती? आपको कंट्रोवर्सी इसलिए क्रिएट करना है ताकि आप बिग बॉस जा सको। वहां से मोटा रुपया छाप सको। या किसी और फ़र्ज़ी शो में जाकर वहां से नोट बना सको। क्योंकि जिस्म दिखाने और कंट्रोवर्सी क्रिएट करने के अलावा आपके पास कोई और हुनर नहीं है।