14/12/2024
जनहित में जारी संदेश
🌿*इतना फायदेमंद है जैतून का तेल, जानें फायदे*
1 जैतून के तेल में फैटी एसिड की पर्याप्त मात्रा होती है जो हृदय रोग के खतरों को कम करती है। मधुमेह रोगियों के लिए यह काफी लाभदायक है। शरीर में शुगर की मात्रा को संतुलित बनाए रखने में इसकी खास भूमिका है। इसलिए आहार में भी इस तेल का प्रयोग किया जाता है।
2 इसमें संतृप्त वसा की मात्रा कम होती है जिससे शरीर में कॉलेस्टेरोल की मात्रा को भी संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे हृदयाघात का खतरा काफी कम हो जाता है।
3 जैतून के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा भी काफी होती है। इसमें विटामिन ए, डी, ई, के और बी-कैरोटिन की मात्रा अधिक होती है। इससे कैंसर से लड़ने में आसानी होती है साथ ही यह मानसिक विकार दूर कर आपको जवां बनाए रखने में भी मदद करता है।
4 ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में किए गए एक शोध के अनुसार जैतून का तेल आंत में होने वाले कैंसर से बचाव करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
5 जैतून के तेल में कैल्शियम की काफी मात्रा पाई जाती है, इसलिए भोजन में इसका उपयोग या अन्य तरीकों से इसे आहार में लेने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से निजात मिलती है।
6 जैतून के तेल में संतृप्त वसा लगभग ना के बराबर होता है जिससे यह आपके शुुगर लेवल को नियंत्रित करता है। साथ ही इसे खाने से बॉर्डर लाइन डायबीटिज होने का खतरा 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
7 लंबे समय तक जैतून के तेल को आहार में शामिल करने पर यह शरीर में मौजूद वसा को खुद ब खुद कम करने लगता है। इससे आपका मोटापा कम होता है, वह भी हेल्दी तरीके से।
--------: तुलसी के फेसपेक :--------
तुलसी (तुलसी) एंटीऑक्सिडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है, जो त्वचा के लिए अत्यधिक लाभकारी है। तुलसी से फेस पैक बनाना आसान है और ये सभी प्रकार की त्वचा समस्याओं में सहायता करते हैं। नीचे विभिन्न प्रकार की तुलसी फेस पैक की विधियां दी गई हैं --------
------: तुलसी और शहद फेस पैक :------
(ड्राई स्किन के लिए)
1- घटक द्रव्य --------
1 बड़ा चम्मच तुलसी का पाउडर या पेस्ट,1 छोटा चम्मच शहद, 1 छोटा चम्मच दही।
2- निर्माण विधि ------
(1) तुलसी के पाउडर या पेस्ट में , शहद और दही मिलाएं।
(2) इसे अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट बना लें।
(3) चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक सूखने दें।
* गुनगुने पानी से धो लें।
3- उपयोगी -------
(1) यह पैक त्वचा को नमी प्रदान करता है और रूखापन दूर करता है।
---------: तुलसी और मुल्तानी मिट्टी फेस पैक :-------
(ऑयली स्किन के लिए)
(1) घटक द्रव्य -------
1 बड़ा चम्मच तुलसी का पाउडर या पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल।
(2) निर्माण विधि ------
* तुलसी और मुल्तानी मिट्टी को मिलाएं।
* आवश्यक मात्रा में, गुलाब जल डालकर पेस्ट तैयार करें।
* इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक सूखने दें।
* ठंडे पानी से धो लें।
(3) उपयोगी -------
* यह पैक अतिरिक्त तेल हटाता है और त्वचा को स्वच्छ और फ्रेश बनाता है।
---------: तुलसी और हल्दी फेस पैक :--------
(मुंहासों के लिए)
1- घटक द्रव्य -------
1 बड़ा चम्मच तुलसी का पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच हल्दी, 1 छोटा चम्मच नींबू का रस।
2- निर्माण विधि -------
(1) सभी सामग्रियों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें।
(2) इसे चेहरे पर लगाएं, विशेष रूप से मुंहासों वाले हिस्से पर।
(3) 10-15 मिनट के लिए रखें और फिर गुनगुने पानी से धो लें।
3- उपयोगी -------
(1) यह पैक मुंहासों को कम करता है और त्वचा को चमकदार बनाता है।
-------: तुलसी और एलोवेरा फेस पैक :---------
(ग्लोइंग स्किन के लिए)
1- घटक द्रव्य -------
1 बड़ा चम्मच तुलसी का पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच एलोवेरा जेल।
2- निर्माण विधि --------
(1) तुलसी और एलोवेरा जेल को मिलाएं।
(2) इसे चेहरे और गर्दन पर लगाएं।
(3) 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
(4) ठंडे पानी से धो लें।
3- उपयोगी -------
(1) यह पैक, त्वचा को ठंडक और चमक प्रदान करता है।
-------: तुलसी और ओटमील फेस पैक :------
(डेड स्किन हटाने के लिए) :---------
1- घटक द्रव्य ------
1 बड़ा चम्मच तुलसी का पाउडर, 1 बड़ा चम्मच ओटमील (पीसा हुआ), दूध।
2- निर्माण विधि -------
(1) तुलसी और ओटमील में दूध मिलाकर, पेस्ट बना लें।
(2) इसे चेहरे पर सर्कुलर मोशन में लगाएं।
(3) 10-15 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें।
3- उपयोगी --------
(1) यह फेस पैक, मृत त्वचा को हटाकर, त्वचा को सॉफ्ट और स्मूद बनाता है।
विशेष सुझाव -------
* तुलसी का पाउडर न हो, तो ताजा तुलसी की पत्तियों को पीसकर उपयोग करें।
* फेस पैक को स्वच्छ चेहरे पर लगाएं।
* अच्छे परिणाम के लिए, सप्ताह में 2-3 बार उपयोग करें।
* यह फेस पैक, आपकी त्वचा को प्राकृतिक तरीके से चमकदार, स्वस्थ और समस्यामुक्त बनाएंगे
: *यकीन मानिए, गुड़ मिठाई नहीं अमृत है...*
*जानिये कैसे...???*
(1). झुर्रिया और पिंपल्स कम करता है।
गुड़ में भरपूर विटामिन और मिनरल्स पाएं जाते हैं, जो स्किन को पोषित करते हैं। गुड़ से स्किन सॉफ्ट, हेल्दी, हाइड्रेट और ग्लोइंग बनती है। इससे चेहरे पर झुर्रिया भी नहीं पड़ती और यह पिंपल्स होने से भी रोकता है।
*(2). कम करें वजन*
मीठा खाने से कैलोरी बढ़ती है जिससे वजन ज्यादा होने लगता है, लेकिन गुड़ में पाएं जाने वाले मिनरल्स विशेषतः पोटेशियम वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। साथ ही यह मेटाबोलिज्म भी बढ़ाता है।
*कब्ज...*
गुड़ पाचन का एक बहुत अच्छा साधन है।
इससे पाचन तंत्र दुरूस्त बना रहता है और कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याएं नहीं होती है।
खाने के बाद गुड़ खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद रहता है।
*घने बाल...*
गुड़ आयरन का एक अच्छा स्त्रोत है।
इसे विटामिन सी से भरपुर चीजों जैसे नींबू, आंवला आदि के साथ खाने से बाल लंबे, घने, काले और हेल्दी बनते हैं।
ऎसा माना जाता है कि महिने में दो बार शैंपू से पहले गुड़, मुल्तानी मिट्टी और दही का मिश्रण बालों में लगाने से बाल प्राकृतिक रूप से खूबसूरत और लंबे होते हैं।
*लिवर की सफाई...*
गुड़ का एक छोटा सा टुकड़ा आपके शरीर से अपशिष्ट पदार्थो को बाहर कर देता है। अगर कोई एल्कोहल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करता है तो लिवर की सफाई के लिए गुड़ बेस्ट है
*जोड़ों के दर्द में सहायक...*
गुड़ में कैल्शियम पाया जाता है, जो हडि्डयों को मजबूत बनाता है।
गुड़ के सेवन से हडि्डयों से जुड़ी समस्याओं और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
रोज अदरक के एक टुकड़े के साथ गुड़ खाने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है और ज्वॉइंट्स मजबूत बनते हैं।
*अस्थमा...*
गुड़ में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाने से यह गले और फेफड़ों के इंफेक्शन से बचाव करता है। साथ ही अस्थमा मरीज को सांस लेने में होने वाली दिक्कत को भी दूर करता है।
*इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता...*
गुड़ में एंटिऑक्सीडेंट्स, जिंक, सेलेनियम पाया जाता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। जिससे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है। इसलिए रोज एक छोटा सा गुड़ का टुकड़ा खाना चाहिए।
*खून की सफाई...*
अगर रोजाना गुड़ खाया जाएं तो यह खून को प्योरिफाई करता है।
इससे खून साफ रहता है।
गुड़ खाने से ब्लड हीमोग्लोबिन बढ़ता है और खून संबंधी कई बीमारियों की जोखिम कम होती है।
ठंड में खाएं तिल*
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ठंड में तिल गुड़ दोनो समान मात्रा में लेकर मिला लें।उसके लड्डू बना ले। प्रतिदिन 2 बार 1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एंव तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है। कठिन शारीरिक श्रम करने पर सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है।
इसका नियमित सेवन करने से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।बच्चा सोते समय पेशाब करता हो़ तो भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिलाकर उसका लड्डू बना लीजिए।
बच्चे को यह लड्डू हर रोज रात में सोने से पहले खिलाइए, बच्चा सोते वक्त पेशाब नही करेगा।यदि सर्दी के कारण सूखी खांसी हो तो 4-5 चम्मच मिश्री एंव इतने ही तिल मिश्रित कर ले।इन्हे एक गिलास मे आधा पानी रहने तक उबाले। इसे दिनभर में तीन बार लें।एक स्टडी के मुताबिक ठंड में तिल व तिल के तेल का सेवन डायबिटीज के पेशेन्ट्स के लिए दवा का काम करता है।
पेट दर्द- 20-25 ग्राम साफ चबाकर उपर से गर्म पानी पिलाने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
खांसी आने पर तिल का सेवन कीजिए खांसी ठीक हो जाएगी।तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर पीने से सूखी खांसी भी दूर हो जाती है।
रोज सुबह अच्छे से चबा चबाकर काले तिल खाने से दांत और मसुड़े स्वस्थ रहते हैं।
रोज सुबह इस चूर्ण के सेवन से आर्थराइटिस की समस्या ठीक हो जाती है।ठंड में तिल के सेवन से कफ व सूजन से भी राहत मिलता है
शतावरी....
आयुर्वेद में बहुत सी जड़ी बूटियों का जिक्र किया जाता है उनमें से एक शतावरी जड़ी बूटी है जिसका औषधीय में उपयोग किया जाता है।
भारतीय आयुर्वदिक चिकित्सा में शतावरी बहुत पुराने समय से प्रचलित है। जड़ी बूटियों में कई प्रजातिया शामिल होती है और अनगिनत नामो से शतावरी को जाना जाता है जैसे की रेसमोसस (racemosus), तावरी, सतावर आदि। शतावरी का उपयोग मुख्य रूप से यौन संबंधित समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है। कुछ शोध के अनुसार शतावरी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में अधिक फायदेमंद होता है। शतावरी जड़ीबूटी और भी स्वास्थ्य लाभ होते है !
▪️▪️मधुमेह के लिए फायदेमंद .....
मधुमेह से पीड़ित लोगो के लिए शतावरी बहुत उपयोगी मानी जाती है। शतावरी में अच्छी मात्रा में विटामिन बी 6 होता है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकता है। मधुमेह प्रकार दो के लक्षणो को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा शतावरी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। इन गुणों से इंसुलिन में सुधार देखा जाता है। मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए आप शतावरी का उपयोग कर सकते हैं
▪️▪️पाचन के शतावरी फायदेमंद ....
पाचन तंत्र के लिए शतावरी बहुत अच्छा माना जाता है उसी तरह जैसे दही का सेवन किया जाता है। शतावरी में दही की तरह प्रोबायोटिक गुण होता है जो पाचन स्वास्थ्य को स्वस्थ रखता है। शतावरी में मौजूद घटक भोजन के पोषक तत्व को अवशोषित करने में मदद करता है। इसके अलावा शतावरी में फाइबर मौजूद होता है जो कब्ज की समस्या को होने नहीं देता है। अगर आप पाचन तंत्र की समस्या से परेशान है तो शतावरी चूर्ण का उपयोग जरूर करें।
▪️▪️वजन कम करने में फायदेमंद......
अगर वजन कम करना चाहते है तो शतावरी का उपयोग कर सकते है। कुछ शोध से पता चलता है की शतावरी वजन कम करने में फायदेमंद होते है। क्योंकि शतावरी में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जो चर्बी को कम करता है और वजन को बढ़ने नहीं देता है। फाइबर से जल्दी भूख नहीं लगती है क्योंकि जिनको अधिक भूख लगने पर अधिक भोजन करते है और मोटापा का शिकार हो जाते है। इसलिए वजन को नियंत्रित करने के लिए शतावरी का उपयोग जरूर करें।
▪️▪️हृदय को स्वस्थ रखने में .....
हमारे शरीर का पहला महत्वपूर्ण अंग हृदय है, इसलिए अपने हृदय का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। हृदय के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए शतावरी बहुत उपयोगी होता है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण मौजूद है जो होमोसिस्टीन स्तर को कम करने में मदद करते है। होमोसिस्टीन एक अमीनो एसिड होता है जो हृदय रोग को बढ़ाता है। इसके अलावा स्ट्रोक की समस्या को बढ़ा सकता है। इसलिए शतावरी का उपयोग करना चाहिए, ताकि हृदय रोग की समस्या को कम कर सके।
▪️वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है
▪️स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6 -11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है।
▪️शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाये।
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गाजर (Carrot) सभी को पता है कि गाजर जो है सलाद और सब्जी के रूप में खाया जाता है गाजर काफी फायदेमंद भी होता है आंखों के लिए यह बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है लेकिन किस वजह से गाजर फायदा करता(carrot nutrition) है और इसको खाने का जो सही तरीका है जिसके बाद ही यह फायदा करेगा इसको जान लेना बहुत ही आवश्यकता है क्योंकि इसमें जो भी तत्व है वह किस तरीके से आपके शरीर के लिए पोषक हैं यह भी जान लेना जरूरी है |
इसमें क्या न्यूट्रिएंट्स (carrot nutrition value)पाए जाते हैं खाने का जो तरीका है उसको कच्चा ज्यादा फायदा करता है उबालकर ज्यादा फायदा करता है या किसी और चीज के साथ में मिलाकर इसको खाया जाए तब ज्यादा फायदा करेगा सब्जी ग्रुप में ज्यादा फायदेमंद है या सलाद के रूप में फायदेमंद है(carrot nutrition information) किन चीजों में किन लोगों के लिए कौन से विटामिन होते हैं कौन से मिनरल्स होते हैं यह जान लेना बहुत ही जरूरी है हम आपको बताते हैं कि गाजर में पूरी मात्रा किस चीज की पाई जाती किन चीजों से मिलकर गाजर बना होता है और इसका फायदा बहुत ही अच्छी तरीके से कैसे खा ले पर मिल सकता है।
100 ग्राम गाजर खाने पर आपको कैलोरी जो मिलती है 41 पॉइंट मिलती है जबकि गाजर के 100 ग्राम में अगर पानी की मात्रा देखी जाए तो 88 परसेंट जाए इसमें पानी होता है कार्स जो होते हैं 9 पॉइंट 6 ग्राम होते हैं शुगर 4 पॉइंट 7 ग्राम होता है फाइबर 2.8 ग्राम होता है और फैट 0.2 ग्राम होता है।
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गाजर से weight loss भी होता है ।सबसे ज्यादा फायदेमंद ऑरेंज कलर का गाजर करता है ।इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है ।
गाजर (gajar nutrition value)में सेलुलोस की मात्रा हेमी सेलुलोस और लिग्निन की मात्रा होने के कारण यह constipation को भी कम करता है ।
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Carotene के कारण यह immune system को improve करता है ।जिससे heart decease और कई तरह के cancer पर भी रोक लगता है ।
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Vitamin A के कारण यह आंखों को फायदा करता है ।कोशिश करें कि गाजर आर्गेनिक हो इसमे पेस्टिसाइड्स का उपयोग न किया गया हो नही तो यह नुकसान भी कर सकता है ।
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इन पौष्टिकताओं के कारण गाजर को आधासीसी, कान का दर्द, मुँह का बदबू,पेट दर्द जैसे बीमारियों के लिए गाजर के जड़, फल और बीज का इस्तेमाल औषधि के लिए किया जाता है। चलिये गाजर के बारे में अनजाने तथ्यों के बारे में जानते हैं।
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इसलिए इसके सेवन को गर्भावस्था में टाला जाना चाहिए।यह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को मजबूत करता है।तो आप इस सर्दियों की सब्जी का आनंद किसी भी रूप (कच्ची, पकी हुई, जूस या हलवा) में लें, लेकिन खूब गाजर खाए और स्वस्थ रहें।
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सौंदर्य ग्रुप की प्रस्तुति
आपकी खूबसूरती का रखते है ख्याल
A group by Hans Jain
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*सेंसिटिव दांतों के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय*
कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर दांतों में झनझनाहट होना, खट्टा या मीठा लगने पर सेंसेशन होना जैसी समस्याओं को ही दांतों की सेंसिटिविटी कहते हैं. उम्र के साथ दांतों से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं और मसूड़ों की पकड़ कमजोर हो जाती है. कई बार दांतों की सड़न भी सेंसिटिविटी का कारण हो सकती है.
सेंसिटिविटी में फायदा पहुंचाने वाले टूथपेस्ट और दूसरे उपायों के विज्ञापन तो हम हर रोज देखते हैं लेकिन इनका असर कुछ देर तक ही रहता है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं. इन उपायों को अपनाने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है और इनका असर भी लंबे समय तक बना रहता है.
*इन घरेलू उपायों को अपनाने से होगा फायदा*
1. दिन में दो बार एक-एक चम्मच काले तिल को चबाने से सेंसिटिविटी में फायदा होता है.
2. तिल, सरसों का तेल और नारियल का तेल एक-एक चम्मच करके अच्छी तरह मिला लें. अब इस तेल से दांतों और मसूड़ों की मसाज करें. उसके बाद गुनगुने पानी से मुंह साफ कर लें. कुछ दिन ऐसा करने पर आपको खुद ही फर्क नजर आने लगेगा.
3. नमक और सरसों के तेल से मसाज करना भी फायदेमंद होता है. आप चाहें तो सिर्फ सरसों के तेल से भी दांतों और मसूड़ों की मसाज कर सकते हैं.
*दांतों की सेंसिटिविटी का सामना कैसे किया जा सकता है?*
दांतों की सेंसिटिविटी का सामना करने के कुछ तरीके हैं, आपको इसके लिए नीचे बताई गई बातों पर अमल करना होगा:
*दांतों की उचित देखभाल*
डॉक्टर सलाह देते हैं, “किसी मुलायम रेशे के टूथब्रश से दिन में दो बार ब्रश करें। दांत फ्लॉस करना न भूलें। माउथवॉश का इस्तेमाल करें। अगर हर बार खाने के बार ब्रश नहीं कर सकते तो कुल्ला जरूर करें।”
*खानपान की आदत बदलें*
डॉक्टर कहते हैं, “ऐसी ड्रिंक्स से परहेज़ करें जिसमें सिट्रिक एसिड की मात्रा उच्च होती है, खासतौर पर टमाटर, ऑरैंज, लेमन जूस और सोडा व एरेटिड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं। ऐसे गर्म और ठंडे ड्रिंक्स न पियें जो आपके दांतों की संवेदनशीलता को बढ़ा रहे हों। नियमित रूप से मसालेदार खाना खाने से आपके दांतों के इनेमल को नुकसान हो सकता है जो बाद में दांतों की संवेदनशीलता में बदल जाता है। खासतौर पर खाने-पीने की मीठी चीज़ें हालात को और बिगाड़ देता है। वो जड़ों में सीधा पहुंचकर दर्द बढ़ा देते हैं। कोशिश करें कि संतुलित खानपान लें। हाई-फाइबर फूड लें ताकि आपका सलाइवा बढ़ा हुआ रहे जो इनेमल की रक्षा करता है।” फाइबर के अच्छे स्रोत खजूर, किशमिश, ताज़े फल जैसे कि केला, सेब आदि होते हैं। आप सब्जियां भी खा सकते हैं।
*कैल्शियम लें*
दांतों की समस्या से बचने के लिए कैल्शियम जरूरी है। डेयरी उत्पाद कैल्शियम का अच्छा स्रोत होते हैं। इसके अलावा पत्तों वाली सब्जिया और ड्राई फ्रूट्स से भी आपकी ये आवश्यकता पूरी हो सकती है।
*अधिक पानी पीना*
हर रोज कम से कम चार लीटर पानी जरूर पियें। खाना खाने के बाद पानी पीना बहुत जरूरी है ये आपके दांतों से चिपके खाने को हटाता है जिससे प्लाक नहीं जमता।
*सेंसिटिव दांतों का उपचार कैसे हो?*
कुछ तरीकों से सेंसिटिव दांतों का उपचार किया जा सकता है:
*फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल*
डॉक्टर कहते हैं कि, ‘जिन टूथपेस्टों में डीसेंसिटाइजिंग तत्व होते हैं जैसे कि फ्लोराइड, वो इसमें सहायता कर सकता है। ये डेन्टिनल ट्यूबुल्स को ब्लॉक करके काम करता है। जिससे कि नर्व प्रभावित नहीं होती। अपनी उंगली में पेस्ट लें और दर्द वाली जगहों पर लगाकर मसाज करें।’
*ब्रुक्सिज्म का इलाज करवाएं*
अगर आपके दांत भिंच जाते हैं तो रात को माउथगार्ड का इस्तेमाल करें। इससे आपके दांतों को नुकसनान नहीं होगा। दांतों का उचित जांच करवाकर आप बनवा भी सकते हैं।
*रूट केनाल करवाएं*
डॉक्टर आमतौर पर दांतों के खोखलेपन (जहां से सेंसिटिविटी और दर्द जन्म लेता है) को भरने के लिए रूट केनाल करवाने की सलाह देते हैं। रूट केनाल से नसों में सनसनाहट होनी बंद हो जाती है।
*एडवांस्ड ट्रीटमेंट*
बहुत बाद दांतों की संवेदनशीलता की समस्या ऐसी होती है कि डॉक्टर अलग तरह का उपचार करता है। डॉक्टर कहते हैं, ‘प्रभावित हिस्सों में स्पेशल फ्लोराइड जेल, वार्निश लगाए जाते हैं। अगल उससे आराम नहीं मिलता तो आपके डॉक्टर डेंटाइन कवर करते हैं।’
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*सेंसिटिव दांतों के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय*
कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर दांतों में झनझनाहट होना, खट्टा या मीठा लगने पर सेंसेशन होना जैसी समस्याओं को ही दांतों की सेंसिटिविटी कहते हैं. उम्र के साथ दांतों से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं और मसूड़ों की पकड़ कमजोर हो जाती है. कई बार दांतों की सड़न भी सेंसिटिविटी का कारण हो सकती है.
सेंसिटिविटी में फायदा पहुंचाने वाले टूथपेस्ट और दूसरे उपायों के विज्ञापन तो हम हर रोज देखते हैं लेकिन इनका असर कुछ देर तक ही रहता है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं. इन उपायों को अपनाने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है और इनका असर भी लंबे समय तक बना रहता है.
*इन घरेलू उपायों को अपनाने से होगा फायदा*
1. दिन में दो बार एक-एक चम्मच काले तिल को चबाने से सेंसिटिविटी में फायदा होता है.
2. तिल, सरसों का तेल और नारियल का तेल एक-एक चम्मच करके अच्छी तरह मिला लें. अब इस तेल से दांतों और मसूड़ों की मसाज करें. उसके बाद गुनगुने पानी से मुंह साफ कर लें. कुछ दिन ऐसा करने पर आपको खुद ही फर्क नजर आने लगेगा.
3. नमक और सरसों के तेल से मसाज करना भी फायदेमंद होता है. आप चाहें तो सिर्फ सरसों के तेल से भी दांतों और मसूड़ों की मसाज कर सकते हैं.
*दांतों की सेंसिटिविटी का सामना कैसे किया जा सकता है?*
दांतों की सेंसिटिविटी का सामना करने के कुछ तरीके हैं, आपको इसके लिए नीचे बताई गई बातों पर अमल करना होगा:
*दांतों की उचित देखभाल*
डॉक्टर सलाह देते हैं, “किसी मुलायम रेशे के टूथब्रश से दिन में दो बार ब्रश करें। दांत फ्लॉस करना न भूलें। माउथवॉश का इस्तेमाल करें। अगर हर बार खाने के बार ब्रश नहीं कर सकते तो कुल्ला जरूर करें।”
*खानपान की आदत बदलें*
डॉक्टर कहते हैं, “ऐसी ड्रिंक्स से परहेज़ करें जिसमें सिट्रिक एसिड की मात्रा उच्च होती है, खासतौर पर टमाटर, ऑरैंज, लेमन जूस और सोडा व एरेटिड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं। ऐसे गर्म और ठंडे ड्रिंक्स न पियें जो आपके दांतों की संवेदनशीलता को बढ़ा रहे हों। नियमित रूप से मसालेदार खाना खाने से आपके दांतों के इनेमल को नुकसान हो सकता है जो बाद में दांतों की संवेदनशीलता में बदल जाता है। खासतौर पर खाने-पीने की मीठी चीज़ें हालात को और बिगाड़ देता है। वो जड़ों में सीधा पहुंचकर दर्द बढ़ा देते हैं। कोशिश करें कि संतुलित खानपान लें। हाई-फाइबर फूड लें ताकि आपका सलाइवा बढ़ा हुआ रहे जो इनेमल की रक्षा करता है।” फाइबर के अच्छे स्रोत खजूर, किशमिश, ताज़े फल जैसे कि केला, सेब आदि होते हैं। आप सब्जियां भी खा सकते हैं।
*कैल्शियम लें*
दांतों की समस्या से बचने के लिए कैल्शियम जरूरी है। डेयरी उत्पाद कैल्शियम का अच्छा स्रोत होते हैं। इसके अलावा पत्तों वाली सब्जिया और ड्राई फ्रूट्स से भी आपकी ये आवश्यकता पूरी हो सकती है।
*अधिक पानी पीना*
हर रोज कम से कम चार लीटर पानी जरूर पियें। खाना खाने के बाद पानी पीना बहुत जरूरी है ये आपके दांतों से चिपके खाने को हटाता है जिससे प्लाक नहीं जमता।
*सेंसिटिव दांतों का उपचार कैसे हो?*
कुछ तरीकों से सेंसिटिव दांतों का उपचार किया जा सकता है:
*फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल*
डॉक्टर कहते हैं कि, ‘जिन टूथपेस्टों में डीसेंसिटाइजिंग तत्व होते हैं जैसे कि फ्लोराइड, वो इसमें सहायता कर सकता है। ये डेन्टिनल ट्यूबुल्स को ब्लॉक करके काम करता है। जिससे कि नर्व प्रभावित नहीं होती। अपनी उंगली में पेस्ट लें और दर्द वाली जगहों पर लगाकर मसाज करें।’
*ब्रुक्सिज्म का इलाज करवाएं*
अगर आपके दांत भिंच जाते हैं तो रात को माउथगार्ड का इस्तेमाल करें। इससे आपके दांतों को नुकसनान नहीं होगा। दांतों का उचित जांच करवाकर आप बनवा भी सकते हैं।
*रूट केनाल करवाएं*
डॉक्टर आमतौर पर दांतों के खोखलेपन (जहां से सेंसिटिविटी और दर्द जन्म लेता है) को भरने के लिए रूट केनाल करवाने की सलाह देते हैं। रूट केनाल से नसों में सनसनाहट होनी बंद हो जाती है।
*एडवांस्ड ट्रीटमेंट*
बहुत बाद दांतों की संवेदनशीलता की समस्या ऐसी होती है कि डॉक्टर अलग तरह का उपचार करता है। डॉक्टर कहते हैं, ‘प्रभावित हिस्सों में स्पेशल फ्लोराइड जेल, वार्निश लगाए जाते हैं। अगल उससे आराम नहीं मिलता तो आपके डॉक्टर डेंटाइन कवर करते हैं।’
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सौंदर्य ग्रुप की प्रस्तुति
आपकी खूबसूरती का रखते है ख्याल
A group by Hans Jain
💓💓💓💓💓 अगर सर्दी वाला बुखार है तो
एक गिलास पानी में अदरक, तुलसी, अजवायन केसर, अश्वगंधा, हल्दी सौंठ गुड़, जो कुछ भी अभी मिले
ये 8 उपाय घर बैठे उतार देंगे चश्मा, बढ़ जाएगी आंखों की रोशनी.....
कमजोर आंखों की रोशनी और आंखों पर चढ़ा चश्मा अक्सर आपको परेशान करता ही होगा। बार बार डॉक्टर के चक्कर लगाने से अच्छा है घर बैठे ही ये उपाय अपना लें, जिनसे आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ेगी और इन्हें नियमित रूप से करने से चश्मा भी उतर सकता है।
▪️1. बादाम, सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर उसे पीस लें। इस मिश्रण का 10 ग्राम हिस्सा 250 मिली दूध के साथ रात में सोने से पहले लें। 40 दिन तक लगातार इसे इस्तेमाल करने से आप महसूस करेंगे कि आंखों की रोशनी बढ़ी है। याद रहे इसे लेने के दो घंटे बाद तक पानी न पिएं।
▪️2. आंवला में विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होने से यह आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आंवला का सेवन पाउडर, कैप्सूल, जैम या जूस की तरह किया जा सकता है। हर सुबह शहद के साथ ताजा आमले का रस पीने से या रात में सोने से पहले पानी के साथ एक चम्मच आमला पाउडर खाने से भी फायदा मिलता है।
▪️3. एक चम्मच त्रिफला पाउडर को पानी में जाल कर रात भर के लिए छोड दें। अगली सुबह इस पानी को छान कर इसी से आंखें धुलें। साथ ही अगर आंखें धुलते वक्त मुंह में ताजा पानी भरे रखेंगे तो और भी फायदा मिलेगा। एक ही महीने में आपको फर्क महसूस होगा।
▪️4. गाजर में फॉसफोरस, विटामिन ए, विटामिन सी और आयरन की मात्रा काफी होती है जो इसे आंखों के लिए असरदार बनाते हैं। नियमत रूप से कच्ची गाजर को सलाद की तरह खा कर या उसका रस पी कर आप अपनी आंखों की रोशनी तेज कर सकते हैं।
▪️5. बिलबेरी एक तरह का बेर है जो शरीर में खून के बहाव को बढ़ाता है। ताजी बिलबेरी खाने से रात में कम दिखने की बीमारी और कमजोर रोशनी की समस्या दूर हो जाती है।
▪️6. याद रहे आपके खाने में सभी पोषक तत्व मौजूद हों। संतुलित आहार सिर्फ आंखों के लिए ही नहीं, पूरे शरीर के लिए जरूरी है। गाजर का रस, अंडे, दूध, हरी सब्जियां, फल, मेवे, गोभी और नींबू इसका हिस्सा हो सकते हैं।
▪️7. हरी घास पर सुबह सुबह नंगे पांव चलना आंखों को बहुत फायदा पहुंचाता है। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें।
▪️8. सुबह उठने पर अपनी हथेलियों को आपस में रगड़े। जब हथेलियां गर्म हो जाएं तो उन्हें अपनी आंखों पर रख कर सिकाई करें। ऐसा 4-5 बार करें तो आंखों को बहुत फायदा पहुंचेगा।
प्राकृतिक चिकित्सा करने के साथ-साथ आप आयुर्वेदिक आईज की किट का इस्तेमाल भी कीजिए आपको आंखों की प्रॉब्लम के परिणाम अद्भुत मिलेंगे...
#अमरूद
आजकल अलग अलग बैरायटी के अमरूद मार्किट में बहुत आ रहे हैं इनमे से कुछ खास किस्म बहुते फेमस है जैसे हिसार सफेदा , टाइवान पिंक , थाई अमरूद , इलाहाबाद सफेदा आदी !
सर्दियों में आने वाले अमरूद अच्छे होते है लेकिन इनको ज्यादा खाने से खाँसी आने का भय रहता है।
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अमरूद भी अजीब फल है इसे इस मौसम में खाओ तो खाँसी को निमंत्रण देता है और अगर इसे आग में भूनकर खाओ तो खाँसी की दवा बन जाता है। आप अगर खांसी से परेशान है तो सुबह गर्म रेत में अमरूद दबा दीजिये जब अच्छी तरह सिक जाये बासी मुँह खा लीजिये खांसी ठीक हो जाती है।
अमरूद के कई प्रजाति हमने देखी है। मेरे घर पर एक पेड़ था जिसमे लगने वाले एक एक अमरूद आधा आधा किलो के होते थे। सामान्य आकार वाला गोल अमरूद हर जगह मिलता है लेकिन अमरूद लेते समय ध्यान रखें जो अमरूद अधपका होता है और उसकी त्वचा पर दाने से उभरे होते है वो मीठा और अच्छा होता है। पके अमरूद अक्सर कीड़े वाले व फीके निकलते है।
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मेरी नानी के घर एक अमरूद था वो नाशपती के आकार का होता था उसमें गूदा अधिक बीज वाला हिस्सा कम होता था उसके बाहरी त्वचा पर खूब दाने बने रहते थे मानो पानी की बुँदे लटकी रह गई हूँ ये इतना अधिक मीठा होता था कि उसके पेड़ और फल दोनों पर काली काली बड़ी बड़ी चीटियां चिपकी रहती थी ये चीटिया भी अन्य घरेलू चीटियों से अलग होती थी ये अजीब सा गंध छोड़ती थी और छूते ही बड़ी तेज काटती थी। चीटियों की वजह से उस पेड़ पर चढ़ना मुश्किल रहता था।
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अमरूद की बगिया को अमरुदहिया बगिया कहते थे और स्कूल से आते जाते समय चोरी चुपके से बाग घुस कर अमरूद चुरा कर खाने का जो आनंद होता था वो अब खरीदकर खाने में नहीं होता है क्योंकि तब हर पेड़ के अमरूद के बारे में जानते थे कि कौन सा फीका कौन सा मीठा है?
अब तो बाजार से खरीदकर लाओ तो बस एक ही बात का ध्यान रखना होता है कि कीड़े न हो बाकी फीका हो या मीठा क्या फर्क पड़ता है क्योंकि उसे काटकर, प्लेट में सजाकर, काला नमक छिड़ककर, कांटे से बड़े ही नजाकत से खाना रहता है वरना एक हम थे जो पेड़ से तोड़कर बिन धुले अपने कपड़ों में ही पोछकर सीधा दाँत से काट काटकर खा डालते थे।
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हम तो अमरूद की कोमल पत्तियाँ यानि कोपल भी दो चार खा लेते थे। अम्मा ने बताया था कि स्वास्थ्य वर्धक होती है इसलिए खा जाया करते थे किस बीमारी में फायदा करती है ये न उन्होंने बताया न हमने पूछा बस स्वास्थ्य वर्धक होती है ये सुनकर ही चबा लिया करते थे।
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*छुहारे के यह फायदे आपको कर देंगे हैरान*
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*1. मासिक धर्म :*
सर्दी के दिनों में कई महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समसयाएं भी होती हैं, इसके लिए छुहारे फायदेमंद है। छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।
*2. बिस्तर पर पेशाब :*
छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से लाभ होगा। छुहारे वाला दूध भी लाभकारी है। यदि बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं। यह शक्ति पहुंचाते हैं।
*3. रक्तचाप :*
कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जाएगा।
*4 . दांतों का गलना :*
छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।
*5. कब्ज :*
सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।
*6. मधुमेह :*
मधुमेह रोगी जिनके लिए मिठाई, चीनी इत्यादि वर्जित है, सीमित मात्रा में खजूर का हलवा इस्तेमाल कर सकते हैं। खजूर में वह अवगुण नहीं है, जो गन्ने वाली चीनी में पाए जाते हैं।
*कष्ट दायक मासिक स्त्राव से बचने के लिए घरेलु उपचार*
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*1. तारपीन:*
कमर तक गुनगुने पानी में बैठे और पेडू (नाभि) पर सेक करने के बाद तारपीन के तेल की मालिश करने से मासिक-धर्म की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
*2. बबूल:*
लगभग 250 ग्राम बबूल की छाल को जौकूट यानी पीसकर 2 लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो योनि में पिचकारी देनेसे मासिक-धर्म जारी हो जाता है और उसकी पीड़ा भी शान्त हो जाती है।
*3. कालीमिर्च:*
कालीमिर्च एक ग्राम, रीठे का चूर्ण 3 ग्राम दोनों को कूटकर जल के साथ सेवन करने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*4. अजवायन:*
अजवायन, पोदीना, इलायची व सौंफ इनचारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासिकस्राव के समय पीने स