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26/09/2025
 #स्कंदमाता (Skandamata) नवरात्रि की पाँचवीं देवी हैं। इनकी पूजा पाँचवें दिन की जाती है। इनके स्वरूप और विशेषताएँ (अब्स्...
26/09/2025

#स्कंदमाता (Skandamata) नवरात्रि की पाँचवीं देवी हैं। इनकी पूजा पाँचवें दिन की जाती है। इनके स्वरूप और विशेषताएँ (अब्स्टेस्थाएँ/विशेषताएँ) इस प्रकार हैं:
1. स्वरूप – देवी स्कंदमाता श्वेत वर्ण की हैं और सिंह पर सवार रहती हैं।
2. हाथों में – इनके चार भुजाएँ हैं।
दो हाथों में कमल के पुष्प हैं।
एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को अपनी गोद में धारण करती हैं।
चौथा हाथ वरमुद्रा में रहता है।
3. उपाधि – क्योंकि ये भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
4. आसन – इनका आसन भी कमल है, इस कारण इन्हें पद्मासना भी कहते हैं।
5. प्रभाव – इनकी उपासना से भक्त को अद्भुत शांति, वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
6. विशेषता – भक्त अगर निरक्षर या अल्पज्ञ भी हो, तो भी माँ स्कंदमाता की कृपा से उसे उच्च ज्ञान और विद्या प्राप्त होती है।
7. प्रतीक – कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें कमलिनी भी कहा जाता है।
👉 स्कंदमाता की आराधना करने से संतान सुख, ज्ञान, और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।🚩🚩🚩🚩🚩🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩

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