25/10/2025
मन पर जितने भी बोझ हैं उन्हें एक-एक कर उतारते चलिए। किसी को क्षमा करना है, कर दीजिए, किसी से क्षमा मांगनी है, मांग लीजिए, कुछ गलत किया है, स्वीकार कर लीजिये, कुछ गलत हुआ है,उसके लिए सवाल जवाब कर लीजिए। जितने हल्के रहेंगे उतनी दूर तक चल पायेंगे।
जहां अगले क्षण का पता नहीं ऐसी दुनिया में मनुष्य इतना द्वेष, विद्वेष ,ईर्ष्या , अहंकार, इतना मिथ्या अभिमान लेकर क्यों चल रहा है? जबकि यह परम सत्य है के साथ में आपकी चमड़ी भी नहीं जाएगी। हम मृत्यु लोक में हैं जहां अमर कुछ भी नहीं है। फिर भी ..पता नहीं क्यों..??
शुभ-प्रभात🙏
आपका दिन मंगलमय हो💐