मुझे कुछ कहना है Mujhe Kuch kahna hai

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मुझे कुछ कहना है                     Mujhe Kuch kahna hai वह शिक्षा व्यर्थ है जो गलत को गलत और सही को सही कहना नहीं सिखा पाती।
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मन पर जितने भी बोझ हैं उन्हें एक-एक कर उतारते चलिए। किसी को क्षमा करना है, कर दीजिए, किसी से क्षमा मांगनी है, मांग लीजिए...
25/10/2025

मन पर जितने भी बोझ हैं उन्हें एक-एक कर उतारते चलिए। किसी को क्षमा करना है, कर दीजिए, किसी से क्षमा मांगनी है, मांग लीजिए, कुछ गलत किया है, स्वीकार कर लीजिये, कुछ गलत हुआ है,उसके लिए सवाल जवाब कर लीजिए। जितने हल्के रहेंगे उतनी दूर तक चल पायेंगे।
जहां अगले क्षण का पता नहीं ऐसी दुनिया में मनुष्य इतना द्वेष, विद्वेष ,ईर्ष्या , अहंकार, इतना मिथ्या अभिमान लेकर क्यों चल रहा है? जबकि यह परम सत्य है के साथ में आपकी चमड़ी भी नहीं जाएगी। हम मृत्यु लोक में हैं जहां अमर कुछ भी नहीं है। फिर भी ..पता नहीं क्यों..??

शुभ-प्रभात🙏
आपका दिन मंगलमय हो💐

25/10/2025

पूरे 5 दिन हो चुके हैं और दैनिक भास्कर घर पर दर्शन ही नहीं दे रहा है।
वर्षों की आदत में इस तरह का विघ्न कितना असहनीय होता है इसे वो लोग अच्छी तरह जानते होंगे जिन्हें दैनिक समाचार पत्र पढ़ने की आदत बचपन से है।
पहले लगा कि दीपावली की छुट्टी मना रहे होंगे ,पर इतनी लंबी छुट्टी।
जितने भी नंबर मिले शिकायत करने के, इन्क्वायरी करने के, सब पर कॉल कर चुकी हूं कहीं से कोई भी रिस्पॉन्स नहीं है। हेडऑफिस में ईमेल भी कर चुकी।
वेंडर फोन उठाने को ही तैयार नहीं है। क्या तरीका है कि समाचार पत्र वापस से पा लिया जाए?? कोई सुझाव??

24/10/2025

23/10/2025

शुभ-प्रभात 🙏
आपका दिन मंगलमय हो💐

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19/10/2025

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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18/10/2025

🙏🙏🙏

शुभ-प्रभात🙏आपका दिन मंगलमय हो💐
15/10/2025

शुभ-प्रभात🙏
आपका दिन मंगलमय हो💐

11/10/2025
मेरी कलम से..कुछ देर ठहर जा मन मेरेइस जगमग में क्यों खोता हैरंगीन मुखौटों के पीछेकोई हंसता है कोई रोता है।कुल जोड़ जमा स...
08/10/2025

मेरी कलम से..

कुछ देर ठहर जा मन मेरे
इस जगमग में क्यों खोता है
रंगीन मुखौटों के पीछे
कोई हंसता है कोई रोता है।

कुल जोड़ जमा सारा तेरा
तेरे कर्म हैं तेरी करनी है
बाकी सब मायाजाल समझ
क्यों व्यर्थ ये बोझा ढोता है

ये चमक दमक सब मिथ्या है
सब यहीं धरा रह जायेगा
क्यों लोभ मोह मद में पड़ कर
तू बीज पाप के बोता है?

रिश्ते - नाते ,बंधु - बांधव
कुछ देर को पथ के साथी हैं
अंतिम उड़ान खुद भरनी है
क्यों सुख सपनों में खोता है?

ना साथ कोई चल पाएगा
ना पंख ही कोई थामेगा

अपने कर्म की गठरी लादे
छोड़ जगत का मेला

उड़ जाएगा हंस अकेला

(उड़ जाएगा हंस अकेला- यह पंक्ति कबीर-लिखित है)

उन ग़लतियों को भगवान भी माफ नहीं करते, जिनसे आपने कुछ सीखा नहीं।शुभ-प्रभात🙏आपका दिन मंगलमय हो💐
06/10/2025

उन ग़लतियों को भगवान भी माफ नहीं करते, जिनसे आपने कुछ सीखा नहीं।

शुभ-प्रभात🙏
आपका दिन मंगलमय हो💐

03/10/2025

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