Madhya Pradesh Hindi Express

Madhya Pradesh Hindi Express Madhya Pradesh Hindi Express is an Evening Hindi Daily News Paper published from JABALPUR (M.P) INDIA. Established on 9.11.1989. Edited By Mr. Ravindra Bajpai.

22/05/2025

नक्सलवाद का सफाया देश हित में

छत्तीसगढ़ के अबू झामड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने गत दिवस हुई मुठभेड़ में 30 नक्सली मार गिराए जिनमें 1 करोड़ का इनामी नक्सली नेता बसवराज भी शामिल था। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस वर्ष अभी तक लगभग 200 नक्सलवादी मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद एक तरफ जहाँ सीमाओं की सुरक्षा पर काफी ध्यान देते हुए सेना को आधुनिकतम अस्त्र - शस्त्रों से सुसज्जित किया गया वहीं चीन के समर्थन से गृहयुद्ध के जरिये भारत में खूनी क्रांति के जरिये लोकतंत्र के स्थान पर एकदलीय साम्यवादी शासन व्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रयासरत नक्सलवादियों के सफ़ाये के लिए भी निर्णायक कार्रवाई की पुख्ता तैयारी की गई। शुरुआत में तो इसका असर उतना नहीं दिखा लेकिन धीरे - धीरे नक्सलियों की घेराबंदी में सुरक्षा बलों को सफलता मिलने लगी। चूंकि उनका जाल बिहार, झारखंड, म.प्र, आंध्र, उड़ीसा, प. बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में फैला हुआ है इसलिए उनकी जड़ें काटना आसान नहीं था। छत्तीसगढ़ नक्सलियों की मनपसंद जगह है क्योंकि इस राज्य से कई राज्यों की सीमाएं मिलने से नक्सली किसी भी बड़ी वारदात के बाद दूसरे राज्य में जाकर छिप जाते थे। ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि उक्त सभी राज्यों में आदिवासी जनसंख्या काफी है जो ज्यादातर वनाच्छादित क्षेत्रों में निवास करती है। उन भोले - भाले आदिवासियों को बहला - फुसलाकर अपने जाल में फंसाकर ये उन्हें समाज की मुख्यधारा से अलग करते हुए उनके मन में व्यवस्था के प्रति विद्रोह की भावना भरकर हिंसा के रास्ते पर धकेल देते जिसमें लौटने की गुंजाइश नहीं रहती। इन नक्सलियों को चीन से शस्त्र और आर्थिक संसाधन के साथ ही प्रशिक्षण आदि की सुविधा मिलती रही। लेकिन देश के भीतर भी उनके प्रति सहानुभूति रखने वाले कम नहीं हैं जिन्हें नक्सलियों द्वारा की गईं नृशंस हत्या तो शोषण के विरुद्ध उठाई आवाज प्रतीत होती है किंतु जब इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई होती है तब उसे मानव अधिकारों का उल्लंघन प्रचारित कर छाती पीटी जाती है। ये वर्ग, शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति के अलावा समाचार माध्यमों में घुसा हुआ है जिसे शहरी नक्सली कहा जाने लगा है। इन शहरी नक्सलियों द्वारा जंगलों में फैले सशस्त्र माओवादियों का बौद्धिक अभिवावक भी कहा जा सकता है जो समाज में वामपंथी विचारधारा के महिमामंडन में जुटा रहता है। इन शहरी नक्सलियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई शुरू होते ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन का हल्ला मचाया जाने लगता है जिसमें कतिपय बुद्धिजीवी और यू ट्यूबर पत्रकार शामिल रहते हैं। मोदी सरकार के आने के बाद नक्सलियों के सफ़ाये का जो संकल्प लिया गया उसको रुकवाने के लिए तरह - तरह के प्रयास हुए किंतु गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा करनी होगी जिन्होंने तमाम आलोचनाओं और अवरोधों से विचलित हुए बिना अभियान जारी रखा जिसके सुपरिणाम लगातार आ रहे हैं। श्री शाह काफी दिनों पूरे आत्मविश्वास से कहते आ रहे हैं कि मार्च 2026 तक नक्सलियों को समूल नष्ट कर दिया जाएगा। पहले उनके इस आशावाद को कोरा प्रोपेगंडा माना जाता था किंतु उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी आवाजाही बनाये रखते हुए सुरक्षा बलों और सरकार के बीच बेहतर समन्वय कायम किया। राज्य सरकारों के साथ भी केन्द्र ने अच्छा तालमेल बनाया। साथ ही उन राजनीतिक ताकतों का पर्दाफ़ाश भी किया जो अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए नक्सलियों का इस्तेमाल किया करते थे। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि जो आदिवासी इलाके नक्सलियों के प्रभावक्षेत्र में थे वे विकास की दौड़ में पिछड़ गए क्योंकि उनके आतंक के कारण सड़क, बिजली , शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार नहीं हो पाया। अनेक घटनाएं ऐसी हुईं जिनमें विकास कार्यों में लगे मजदूरों तक पर नक्सली आतंक का कहर बरसा। सरकारी अमले की बेरहमी से हत्या की भी सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं। खनिज संपदा संपन्न क्षेत्रों में अवैध वसूली भी नक्सलियों की कार्य पद्धति का मुख्य स्रोत रहा है। धीरे - धीरे नक्सली पेशेवर अपराधी में बदलते गए। लेकिन उनकी देश विरोधी नीतियां असहनीय हो चली थीं। ऐसे में वे आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गए थे। केन्द्र सरकार ने उनके सफाये के लिए जो ठोस कदम उठाये वे पूरी तरह देश हित में हैं। नक्सलवाद देश की अखंडता के लिए बड़ा खतरा बन गया था इसलिए उसका सफाया पूरी तरह आवश्यक है।

22/05/2025
लक्षद्वीप की प्रशंसा के जरिए मोदी द्वारा मालदीव की रीढ़ पर कड़ा प्रहार हिन्द महासागर में स्थित द्वीपनुमा देश मालदीव इन द...
09/01/2024

लक्षद्वीप की प्रशंसा के जरिए मोदी द्वारा मालदीव की रीढ़ पर कड़ा प्रहार

हिन्द महासागर में स्थित द्वीपनुमा देश मालदीव इन दिनों चर्चा में है। कुछ समय पहले वहां चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति चुन लिए गए। उनके चुनाव प्रचार में भारत विरोध स्पष्ट रूप से झलक रहा था। जबकि पूर्ववर्ती राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह खुलकर भारत के साथ थे। मुइज्जू ने चुनाव जीतने के साथ ही वहां मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने की मांग कर डाली। दरअसल वहां कुछ ऐसे काम चल रहे हैं जिनके कारण भारतीय सेना के कुछ लोग मालदीव में हैं। हेलीकाप्टर एवं कुछ अन्य उपकरणों के संचालन के लिए दोनों देशों में हुए समझौते के अंतर्गत वे सैनिक वहां पदस्थ हैं । हालांकि ये संख्या इतनी बड़ी नहीं कि उसके आंतरिक मामलों में दखल दे सके। मुस्लिम बहुल मालदीव के साथ भारत के रिश्ते काफी अच्छे रहे। इस देश की मुख्य आय पर्यटन है । यहां के समुद्र तट बेहद खूबसूरत हैं। चूंकि भारत से यह देश करीब है इसलिए यहां से प्रतिवर्ष लाखों सैलानी मालदीव घूमने जाते रहे हैं। अनेक भारतीय फिल्मों की शूटिंग भी यहां हो चुकी है। लेकिन राष्ट्रपति मुइज्जू ने जब भारत विरोधी मोर्चा खोला तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप नामक भारतीय टापू की यात्रा के दौरान वहां के समुद्र तट पर घूमते अपने चित्रों के साथ भारतीय सैलानियों को लक्षद्वीप आने की समझाइश देते हुए उसके प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा कर डाली। वैसे भी प्रधानमंत्री जहां जाते हैं वहां की खूबियों का बखान करना नहीं भूलते। कुछ समय पहले वे उ.प्र के पिथौरागढ़ में स्थित आदि कैलाश गए थे जहां से तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत नजर आता है। उनकी इस यात्रा के चित्र प्रसारित होते ही आदि कैलाश एक नए पर्यटन केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध हो गया। 2019 के लोकसभा चुनाव का प्रचार बंद होते ही प्रधानमंत्री केदारनाथ की एक गुफा में जाकर रहे जिसके बाद उस धाम और गुफा दोनों के प्रति रुचि बढ़ी जिसका परिणाम वहां जाने वालों की संख्या में हुई अकल्पनीय वृद्धि के रूप में सामने आया। श्री मोदी ने घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुजरात में सरदार पटेल की जो स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी बनवाई उस पर हुए खर्च को लेकर तमाम आलोचनाएं हुईं किंतु उस प्रकल्प के पूर्ण होते ही वह स्थान देश के प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो गया। वाराणसी में विश्वनाथ और उज्जैन के महाकाल मंदिरों के परिसर का उन्नयन भी कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा था किंतु आज उसके चमत्कारिक लाभ देखने मिल रहे हैं। हालांकि श्री मोदी के मन में लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देने का भाव था या आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वहां के मतदाताओं को लुभाने की सोच , ये तो वही जानें किंतु उनकी सहज टिप्पणी पर मालदीव की नई सरकार के कुछ मंत्रियों के हल्के स्तर के बयानों के बाद से मालदीव और लक्षद्वीप के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। भारत में जिस तेजी से मालदीव के बहिष्कार और लक्षद्वीप के प्रति उत्सुकता उत्पन्न हुई उसने मालदीव की अकड़ ढीली कर दी। राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन की यात्रा पर रवाना होने से पहले ही भारत और मोदी विरोधी टिप्पणी करने वाले तीन मंत्रियों की छुट्टी करते हुए विवाद को ठंडा करने का प्रयास किया किंतु तब तक उसे जो नुकसान होना था वह तो हो ही चुका था। मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों द्वारा यात्रा रद्द होने की खबरें आने लगीं। इसी के साथ ही लक्षद्वीप के प्रति जबरदस्त रुझान देखा जाने लगा। अनेक अभिनेताओं और प्रमुख हस्तियों द्वारा मालदीव की बजाय लक्षद्वीप को प्राथमिकता देने की अपील किए जाने से मुइज्जू सरकार सकते में आ गई। भारत सरकार ने भी उनके राजदूत को बुलाकर कड़े शब्दों में समझा दिया। सबसे बड़ी बात ये हुई कि मालदीव के भीतर ही नए राष्ट्रपति के भारत विरोधी रवैए की आलोचना शुरू हो गई। उनको याद दिलाया जाने लगा कि दशकों पहले जब श्रीलंका से चीन की शह पर आए सशस्त्र आतंकवादियों ने मालदीव पर कब्जा कर लिया तब भारतीय सेना ने जाकर ही उनको वहां से भागने मजबूर किया था। कुल मिलाकर इस घटनाक्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शिता और भारत की कूटनीतिक दृढ़ता एक बार फिर प्रमाणित हो गई । मालदीव की नई सरकार के भारत विरोधी रुख के जवाब में प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के समुद्र तट पर टहलते हुए थोड़े शब्दों में जो कुछ कहा उसका इतना बड़ा असर होगा ये किसी ने नहीं सोचा था। राष्ट्रपति मुइज्जू के भारत विरोधी बयानों का सीधा जवाब देने के बजाय उन्होंने मालदीव की पर्यटन रूपी रीढ़ पर प्रहार कर दिया। निश्चित रूप से ये बहुत ही चतुराई भरा दांव था जिसका जबरदस्त असर देखने मिला। भले ही राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू सबसे पहले चीन की यात्रा पर गए हों किंतु नई दिल्ली के कड़े रुख के बाद उनको ये तो महसूस हो ही गया होगा कि भारत से ऐंठना उतना सरल नहीं जितना वे समझ बैठे थे।

07/01/2024
कल से फिर दौडेंगी सभी बसे, बैठक में हुआ निर्णयबैठक में वरिष्ठ बच्चू रोहाणी, नसीम बेग, उदयचंद जैन, कल्याण नियोगी, ओम प्रक...
01/01/2024

कल से फिर दौडेंगी सभी बसे, बैठक में हुआ निर्णय

बैठक में वरिष्ठ बच्चू रोहाणी, नसीम बेग, उदयचंद जैन, कल्याण नियोगी, ओम प्रकाश जायसवाल, दिलीप मंगलानी, नरेश रजक, कृष्ण कुमार खंपरिया, विक्की जैसवाल, मुकेश जैन, दीपेंद्र डोंगरे कंधी जैन मनीष जैन धन्य कुमार जैन रजनीश शर्मा आदि उपस्थित रहे। बैठक में माढोताल टीआई विपिन ताम्रकार की उपस्थिति में समस्त उपस्थित सदस्यों ने यह निर्णय लिया कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए काले कानून के खिलाफ ड्राइवरों की हड़ताल को सभी वाहन मालिकों ने समर्थन किया। कानून का विरोध सभी बस मालिक भी कर रहे है, एक दिन की इस सांकेतिक हड़ताल के बाद कल से बसों का संचालन प्रारंभ होगा। बैठक में सभी सदस्यों से अपने ड्राइवर और कंडक्टर को बसों का संचालन करने कहा गया। सभी बस मालिक कल 2 जनवरी को सुबह 6 बजे आईएसबीटी बस स्टेंड में एकत्रित होकर बसों का संचालन शुरू करवाएंगे।

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23, Sheetalpuri Colony, Ukhri Road, Cherital Ward
Jabalpur
482001

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