26/09/2025
संदर्भ: बाड़मेर
जब फैसला देने के अधिकारी माननीय न्यायालय ने अपना काम कर दिया तो हमारे पास केवल लिखने को ही रह जाता हैं। बेवजह जज बनने की कोशिश बीते कुछ सालों में मीडिया करती आ रही, जो सही नहीं।
खबर आते ही !
हम सब ने (मीडिया) वालों ने अपने अपने तरीके से कल से लिखना शुरू किया हैं।
खबर महज इतनी की कांग्रेस से निष्कासित पूर्व विधायक मेवाराम जैन की कांग्रेस में घर वापसी हो गई है
अब टिप्पणी, समीक्षा और संपादकीय अलग !
न्याय मंदिर के फैसले पर अभी जिक्र होना ही नहीं चाहिए क्योंकि अभी खबर political है। कांग्रेस पार्टी ने अपने ही निर्णय में जैन को बाहर किया और अब वापस ले लिया। इसलिए खबर तो इतनी सी है।
ये अंदर की बात लेकिन !
ये पार्टी का अंदरूनी मसला है। इससे मीडिया को लेना देना नहीं होना चाहिए, ये सच है लेकिन मीडिया रिपोर्ट LIC की तरह है। जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी। अतः मीडिया 5 W 1 H के सूत्र के आधार पर जैन की वापसी पर टिप्पणी, समीक्षा, प्रतिक्रिया पर अपना लेखन करेगा और बेबाकी से करना भी चाहिए।
जो नाच रहे वो उनकी खुशी लेकिन !
कल से जैन के समर्थक दिवाली मना रहे। नाच रहे। ये उनका हक है क्योंकि जब बाहर हुए तो विरोधी नाचे। ये एक मानवीय व्यवहार है।
लेकिन बड़ा सवाल हरीश चौधरी जो जैन को लेने के विरोधी रहे, उनको लेकर मीडिया हमलावर है कि उनको पार्टी छोड़ देनी चाहिए! क्यों! क्यूं और किसलिए?
पार्टी में आना अलग लेकिन !
आपकी पार्टी आपको चारित्रिक दुर्बलता पाए जाने पर बाहर करती है, इससे लगा कि पार्टी उसूलों वाली है। उन्हीं उसूलों की पैरवी हरीश चौधरी कर रहे। करेंगे पार्टी के बड़े नेता है और ये भी समझना होगा कि पार्टी लाइन पर ही विरोध फिर हरीश चौधरी निशाने पर क्यों ?
फैसला कांग्रेस का !
पार्टी ने लिया तो लिया, राजनीति के गुणा भाग अपने लेकिन सामाजिक स्तर पर इस आचरण के प्रति स्वीकार्यता एक निजी फैसला। यही मंच से हरीश चौधरी ने बोला कि यदि किसी को उनका आना अच्छा लग रहा, कोई उनको अपने घर आमंत्रित करे तो वो उनका निजी अधिकार लेकिन मैं इस आचरण को स्वीकार नहीं करता। यही बात कांग्रेस नेता आजाद सिंह ने कही।
क्रमशः © निखिल व्यास
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