02/07/2025
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सावन में महादेव का वरदान – हर हर महादेव
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सावन का महीना शुरू होते ही कैलाश पर्वत पर भी शीतल बूँदें गिरने लगी थीं। घनघोर बादलों की गड़गड़ाहट मानो शिव तांडव का आह्वान कर रही थी।
गाँव में एक गरीब लकड़हारा था, नाम था रघुनाथ। उसके घर में कई दिनों से अनाज भी खत्म हो चुका था। सावन की वर्षा में भीगते हुए वह जंगल से लकड़ियां काटकर लौट रहा था। रास्ते में उसे एक छोटा सा शिवलिंग मिला, जिस पर बरसात की बूँदें लगातार गिर रही थीं।
रघुनाथ ने लकड़ियों का गठ्ठर नीचे रखा और हाथ जोड़कर बोला—
"हे भोलेनाथ! मैं खाली हाथ हूँ, कुछ देने लायक नहीं। पर मेरी प्रार्थना सुन लेना। सावन में तेरी महिमा अपार है।"
उसने पास के पेड़ से बेलपत्र तोड़े, शिवलिंग पर चढ़ाए और दोनों आँखें बंद कर लीं।
कहते हैं, तभी शिवलिंग पर गिरती बूँदें रुक गईं। और हल्की सी नील आभा उस शिवलिंग से निकलकर रघुनाथ के माथे पर छू गई।
रघुनाथ ने आँखें खोलीं तो देखा – उसके गठ्ठर की लकड़ियां अब सुगंधित चंदन बन चुकी थीं।
वह चकित रह गया। गाँव लौटकर उसने लकड़ियां बेच दीं। उस दिन उसे इतना धन मिला जितना उसने जीवन में कभी न देखा था।
गाँव के सभी लोग मंदिर में इकट्ठा हुए और बोले –
"सावन में महादेव की भक्ति से बड़ा कोई धन नहीं। जो सच्चे मन से पुकारे, महादेव उसे खाली नहीं लौटाते।"
तब से गाँव में यह परंपरा बन गई कि सावन की हर सोमवार को सब रघुनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाते और पुकारते –
"हर हर महादेव!"
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ादेव