01/02/2025
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता का वर्णन वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। उनके प्रवचनों के अनुसार:
1. ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पिता – "काल" (ज्योति निरंजन)
संत रामपाल जी के अनुसार, "काल" (ज्योति निरंजन) ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पिता है।
यह "काल" ही इस भौतिक संसार (कृष्ण लोक, ब्रह्मांड) का स्वामी है और सभी जीवों को जन्म-मरण के चक्र में फँसाए रखता है।
2. ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता – "अष्टंगी" (दुर्गा/पराशक्ति)
उनके अनुसार, "अष्टंगी" (दुर्गा माता) ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता हैं।
वे कहते हैं कि "काल" (ज्योति निरंजन) ने दुर्गा से योग बल द्वारा तीन पुत्र उत्पन्न किए – ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
3. इस शिक्षा का आधार
संत रामपाल जी कहते हैं कि यह ज्ञान सुखश्म वेद (गुप्त वेद) और कबीर साहेब की वाणियों में लिखा हुआ है।
वे अपने प्रवचनों में श्रीमद्भागवत महापुराण (स्कंद 3, अध्याय 5, श्लोक 7-8) और दुर्गा सप्तशती का हवाला देते हैं।
4. ब्रह्मा, विष्णु, महेश की सीमाएँ
वे कहते हैं कि ये तीनों देवता मृत्यु लोक के बंधन में हैं और मोक्ष देने में असमर्थ हैं।
केवल "सतपुरुष" (कबीर परमेश्वर) ही सच्चे ईश्वर हैं, जो इस लोक से परे सतलोक में रहते हैं।
निष्कर्ष:
संत रामपाल जी के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पिता "काल" (ज्योति निरंजन) और माता "अष्टंगी" (दुर्गा) हैं। वे कहते हैं कि इन देवताओं की पूजा करने से मोक्ष नहीं मिलेगा, बल्कि केवल सतगुरु के बताए मार्ग पर चलकर ही जीव सतलोक जा सकता है।