SOul Hari

SOul Hari .。.✰ 𝕄𝕪...𝕣𝕖𝕒𝕝...𝕂𝕙𝕦𝕕𝕒 ❤🙇🏻‍♂️✰.。.

आधिनी के पास है पूर्ण ब्रह्म दयाल ❤️🙇🙏
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Sat saheb ji 🙏
26/05/2025

Sat saheb ji 🙏

Sat saheb ji 🙏 SOul Hari
15/04/2025

Sat saheb ji 🙏 SOul Hari

मालिक 🥺🙏
19/03/2025

मालिक 🥺🙏

पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जी 🥰🙏
19/03/2025

पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जी 🥰🙏

18/02/2025
01/02/2025

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता का वर्णन वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। उनके प्रवचनों के अनुसार:

1. ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पिता – "काल" (ज्योति निरंजन)

संत रामपाल जी के अनुसार, "काल" (ज्योति निरंजन) ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पिता है।

यह "काल" ही इस भौतिक संसार (कृष्ण लोक, ब्रह्मांड) का स्वामी है और सभी जीवों को जन्म-मरण के चक्र में फँसाए रखता है।

2. ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता – "अष्टंगी" (दुर्गा/पराशक्ति)

उनके अनुसार, "अष्टंगी" (दुर्गा माता) ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता हैं।

वे कहते हैं कि "काल" (ज्योति निरंजन) ने दुर्गा से योग बल द्वारा तीन पुत्र उत्पन्न किए – ब्रह्मा, विष्णु और महेश।

3. इस शिक्षा का आधार

संत रामपाल जी कहते हैं कि यह ज्ञान सुखश्म वेद (गुप्त वेद) और कबीर साहेब की वाणियों में लिखा हुआ है।

वे अपने प्रवचनों में श्रीमद्भागवत महापुराण (स्कंद 3, अध्याय 5, श्लोक 7-8) और दुर्गा सप्तशती का हवाला देते हैं।

4. ब्रह्मा, विष्णु, महेश की सीमाएँ

वे कहते हैं कि ये तीनों देवता मृत्यु लोक के बंधन में हैं और मोक्ष देने में असमर्थ हैं।

केवल "सतपुरुष" (कबीर परमेश्वर) ही सच्चे ईश्वर हैं, जो इस लोक से परे सतलोक में रहते हैं।

निष्कर्ष:

संत रामपाल जी के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पिता "काल" (ज्योति निरंजन) और माता "अष्टंगी" (दुर्गा) हैं। वे कहते हैं कि इन देवताओं की पूजा करने से मोक्ष नहीं मिलेगा, बल्कि केवल सतगुरु के बताए मार्ग पर चलकर ही जीव सतलोक जा सकता है।

01/02/2025

"यह संसार बंधन में है, काल करे व्यापार।
जो सतगुरु शरण में आवे, वही पावे पार।।"

01/02/2025

"कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर।।"

01/02/2025

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता परमेश्वर कबीर साहेब हैं। उनके प्रवचनों और संत मत के ग्रंथों के अनुसार, यह बताया जाता है कि सृष्टि के रचयिता कबीर साहेब ही हैं, और उन्हीं से ब्रह्म (कभी-कभी काल ब्रह्म के रूप में संदर्भित), ब्रह्मा, विष्णु, और महेश उत्पन्न हुए हैं।

संत रामपाल जी के ज्ञान के अनुसार:

माता: देवी दुर्गा (आदि शक्ति)

पिता: काल ब्रह्म (जिसे ज्यादातर ब्रह्म या काल कहा जाता है)

उनके प्रवचनों में यह भी बताया जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव हैं, जो अलग-अलग कार्यों के लिए नियुक्त किए गए हैं, लेकिन वे स्वयं सर्वोच्च भगवान नहीं हैं। सर्वोच्च भगवान केवल कबीर साहेब हैं, जो सृष्टि के परम सृजनहार हैं।

यदि आप इस विषय पर और विस्तार से जानना चाहते हैं, तो आप संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकें जैसे ज्ञान गंगा और जीवन चरित्र संत गरीबदास जी पढ़ सकते हैं, या उनके सत्संग वीडियो देख सकते हैं।

01/02/2025

संत रामपाल जी महाराज की शिक्षा मुख्य रूप से कबीर पंथ और वेदों पर आधारित है। वे कहते हैं कि केवल "सतगुरु" की भक्ति करने से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। उनकी शिक्षाएं निम्नलिखित हैं:

1. एक परमात्मा की भक्ति (सच्चा गुरु)

वे कहते हैं कि कबीर परमेश्वर ही सच्चे ईश्वर हैं और वे ही सृष्टि के रचनाकार हैं।

वे मूर्तिपूजा, देवी-देवताओं की आराधना, और अवतारवाद को गलत बताते हैं।

2. सतगुरु की पहचान और भक्ति

उनके अनुसार, सच्चे गुरु की पहचान यह है कि वह वेदों और शास्त्रों के अनुसार ज्ञान देता है।

बिना सच्चे गुरु के कोई भी व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता।

3. काल (माया) और बंधन से मुक्ति

वे कहते हैं कि यह संसार काल (नकारात्मक शक्ति) के नियंत्रण में है, जो जीवों को जन्म-मरण के चक्र में फँसाए रखता है।

केवल सतगुरु के बताए गए "सतनाम" मंत्र का जाप करने से ही इस बंधन से मुक्ति मिल सकती है।

4. धार्मिक ग्रंथों पर आधारित ज्ञान

वे कहते हैं कि उनके द्वारा बताया गया ज्ञान वेदों, गीता, बाइबल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब के अनुसार है।

वे दावा करते हैं कि हिंदू धर्म में कई गलत परंपराएं जोड़ी गई हैं, जो असली ज्ञान से भटका देती हैं।

5. मांसाहार, नशा और बुरी आदतों का त्याग

उनके अनुसार, मोक्ष प्राप्त करने के लिए शराब, तंबाकू, मांस और अन्य बुरी आदतों को छोड़ना जरूरी है।

6. सतलोक (सच्चा लोक) की प्राप्ति

वे बताते हैं कि सतलोक (परमधाम) ही जीव का असली घर है, जहाँ जाने के बाद आत्मा को दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता।

7. गीता और अन्य ग्रंथों की व्याख्या

वे कहते हैं कि भगवद गीता में बताया गया "योगेश्वर" कोई दूसरा नहीं, बल्कि कबीर परमेश्वर हैं।

वे गीता के श्लोकों की अपनी व्याख्या देकर यह साबित करने का प्रयास करते हैं कि ईश्वर कोई अवतार नहीं लेता।

8. जातिवाद और धार्मिक भेदभाव का विरोध

वे सभी धर्मों को समान मानते हैं और कहते हैं कि असली धर्म आत्मा का परमात्मा से जुड़ना है।

वे कहते हैं कि जाति-धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को सतगुरु की शरण में जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

संत रामपाल जी की शिक्षा मुख्य रूप से कबीर साहेब के उपदेशों पर आधारित है। वे शास्त्रों के आधार पर धर्म की व्याख्या करते हैं और "सतनाम" मंत्र के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताते हैं। उनके अनुयायी उनकी शिक्षाओं को सत्य मानते हैं, जबकि अन्य लोग उनकी व्याख्याओं से सहमत नहीं होते।

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