22/08/2025
महंत रोहित शास्त्री ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से की भेंट, संस्कृत नेम प्लेट भेंट कर पर्वतीय तीर्थयात्राओं के मानसून पूर्व स्थायी नीति निर्धारण की माँग
जम्मू, 21 अगस्त – श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं स्टेट अवॉर्डी महंत रोहित शास्त्री जी ने आज जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल माननीय श्री मनोज सिन्हा जी से राजभवन, श्रीनगर में शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने उपराज्यपाल जी को उनके नाम की संस्कृत नेम प्लेट भेंट की और संस्कृत भाषा को घर-घर तक पहुँचाने के महत्व पर बल दिया।
महंत शास्त्री जी ने कहा कि संस्कृत हमारी सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है। यदि हमें अपनी जड़ों से जुड़ना है तो संस्कृत भाषा का अध्ययन एवं प्रयोग अनिवार्य है। इसी उद्देश्य से ट्रस्ट ने “घर-घर संस्कृत अभियान” प्रारंभ किया है, जिसके अंतर्गत प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों के घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर संस्कृत नेम प्लेटें स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब लोग अपने घर या कार्यालय के बाहर संस्कृत नेम प्लेट देखेंगे तो उनमें संस्कृत सीखने और बोलने की प्रेरणा जाग्रत होगी।
महंत जी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल एक प्रतीकात्मक पहल नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा के पुनर्जागरण का ठोस प्रयास है। इसी क्रम में उन्होंने उपराज्यपाल महोदय से मानसून पूर्व समस्त पर्वतीय तीर्थयात्राओं के समयबद्ध समापन हेतु स्थायी, वैज्ञानिक एवं संवेदनशील नीति बनाने की माँग भी रखी।
ज्ञापन में महंत जी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पवित्र पर्वतीय यात्राएँ – श्री अमरनाथ जी, कौंसर नाग, बुड्ढा अमरनाथ, मचैल माता आदि – करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक हैं। किंतु मानसून काल में बादल फटना, भूस्खलन, अचानक बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ यात्राओं को असुरक्षित बना देती हैं, जिससे श्रद्धालुओं के जीवन पर संकट उत्पन्न होता है।
उन्होंने हाल ही में किश्तवाड़ जिले के पाडर क्षेत्र में हुई दुखद घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि बादल फटने से श्रद्धालुओं की मृत्यु ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना ठोस नीति के इन यात्राओं का संचालन श्रद्धालुओं के लिए निरंतर जोखिमपूर्ण बना रहेगा।
महंत रोहित शास्त्री ने अपने ज्ञापन में निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत किए—
1. मानसून पूर्व यात्राओं का समापन सुनिश्चित किया जाए, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित वातावरण में दर्शन कर सकें।
2. श्रद्धालुओं के जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
3. आपदा प्रबंधन एवं प्रशासनिक व्यवस्था में संतुलन बनाए रखा जाए।
4. धार्मिक पर्यटन की सकारात्मक छवि अक्षुण्ण रहे, जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का विश्वास और भी प्रगाढ़ हो।
महंत जी ने यह भी प्रस्ताव रखा कि इस विषय पर मौसम वैज्ञानिकों, भू-विशेषज्ञों, धर्माचार्यों एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की एक संयुक्त समिति गठित की जाए, जो वस्तुनिष्ठ अध्ययन कर प्रशासन को सुझाव प्रदान करे।
महंत रोहित शास्त्री जी ने उपराज्यपाल महोदय से आग्रह किया—
"श्रद्धा की सच्ची सुरक्षा वही है, जिसमें श्रद्धालुओं का जीवन संरक्षण सर्वोपरि हो। धार्मिक आस्था तभी सार्थक है जब उसकी यात्रा सुरक्षित वातावरण में सम्पन्न हो।"