
26/12/2024
"निकल रही जिसकी समाधि से स्वतंत्रता की आगी।
आजाद झारखंड में छिपा हुआ है,वह स्वतंत्र बैरागी।।"
मैंने इस महान सपूत निर्मल महतो की हत्या के बाद उनके स्मरण में "शहीद निर्मल महतो को अंतिम संदेश" अखबारों के माध्यम से दिया था। यह संदेश "झारखंड की समरगाथा" पुस्तक में भी उल्लेख किया गया है। संदेश लंबा है लेकिन एक पैराग्राफ को जिक्र कर रहा हूं जो इस प्रकार है--
"निर्मल तुम नहीं रहे। छोड़कर गए इस दुनिया को। बिल्कुल बेफिक्री के साथ। जैसे कोई मामूली सी बात हो। शरीर खून से लथपथ, लेकिन चेहरे पर गम की कोई निशानी नहीं और इधर अपनी हालत। जो मैंने सुना तो होश खो बैठा । काटो तो खून नहीं जैसे लकवा मार गया हो। क्या यह भी मुमकिन है? भीतर से सवाल उठा, मगर सवाल बेकार सा था और खबर मिली उसमें सच्चाई थी......।
✍️शैलेंद्र महतो
झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद